कोरोना के बाद से हम सभी स्वच्छता को लेकर और ज्यादा जागरूक हो गए हैं। सब्जी हो या घर की अन्य चीजें हम उन्हें सेनेटाइज करने के बाद ही इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्लास्टिक की बोतलें आपकी सेहत के लिए कितनी खतरनाक हैं। अगर आप जान जाएंगे तो आप प्लास्टिक की बोतल से पानी पीना बंद कर देंगे। क्योंकि यहां हम आपको आज प्लास्टिक की बोलत में पानी पीने के नुकसान के बारे में बता रहे हैं।
थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा किए गए शोध के अनुसार, एक इंसान अपने पूरे जीवनकाल में लगभग 44 पाउंड प्लास्टिक का उपभोग करता है। प्लास्टिक अधिकांश घरों में हावी है। वास्तव में, हमारी रसोई प्लास्टिक की बोतलों, जार, कंटेनरों, बर्तनों, कचरे के थैलों आदि से भरी पड़ी है और उनका उपयोग खतरनाक दर से बढ़ रहा है।
एक हालिया सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत हर दिन 6,000 टन प्लास्टिक उत्पन्न करता है, जिसमें से लगभग 10,000 टन एकत्र नहीं हो पाता है। पर्यावरण प्रदूषण में शामिल होने से प्लास्टिक का हमारे स्वास्थ्य पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
टॉयलेट सीट से भी ज्यादा गंदी होती है प्लास्टिक की बोतल
विशेषज्ञों का दावा है कि हम जिस पानी की बोतल का इस्तेमाल करते हैं, वह टॉयलेट सीट से भी ज्यादा गंदी होती है। इसमें टॉयलेट सीट से 40,000 गुना ज्यादा बैक्टीरिया होते हैं, जो अनजाने में आपकी सेहत पर हमला करते हैं। दरअसल ये छिपे हुए बैक्टीरिया होते हैं, जो दिखाई नहीं देते, लेकिन हमारे स्वास्थ्य को गहराई से प्रभावित करते हैं और हमें बहुत बीमार कर देते हैं।
बोतलबंद पानी में दो तरह के बैक्टीरिया होते हैं
Waterfilterguru.com, एक अमेरिकी जल शोधक और उपचार कंपनी, ने दोबारा से इस्तेमाल होने वाली पानी की बोतल के सभी भागों का तीन बार परीक्षण किया। इसमें ग्राम नेगेटिव रॉड और बैसिलस बैक्टीरिया पाए गए। ये बैक्टीरिया इतने छोटे होते हैं कि आसानी से दिखाई नहीं देते और गैस्ट्रिक समस्या पैदा करते हैं। ग्राम नकारात्मक बैक्टीरिया घावों, निमोनिया और सर्जिकल साइट के संक्रमण का मुख्य कारण है। ये ग्राम पॉजिटिव बैक्टीरिया की तुलना में अधिक प्रतिरोधी होते हैं, जिससे कई अन्य प्रकार के संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है।
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प्लास्टिक की बोतलों से पानी पीने का नुकसान
प्लास्टिक की बोतल का सूर्य के सीधे संपर्क में आना – इस तरह के गर्म करने से डाइऑक्सिन नामक विष निकलता है जिसके सेवन से स्तन कैंसर में तेजी आ सकती है।
बीपीए जनरेशन – बाइफिनाइल ए एस्ट्रोजेन-मिमिकिंग केमिकल है जो लड़कियों में मधुमेह, मोटापा, प्रजनन संबंधी समस्याओं, व्यवहार संबंधी समस्याओं और शुरुआती यौवन जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। बेहतर है कि प्लास्टिक की बोतल से पानी को स्टोर करके न पिएं।
इम्यून सिस्टम को करें खराब – जब हम प्लास्टिक की बोतलों में पानी पीते हैं तो हमारा इम्यून सिस्टम बेहद प्रभावित होता है। प्लास्टिक की बोतलों से निकलने वाले रसायन शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बिगाड़ देते हैं।
लिवर कैंसर और कम स्पर्म काउंट – प्लास्टिक में थैलेट्स नामक केमिकल की मौजूदगी के कारण प्लास्टिक की बोतलों से पानी पीने से भी लीवर कैंसर हो सकता है और स्पर्म काउंट में कमी आ सकती है।
इस जगह पर बैक्टीरिया मौजूद होते हैं
पानी की बोतलों के अलावा किचन सिंक, लैपटॉप, रिमोट, मोबाइल और टीवी को भी बैक्टीरिया का घर माना गया है। जब शोधकर्ताओं ने पानी की बोतलों की तुलना घरेलू सामानों से की, तो उन्होंने पाया कि पानी की बोतलों में सिंक, टॉयलेट सीट से दोगुना बैक्टीरिया, कंप्यूटर माउस से 4 गुना और पालतू जानवरों के पीने के कटोरे से 14 गुना ज्यादा बैक्टीरिया होते हैं। इन्हें छूने के बाद अपने हाथों को साबुन या सैनिटाइजर से धोना चाहिए।
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