दिवाली का त्योहार अपने साथ कई सारी खुशियां लेकर आता है। इस दिन घर से दूर बसे लोग भी परिवार के पास खिंचे चले आते हैं। रौशनी और दीपों से भरे इस दिन की हिंदू धर्म में बहुत मान्यताएं हैं। यह हिंदू धर्म के बड़े त्योहारों में से एक है। मगर दिवाली एक ऐसा त्योहार है, जिसे हर धर्म के लोग मनाना पसंद करते हैं। सभी एक दूसरे को मिठाई देकर और पटाखे जलाकर खुशियां मनाते हैं और एक दूसरे को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं। दिवाली के इस पावन त्योहार पर अटल बिहारी वाजपेई, मैथिलीशरण गुप्त और हरिवंश राइ बच्चन जैसे कई बड़े कवियों ने दिवाली पर कविताएं (poem on diwali in hindi) भी लिखी हैं। पढ़िए दिवाली के इस खास अवसर पर दिवाली की कविताएं हिंदी में (diwali poem in hindi)।
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Poem for Diwali in Hindi | दिवाली पर कविता हिंदी में
दिवाली के तैयारियों के दौरान जिस तरह से हम बच्चों को फूल वाली रंगोली, डॉट रंगोली डिज़ाइन वाली रंगोली बनाना, घर की साफ-सफाई का महत्व सिखाते हैं (Diwali Home Cleaning Tips and Tricks in Hindi) उसी तरह से दिवाली पर कविता ( poem for diwali in Hindi) पढ़ाकर उन्हें देश के इस बड़े त्यौहार और इसकी महत्ता से परिचित कराया जा सकता है।
कविता-1
दीप जलाओ दीप जलाओ, आज दिवाली रे |
खुशी-खुशी सब हँसते आओ, आज दिवाली रे।
मैं तो लूँगा खील-खिलौने, तुम भी लेना भाई
नाचो गाओ खुशी मनाओ, आज दिवाली आई।
आज पटाखे खूब चलाओ, आज दिवाली रे
दीप जलाओ दीप जलाओ, आज दिवाली रे।
नए-नए मैं कपड़े पहनूँ, खाऊं खूब मिठाई
हाथ जोड़कर पूजा कर लूं, आज दिवाली आई।
कविता-2
आई रे आई जगमगाती रात हैं आई
दीपों से सजी टिमटिमाती बारात हैं आई
हर तरफ है हँसी ठिठोले
रंग-बिरंगे,जग-मग शोले
परिवार को बांधे हर त्यौहार
खुशियों की छाये जीवन में बहार
सबके लिए हैं मनचाहे उपहार
मीठे मीठे स्वादिष्ट पकवान
कराता सबका मिलन हर साल
दीपावली का पर्व सबसे महान
फिर से सजेगी हर दहलीज़ फूलों से
फिर महक उठेगी रसौई पकवानों से
मिल बैठेंगे पुराने यार एक दूजे से
फिर से सजेगी महफ़िल हँसी ठहाको से
चारों तरफ होगा खुशियों का नज़ारा
सजेगा हर आँगन दीपक का उजाला
डलेगी रंगों की रंगोली हर एक द्वार
ऐसा हैं हमारा दीपावली का त्यौहार
कविता-3
दीपावली का त्योहार आया, साथ में खुशियों की बहार लाया।
दीपको की सजी है कतार, जगमगा रहा है पूरा संसार।
अंधकार पर प्रकाश की विजय लाया,
दीपावली का त्योहार आया।
सुख-समृद्धि की बहार लाया, भाईचारे का संदेश लाया।
बाजारों में रौनक छाई, दीपावली का त्योहार आया।
किसानों के मुंह पर खुशी की लाली आयी,
सबके घर फिर से लौट आई खुशियों की रौनक।
दीपावली का त्यौहार आया,
साथ में खुशियों की बहार लाया।
कविता-4
सुना है राम कि तुमने मारा था मारीच को
जब वह स्वर्ण मृग बन दौड़ रहा था वन-वन।
सुना है कि तुमने मारा था रावण को
जब वह दुष्टता की हदें पार कर लड़ रहा था तुमसे
युध्य भूमी में सोख लिए थे तुमने
उसके अमृत-कलश अपने एक ही तीर से
विजयी होकर लौटे थे तुम मनी थी दीवाली घर-घर।
मगर आज भी जब मनाता हूं विजयोत्सव, जलाता हूं दिये
तो लगता है कि कोई अंधेरे में छुपकर हंस रहा है मुझपर
फंस चुके हैं हम फिर एक बार
रावण-मारीच के किसी बड़े षड़यंत्र में।
आज भी होता है सीता हरण और भटकते हैं राम
घर में ही निरूपाय नहीं होता कोई
लक्ष्मण सा अनुज जटायू सा सखा या हनुमान सा भक्त
लगता है सब मर चुके हैं तुम्हारे साथ
जीवित हैं तो सिर्फ मारीच और रावण !
तुम सिर्फ एक बार अवतरित हुए हो
और समझते हो कि सदियों तक तुम्हारे वंशज
मनाते रहें विजयोत्सव !
आखिर तुम कहां हो मेरे राम ?
-देवेन्द्र पाण्डेय
Diwali par Poem in Hindi | दिवाली पर कविता
कविताएं किसी भी भावना को अभिव्यक्त करने का अच्छा जरिया होती हैं। अगर आपके दोस्तों को पढ़ने का शौक है तो उन्हें दिवाली पर कविता भेज सकते हैं। इसी तरह बच्चों को दिवाली पर बाल कविता भी पढ़कर सुना सकते हैं।
कविता-1
दीपों का त्योहार दीवाली। खुशियों का त्योहार दीवाली॥
वनवास पूरा कर आये श्रीराम। अयोध्या के मन भाये श्रीराम।।
घर-घर सजे , सजे हैं आँगन। जलते पटाखे, फ़ुलझड़ियाँ बम।।
लक्ष्मी गणेश का पूजन करें लोग। लड्डुओं का लगता है भोग॥
पहनें नये कपड़े, खिलाते है मिठाई । देखो देखो दीपावली आई॥
कविता–2
रात अमावस की तो क्या,
घर घर हुआ उजाला, सजे कोना कोना दिपशिखा से!
मन मुटाव मत रखना भाई, आयी दिवाली आयी !
झिलमिल झिलमिल बिजली की, रंगबी रंगी लड़िया
दिल से हटा दो फरेब की फुलझड़िया!
दिवाली पर्व हैं मिलन का, नजर पड़े जिस और देखो
भरे हैं खुशियों से चेहरे !
चौदह बरस बाद लौटे हैं, सिया लखन रघुराई
दिवाली का दिन हैं जैसे, घर में हो कोई शादी!
Happy Diwali Poem in Hindi | हैप्पी दिवाली पर कविता
दोस्तों और परिवार वालों को दिवाली की शुभकामनाएं देने के लिए आप ये हैप्पी दिवाली पर कविता उन्हें व्हाट्सएप पर भेज सकते हैं।
कविता 1
रोशन हो दीपक और सारा जग जगमगाएं,
लेकर साथ सीता जी को राम जी हैं आएं,
हर शहर सजा हो ऐसे जैसे अयोध्या हो,
दिवाली के पावन दिन पर
आओ हम सब भी घर और शहर सजाएं
खुशियों की दीप जलाएं।
हैप्पी दिवाली!!
कविता 2
जहाँ रौशनी दे न दिखाई
उस पर भी सोचो पल दो पल
वहाँ किसी की आँखों में भी
है आशाओं का शीतल जल
जो जीवन पथ में भटके हैं
उनकी नई राह दिखलाओ
पहले स्नेह लुटाओ सब पर
फिर खुशियों के दीप जलाओ
हैप्पी दिवाली!
Best Poem on Diwali in Hindi | बेस्ट दिवाली कविता
दिवाली का महत्व आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि हर महान कवि ने इस विषय पर अच्छी, दिल और मन को छूने वाली कविता (poem for diwali in Hindi) लिखी है। इन्हें आप बेस्ट दिवाली कविता के रूप में याद रख सकते हैं। दिवाली पर हरिवंश राय बच्चन (poem on diwali in Hindi by harivansh rai bachchan) से लेकर मैथलीशरण गुप्त और दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तक सभी ने खूबसूरत कविता लिखी है।
कविता-1
फैल गयी दीपों की माला मंदिर-मंदिर में उजियाला,
किंतु हमारे घर का, देखो, दर काला, दीवारें काली!
साथी, घर-घर आज दिवाली! हास उमंग हृदय में भर-भर
घूम रहा गृह-गृह पथ-पथ पर,
किंतु हमारे घर के अंदर डरा हुआ सूनापन खाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली! आँख हमारी नभ-मंडल पर,
वही हमारा नीलम का घर,
दीप मालिका मना रही है रात हमारी तारोंवाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!
– हरिवंशराय बच्चन
कविता-2
जल, रे दीपक, जल तू, जिनके आगे अंधियारा है,
उनके लिए उजल तू, जोता, बोया, लुना जिन्होंने
श्रम कर ओटा, धुना जिन्होंने, बत्ती बंनकर तुझे संजोया,
उनके तप का फल तू जल, रे दीपक, जल तू
अपना तिल-तिल पिरवाया है, तुझे स्नेह देकर पाया है
उच्च स्थान दिया है घर में, रह अविचल झलमल तू
जल, रे दीपक, जल तू, चूल्हा छोड़ जलाया तुझको
क्या न दिया, जो पाया, तुझको भूल न जाना कभी ओट का
वह पुनीत अंचल तू, जल, रे दीपक, जल तू
कुछ न रहेगा, बात रहेगी, होगा प्रात, न रात रहेगी
सब जागें तब सोना सुख से तात, न हो चंचल तू
जल, रे दीपक, जल तू!
– मैथलीशरण गुप्त
कविता-3
आओ फिर से दिया जलाएं भरी दुपहरी में अंधियारा
सूरज परछाई से हारा अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ। आओ फिर से दिया जलाएँ
हम पड़ाव को समझे मंज़िल लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल
वतर्मान के मोहजाल में- आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ। आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा अंतिम जय का वज़्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियां गलाएं। आओ फिर से दिया जलाएं
– अटल बिहारी वाजपेई
कविता-4
दीप से दीप जले
सुलग-सुलग री जोत दीप से दीप मिलें
कर-कंकण बज उठे, भूमि पर प्राण फलें।
लक्ष्मी खेतों फली अटल वीराने में
लक्ष्मी बँट-बँट बढ़ती आने-जाने में
लक्ष्मी का आगमन अँधेरी रातों में
लक्ष्मी श्रम के साथ घात-प्रतिघातों में
लक्ष्मी सर्जन हुआ
कमल के फूलों में
लक्ष्मी-पूजन सजे नवीन दुकूलों में।।
गिरि, वन, नद-सागर, भू-नर्तन तेरा नित्य विहार
सतत मानवी की अँगुलियों तेरा हो शृंगार
मानव की गति, मानव की धृति, मानव की कृति ढाल
सदा स्वेद-कण के मोती से चमके मेरा भाल
शकट चले जलयान चले
गतिमान गगन के गान
तू मिहनत से झर-झर पड़ती, गढ़ती नित्य विहान।।
उषा महावर तुझे लगाती, संध्या शोभा वारे
रानी रजनी पल-पल दीपक से आरती उतारे,
सिर बोकर, सिर ऊँचा कर-कर, सिर हथेलियों लेकर
गान और बलिदान किए मानव-अर्चना सँजोकर
भवन-भवन तेरा मंदिर है
स्वर है श्रम की वाणी
राज रही है कालरात्रि को उज्ज्वल कर कल्याणी।।
वह नवांत आ गए खेत से सूख गया है पानी
खेतों की बरसन कि गगन की बरसन किए पुरानी
सजा रहे हैं फुलझड़ियों से जादू करके खेल
आज हुआ श्रम-सीकर के घर हमसे उनसे मेल।
तू ही जगत की जय है,
तू है बुद्धिमयी वरदात्री
तू धात्री, तू भू-नव गात्री, सूझ-बूझ निर्मात्री।।
युग के दीप नए मानव, मानवी ढलें
सुलग-सुलग री जोत! दीप से दीप जलें।
– माखनलाल चतुर्वेदी
Short Poem on Diwali in Hindi | दिवाली पर छोटी सी कविता
त्योहार के मौके पर यदि बच्चों को दिवाली से जुड़ी प्रतियोगिता के लिए तैयार कर रहे हैं तो उनके ड्रेस (Diwali Dress Ideas in Hindi) से लेकर किस तरह से वो स्टेज पर अपनी बात रखते हैं ये बहुत मायने रखता है। इसके लिए दिवाली पर छोटी सी कविता (Short Poem on Diwali in Hindi) याद कराना है तो ये कविताएं आपके काम आएंगी।
कविता-1
बरस रही है मां लक्ष्मी की कृपा,
हो रही है सुख और समृद्धि की वर्षा।
मिट जाएगा हर कोने का अंधियारा,
जब दीपो से जगमग होगा जग सारा।
भगवान श्री राम अयोध्या पधार रहे है,
फूलों की वर्षा हो रही है।
सब जन हर्षा रहे है,
हो गया है सब दुखों का नाश।
सब लोग मंगल गान गा रहे है,
फूल, पत्ती, पेड़-पौधे, फसलें लहरा रहे है।
सब लोगों के मुख पर मुस्कान है,
यही तो दीपावली त्योहार की पहचान है।
-नरेंद्र वर्मा
कविता-2
दिवाली के दीपक जगमगाए आपके आंगन में,
सात रंग सजे इस साल आपके आंगन में,
आया है यह त्यौहार खुशियां लेके,
हर खुशी सजे इस साल आपके आंगन में,
रोशनी से हो रोशन हर लम्हा आपका,
हर रोशनी सजे इस साल आपके आंगन में।
Small Poem on Diwali in Hindi | छोटी दिवाली कविता
छोटी दिवाली कविता को दोस्तों और परिवार वालों को दिवाली की शुभकामनाएं देते हुए यूज कर सकते हैं।
कविता- 1
हो मुबारक ये त्यौहार आपको दीपावली का
ज़िन्दगी का हर पल मिले आपको खुशहाली का
प्यार के जुगनू जले, प्यार की हो फुलझड़िया
प्यार के फूल खिले, प्यार की हो पंखुड़िया
प्यार की बंसी बजे, प्यार की हो शहनाईया…
खुशियो के दीप जले, दुःख कभी न ले अंगड़ाईयां
कविता- 2
ज्योति पर्व है, ज्योत जलाएं
मन के तम को दूर भगाएं
दीप जलाएं सबके घर पर
जो नम हैं आंखें, उनके भी घर पर
हर मन में जब दीप जलेगा
तभी दिवाली का पर्व मनेगा।
कविता- 3
हर घर में हो उजाला, आये ना रात काली,
हर घर में मने खुशिया, हर घर में हो दिवाली
हर घर में हो सदा ही, माँ लक्ष्मी का डेरा,
हर शाम हो सुनहरी, और महके हर सवेरा
दिल हो सभी के निर्मल, ना ही द्वेष भाव आये,
मन में रहे ना शंका, सुरो में मिठास लाये
हर घर में हो उजाला, आये ना रात काली,
हर घर में मने खुशिया, हर घर में हो दिवाली
Diwali Short Poem in Hindi | छोटी छोटी दिवाली कविताएं
घर के छोटे-छोटे बच्चों को छोटी छोटी दिवाली कविताएं सुनाकर बच्चों को इस त्योहार से रुबरु कराएं। दिवाली पर बाल कविता बच्चों को इस त्योहार के महत्व को भी समझाते हैं।
कविता- 1
खुशियों की बौछार दिवाली
जीवन में उपहार दिवाली
तन मन घर सब स्वच्छ उजेरे
दीपों का त्योहार दिवाली।
-मयंका सराठे
कविता- 2
दिवाली त्यौहार दीप का,
मिलकर दीप जलाएंगे।
सजा रंगोली से आंगन को,
सबका मवन हर्षाएंगे।
बम पटाखे भी फोड़ेंगे,
खूब मिठाई खाएंगे।
दिवाली त्योहार मिलन का,
घर-घर मिलने जाएंगे।
-पूनम मोहने
कविता- 3
दिवाली आई रे
खूब खुशी लाई रे,
बंट रही मिठाई रे
गाओ बहन भाई रे।
-सोनम बन्देवार
Inspirational Poem on Diwali in Hindi | इंस्पिरेशनल दिवाली कविता
कविता-1
आओ, मिलकर दीप जलाएँ। अंधकार को दूर भगाएँ ।।
नन्हे नन्हे दीप हमारे क्या सूरज से कुछ कम होंगे,
सारी अड़चन मिट जायेंगी एक साथ जब हम सब होंगे,
आओ, साहस से भर जाएँ। आओ, मिलकर दीप जलाएँ।
हमसे कभी नहीं जीतेगी अंधकार की काली सत्ता,
यदि हम सभी ठान लें मन में हम ही जीतेंगे अलबत्ता,
चलो, जीत के पर्व मनाएँ ।आओ, मिलकर दीप जलाएँ ।।
कुछ भी कठिन नहीं होता है यदि प्रयास हो सच्चे अपने,
जिसने किया, उसी ने पाया, सच हो जाते सारे सपने,
फिर फिर सुन्दर स्वप्न सजाएँ । आओ, मिलकर दीप जलाएँ ।।
-त्रिलोक सिंह ठकुरेला
कविता-2
ना फुलजड़ी फटाके बुलाते मुझे
और ना गुलाब जामुन की खुशबू ललचाती मुझे
ना फुलजड़ी फटाके बुलाते मुझे
और ना गुलाब जामुन की खुशबू ललचाती मुझे
ना नए कपड़ों की चाहत खीचें मुझे
ना गहनों चमक लुभाए आये मुझे
मुझे तो चाहिए कुछ अनमोल घड़ी
जब फिर से जुड़ती अपनों से कड़ी
दिवाली की रंगत ना भाती मुझे
बस माँ की गोद ही याद आती मुझे
नहीं वो बचपन की दिवाली सजे
बस मुझे मेरे अपनों का साथ मिले
बस साथ मिले ||
कविता-3
हर घर दीप जग मगाए तो दिवाली आयी हैं,
लक्ष्मी माता जब घर पर आये तो दिवाली आयी हैं!
दो पल के ही शोर से क्या हमें ख़ुशी मिलेंगी,
दिल के दिए जो मिल जाये तो दिवाली आयी हैं !
घर की साफ सफ़ाई से घर चमकाएँ तो दिवाली आयी हैं,
पकवान – मिठाई सब मिल कर खाएं तो दिवाली आयी हैं!
फटाकों से रोशनी तो होंगी लेकिन धुँआ भी होंगा,
दिए नफ़रत के बुज जाएँ तो दिवाली आयी हैं!
इस दिवाली सबके लिए यही सन्देश हैं की
इस दिवाली हम लक्ष्मी का स्वागत दियों के करे,
फटाकों के शोर और धुएं से नहीं
इस बार दिवाली प्रदुषण मुक्त मनायेंगे!
कविता-4
वह मंगल दीप दिवाली थी
दीपो से जगमग थाली थी
कोई दिये जला कर तोड़ गया
आशा की किरण को रोक गया
इस बार ना ये हो पाएगा
अंधियारा ना टिक पाएगा
कर ले कोशिश कोई लाख मगर
कोई दिया ना बूझने पाएगा
जब रात में बारह बजते हैं
सब लक्ष्मी पूजा करते हैं
रात की काली माया के लिये
दीपों से उजाला करते हैं
दिवाली खूब मनाएंगे
लड्डू और पेड़ा खाएंगे
अंतर्मन के अंधेरे को..
दीपो से दूर भगाएँगे
अपने अपनों के साथ संदेश के रूप में दिवाली की कविताएं शेयर करें या घर के छोटे बच्चों के साथ इन दिवाली पर बाल कविता पढ़े। ऐसा करके आप दिवाली पर अपनी भावनाएं खूबसूरती से तो बयां कर ही पाएंगे साथ ही दिवाली पर छोटी सी कविता से बच्चों को इस पर्व को समझने में मदद भी करेंगे।
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