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बेहद ज़िद्दी हैं भारत की सुपरवुमन मैरी कॉम, पूरा करना है यह सपना

बेहद ज़िद्दी हैं भारत की सुपरवुमन मैरी कॉम, पूरा करना है यह सपना

भारतीय बॉक्सिंग के सबसे बड़े और सफल नाम की बात की जाए तो दिमाग में सबसे पहले एम सी मैरी कॉम (M C Mary Kom) का ही ख्याल आता है। बॉक्सिंग चैंपियन (boxing champion) एम सी मैरी कॉम ने अपनी पूरी लाइफ इस खेल को समर्पित कर दी है। तीन बच्चों की मां होने के बावजूद वे अपने बच्चों से ज्यादा समय बॉक्सिंग को ही देती हैं। मणिपुर (Manipur) की मैरी अब पूरे भारत की शान बन चुकी हैं और 6 बार वर्ल्ड चैंपियन और ओलंपिक्स पद विजेता भी रह चुकी हैं। हाल ही में उनसे हुई बातचीत में उनसे जुड़ी कुछ खास बातें पता चली हैं।

बेहद ज़िद्दी और मस्तमौला हैं मैरी

एटीएस होमक्राफ्ट के हैप्पी ट्रेल्स प्रोजेक्ट के तहत ग्रेटर नोएडा वेस्ट में किड्स बॉक्सिंग रिंग (kids boxing ring) का उद्घाटन किया गया है। इस मौके पर भारतीय बॉक्सिंग चैंपियन मैरी कॉम बेहद मस्तमौला और खुशी के मूड में नज़र आईं।

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उन्होंने बेहद बेफिक्री वाले अंदाज़ में अपने घर, परिवार और सपनों के बारे में खुलकर बात की। 20 सालों के संघर्ष भरे इस खिलाड़ी जीवन में मैरी कॉम (Mary Kom) ने कभी हार नहीं मानी। बचपन से लेकर शादी और फिर प्रेगनेंसी व डिलीवरी तक उन्हें बहुत बातें सुननी पड़ीं। उन्होंने हर चैलेंज का करारा जवाब दिया और अपनी जीत से सबका मुंह बंद कर कामयाबी हासिल की। मैरी कॉम मानती हैं कि वे स्वभाव से बहुत ज़िद्दी हैं और उनकी इसी ज़िद ने आज उन्हें वर्ल्ड लेवल की उपलब्धि हासिल करवाई है।

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देश की इस चिंता से हैं परेशान

मैरी कॉम बच्चों के काफी करीब हैं। उनका मानना है कि अगर बच्चों की काबिलियत को पहचानते हुए उनके हुनर को पहचान देने की कोशिश की जाए तो वे बहुत कुछ कर सकते हैं।

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वे चाहती हैं कि देश के सभी बच्चों को आउटडोर व फिजिकल एक्टिविटीज में व्यस्त रखा जाए, जिससे कि वे शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ रह सकें। मैरी कॉम खुद मणिपुर में बच्चों को बॉक्सिंग की ट्रेनिंग देती हैं। हालांकि, वे एक बात से बहुत निराश हैं और चाहती हैं कि जल्द ही उनकी इस चिंता का निदान हो सके। दरअसल, मैरी कॉम को अब तक कोई ऐसा टैलेंटेड प्लेयर नज़र नहीं आया है, जो उनकी जगह ले सके।

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वे चाहती हैं कि कोई उन्हें टेकओवर करने वाला आ जाए, जिससे वे हंसी- खुशी रिटायरमेंट ले सकें।

जल्द पूरा करना है सपना

मैरी कॉम से पूछा गया कि आखिर ऐसी कौन सी चीज़ है, जो उन्हें हमेशा आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करती है? इस पर मैरी ने बेहद सौम्यता से जवाब दिया कि जब तक वे ओलंपिक्स (Olympics) का गोल्ड पदक हासिल नहीं कर लेती हैं, वे ऐसे ही मेहनत करती रहेंगी।

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वे चाहती हैं कि देश की हर महिला उनकी तरह घर और परिवार दोनों को संभालने की कोशिश करे और अपनी ज़िंदगी में एक ऊंचा मुकाम हासिल करे। उनका कहना है कि बहुत सी महिलाएं शादी या बच्चे हो जाने के बाद घर पर बैठ जाती हैं, जो कि गलत है।

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अगर शुरुआत में परिवार साथ नहीं भी दे रहा है तो खुद हार मानने के बजाय थोड़ा विरोध करना चाहिए। धीरे- धीरे चीज़ें ठीक होने लगती हैं और वे अपने लोगों के बीच रोल मॉडल बनकर अपने जैसी दूसरी महिलाओं को प्रोत्साहित कर सकती हैं।

मैरी कॉम ने इस इवेंट में मौजूद होमक्राफ्ट के सीईओ प्रसून चौहान का धन्यवाद देते हुए किड्स बॉक्सिंग रेंज को बच्चों के लिए एक बेहतरीन और कारगर योजना बताया।

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