हमारे शरीर को हेल्दी और फिट रहने के लिए अन्य पोषक तत्वों के साथ-साथ आयरन की भी जरूरत होती है। आयरन ही हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है। ये कोशिकाएं ही शरीर में हीमोग्लोबिन बनाने का काम करती हैं। आपके स्वास्थ्य को हीमोग्लोबिन की मात्रा (hemoglobin badhane ke upay)से मापा जा सकता है। पुरुषों और महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर उम्र, आहार की आदतों के अनुसार अलग-अलग होता है। जब हीमोग्लोबिन स्तर आवश्यक स्तर से नीचे गिर जाता है, तो शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं कम हो जाती हैं। जो प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है और बीमारी के खतरे को बढ़ाता है। इसके लिए सभी को हीमोग्लोबिन के बारे में सभी जानकारी पता होनी चाहिए। इसीलिए यहां हम आपको हीमोग्लोबिन कम होने के कारण, हीमोग्लोबिन कैसे बढ़ाये (hemoglobin kaise badhta hai) और हीमोग्लोबिन नार्मल रेंज कितनी होनी चाहिए, इन सभी बातों की जानकारी विस्तारपूर्वक दे रहे हैं। प्लेटलेट्स बढ़ाने के उपाय
मानव शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) में हीमोग्लोबिन होता है। रक्त में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए हीमोग्लोबिन की आवश्यकता होती है। हेम का अर्थ है लोहा और ग्लोबिन का अर्थ है प्रोटीन। लाल रक्त कणों की प्रत्येक तश्तरी के अंदर 30-35 प्रतिशत भाग हीमोग्लोबिन का होता है। हीमोग्लोबिन में कमी रक्त में लोहे की मात्रा में कमी को कहते हैं। हीमोग्लोबिन शरीर को ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है। रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होने पर एनीमिया होता है।
बहुत से लोगों को ये नहीं पता होता है कि हीमोग्लोबिन नार्मल रेंज कितनी होनी चाहिए? तो हम उन्हें बता दें कि हीमोग्लोबिन का रक्त स्तर ग्राम या डेसीलीटर में मापा जाता है। आपके हीमोग्लोबिन स्तर की जांच के लिए हर छह या तीन महीने में आपकी दिनचर्या नियमित होती है। सामान्य तौर पर हीमोग्लोबिन नार्मल रेंज व्यक्ति के उम्र व लिंग के आधार पर अलग-अलग होता है। एक नवजात शिशु में औसत हीमोग्लोबिन का स्तर 17 से 22 है, और शिशुओं में यह 11 से 13 होना चाहिए। एक वयस्क पुरुष के लिए खून में हीमोग्लोबिन की औसत सीमा 13.8 से 17.2 ग्राम प्रति डेसीलीटर है और एक वयस्क महिला के लिए 12.1 से 15.1 ग्राम प्रति डेसीलीटर होती है। हालांकि, हर किसी के आहार के आधार पर, यह अधिक या कम होने की संभावना है। शरीर में आदर्श हीमोग्लोबिन के स्तर के लिए संतुलित आहार आवश्यक है।
हमारे शरीर को ठीक से काम करने के लिए हीमोग्लोबिन की आवश्यकता होती है। इसलिए, यदि यह कम हो जाता है, तो इसका शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुछ लोगों का हीमोग्लोबिन कम हो जाता है, जिसकी वजह से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसीलिए हीमोग्लोबिन में कमी का कारण हमें जरूर पता होना चाहिए। तो आइए जानते हैं हीमोग्लोबिन कम होने के क्या-क्या कारण जिम्मेदार हैं –
प्रेग्रेंसी के दौरान शरीर में कई बदलाव होते हैं। जिसके कारण रक्त में परिवर्तन और रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा भी बढ़ जाती है। गर्भावस्था के दौरान कभी-कभी आयरन की कमी से हीमोग्लोबिन के स्तर में बदलाव हो सकता है।
स्वस्थ रहने के लिए शरीर को एक पौष्टिक और संतुलित आहार की आवश्यकता होती है। हालांकि, अगर शरीर को पर्याप्त और संतुलित भोजन या आहार में आयरन की कमी नहीं होती है, तो शरीर कमजोर हो जाता है और रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है।
बहुत से लोग बार-बार रक्तदान करते हैं। रक्तदान को सबसे बड़ा दान माना गया है। हालांकि, कभी-कभी अत्यधिक रक्त दान करने से एनीमिया हो सकता है। हीमोग्लोबिन के स्तर में परिवर्तन का यह एक मुख्य कारण है।
किसी दुर्घटना, संक्रमण, चोट, रक्तचाप में वृद्धि, मासिक धर्म की समस्याओं आदि के कारण अत्यधिक रक्तस्राव शरीर से लाल रक्त कोशिकाओं की बड़ी कमी का कारण बनता है। ऐसे समय में, शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर घटने की संभावना है।
एनीमिया, डेंगू, थैलेसीमिया, अल्सर, कैंसर, गुर्दे की गंभीर बीमारी जैसे रोगों में शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की अचानक कमी होती है। शरीर में लाल कोशिकाएं जितनी तेजी से घटती हैं, उतनी तेजी से बढ़ती नहीं हैं। जो शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को कम कर सकता है। कम हीमोग्लोबिन रोग से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कम करता है।
किसी भी व्यक्ति को हीमोग्लोबिन की कमी हो सकती है और इसे समय रहते ठीक न किया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकती है। जब शरीर कमजोर हो जाता है, तो आपके रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर गिर जाता है। एनीमिया और लाल रक्त कोशिका की कमी हीमोग्लोबिन के कम स्तर का मुख्य कारण है। हीमोग्लोबिन नार्मल रेंज से कम है यह निर्धारित करने के लिए नीचे दिये गये इन लक्षणों को जानना सभी के लिए जरूरी है, ताकि समय रहते इस समस्या को हल किया जा सके। तो आइए जानते हैं हीमोग्लोबिन की कमी के लक्षण के बारे में –
कम हीमोग्लोबिन आपकी त्वचा को प्रभावित करता है। हीमोग्लोबिन में कमी को पहचानने के लिए सबसे महत्वपूर्ण लक्षण त्वचा में बदलाव है। लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन की कमी से त्वचा अपने मूल रंग को बदल देती है। इस वजह से त्वचा सफेद या फिर पीली दिखाई देती है।
हीमोग्लोबिन शरीर को ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है। हालांकि, यदि हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है, तो प्रभाव आपके पूरे शरीर पर दिखाई देगा। जब हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती है, तो हृदय गति बढ़ जाती है या फिर एकदम से घट जाती है। जो सीने में डर, पिपासा और घबराहट पैदा कर सकता है।
हीमोग्लोबिन कम होने का सबसे अहम लक्षण है कमजरो और थकान महसूस होना। आमतौर पर लोग इसे इतना गंभीर नहीं लेते हैं लेकिन यह एक संकेत होता है कि आपका हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो रहा है। खून की कमी और लोहे के स्तर कम होने से थकान हो सकती है। एनीमिया से चक्कर आना, भूख कम लगना और गिरने की भावना पैदा हो सकती है।
फेफड़े शरीर को शुद्ध ऑक्सीजन की आपूर्ति करते हैं। यह ऑक्सीजन रक्त में हीमोग्लोबिन के माध्यम से शरीर द्वारा प्राप्त की जाती है। हालांकि, कम हीमोग्लोबिन आपके श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है और आपको सांस लेने में बेहद तकलीफ महसूस होने लगती है।
शरीर में कम हीमोग्लोबिन आपके शरीर पर एक अनपेक्षित प्रभाव डाल सकता है। दिल और सांस की गड़बड़ी के कारण सीने में दर्द भी महसूस होने लगता है।
शरीर के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए, शरीर के प्रत्येक कार्य को सुचारू रूप से कार्य करना आवश्यक है। लेकिन जब आपके शरीर में हीमोग्लोबिन कम होता है, तो यह आपको सिरदर्द का एहसास कराता है। अगर आपको हफ्ते में 3-4 बार तेज सिरदर्द की समस्या है तो ये लक्षण हीमोग्लोबिन कम होने का हो सकता है।
जब हीमोग्लोबिन कम होता है, तो आपको इसे बढ़ाने की कोशिश करनी होगी। क्योंकि हीमोग्लोबिन कम होने के कारण कौन-कौन सी समस्याएं हो सकती हैं ये तो हम आपको ऊपर पहले ही बता चुके हैं। आप स्वाभाविक रूप से अपने हीमोग्लोबिन स्तर को फिर से बढ़ा (hemoglobin badhane ke tarike) सकते हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसे तरीकों के बारे में बता रहे हैं जिसकी मदद से आप अपने शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ा सकते हैं। तो आइए जानते हैं हीमोग्लोबिन बढ़ाने के उपाय (hemoglobin badhane ke upay) के बारे में –
जो लोग प्राकृतिक तरीके से रक्त में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाना चाहते हैं। यह उनके लिए एक सरल और आसान उपाय है। आयरन युक्त आहार खाने से निश्चित रूप से आपके शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ सकता है। जो निश्चित रूप से आपके शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की मात्रा को बढ़ा सकता है। आप अपने आहार में मांस, मछली, सोयाबीन, टोफू, अंडे, नट्स, ब्रोकोली, हरी पत्तेदार सब्जियां, बीट्स, गाजर को शामिल करके लोहे की मात्रा बढ़ा सकते हैं।
हीमोग्लोबिन की कमी में विटामिन सी लेना काफी लाभदायक साबित होता है। आप कई सब्जियों और फलों से स्वाभाविक रूप से विटामिन सी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आप अंगूर, संतरा, नींबू, ब्रोकोली, आम, कीवी जैसे खाद्य पदार्थों से अपने आहार में बहुत सारे विटामिन सी प्राप्त कर सकते हैं।
खून बनने के लिए जरूरी विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की कमी को किशमिश पूरा करती है। आयरन से भरपूर सूखी काली किशमिश का सेवन करके आप अपना हीमोग्लोबिन बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा आप चाहें तो विटामिन बी कॉम्प्लेक्स का सप्लीमेंट भी ले सकते हैं।
जब शरीर में फोलिक एसिड की कमी होती है तो शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर गिरने लगता है। इसीलिए अपने आहार में ऐसी चीजें शामिल करें जिसमें फोलिक एसिड की मात्रा ज्यादा हो। इसके लिए आप अपने आहार में पालक, चावल, मूंगफली, छोले, किडनी बीन्स, एवोकाडो और लेटस को शामिल करके हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ा सकते हैं।
खान-पान के अलावा हीमोग्लोबिन की कमी का इलाज एक्सराइज़ से भी संभव है। एक्सराइज़ हीमोग्लोबिन की कमी से पीड़ित शख्स में रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक साबित होती है।
अपने हीमोग्लोबिन स्तर को प्राकृतिक तरीके से बढ़ाने के लिए, आपको एक उचित आहार खाने की आवश्यकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपके आहार में कई खाद्य पदार्थ स्वाभाविक रूप से आपके शरीर के लोहे के स्तर (आयरन) को बढ़ा सकते हैं। अगर आप प्रेग्नेंट हैं और आपका हीमोग्लोबिन नार्मल रेंज में नहीं है तो आप भी अपने आहार में इन चीजों को शामिल कर नैचुरली हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ा (hemoglobin badhane ke upay) सकती हैं –
चुकंदर में सबसे अधिक मात्रा में फोलेट होता है। इसलिए हीमोग्लोबिन कम होने पर आहार में बीटरूट को शामिल करना उचित है। इसे खाने से विटामिन सी और आयरन दोनों पा सकते हैं। सौ ग्राम चुकंदर में लगभग 0.8 मिलीग्राम आयरन होता है। आप इसे सलाद या फिर जूस के तौर पर ले सकते हैं।
टमाटर भी आयरन का सबसे बड़ा स्रोत हैं। टमाटर से आपको विटामिन सी और आयरन दोनों मिलते हैं। हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए आहार में टमाटर का भरपूर उपयोग करें। सौ ग्राम टमाटर आपको 0.8 मिलीग्राम आयरन दे सकता है।
शहद शरीर के लिए बहुत अच्छा होता है। रोजाना एक चम्मच शहद गुनगुने पानी में लेने से शरीर पर अच्छे लाभ होते हैं। क्योंकि शहद में कई पोषक तत्व होते हैं। शहद आपके इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता है और आपके शरीर को पर्याप्त ऊर्जा देता है। सौ ग्राम शहद शरीर को 0.4 ग्राम आयरन प्रदान कर सकता है।
आयरन के मामले में पालक सभी हरी पत्तेदार सब्जी में सबसे उच्च है। इसकी उच्च लौह सामग्री के कारण, यदि आप नियमित रूप से पालक या अन्य खाद्य पदार्थ खाते हैं, तो आपके शरीर में हीमोग्लोबिन निश्चित रूप से बढ़ सकता है। सौ ग्राम पालक आपको लगभग 4 मिलीग्राम आयरन दे सकता है। इसका सूप पीने से भी बहुत जल्दी खून बढ़ता है।
केला स्टार्च का स्त्रोत होता है। इसमें भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है। यही वजह है कि हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाने के लिए डॉक्टर्स भी एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति को रोजाना केला खाने की सलाह देते हैं।
हीमोग्लोबिन की कमी को दूर करने में सब्जियों या फल के अलावा ड्राई फ्रूड्स को भी खाया जा सकता है। वैसे भी कहा जाता है कि स्वस्थ जीवनशैली के लिए प्रतिदिन एक मुट्ठी सूखे मेवे का सेवन करें। आप सूखे अंजीर, खुबानी, बादाम, काले करंट, खारीक जैसे कई सूखे फलों से लोहा प्राप्त कर सकते हैं। 100 ग्राम सूखे मेवे खाने से निश्चित रूप से आपके शरीर को पर्याप्त आयरन मिल सकता है।
आपने सुना होगा कि आप हर रविवार या सोमवार को अंडे खाते हैं। क्योंकि अंडे में कई पोषक तत्व होते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि अंडे खाने से आपके शरीर को आयरन मिलता है। आप एक अंडे से 1.59 मिलीग्राम लोहा प्राप्त कर सकते हैं।
मूंगफली से बना पीनट बटर आयरन प्राप्त करने का एक शानदार तरीका है। आप हर दिन नाश्ते के लिए ब्रेड पर पीनट बटर लगाकर खा सकते हैं। सौ ग्राम पीनट बटर आपको 1.9 मिलीग्राम आयरन देता है।
अनार में आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर और कई अन्य विटामिन होते हैं। जिसका आपके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कमजोरी के मामले में, अनार आपके शरीर के मलबे को जल्दी से भर देता है। सौ ग्राम अनार के बीज आपको लगभग 0.3 मिलीग्राम आयरन दे सकते हैं।
आप सोच रहें होंगे कि चॉकलेट का भला हीमोग्लोबिन के स्तर से क्या लेना-देना है। तो आपको बता दें कि डार्क चॉकलेट को कोको से बनाया जाता है, जोकि आयरन से समृ्द्ध होता है। इसे खाने से थकान, अपच और डिप्रेशन जैसे समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।
हीमोग्लोबिन बढ़ाने के कई प्राकृतिक तरीके हैं तो लेकिन अगर आपको कम समय असर देखना चाहते हैं तो हीमोग्लोबिन बढ़ाने की दवा भी आती हैं। शरीर में खून की कमी को पूर करने के लिए कई डॉक्टर्स आयरन और विटामिन की गोलियां और सप्लीमेंट पीड़ित व्यक्ति को लेने की सलाह देते हैं। वैसे हीमोग्लोबिन बढ़ाने की दवा (hemoglobin kaise badhaye) के अलावा साथ में अपने आहार में आयरन से भरपूर चीजों को जरूर से शामिल करना चाहिए, इसके बार में हमने आपको ऊपर विस्तार से बता ही दिया है।
हीमोग्लोबिन बढ़ाने में आयुर्वेदिक दवाएं बेहद कारगर साबित होती हैं। अगर आप एलोपैथिक दवाएं नहीं खाना चाहते हैं तो हीमोग्लोबिन बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा ले सकते हैं। शरीर में खून बढ़ाने के लिए गिलोय का रस सबसे उत्तम बताया गया है। हीमोग्लोबिन बढ़ाने (hemoglobin badhane ke upay) के लिए आप आंवले का रस और जामुन के रस को एक समान मात्रा में मिलाकर रोजाना पी सकते हैं।
आपने ऊपर ये जान लिया कि हीमोग्लोबिन क्या है, हीमोग्लोबिन नार्मल रेंज और हीमोग्लोबिन बढ़ाने के उपाय आदि। आपको ये लग रहा होगा कि हीमोग्लोबिन कम होने के कारण बहुत सी समस्याएं जन्म लेती हैं तो हीमोग्लोबिन ज्यादा होना अच्छी बात है। लेकिन यहां हम आपको बता दें कि जिस तरह से हीमोग्लोबिन कम होने के नुकसान हैं उसी तरह हीमोग्लोबिन के ज्यादा होने के नुकसान (hemoglobin ko kam kaise kare) भी है। तो आइए जानते हैं कि अगर किसी व्यक्ति का हीमोग्लोबिन नार्मल रेंज से ज्यादा हो जाता है तो उसे क्या नुकसान हो सकते हैं –
हीमोग्लोबिन का स्तर उम्र व लिंग के आधार पर अलग-अलग होता है। जहां एक वयस्क पुरुष के लिए खून में हीमोग्लोबिन की औसत सीमा 13.8 से 17.2 g / dl है और एक वयस्क महिला के लिए 12.1 से 15.1 g / dl होती है।
हीमोग्लोबिन (hemoglobin ki kami kaise puri kare) आप चाहें तो इसे आहार की मदद से भी बढ़ा सकते हैं। हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए पत्तेदार सब्जियां हरी सब्जियां, खासतौर पर हरी सब्जियां आयरन से युक्त होती हैं उसे अपने आहार में शामिल करें। रोजाना टमाटर और अनार का भी सेवन करें।
जब किसी व्यक्ति को हर वक्त थकान महसूस होने लगे और त्वचा में पीलापन आ जाये तो ये हीमोग्लोबिन कम होने के लक्षण हो सकते हैं। क्योंकि लाल रक्त कोशिकाएं ही हमारी त्वचा को गुलाबी चमक देती हैं, हीमोग्लोबिन की कमी की वजह से त्वचा पीली होने लगती है।
लाल रक्त कणों की प्रत्येक तश्तरी के अंदर 30-35 प्रतिशत भाग हीमोग्लोबिन का होता है। किसी सामान्य मनुष्य में 12 से 17.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर हीमोग्लोबिन की मात्रा का होना सेहतमंद माना जाता है।
आमतौर पर हीमोग्लोबिन की कमी के कारण एनिमिया रोग हो जाता है। इसके अलावा हीमोग्लोबिन की कमी शरीर में खून की कमी का संकेत होता है, जो ब्लड कैंसर होने की संभावना को भी बढ़ता है।
सामान्य महिला के शरीर में 12 से 16 ग्राम हीमोग्लोबिन होना नॉर्मल होता है। लेकिन प्रेगनेंट महिला (pregnancy me normal hemoglobin kitna hona chahiye) के लिए शरीर में 11 से 15 ग्राम हीमोग्लोबिन सामान्य होता है, क्योंकि प्रेग्नेंसी के समय आरबीसी यानी लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है। अगर 11 से कम है तो इस मामले में नॉर्मल डिलिवरी मुश्किल हो जाती है।
एनिमिया से बचने के लिए अपको भपूर मात्रा में दूध का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा सब्जियों में हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर, शकरकंद, विटामिन-बी और फॉलिक एसिड को डाईट में शामिल करें।
सामान्यतौर पर हीमोग्लोबिन की कमी का परीक्षण ब्लड टेस्ट (Hgb test) के द्वारा किया जाता है। इस टेस्ट के द्वारा मानव-शरीर में हीमोग्लोबिन की स्थिति का पता लगाया जाता है और फिर उसके अनुसार आगे का इलाज किया जाता है।