कभी- कभी सेहत व सौंदर्य का सारा खजाना घर में ही मौजूद होता है मगर हमें पता नहीं होता है। फ्लैक्स सीड्स (Flax seeds benefits) यानी कि अलसी के बीजों को वजन कम करने (Weight loss) और बालों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। अलसी के बीज पिस्ता जैसे ड्राई फ्रूट्स का सस्ता विकल्प है। अलसी के बीज का सेवन करने से कई बीमारियों से भी निजात मिल सकती है। अलसी के बीज को खाने का सही तरीका पता हो तो इसके औषधीय गुणों से आपको काफी लाभ मिल सकता है। अलसी के बीज को फ्लैक्स सीड्स (flax seeds) के साथ ही लिनसीड्स (linseeds) भी कहते हैं। ये आकार में छोटे व रंग में और भूरे और सुनहरे होते हैं। अलसी के बीजों को साबुत खाने के साथ ही इनको पीसकर बीजों का पाउडर भी बनाया जा सकता है। अलसी का तेल भी काफी गुणकारी होता है। इनके सेवन से शरीर में ऊर्जा और स्फूर्ति का एहसास होता है। कौंच बीज के फायदे और नुकसान
फ्लैक्स सीड्स के चिकित्सीय गुण – Medicinal Properties Of Flax Seeds
त्वचा के लिए अलसी के बीज के फायदे – Flax Seeds For Skin
कैसे खाएं फ्लैक्स सीड्स /जवास – How To Eat Flax Seeds
अलसी के बीज के नुकसान – Side Effects Of Flax Seeds
आयुर्वेद में भी अलसी के बीज के फायदों के बारे में बात की गई है। अलसी के बीज का सेवन करने से कफ की समस्या में राहत मिलती है। यह काफी पौष्टिक मानी जाती है और शरीर के किसी भी भाग में सूजन होने पर भी अलसी के बीज के तेल से मालिश करने से फायदा मिल सकता है। सूरजमुखी बीज के फायदे
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अलसी को यूं ही गुणों की खान नहीं कहा जाता है। अलसी के बीज व तेल में अल्फा लिनोलिक एसिड (alpha linolic acid) पाया जाता है, जो कि एक तरह का ओमेगा 3 फैटी एसिड (Omega 3 fatty acid) होता है। उसके साथ ही इसमें फाइबर (fiber), विटामिन बी कॉम्प्लेक्स (vitamin B complex), प्रोटीन (protein), पोटैशियम (potassium), मैग्नीशियम (magnesium), फॉस्फोरस (phosphorus), मैंग्नीज (manganese), थायामिन (thayamin) और फाइटोएस्ट्रोजन (fightoestrogen) जैसे मिनरल्स (minerals) भी पाए जाते हैं। इन सभी में कई सारे चिकित्सकीय गुण होते हैं। 100 ग्राम अलसी में 18 ग्राम प्रोटीन होता है। इसमें पाए जाने वाले सभी गुण शरीर में ऑक्सीजन (Oxygen) लेवल को बेहतर बनाने में मदद करता है।
अलसी में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गुणों की वजह से अलसी को त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। एंटीऑक्सीडेंट गुणों से त्वचा में कोलेजन प्रोडक्शन और नए सेल्स का निर्माण होता है। इससे त्वचा स्वस्थ रहती है और बढ़ती उम्र के प्रभाव भी उस पर नज़र नहीं आते। अगर आप चाहते हैं कि आपकी त्वचा स्वस्थ और चमकदार रहे तो अपने रूटीन में 1 से 2 चम्मच अलसी को शामिल करें। सोआ के बीज के फायदे
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अक्सर महिलाएं हॉर्मोनल असंतुलन की समस्या से जूझती हैं। अलसी में मौजूद फाइटोएस्ट्रोजन के कारण यह महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद है। मेनोपॉज (Menopause) के समय महिलाओं को बेचैनी, अत्यधिक गर्मी लगना, अनियमित ब्लीडिंग, कमर दर्द व जोड़ों में दर्द की समस्या रहने लगती है। हॉर्मोन को संतुलित रखने में अलसी मददगार साबित हो सकता है। इनसे पीरियड्स (Periods) को भी रेगुलर किया जा सकता है।
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अलसी के बीज का उपयोग ब्लड प्रेशर व ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इसे हाइपरटेंशन की समस्या से जूझ रहे रोगियों के लिए भी काफी कारगर माना गया है।
कई अध्ययनों से पता चलता है कि कैंसर (Cancer) के जोखिम को कम करने के लिए भी अलसी के बीज प्रभावी रहते हैं। प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और पेट के कैंसर से लड़ने में अलसी को कारगर माना जाता है। अलसी के बीज में लिगनन का स्तर अधिक होता है। इसके गुणों से यह ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) से रक्षा प्रदान करता है।
अलसी में एंटी – इंफ्लेमेट्री (anti inflammatory) गुण पाए जाते हैं। इन गुणों से त्वचा पर हो रही जलन, सूजन और लालिमा को कम करने में मदद मिलती है। अलसी में मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड त्वचा को हाइड्रेटेड रखने में भी सहायक होता है। त्वचा पर अगर किसी तरह का कोई घाव हो गया हो तो उसके उपचार के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
गर्भवती स्त्रियों और स्तनपान कराने वाली मांओं के लिए भी अलसी को फायदेमंद माना जाता है। कई घरों में अभी भी इस गर्भवती स्त्रियों या नई मांओं के लिए अलसी के लड्डू बनाए जाते हैं। हालांकि, इन महिलाओं को डॉक्टर की सलाह के बिना अलसी का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि अपनी तासीर की वजह से ये कई बार नुकसानदेह भी होते हैं।
अलसी में ओमेगा 3 फैटी एसिड, फाइबर और लिगनेन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो कि वजन कम करने में सहायक होते हैं। अलसी प्रोटीन का भी अच्छा सोर्स है और प्रोटीन के सेवन से भी वजन कम होता है। भोजन में फाइबर अधिक होने से लंबे समय तक पेट के भरे होने का एहसास होता है। अलसी का सेवन करने से शरीर स्वस्थ रहता है और वजन घटाने में भी मदद मिलती है।
कुछ लोगों को अक्सर कब्ज की समस्या रहती है और उन्हें हाजमा की शिकायत भी रहती है। अगर आपके साथ भी ऐसा है तो अलसी के बीज का सेवन करने से इस समस्या में फायदा मिल सकता है। हालांकि, ध्यान रखें कि इसका सेवन करने के साथ आप पानी भी अधिक मात्रा मे पिएं।
अलसी के बीज में पाया जाने वाला अल्फा- लिनोलेनिक एसिड आर्थ्राइटिस (जोड़ों की बीमारी) व दूसरे तरह के जॉइंट पेन में भी लाभदायक होता है।
अलसी के बीज एंटी वायरल, एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल होते हैं। इनका सेवन करने से शरीर की रोग- प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। अगर घर में किसी की इम्युनिटी कमजोर हो तो उसे अलसी के बीजों का सेवन करने का सुझाव ज़रूर दें।
अलसी का रोजाना सेवन करने से टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों में शुगर लेवल का स्तर सुधारा जा सकता है। अलसी के बीजों में अल्फा- लिनोलेनिक एसिड, फाइबर और प्रोटीन पाया जाता है, जिससे ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों के स्वास्थ्य के लिए अलसी के सेवन का सुझाव दिया जाता है।
ओमेगा 3 फैटी एसिड के बहुत फायदे होते हैं। फ्लैक्स सीड खराब व रूखे बालों के लिए भी एक गुणकारी औषधि है। अलसी के नियमित उपयोग और सेवन से डैंड्रफ, खुजली और बालों के टूटने जैसी समस्याओं से निवारण पाया जाता है।
प्रतिदिन अगर 100 मिलीग्राम अलसी के बीजों का सेवन किया जाए तो ब्लड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम किया जा सकता है। अलसी के बीज घुलनशील फाइबर युक्त होते हैं, जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को रोकने में मदद करते हैं।
आजकल बच्चे व बड़े, अक्सर लोग अस्थमा (Asthma) से पीड़ित होते हैं। अगर आप या आपके परिचित भी दमा से परेशान हैं तो अलसी का सेवन आपके लिए उपयोगी साबित हो सकता है। अलसी के बीज को पीसकर पानी में मिला दें और 10 घंटे के लिए छोड़ दें। इस पानी को हर दिन तीन बार पिएं, इससे दमा कम हो जाता है। इसका पानी पीने से खांसी में भी राहत मिलेगी।
आर्थराइटिस (arthiritis) से पीड़ित लोगों के जोड़ों व घुटनों में कठोरता और दर्द की समस्या आम होती है। अलसी के तेल से मालिश करने से कठोरता कम होती है और सूजन से भी राहत मिलती है। ओमेगा 3 फैटी एसिड (Omega 3 fatty acid) के मौजूद होने से ऑस्टियोआर्थराइटिस (ostioarthiritis) को ठीक करने में भी मदद मिल सकती है। रोजाना एक चम्मच अलसी के बीज (flax seeds) का सेवन करने से पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षणों से राहत भी मिल सकती है।
कुछ लोगों को ड्राई आई सिंड्रोम (dry eye syndrome) की समस्या हो जाती है। इस समस्या में आंखों की बाहरी परत को पर्याप्त लुब्रिकेशन (lubrication) नहीं मिल पाता है, जिससे आंखों में अक्सर जलन होती है। इस रोग के लक्षणों को कम करने के लिए अलसी के तेल (flax seeds oil) का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।
हर समस्या में फ्लैक्स सीड्स को खाने का तरीका अलग होता है। अगर आप इसका सेवन करने जा रहे हैं तो इसके तरीकों पर भी गौर करें।
1. अपने हृदय (heart) को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना के आहार में पिसे हुए अलसी बीज का सेवन करें।
2. मेनोपॉज (menopause) के प्रभावों को कम करने के लिए रोजाना दो या तीन बार एक चम्मच अलसी के बीज के पाउडर का सेवन करें।
3. कोलेस्ट्रॉल (cholestrol) दो तरह का होता है। बैड कोलेस्ट्रॉल (bad cholestrol) के स्तर को कम करने के लिए रोजाना 2 से 4 चम्मच पिसे हुए अलसी के बीज का सेवन करें।
4. वजन कम करना चाहते हैं तो पिसे हुए अलसी के बीज को सब्जी, सूप, सलाद या दही में मिलाकर खा सकते हैं।
5. कैंसर (cancer) से बचाव के लिए अलसी के बीज के पाउडर (powder) को दही में डालकर खाएं। आप चाहें तो खाना बनाते समय उसमें भी इस पाउडर को डाल सकते हैं।
6. डीटॉक्सीफिकेशन (Detoxification) के लिए साबुत या पिसे हुए अलसी के बीज का सेवन कर सकते हैं। एक कप पानी में साबुत अलसी के बीजों को भिगो दें। अगली सुबह बीज और पानी, दोनों का सेवन करने से फायदा मिलता है।
7. अलसी के बीज को पानी में उबालकर जेल (gel) बनाया जाता है। घुंघराले बालों वाले लोग इसका उपयोग कर सकते हैं।
8. सुगंधित तेल (Essential oil) में कुछ बूंदें अलसी का तेल मिलाकर प्राकृतिक मॉइश्चर बनाया जा सकता है।
9. अलसी से फेस पैक (face pack) और स्क्रब (scrub) भी बनाए जा सकते हैं।
10. डैंड्रफ (dandruff) या बालों के झड़ने की समस्या हो तो अलसी के तेल का उपयोग कर सकते हैं।
11. अलसी को हल्का भूनकर भी खाया जा सकता है।
जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी तरह अलसी के बीज के भी फायदे और नुकसान, दोनों होते हैं।
1. अलसी को कम मात्रा में खाने से कब्ज (constipation) की समस्या दूर होती है पर अगर ज्यादा खाएंगे तो लूज़ मोशन (loose motion) की समस्या भी हो सकती है।
2. हृदय समस्या से ग्रस्त लोगों को डॉक्टर की सलाह के बाद ही अलसी के बीज या इसके पाउडर का सेवन करना चाहिए।
3. अलसी के बीज का सेवन कर रहे लोगों को पानी काफी ज्यादा मात्रा में पीना चाहिए वर्ना आंतों (intestine )और पैरों में समस्या हो सकती है।
4. अलसी का ज्यादा सेवन करने से सांस लेने में रुकावट और लो ब्लड प्रेशर जैसे एलर्जिक (allergic) रिएक्शन भी हो सकते हैं।
5. अलसी में एस्ट्रोजन (estrogen) काफी मात्रा में पाया जाता है। अगर लड़कियां रोजाना अलसी के बीज का सेवन करती हैं तो उनकी पीरियड साइकिल (period cycle) प्रभावित हो सकती है। अगर आप प्रेगनेंट होना चाहती हैं तो इसके सेवन से बचें।
गर्भवती स्त्रियों के लिए फायदेमंद माने जाने वाले अलसी के बीच कुछ स्त्रियों को नुकसान भी कर सकते हैं। इनका सेवन करने से पहले डॉक्टर की राय लेना बेहतर रहेगा। ज़रूरी नहीं है कि हर चीज़ हर किसी के लिए फायदेमंद साबित हो।
6. ध्यान रहे कि साबुत अलसी को पचाना काफी मुश्किल होता है। इसलिए बेहतर रहेगा कि इसका पाउडर बनाकर ही इसका सेवन करें।
7. किसी भी सर्जरी (surgery) के लगभग दो हफ्ते पहले से अलसी के तेल का सेवन बंद कर देना चाहिए। अलसी के तेल से सर्जरी के दौरान और बाद में ब्लीडिंग (bleeding) का खतरा काफी बढ़ सकता है।
8. अलसी के बीज का सेवन करने से महिलाओं में हॉर्मोनल बदलाव (hormonal changes) होने की आशंका रहती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं व स्तनपान (breast feeding) करवाने वाली महिलाओं को अपने डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसके बीजों, पाउडर या तेल का सेवन करना चाहिए।
9. अगर आप कोलेस्ट्रॉल (cholestrol) को कम करने वाली, रक्त को पतला करने वाली या डायबिटीज (diabetes) को नियंत्रित करने वाली दवाइयां ले रहे हैं तो अलसी का प्रयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना न भूलें।
10. अलसी में फाइबर (fibre) की अधिक मात्रा होने की वजह से शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जिससे पेट में गैस व एसिडिटी (acidity) जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। पाइल्स (piles) के रोगियों को भी इसके सेवन से बचना चाहिए।
इनपुट्स : न्यूट्रिशनिस्ट सांची नायक ( Nutritionist Saanchi Nayak),कंसल्टेंट न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. सीमा खन्ना (Consultant Nutritionist Dr. Seema Khanna),स्वागता दत्ता (Swagata Dutta)
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