बवासीर यानी पाइल्स एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में लोग खुलकर बात करने में भी शर्मिंदगी महसूस करते हैं। अगर किसी जानने वाले को पाइल्स की बीमारी निकल आये तो लोग उसका मजाक बनाने से भी नहीं चूकते। मगर बवासीर एक गंभीर बीमारी है। यह आमतौर पर खतरनाक तो नहीं होता लेकिन अगर इससे किसी तरह की भी तकलीफ हो तो तुरंत इसका इलाज करवाने की ज़रूरत पड़ती है। बवासीर का इलाज करने के लिए इलाज के साथ अपने खान-पान और जीवनशैली में बदलाव करना ज़रूरी है। इसके अलावा अगर बवासीर को बिना इलाज किये छोड़ दिया जाये तो इससे सूजन व लालिमा बढ़ जाती है। हम यहां आपको बवासीर के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। इसमें बवासीर के शुरुआती लक्षण से लेकर बवासीर होने के कारण (Reason of Piles in Hindi), बवासीर के लक्षण (symptoms of piles in hindi) और बवासीर का घरेलू इलाज (piles ka gharelu ilaj) शामिल है। मगर सबसे पहले जान लेते हैं, बवासीर आखिर होता क्या है।
बवासीर क्या होता है? – What is Piles in Hindi
बवासीर को पाइल्स (Piles) या हेमोर्रोइड्स (Hemorrhoids) भी कहा जाता है। यह एक अनुवांशिक समस्या भी है। ये गुदा-नाल में रक्त वाहिकाओं की वो संरचनाएं हैं, जो मल-त्याग को नियंत्रण करने में मदद करती हैं। इसकी वजह से गुदा के अन्दर और बाहर, या किसी एक जगह पर मस्से बन जाते हैं। मस्से कभी अन्दर रहते हैं, तो कभी बाहर आ जाते हैं। अगर बवासीर का समय पर इलाज न किया गया तो बहुत पुराना होने पर यह भगन्दर का रूप धारण कर लेता है जिसे फिस्टुला (Fistula) भी कहते हैं। यह मल-त्याग करने के दौरान अधिक जोर लगाने की वजह से हो सकता है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान गुदा की नसों में दबाव पड़ने के कारण भी बवासीर की समस्या हो सकती है।
बवासीर कितने प्रकार के होते हैं – Types of Piles in Hindi
बवासीर के बारे में बात करना ज़रूरी है। इससे जूझ रहा व्यक्ति कई तकलीफों से होकर गुजरता है। बवासीर के कुछ गंभीर मामलों में ऑपरेशन तक की नौबत आ जाती है। करीब 50 प्रतिशत लोगों को उम्र के किसी न किसी पड़ाव में बवासीर की समस्या होती है। बवासीर कितने प्रकार के होते हैं, इस बात को पक्के तरीके से नहीं कहा जा सकता। मगर आमतौर पर बवासीर तीन प्रकार का होता है – खुनी बवासीर, बादी बवासीर और अंदरूनी बवासीर। इसके बारे में हम यहां आपको विस्तार से बता रहे हैं। ओवेरियन सिस्ट के लक्षण
खूनी बवासीर
खूनी बवासीर में किसी प्रकार का दर्द या तकलीफ नहीं होती है। इसमें सिर्फ खून आता है। पहले मल के साथ, फिर टपक कर, उसके बाद पिचकारी के रूप में खून आने लगता है। खुनी बवासीर में मस्सा अंदर की तरफ होता है। मगर धीरे-धीरे यह अंदर की तरफ से बाहर आने लगता है। यह मस्सा मल-त्याग के बाद खुद अन्दर चला जाता है।
बादी बवासीर
बादी बवासीर होने पर पेट खराब की समस्या से जूझना पड़ता है। इसमें ज्यादातर कब्ज बना रहता है और गैस बनती है। बादी बवासीर होने पर पेट में जलन, दर्द, खुजली, शरीर में बेचैनी, काम में मन न लगना जैसी समस्याएं बनी रहती हैं। इसमें मस्से बाहर की तरफ आसानी से देखे जा सकते हैं साथ ही इन मस्सों से खून भी नहीं निकलता। कब्ज के कारण होने वाले बवासीर को खान-पान और जीवनशैली में बदलाव करके ठीक किया जा सकता है।
अंदरूनी बवासीर
अंदरूनी बवासीर मलाशय के अंदर विकसित होते हैं। यह गुदा की काफी गहराई में बने होते हैं, वजह से इन्हें आसानी से देखा नहीं जा सकता। अधिकतर मामलों में अंदरूनी बवासीर अपने आप ठीक हो जाते हैं और कोई गंभीर समस्या पैदा नहीं करते।
बवासीर कैसे होता है – Reason of Piles in Hindi
बवासीर कई कारणों से हो सकता है। हालांकि इसका मुख्य कारण अभी तक प्रकाश में नहीं आया है। कुछ लोगों में यह अनुवांशिक भी होता है। अगर घर में किसी एक को बवासीर की बीमारी है तो बाकि सदस्यों को भी बवासीर होने की आशंका बनी रहती है। इसके अलावा घंटों खड़े रहने की वजह से भी पाइल्स की दिक्कत हो जाती है। भारी वजन उठाना भी इसका एक कारण बन सकता है। आयुर्वेद में बवासीर को ‘अर्श’ कहा गया है। जिस बवासीर में वात या कफ प्रमुख रूप से होते हैं, वे अर्श शुष्क होते हैं। जानिए बवासीर होने के कारण (Reason of Piles in Hindi)।
– अधिक तला एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन करना
– बस कंडक्टर, ट्रॉफिक पुलिस इत्यादि जैसे रोजगार की वजह से घंटों खड़े रहने के कारण भी बवासीर जन्म ले लेता है।
– कब्ज, बवासीर का मुख्य कारण है। कब्ज के कारण व्यक्ति मल-त्याग में जोर लगाता है, जो बवासीर का कारण बनता है।
– महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान गुदा की नसों में दबाव पड़ने के कारण भी बवासीर की समस्या हो सकती है।
– शराब और धूम्रपान के अधिक सेवन से भी बवासीर की समस्या हो जाती है।
बवासीर के लक्षण – Bawasir ke Lakshan
बवासीर के बारे में लोग बात करने से कतराते हैं। यहां तक कि इसके लक्षण दिखने पर भी बात करने में शर्मिंदगी महसूस करते हैं। आपको समझना होगा की बवासीर भी बाकी बीमारियों की तरह एक बीमारी है। इसके लक्षण नज़र आते ही इसका इलाज करना ज़रूरी है। अगर समय पर बवासीर का इलाज न किया गया तो यह भयंकर रूप धारण कर लेता है। बवासीर बढ़ जाने के बाद भगन्दर बन जाता है और भगन्दर की आखिरी स्टेज होने पर यह केंसर का रूप ले लेता है। जिसको रिक्टम कैंसर कहते हें। जो कि जानलेवा साबित होता है। ऐसे में ज़रूरी है कि बवासीर के लक्षण नज़र आते ही उनका इलाज शुरू कर दिया जाए। अगर आपको इसके लक्षणों को लेकर अभी भी असमंजस है तो यहां जानिए बवासीर के कुछ लक्षण।
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– गुदा में बैठते समय दर्द होना
– मल-त्याग करते समय खून आना
– गुदा के पास दर्दनाक मस्सा होना
– मल-त्याग के बाद भी पेट साफ न लगना
– गुदा के आसपास खुजली, सूजन या लालिमा का होना
– बार-बार मल-त्याग की इच्छा होना, लेकिन मल न निकलना
बवासीर का घरेलू उपाय – Bavasir ka Gharelu Upchar
बवासीर कोई ऐसी बीमारी नहीं है, जिसका इलाज न हो। मल-त्याग में खून आने पर, गुदा पर मस्सा नज़र आने पर जैसे बताये गए लक्षण दिखाई देते ही तुरंत इसका इलाज शुरू कर देना चाहिए। वैसे तो बवासीर के लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर की सलाह लेना उचित होता है। मगर आप तुरंत डॉक्टर के पास नहीं जाना चाहते तो बवासीर का घरेलू इलाज (piles ka gharelu ilaj) भी कर सकते हैं। भारत के हर घर की रसोईं में ऐसे खजाने छिपे हैं, जिनके पास कई बिमारियों का इलाज है। बवासीर भी उनमें से एक है। हम यहां आपको बवासीर का घरेलू इलाज (piles ka gharelu ilaj) करने के ऐसे ही कुछ उपाय बता रहे हैं।
बवासीर में लहसुन के फायदे
बवासीर होने पर लहसुन के कई फायदे हैं। दरअसल, लहसुन में मौजूद एलिसिन (Allicin) नामक कंपाउंड में एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण मौजूद होते हैं। ये गुण बवासीर के बवासीर में होने वाली सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं। बवासीर का घरेलू इलाज खासतौर पर बाहरी बवासीर के लिए है। इसके लिए 3 से 4 लहसुन की कालिया छीलकर पानी में उबाल लीजिये। अब पानी को फ्रिज में रखें और ठंडा करें। इस पानी में रूई के फाहे को भिगोकर गुदा पर 10 से 15 मिनट के लिए रखें।
बवासीर में गर्म पानी पीने के फायदे
बवासीर में गर्म पानी भी काफी हद तक मदद करता है। वैसे तो डॉक्टर्स दिन में 8-१० ग्लास पानी पीने की सलाह देते हैं। क्योंकि कम पानी पीने से पेट में गर्मी बढ़ती है और मल सूखने लगता है, जिससे कब्ज की समस्या हो जाती है। बवासीर न हो इसके लिए पेट का साफ़ रहना बहुत ज़रूरी है। सुबह उठते ही दो-तीन गिलास गर्म पानी पीएं, इससे पेट की सफाई होती है और बवासीर होने का खतरा भी नहीं रहता।
फिटकरी से बवासीर का इलाज
फिटकरी का यह घरेलू इलाज बाहरी बवासीर के लिए है। बवासीर होने पर मस्सों की समस्या से छुटकारा पाने के लिए फिटकरी का इस्तेमाल फायदेमंद साबित होता है। इसके लिए थोड़ी सी फिटकरी को बारीक पीस लें। अब उसमे खीरे का रस व थोड़ी हल्दी मिला लें। इस मिश्रण को प्रतिदिन सुबह शाम बवासीर पर लगाएं। इससे कुछ दिनों मे बवासीर की समस्या से आराम मिलता है।
कपूर से बवासीर का इलाज
कपूर दो तरह से बवासीर का घरेलू इलाज है। पहला बवासीर वाली जगह पर लगाने से और दूसरा कपूर का सेवन करने से। अब आप कहेंगे की कपूर का सेवन कैसे किया जा सकता है। तो हम आपको बता दें कि कपूर दो तरह का होता है। पहला जलाने वाला और दूसरा भीमसेन कपूर, जिसका सेवन किया जा सकता है। दर्द से राहत पाने के लिए कपूर को नारियल के तेल में मिलाकर बवासीर वाली जगह पर लगाने से वहां की सूजन में भी कमी आती है, साथ ही शीतलता का अनुभव होने से मलत्याग के होने वाली जलन और तकलीफ में भी आराम मिलता है।
केला से बवासीर का इलाज
केला भी बवासीर के लिए लाभदायक है। हमने आपको बताया कि भीमसेन कपूर का सेवन किया जा सकता है। इसलिए रोज सुबह खाली पेट एक कच्चे केले में एक चम्मच भीमसेन कपूर डालकर उसका सेवन करने से बवासीर मात्र 3 दिन में जड़ से नष्ट हो जाता है। यह नुस्खा खूनी और बादी दोनों ही प्रकार के बवासीर को जड़ से खत्म करने के लिए उपयोगी है।
नींबू से बवासीर का इलाज
बवासीर के दौरान गुदा क्षेत्र के आस-पास की रक्त वाहिकाओं में सूजन आ जाता है जिसे नींबू के इस्तेमाल से ठीक किया जा सकता है। नींबू रक्त वाहिकाओं के लिए भी फायदेमंद है। नींबू के रस में अदरक और शहद मिलाकर सेवन करें। इससे पाइल्स में फायदा पहुंचता है। साथ ही यह बवासीर के दर्द को दूर करने में भी सक्षम है। बवासीर के दौरान अगर कब्ज या एसिडिटी की शिकायत होती है तो नींबू पानी का सेवन करने से आराम मिलता है।
हल्दी से बवासीर का इलाज इन हिंदी
बवासीर के दर्द और जलन को कम करने के लिए हल्दी को भी कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आप हल्दी के साथ देसी घी का प्रयोग कर सकते हैं। आधा चम्मच हल्दी एक चम्मच घी के साथ मिलाकर पेस्ट तैयार करें। इस पेस्ट को अच्छी तरह उंगलियों से फेंट लें और धीरे-धीरे मार्ग में मौजूद मस्सों पर लगाएं। यह इलाज आप दिन में तीन बार उपयोग करें। हल्दी के साथ घी की चिकनाई खुजली दूर करती है और दर्द कम करने में मदद करती है।
एलोवेरा से बवासीर का इलाज
एलोवेरा में मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण सूजन और दर्द को दूर करने में लाभदायक हो सकते हैं। साथ ही ये अंदरूनी और बाहरी दोनों प्रकार के पाइल्स के इलाज में लाभदायक है। गुदा के बाहर के मस्सों में एलोवेरा जेल लगाएं। 10 से 15 मिनट के लिए जेल को लगे रहने दें। यह जलन और खुजली को शांत करता है। आप चाहें तो सुबह खाली पेट एक कप एलोवेरा जूस पी भी सकते हैं।
मिट्टी के तेल से बवासीर का इलाज
क्या आप जानते हैं मिट्टी के तेल से भी बवासीर का घरेलू इलाज किया जा सकता है? जी हां, बवासीर की समस्या होने पर मिट्टी के तेल का इस्तेमाल भी होता है। शौच जाने के बाद आधा मग पानी में थोड़ा-सा मिट्टी का तेल मिलाकर गुदा धोने से बवासीर में लाभ होता है। इसके अलावा चाय की पत्तियों को मिक्सी में अच्छे से पीस लें। इस पाउडर को हल्का सा तवे पर गर्म करें और एक से दो बूंद पानी डालकर बवासीर के मस्सों पर लगाएं।
नीम से बवासीर का इलाज
नीम से भी बवासीर का घरेलू इलाज किया जा सकता है। नीम के पके हुए फल को छाया में सुखाकर इसके फल का चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण सुबह पानी के साथ लेने से बवासीर ठीक होता है। इसके अलावा नीम तथा कनेर के पत्ते की समान मात्रा लेकर बवासीर के मस्सों में लेप की तरह लगाने पर आराम मिलता है। यह लेप लगातार एक हप्ते तक लगाने से बवासीर का कष्ट कम होता जाता है।
बवासीर का अचूक इलाज
अगर आप बवासीर का अचूक इलाज चाहते हैं तो प्रतिमाह करीब 240 ग्राम त्रिफला चूर्ण का नियमित सेवन आवश्यक है। रात में सोते समय 3 चम्मच त्रिफला चूर्ण पानी के साथ लेना फायदेमंद रहता है। इससे बवासीर के रोग में जल्दी राहत मिलती है और बवासीर की तकलीफ भी धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है।
बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज
आपको जानकर हैरानी होगी कि आयुर्वेद में भी बवासीर का इलाज छिपा है। इसके लिए छोटी हरड़ के 2 से 5 ग्राम चूर्ण का रोज़ाना सेवन करते रहने और बवासीर पर अरंडी का तेल लगाते रहने से बवासीर में काफी राहत मिलती है। इसके अलावा छाछ या पतले दही में कला नमक और जीरा का पाउडर दाल कर पीने से बवासीर के मस्सों में राहत मिलती है। साथ ही इससे कब्ज में भी आराम मिलता है। इन सबके अलावा जीरा भी बवासीर का बेहतरीन आयुर्वेदिक इलाज है। बादी बवासीर में दर्द और जलन होने पर जीरे के दानों को पानी के साथ पीसकर लेप बना लें। इसे मस्सों वाली जगह पर लगाएं। कुछ दिनों में आराम मिल जायेगा।
खुनी बवासीर का रामबाण इलाज से जुड़े सवाल और जवाब
क्या बवासीर में दूध पीना चाहिए?
दूध हर तरह से शरीर के लिए फायदे मंद होता है। बवासीर के लिए भी। इसलिए बवासीर की दवाओं के साथ दूध ज़रूर पियें।
किशमिश से बवासीर का इलाज कैसे करें?
कुछ ही दिनों में बवासीर ठीक करना है तो रात को 100 ग्राम किशमिश पानी में भिगों दें और इसे सुबह के समय में इसे उसी पानी में इसे मसल दें। इस पानी का रोजाना सेवन करें।
बवासीर के दौरान खाने के लिए क्या?
पाइल्स होने पर फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन की सलाह दी जाती है। जैसे- गेहूं से बने खाद्य पदार्थ, नाशपाती, सेब, सूखा आलूबुखारा, हरी मटर, शकरकंद, राजमा आदि।
बवासीर की सूजन कैसे कम करें?
रोजाना 5 से 10 मिनट बर्फ सिकाई करने पर बवासीर की सूजन में आराम मिलता है। इसके लिए बर्फ के टुकड़े को एक कपड़े में लपेट लें और फिर प्रभावित हिस्से पर लगाएं।
बवासीर होने पर क्या नहीं खाना चाहिए?
ऐसे खाद्य पदार्थों को खाने से बचें, जिनमें बहुत कम या बिल्कुल भी फाइबर न हो। जैसे- पनीर, चिप्स, फास्ट फूड, फ्रोजन फूड, प्रोसेस्ड फ़ूड, आइसक्रीम आदि।
बवासीर का दर्द कैसे कम करें?
रोजाना रात में दूध के साथ एक चम्मच अरंड का तेल लेने से सुबह के समय दर्द कम महसूस होगा।
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