सफेद मूसली एक आयुर्वेदिक जड़ीबूटी है और इसका उपयोग कई आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता है। सफेद मूसली कई प्रकार से स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। मुख्य रूप से सफेद मूसली की जड़ और बीज का दवा बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। सफेद मूसली की जड़ो में काफी अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, पोटैशियम आदि होता है। अपने इस लेख में हम आपको स्वास्थ्य के लिए सफेद मूसली के फायदे, नुकसान और इसका सेवन करने के तरीके आदि के बारे में बताएंगे।
सफेद मूसली क्या है? – Safed Musli kya Hai
सफेद मूसली (musli ke fayde) एक दुर्लभ भारतीय जड़ीबूटी है, जो जंगलों में पाई जाती है। सफेद मूसली (safed musli kya hai) में कई गुण मौजूद होते हैं, जो इसे कई रोगों का रामबाण इलाज बनाते हैं। सफेद मूसली का इस्तेमाल पुरुषों में यौन शक्ति को बढ़ाने और नपुंसकता को दूर करने के लिए किया जाता है। यह एक प्रकार का पौधा होता है और इसमें सफेद रंग के फूल होते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्स सफेद मूसली को व्हाइट गोल्ड या फिर दिव्य औषधी भी कहते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार सफेद मूसली (पतंजलि सफेद मूसली के फायदे) पुरुषों में वियाग्रा की तरह काम करती है और इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। यह वियाग्रा जैसी दवाइयों का विकल्प है और इस वजह से केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में काफी लोकप्रिय है। यह जड़ीबूटी केवल भारत के जंगलों में ही पाई जाती है। वहीं अंतराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के अनुसार ये जड़ीबूटी जल्द ही लुप्त होने की कगार पर है।
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सफेद मूसली खाने के तरीके – Safed Musli Khane ka Tarika
सफेद मूसली की खुराक हर व्यक्ति की उम्र, शरीर, मजबूती, भूख आदि पर निर्भर करती है। यदि मूसली का सेवन करने से आपकी भूख प्रभावित होती है तो आपको इसकी कम खुराक लेनी चाहिए।
सफेद मूसली खाने का तरीका
– बच्चों को 1 ग्राम से अधिक सफेद मूसली नहीं खानी चाहिए।
– किशोरों को 1.5 से 2 ग्राम तक के बीच ही सफेद मूसली का सेवन करना चाहिए।
– वयस्क को 3 से 6 ग्राम सफेद मूसली का सेवन करना चाहिए।
– वृद्व लोगों को 2 से 3 ग्राम सफेद मूसली खानी चाहिए।
– गर्भावस्था में महिलाओं को 1 से 2 ग्राम सफेद मूसली खानी चाहिए।
– स्तनपान करा रही महिला को भी 1 से 2 ग्राम सफेद मूसली खानी चाहिए।
आप सफेद मूसली (safed musli benefits in hindi), सुबह और शाम को खाना खाने के दो घंटे बाद हल्के गुनगुने पानी के साथ खा सकते हैं। आप सफेद मूसली की उतनी मात्रा ही लें जितनी पचा सकें।
सफेद मूसली के फायदे – Safed Musli Benefits in Hindi
यौन शक्ति को बढ़ाने के लिए
सफेद मूसली (सफेद मूसली के फायदे) इंसान में सेक्स की इच्छा को बढ़ावा देती है और इस वजह से ये सेक्स ड्राइव बढ़ाने और यौन कमजोरी को दूर करने के लिए उपयोगी होती है। यह यौन अंगों को स्वस्थ और जवान बनाए रखने में मदद करती है और स्पर्म के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करती है। यह इंसान के शरीर में यौन शक्ति को बढ़ा देती है और यौन अनुभव को बेहतर बनाती है।
यौन विकार के लिए
सफेद मूसली का इस्तेमाल यौन संबंधी विकारों के लिए भी किया जाता है। इसका सेवन करने से शीघ्रपतन, अल्पशुक्राणुता आदि समस्याएं दूर होती हैं। साथ ही यह वीर्य उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता को भी बेहतर करने में मदद करती है। इस वजह से इसे नपुंसकता का भी अच्छा इलाज माना जाता है।
बता दें कि गर्भधारण के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले और अधिक मात्रा में शुक्राणु का होना बेहद ही जरूरी है। यदि शुक्राणु कम मात्रा में होते हैं तो गर्भधारण करने में समस्या आ सकती है। सफेद मूसली पुरुषों में इस समस्या को दूर करती है। साथ ही ये पुरुषों में शुक्राणु की मात्रा को भी बढ़ाती है। यह शरीर के हार्मोन को संतुलित रखने में भी मदद करती है।
बांझपन को करे दूर
भारत जैसे देश में बांझपन औरत या पुरुष के लिए किसी श्राप से कम नहीं है। इस वजह से सफेद मूसली का इस्तेमाल इस समस्या को दूर करने के लिए किया जाता है। सफेद मूसली का सेवन करने से बांझपन या फिर यौन विकार जैसी समस्याएं जड़ से खत्म हो जाती हैं और गर्भ धारण करने में मदद मिलती है।
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गर्भावस्था के लिए
सफेद मूसली (safed musli ke fayde aur nuksan) एक प्रकार का टोनिक है, जो गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे दोनों को स्वस्थ रखने में मदद करती है। इस वजह से गर्भावस्था में भी कई महिलाएं इसका सेवन करती हैं। यह स्तन के दूध के उत्पादन की मात्रा को बढ़ाता है और इसमें भी सुधार करता है। साथ ही यह मां के खोए हुए तत्व और धातुओं को लौटा देता है और जल्दी से उसके शरीर को भर देता है।
मां के शरीर में सफेद मूसली की मदद से दूध की गुणवत्ता सुधरती है।
प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए
सफेद मूसली शक्तिशाली ऊर्जावर्धक औषधी है और इस वजह से मनुष्य की रोध प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करती है। इसका प्रयोग मुख्य रूप से अस्थमा के मरीजों द्वारा किया जाता है।
मधुमेह के लिए
मधुमेह का वैसे तो कोई स्थाई उपचार नहीं है लेकिन सफेद मूसली मनुष्य के शरीर में शुगर के स्तर को बैलेंस रखने में मदद करती है। यह इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ाती है और मधुमेह को नियंत्रित करती है। इसका सेवन करने से मधुमेह के रोगी को सेक्स करने में भी मदद मिलती है। यदि आप कमजोर, पतले या फिर सामान्य से कम वजन के हैं तो आपको दिन में दो बार दूध के साथ इसका सेवन करना चाहिए।
मोटापा घटाने के लिए
सफेद मूसली जरूरत से अधिक चर्बी को कम करने में मदद करती है और शरीर का मोटापा घटाने में उपयोगी होती है।
सफेद मूसली के अन्य लाभ
सफेद मूसली उपयोगी औषधीय पौधों में से एक हैं, जो हजारों सालों से मनुष्यों के लिए वर्दान बनी हुई है। इसका उपयोग कई बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है और चिकित्सा प्रणाली में भी इसका काफी उपयोग किया जाता है। मुख्य रूप से ये बांझपन, यौन विकार, शुक्राणु की कमी, आदि बीमारियों के लिए प्रयोग की जाती है। साथ ही ये स्त्रियों में मासिक धर्म चक्र को नियमित करने में भी मदद करती है।
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सफेद मूसली के नुकसान – Safed Musli ke Nuksan
वैसे तो सफेद मूसली आयुर्वेदिक औषधी है और इस वजह से इसके कोई बहुत अधिक नुकसान नहीं हैं। हालांकि फिर भी इसके कुछ नुकसान शौध में सामने आए हैं। शौध के मुताबिक, सफेद मूसली का बिना किसी नुकसान के सेवन किया जा सकता हैं लेकिन फिर भी इसके कुछ नुकसान हैं, जो इस प्रकार हैं-
– सफेद मूसली खून में मौजूद शुगर के स्तर को कम कर सकती है। इस वजह से लो शुगर की समस्या से जूझ रहे लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए या फिर शुगर की दवाई खा रहे लोगों को भी ये नहीं खानी चाहिए।
– ये बहुत सामान्य है कि जरूरत से अधिक किसी भी चीज का सेवन करने से उसके नुकसान देखने को मिल सकते हैं। इस वजह से सफेद मूसली का भी अधिक मात्रा में सेवन करने से आपको इसके कुछ नुकसान देखने को मिल सकते हैं। इसके अधिक सेवन से आपको पेट और आंतों से संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। जैसे कब्ज, एसिडिटी आदि।
– अधिक मात्रा में सफेद मूसली खाने से भूख कम होती है और साथ ही पाचन संबंधी क्रियाएं भी कुछ हद तक प्रभावित होती हैं।
सफेद मूसली से जुड़े सवाल और जवाब – FAQ’s
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1. मूसली कितने प्रकार की होती है?
आयुर्वेद के अनुसार दो तरह की मूसली होती है। एक सफेद मूसली और दूसरी काली मूसली। दोनों प्रकार की मूसली का इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधी के रूप में किया जाता है। एक ओर जहां काली मूसली का इस्तेमाल केवल यौन विकार, बांझपन आदि समस्याओं के लिए किया जाता है तो वहीं सफेद मूसली का इस्तेमाल प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, मधुमेह आदि कई समस्याओं के लिए भी किया जाता है।
सफेद मूसली की खेती कैसे होती है?
सफेद मूसली आमतौर पर भारत के जंगलों में पाई जाती है। इस वजह ये खुद से उग जाने वाला पौधा है। हालांकि, यदि आप इसकी खेती करना चाहते हैं तो आप बायोवेद कृषि तकनीक की मदद से इसकी खेती कर सकते हैं। सफेद मूसली की खेती करते वक्त ध्यान रखें कि जमीन नमी वाली हो। साथ ही जल निकासी वाली रेतीली मिट्टी को इसकी खेती के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। सफेद मूसली कंद वाला पौधा है और यह जमीन के अंदर बढ़ता है।
3. सफेद मूसली का वानस्पातिक नाम क्या है?
सफेद मूसली का वानस्पातिल नाम क्लोरोफायटम बोरिबिलिएनम Chlorophytum Borivilianum Santapau R.R.Fern. है।
4. सफेद मूसली चूर्ण के फायदे क्या है ?
सफेद मूसली का चूर्ण यौन विकार, बांझपन आदि समस्याओं को दूर करने में काफी उपयोगी होता है। यह पुरुषों में शुक्राणु की गुणवत्ता को सुधारता है और साथ ही कामेच्छा शक्ति को बढ़ाता है।
5. सफेद मूसली को खाली पेट खाया जा सकता है?
सफेद मूसली को हमेशा खाना खाने के बाद ही खाना चाहिए। इसे खाली पेट नहीं खाना चाहिए।
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