लगातार पड़ रही गर्मी के बाद बारिश की बूंदों ने थोड़ी राहत तो पहुंचाई है। कूलर और एसी दो-चार दिन के लिए बंद हो गए हैं। बच्चों की मस्ती बढ़ गई है। मगर इन सबके बीच मच्छरदानी या मच्छर भगाने की दवाई का इस्तेमाल करना मत भूलिएगा। मामूली सा दिखने वाला वायरल फीवर भी मलेरिया हो सकता है। आमतौर पर मलेरिया बुखार अप्रैल से शुरू होता है और जुलाई से नवंबर के बीच अपने चरम पर रहता है। इसी दौरान लाखों लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं। अगर आपके आसपास या परिवार में किसी व्यक्ति को मलेरिया हुआ है, तो घबराएं नहीं। एलोपैथी में तो इसका इलाज संभव है ही, होम्योपैथी और आयुर्वेद के जरिए भी इसे ठीक किया जा सकता है। ओवेरियन सिस्ट के लक्षण
दुनियाभर में हर साल 25 अप्रैल को मलेरिया दिवस मनाया जाता है ताकि लोगों में जागरूकता बढ़े और मलेरिया को होने से रोका जा सके। प्रतिवर्ष दक्षिण एशिया में मलेरिया के करीब 25 लाख मामले सामने आते हैं। इनमें से तीन चौथाई भारत के होते हैं। विशेषकर उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और झारखंड में मलेरिया होना आम बात हो गई है। नमी वाले इलाकों में इसके रोगी ज्यादा पाए जाते हैं। आइए जानते हैं मलेरिया के लक्षण और बचाव और मलेरिया ट्रीटमेंट (malaria ka ilaj)।
मलेरिया के कारण – Causes of Malaria in Hindi
मलेरिया के लक्षण – Malaria Symptoms in Hindi
पहचान होने पर मलेरिया टेस्ट – Tests to Diagnose Malaria
मलेरिया के प्रकार – Types of Malaria in Hindi
मलेरिया के घरेलू उपचार – Malaria ka Gharelu Upchar
मलेरिया से बचाव – Prevention of Malaria in Hindi
मलेरिया क्या है? – What is Malaria in Hindi?
मलेरिया एक तरह का वायरल फीवर है। मलेरिया पूरे साल में कभी भी हो सकता है। मगर मानसून में इसका खतरा ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि उमस वाला यह मौसम मच्छरों को पनपने के लिए एक उपयुक्त माहौल प्रदान करता है। जानकारी के लिए बता दें कि मलेरिया फैलाने वाला मच्छर अगर काट ले तो उसके लक्षण 9 से 14 दिन के भीतर दिखाई देने लगते हैं और कई बार एक या दो महीने के बाद भी इसके लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है मलेरिया – Disease Caused by Anopheles Mosquito
मलेरिया कैसे होता है (malaria kiske karan hota hai)? मलेरिया के परजीवी का वाहक मादा एनोफिलीज (Anopheles) मच्छर है। इसमें एक खास तरह का परजीवी यानि जीवाणु पाया जाता है, जिसे प्लास्मोडियम (plasmodium) कहते हैं। इसके काटने से मलेरिया के परजीवी लीवर (liver) और लाल रक्त कोशिकाओं (red blood cells) में घुस कर बढ़ जाते हैं, जिससे एनीमिया (anemia) के लक्षण उभरते हैं। गंभीर मामलों में मरीज बेहोश हो सकता है और उसकी मौत भी हो सकती है। वैसे तो एनोफिलीज (Anopheles) मच्छर पूरी दुनिया में फैले हुए हैं लेकिन मादा मच्छर ही खून से पोषण लेती है। दिलचस्प बात यह है कि डेंगू मच्छर की तरह यह सूरज की रोशनी में नहीं, बल्कि सूर्यास्त के बाद काटती है। रात के वक्त यह शिकार पर निकलती है। इसे जहां पानी मिलता है, वहीं अंडे दे देती है। अंडों और उनसे निकलने वाले लार्वा, दोनों को पानी की सख्त जरूरत होती है। लार्वा को सांस लेने के लिए पानी की सतह पर बार- बार आना पड़ता है। लार्वा-प्यूपा वयस्क होने में लगभग 10 से 14 दिन का समय लेते हैं। वयस्क मच्छर दूध और मीठे भोजन पदार्थों पर पलते हैं लेकिन मादा मच्छर को अंडे देने के लिए खून की ज़रूरत होती है। इंसान का खून मीठा ज्यादा पौष्टिक होता है। शायद यही वजह है कि वे मानव शरीर को काटती हैं। जब यह मच्छर स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो त्वचा में लार के साथ- साथ बीजाणु भी भेज देता है। मानव शरीर में यह बीजाणु पलटकर जननाणु बनाते हैं, जो फिर आगे संक्रमण फैलाते हैं।
मलेरिया के हानिकारक प्रभाव – Effects of Malaria
समय पर इलाज न हो तो यह मर्ज जानलेवा हो सकता है। बुखार, पसीना आना, शरीर में दर्द और उल्टी होना इस रोग के लक्षण हैं। जरा सी चूक होने पर रोगी के मस्तिष्काघात (brain hemorrhage) होने की आशंका भी रहती है। इस स्थिति में रोगी अपनी यादाश्त भी खो सकता है। अगर पीड़ित व्यक्ति को बार- बार चक्कर आते हैं और बेहोशी भी हो रही हो तो ऐसी परिस्थिति में इंतजार किए बगैर उसे तुरंत हॉस्पिटल ले जाएं। मस्तिष्क मलेरिया एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसमें परजीवी मस्तिष्क के ऊतकों के जरिये रक्त पहुंचाने वाली कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं। जानिए मलेरिया के कारण और उसके लक्षण –
मलेरिया के कारण – Causes of Malaria in Hindi
मलेरिया के मच्छर ज्यादातर गंदे और दूषित पानी में पनपते हैं। चाहे वह पार्क हो या फिर आपका बाथरूम, जहां भी जमा हुआ पानी होगा वहां मलेरिया के मच्छर हो सकते हैं। बच्चे पानी और मिट्टी के संपर्क में ज्यादा रहते हैं, इसलिए उन्हें मलेरिया होने की आशंका ज्यादा रहती है। वहीं गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों की प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण भी वे इसकी चपेट में आसानी से आ जाते हैं।
मलेरिया के लक्षण – Malaria Symptoms in Hindi
डेंगू, चिकुनगुनिया और मलेरिया के बुखार में अंतर कर पाना थोड़ा मुश्किल होता है। इन तीनों के लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं। डेंगू और मलेरिया, दोनों ही बुखार मादा मच्छर के काटने से होते हैं। इसलिए इस अवस्था में रोगी को तेज बुखार आता है। जानिए मलेरिया के शुरुआती लक्षण (malaria ke lakshan) –
1- सिर में तेज दर्द होना
2- उल्टी होना या जी मचलना
3- हाथ- पैरों, खासकर जोड़ों में दर्द होना
4- कमजोरी और थकान महसूस होना
5- शरीर में खून की कमी होना
6- पुतलियों का रंग पीला होना
7- पसीना निकलने पर बुखार कम होना
8- सर्दी- खांसी और जुकाम के साथ तेज बुखार होना
9- ठंड के साथ जोर की कंपकंपी होना और कुछ देर बाद सामान्य हो जाना
पहचान होने पर मलेरिया टेस्ट – Tests to Diagnose Malaria
मलेरिया की पहचान करने के लिए होने वाले टेस्ट सभी बड़े लैब में उपलब्ध हैं। मलेरिया के लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर आपको तीन-चार ब्लड टेस्ट लिखेंगे, जिससे मलेरिया डिटेक्ट होने के बाद वे आपका सही इलाज कर सकें। मलेरिया के कई टेस्ट होते हैं। इन विभिन्न टेस्ट्स के माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि मलेरिया परजीवी के कौन से कण रोगी में मौजूद हैं। मुख्य रूप से मलेरिया की जांच करने के 3 तरीके हैं-
सूक्ष्मदर्शी जांचः Thick and Thin Blood Smears
मलेरिया की पहचान करने के लिए प्लेटलेट्स (blood platelets) का परीक्षण करना सबसे भरोसेमंद माना जाता है। इससे मलेरिया के सभी परजीवियों की पहचान कर उसकी रोकथाम अलग- अलग तरीकों से की जा सकती है। ब्लड प्लेटलेट्स (blood platelets) में परजीवी की बनावट को सही ढंग से पहचाना जा सकता है। वहीं मोटी प्लेटलेट्स में रक्त की कम समय में अधिक जांच की जा सकती है। मोटी प्लेटलेट्स के जरिये कम मात्रा के संक्रमण को भी जांचा जा सकता है।
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रैपिड एंटीजन टेस्टः Rapid Diagnostic Test or Antigen Test
मलेरिया की जांच के लिए कई मलेरिया रैपिड एंटीजन टेस्ट (Rapid diagnostic test) भी उपलब्ध हैं। इन परीक्षणों में रक्त की एक बूंद लेकर 15-20 मिनट में ही परिणाम सामने आ जाते हैं। जहां लैब का प्रबंध नहीं होता है, वहां मलेरिया परीक्षण के लिए एंटीजन टेस्ट (antigen test) कारगर साबित होते हैं।
मलेरिया आरटीएसः Malaria RTS
साल 2012 में मलेरिया आरटीएस का परीक्षण सार्वजनिक तौर पर किया गया था। उस समय इसके 50 से 60 फीसदी सफल होने का दावा किया जाता था लेकिन अब इसे सबसे सफलतम टेस्ट्स की श्रेणी में रखा जाने लगा है।
पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (PCR) के इस्तेमाल और आणविक विधियों के प्रयोग से भी परीक्षण किया जा सकता है। मगर उनके प्रयोग कुछ खास लैब में होते हैं।
मलेरिया कितने प्रकार के होते हैं – Types of Malaria in Hindi
प्लास्मोडियम फैल्सीपेरम – Plasmodium Falciparum
इससे पीड़ित व्यक्ति को मालूम ही नहीं चलता कि वो क्या बोल रहा है। उसे बहुत तेज ठंड लगती है। सिरदर्द के साथ- साथ उसे उल्टियां भी होती हैं। इस बुखार में उसकी जान भी जा सकती है।
प्लास्मोडियम विवैक्स – Plasmodium Vivax
ज्यादातर लोगों को इस तरह का मलेरिया बुखार होता है। विवैक्स परजीवी ज्यादातर दिन के समय आता है। यह बिनाइन टर्शियन मलेरिया (Benign tertian malaria) उत्पन्न करता है, जो हर तीसरे दिन यानि कि 48 घंटों के बाद अपना असर दिखाता है। इस बीमारी में कमर, सिर, हाथ पैरों में दर्द, भूख न लगना, कंपकंपी के साथ तेज बुखार का आना आदि लक्षण देखे जाते हैं। प्लाज्मोडियम ओवेल मलेरिया (P. Ovale) भी एक तरह का मलेरिया है जो बिनाइन टर्शियन मलेरिया (Benign terrain malaria) उत्पन्न करता है।
प्लास्मोडियम मलेरिया – Plasmodium Malaria
यह एक प्रकार का प्रोटोजोआ है, जो बेनाइन मलेरिया के लिए जिम्मेदार होता है। यह पूरे संसार में पाया जाता है। यह मलेरिया उतना खतरनाक नहीं होता है, जितने प्लास्मोडियम फैल्सीपेरम और प्लास्मोडियम विवैक्स होते हैं। इसमें हर चौथे दिन बुखार आता है। जब कोई इस बुखार से पीड़ित होता है तो उसकी यूरिन से प्रोटीन निकलने लगते हैं, जिसकी वजह से शरीर में प्रोटीन की कमी हो जाती है और सूजन आने लगती है।
प्लास्मोडियम नोलेसी – Plasmodium Knowlesi
यह आमतौर पर दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाने वाला एक प्राइमेट मलेरिया परजीवी है। इस मलेरिया से पीड़ित रोगी को ठंड लगकर बुखार आता है। इसके बाद सिर में दर्द, भूख न लगना आदि समस्याएं होने लगती हैं।
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मलेरिया के घरेलू उपचार – Malaria ka Gharelu Upchar
ज्यादातर डॉक्टर किसी भी प्रकार के वायरल बुखार में एंटीबायोटिक खाने की सलाह नही देते हैं। अगर पैरासिटामोल (Paracetamol) खाने से आराम नहीं मिल रहा हो तभी एंटीबायोटिक (Antibiotics) लें। मगर इसके साथ-साथ आप घरेलू उपचार भी करते रहें (malaria home remedies in hindi) । एंटीबायोटिक खाने से व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, जिसका असर कई बार किडनी (kidney) और लीवर (liver) पर पड़ता है। घरेलू नुस्खों के कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं हैं। मलेरिया में बाबा रामदेव का दिव्य ज्वरनाशक क्वाथ भी ले सकते हैं। इस क्वाथ के इस्तेमाल से भी मलेरिया का इलाज (malaria treatment in hindi) किया जा सकता है। इसको आप किसी भी पतंजलि स्टोर से आसानी से खरीद सकते हैं। यह दवा डेंगू, टाइफाइड फीवर आदि सभी तरह के बुखार में लाभ पहुंचाती है।
1- मलेरिया जैसी घातक बिमारी को फिटकरी के इस्तेमाल से दूर किया जा सकता है। फिटकरी को तवे पर सेंक कर इसका पाउडर बना लें और फिर मलेरिया बुखार आने के दो घंटे पहले और दो घंटे बाद इसका सेवन करें। आपका मलेरिया बुखार ठीक हो जाएगा।
मलेरिया के मरीज को अक्सर बहुत कमजोरी होती है क्योंकि मलेरिया का वायरस पाचन तंत्र, किडनी और दिमाग पर बुरा असर डालता है। इसके लिए आप मेथी के लड्डू खाएं या मेथी के दाने की सब्जी बनाकर खा लें।
2- 15 ग्राम चिरायता लें और इसे 250 मिलीग्राम गर्म पानी में डाल दें। फिर इसमें 2 लौंग और एक छोटी चम्मच दालचीनी का पाउडर मिला दें। दिन में 5 बार 3- 4 बड़ी चम्मच में इस मिश्रण का सेवन करें। इससे मलेरिया का जड़ से इलाज होगा।
3- ताजा नींबू की 7- 8 बूंदों को एक गिलास गुनगुने पानी में डाल दें। इसे अच्छे मिक्स कर पिएं।
4- मलेरिया के तेज बुखार को कम करने के लिए ठंडे पानी की पट्टी को हथेलियों और पैरों पर रख दें।
5- मलेरिया के रोगी को रोज लहसुन के रस का लेप नाखूनों पर लगाना चाहिए या फिर लहसुन के रस को तिल के तेल के साथ मिलाकर पिलाएं। निश्चित ही फायदा होगा।
6- मलेरिया में सेब का रस या सेब जरूर खाएं।
7- इस बुखार में चाय को तुलसी के पत्तों, कालीमिर्च, अदरक या फिर दालचीनी डालकर पीने से बहुत राहत मिलती है।
8- पीपल के पत्तों या पीपल का चूरन बनाकर उसमें शहद मिलाकर खाने से भी लाभ मिलता है।
9- मलेरिया के बुखार में अमरूद का सेवन करें।
10- तुलसी के पत्ते सभी तरह के वायरल फीवर में फायदेमंद साबित होते हैं। 10 ग्राम तुलसी के पत्तों को शहद में मिलाकर पीने से भी फायदा होता है।
11- थोड़ी सी अदरक लेकर उसमें 2- 3 चम्मच किशमिश डालकर पानी के साथ उबालें। जब तक पानी आधा नहीं रह जाता, इसे उबालते रहें। ठंडा होने पर दिन में दो बार लें।
मलेरिया से बचाव – Prevention of Malaria in Hindi
अगर शरीर का तापमान जल्दी बढ़ या घट रहा है तो आपको खून की जांच करवानी चाहिए।
दोबारा टेस्ट करवाते वक्त मलेरिया की क्लोरोकुइन (Chloroquine) दवाई न लें। इससे टेस्ट सही नहीं आएगा।
1- मलेरिया में तबियत बिगड़ने पर अपनी मर्जी से किसी प्रकार की दर्द निवारक दवाई न लें।
2- मलेरिया बुखार के गंभीर होने पर भी संतरे के जूस जैसे तरल पदार्थों का सेवन लगातार करते रहें।
3- शरीर का तापमान बढ़ने और पसीना आने पर ठंडा तौलिया लपेट लें। थोड़े समय के अंतराल पर माथे पर ठंडी पट्टियां रखते रहें।
4- दवाइयों के सेवन के बाद भी तेज बुखार हो रहा है तो कोई लापरवाही न करें वर्ना आप किसी घातक बीमारी का शिकार हो सकते हैं।
5- मलेरिया बुखार में खाना कम खाना चाहिए और फलों का सेवन ज्यादा करना चाहिए। ऐसा करने से किडनी में मौजूद मलेरिया वायरस से जल्द ही छुटकारा मिल जाता है।
6- अगर आपके शिशु को गंभीर मलेरिया हो और उसे अस्पताल में भर्ती करवाने की जरूरत हो तो उसे ड्रिप लगाकर या इंजेक्शन के जरिये दवाइयां दी जा सकती हैं।
7- यह बीमारी मच्छरों के काटने की वजह से होती है इसलिए मच्छरों को दूर रखना जरूरी है। अपने घर और आसपास के इलाकों में मच्छरों को पनपने की जगह न दें जैसे कि पानी जमा न होने दें।
8- बारिश के मौसम में खासतौर पर ऐसी चीजों को हटा दें, जिनमें पानी इकट्ठा होता हो, जैसे कि पुराने गमले, फूलदान या खाली डिब्बे आदि। कूलर रोज साफ करें। खुले नाले, छोटे तालाब और पानी जमा होने की अन्य जगहों पर मिट्टी के तेल की कुछ बूंदें डाल दें।
9- गहरे रंग के कपड़े न पहनें क्योंकि इनसे मच्छर ज्यादा आकर्षित होते हैं।
10- मच्छर निरोधकों का इस्तेमाल करें और पैक पर दिए गए निर्देशों का पालन करें।
11- नीम के तेल में नारियल का तेल मिलाकर लगाएं। इसके अलावा लेमनग्रास, गंजनी, देवदार, लैवेंडर और नीलगिरी का तेल भी लगा सकते हैं।
12- घर के बाहर नीम के पत्तों या नारियल की छाल जलाने से भी मच्छर दूर भागते हैं।
13- पार्क में बच्चों को जमे पानी और झाड़ियों से दूर रखें।
मलेरिया के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले आम सवाल और उनके जवाब – FAQ’s
मलेरिया किसके काटने से होता है – मक्खी या मच्छर?
मलेरिया एनोफिलीज मच्छर (anopheles mosquito) के काटने से होता है। वैसे तो एनोफिलीज मच्छर का भोजन फूलों से निकलने वाला दूध है लेकिन मादा एनोफिलीज केवल मानव रक्त पीती है क्योंकि यह सबसे ज्यादा पौष्टिक होता है। प्रजनन बढ़ाने के लिए उसे खून की जरूरत पड़ती है। दिलचस्प बात यह है कि यह रात के वक्त ही काटती है।
क्या मलेरिया से किसी की जान भी जा सकती है?
मलेरिया एक तरह का वायरल बुखार है, जिसके लक्षण डेंगू और चिकनगुनिया बुखार से काफी मिलते- जुलते हैं। कंपकंपी, पसीना आना, सिरदर्द, शरीर में दर्द, उल्टी आना और जी मचलाना के साथ- साथ रोगी तेज बुखार से भी पीड़ित होता है। अगर व्यक्ति का समय पर इलाज न किया जाए तो निश्चित तौर पर उसकी जान सकती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति को किस परजीवी की वजह से मलेरिया हुआ है और वह कब से बीमार है।
मलेरिया के मच्छर के काटने के कितने दिन बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं?
इस बात को ध्यान में रखिए कि मलेरिया के मच्छर के काटने के 1 से 4 हफ्ते बाद बीमारी के लक्षण नजर आ सकते हैं। कई मामलों में ये लक्षण एक से दो महीने बाद भी दिखाई देते हैं। जिन्हें लीवर की बीमारी या रक्त संबंधी बीमारी है, उन्हें मलेरिया होने की आशंका ज्यादा रहती है। डॉक्टर मानते हैं कि जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, कई बार उन्हें एनोफिलीज के काटने का असर नहीं होता है। मगर ऐसा बहुत कम मामलों में ही नजर आता है। मलेरिया प्रभावी इलाके के वयस्क लोगों मे बार- बार मलेरिया होने की प्रवृत्ति होती है, साथ ही उनमें आंशिक प्रतिरोधक क्षमता भी आ जाती है मगर यह प्रतिरोधक क्षमता उस समय कम हो जाती है, जब वे ऐसे क्षेत्र मे चले जाते हैं, जो मलेरिया से प्रभावित न हों। यह बताना भी मुश्किल है कि मलेरिया कितने दिनों में ठीक होता है क्योंकि यह रोगी पर ही निर्भर करता है।
मलेरिया होने पर रोगी का ध्यान कैसे रखा जाए?
मलेरिया का टेस्ट पॉजिटिव आने पर आप रोगी का घरेलू इलाज कर सकते हैं। किसी भी तरह के वायरल बुखार में रोगी को तरल पदार्थ खिलाएं। इससे प्लेटलेट्स बढ़ने में मदद मिलती है। इस बुखार में दलिया सबसे पौष्टिक आहार है। इसमें भरपूर प्रोटीन होता है। सेब और अमरूद खिलाएं। इसमें युक्त विटामिन ए और विटामिन सी आपकी प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखता है और फ्लू से भी बचाता है। इसके अलावा घर को साफ- सुथरा रखें। कूलर का पानी रोज बदलें। वॉशरूम में मच्छर निरोधक दवाइयों का छिड़काव करें। तेज बुखार आने पर पानी की पट्टियां करें, ताकि बुखार दिमाग पर न चढ़े।
मलेरिया बुखार से बचाव के क्या तरीके हैं?
मच्छर मारने की दवाई का छिड़काव करें और रात को सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। घर के दरवाजों और खिड़कियों पर जाली लगाएं और एसी व पंखों का इस्तेमाल करें ताकि मच्छर एक जगह पर न बैठें। गहरे रंग के कपड़े न पहनें क्योंकि ये मच्छरों को आकर्षित करते हैं। ऐसे कपड़े पहनें, जिनमें आपके हाथ और पैर ढके हों। ऐसी जगह पर मत जाइए जहां झाड़ियां हों क्योंकि वहां मच्छर ज्यादा होते हैं। पानी खूब पिएं। नीम के पत्तों को सुखाकर उन्हें जलाएं। इसका धुआं हमारे फेफड़ों को तो साफ करता ही है, मच्छरों को भी दूर भगाता है।
लेखक- गीता केंथोला
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