सर्दी के मौसम में जिस तरह बच्चे और गर्भवती महिलांओं को ख्याल रखना जरूरी हैं। उसी तरह घर के बुजुर्गों का भी विशेष देखभाल करना काफी जरूरी हैं। सर्दियों में इम्युनिटी सिस्टम कमजोर होती हैं। जिसकी वजह से मौसमी बिमारियों और अन्य संक्रमण का खतरा बढ जाता हैं। वहीं ठंड मौसम में हड्डियों और जोडों में होनेवाला दर्द भी बुजुर्गों में बढता हैं। इसलिए सर्दी के मौसम में बुजुर्गों का ध्यान रखना काफी जरूरी हैं।
सर्दियों का मौसम अक्सर सुहावना माना जाता है लेकिन यह कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को आमंत्रित कर सकती है। सर्दियों के मौसम में आमतौर पर जोड़ों के दर्द के साथ-साथ घुटनों, कूल्हों, टखनों, हाथों और पैरों में दर्द की शिकायत रहती है। इसके अलावा बैरोमीटर के दबाव में गिरावट से मांसपेशियों और आसपास के ऊतकों का विस्तार और दर्द हो सकता है। ठंड का मौसम मांसपेशियों को तनावग्रस्त और तंग महसूस कराता है और व्यक्ति जोड़ों में दर्द का अनुभव कर सकता है। जोड़ों का दर्द आमतौर पर 60 से 85 वर्ष की आयु के लोगों में देखने को मिलता है।
बुजुर्गों को सर्दियों में होने वाली दिक्कतें
डॉ. विश्वजीत चव्हाण (ऑर्थोपेडिक सर्जन, अपोलो स्पेक्ट्रा पुणे) के अनुसार, ठंड मौसम में तापमान में कमी के चलते जोड़ो की रक्तवाहिनीयां यानी ब्लड वेसल्स सिकुड़ती हैं और उस हिस्से में खून का तापमान कम हो जाता हैं, जिसके चलते जोड़ों में अकड़न होने के साथ दर्द महसूस होने लगता हैं। जोडों के दर्द की वजह से बुजुर्गों को चलना-फिरना तक मुश्किल हो जाता हैं। हर साल की तरह इस वर्ष भी सर्दी के मौसम में जोडों के दर्द के बुजुर्गे मरीजों की संख्या 50 फीसदी तक बढ़ गई हैं।
विटामिन डी 3 टेस्ट कराना है जरूरी
ठंडे के मौसम में हमारे दिल के आसपास खून की गर्माहट बनाए रखना जरूरी होता हैं। इसके चलते शरीर के अन्य अंगों में खून की आपूर्ति कम हो जाती हैं। जब त्वचा ठंडी होती हैं तो दर्द का असर अधिक महसूस होता हैं। इस दर्द को आर्थराइटिस भी कहा जाता हैं। पुरूषों की तुलना में महिलाओं में आर्थराइटिस की समस्या अधिक दिखाई देती हैं। जो वरिष्ठ नागरिक पहले से ही गठिया से पीड़ित हैं, उन्हें ठंडे महीनों के दौरान अधिक सतर्क रहना चाहिए। विटामिन डी टेस्ट शरीर में विटामिन डी के स्तर के बारे में जानने में मदद करता है। अगर आपको जोड़ों में दर्द है तो विटामिन डी 3 टेस्ट की सलाह दी जाती हैं।
ऐसे करें बचाव
सर्दियों में जोड़ों के दर्द से बचाव जरूरी है। इसलिए सब्जियों, अनाज, डेयरी उत्पादों, दालों और मौसमी फलों से युक्त पौष्टिक आहार का सेवन करें। पालक, गोभी, टमाटर और संतरे का चुनाव करना न भूलें जो आवश्यक विटामिन और खनिजों से भरपूर होते हैं। रोजाना व्यायाम से जोड़ों के दर्द से निपटने में मदद मिल सकती है। लचीलेपन में सुधार और जोड़ों के दर्द को प्रबंधित करने के लिए साइकिल चलाने, चलने, एरोबिक्स और तैराकी जैसी अन्य गतिविधियों को भी करने की कोशिश करें।
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डॉक्टर को कब देखना जरूरी हैं?
यदि जोड़ों में असहनीय दर्द होना शुरू होता हैं तो तुरुंत विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह ले। आपको बहुत लंबे समय तक घरेलू नुस्खों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। डॉ चव्हाण यह भी बताते हैं कि एक व्यक्ति को तत्काल चिकित्सा सहायता चुननी चाहिए यदि-
• जोड़ों में विशेष रूप से सूजन दिखाई दे रही है
• जोड़ों के हिलने-डुलने में कठिनाई महसूस होना
• चलते समय लंगड़ाहट
• जोड़ के ऊपर कोई बढ़ा हुआ तापमान या लालिमा
• बुखार
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