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काफी खतरनाक है ऑर्गैज़्म जैसी फीलिंग के लिए ‘पीगैज़्म’ का नया ट्रेंड

काफी खतरनाक है ऑर्गैज़्म जैसी फीलिंग के लिए ‘पीगैज़्म’ का नया ट्रेंड

हम सभी के साथ अक्सर ऐसा होता है कि कभी अगर आपने काफी ज्यादा कॉफी पी हो या फिर अपने मॉर्निंग वर्कआउट के बाद एक लिटर पानी पी लिया हो तो इसके बाद यूरिन का प्रेशर कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है। कई बार ऐसा भी होता है कि आपका ब्लैडर तो फुल है, लेकिन आप किसी मीटिंग में या और कहीं और फंसे हुए हैं। सिचुएशन कोई भी हो पर मुद्दा यह है कि कई बार आपके पास अपने यूरिन प्रेशर को कंट्रोल करने के सिवाय कोई और उपाय नहीं होता। फिर मीटिंग खत्म होने के बाद फाइनली आप टॉयलेट जा पाते हैं। और इतनी देर से बने हुए अपने प्रेशर को रिलीज़ कर पाते हैं… उस वक्त जो राहत मिलती है… उसकी बराबरी कोई बात नहीं कर सकती। इसे बड़ी राहत कहें या बहुत बड़ी खुशी, यही ‘पीगैज़्म’ होता है।

आखिर है क्या यह ‘पीगैज़्म’?

‘पीगैज़्म’ ( राहत की एक ऐसी गहन फीलिंग है जिसे काफी लंबे (जितना ज्यादा हो सके) समय तक कंट्रोल करने के बाद टॉयलेट जाने पर आप महसूस करते हैं। पीगैज़्म की कंडीशन के बारे में एक लड़के ने कुछ इस तरह बताया है – “मेरी गर्लफ्रेंड के पिछले दिनों मुझे बताया कि अगर उसे कुछ समय के लिए यूरिन के अपने प्रेशर को कंट्रोल करना पड़ता है तो इसके बाद जब वह टॉयलेट जाती है तो उसे यूरिन को रिलीज़ करते वक्त अपनी रीढ़ की हड्डी से लेकर सिर तक बिलकुल ऑर्गैज़्म की तरह महसूस होता है। और अगर वह अपनी वैजाइना को स्ट्रैच करके रिवर्स कीगल्स करती है तो यह अनुभव और भी ज्यादा अच्छा होता है।”

kareena in toilet

वैजाइनल ऑर्गैज़्म से काफी अलग

“उसका कहना है कि इस तरह से होने वाला ऑर्गैज़्म अक्सर उसे काफी हल्का और ऑफ बैलेंस फील कराता है और यह नॉर्मल क्लिटोरिस या वैजाइनल ऑर्गैज़्म से काफी अलग होता है।” कुछ और लोग भी इसी तरह के अनुभव की बात करते हैं। एक और कमेंट में कहा गया, “मैं इस फीलिंग को पिस शिवर्स (सिहरन) कहता हूं, क्योंकि यह मेरी नजर में ऑर्गैज़्म नहीं है, लेकिन इसे ऑर्गैज़्म के काफी नजदीक कहा जा सकता है।

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डॉक्टरों ने दी अपूरणीय ऑर्गन डैमेज की चेतावनी

न्यूज़ीलैंड कॉलेज ऑफ गायनेकोलॉजिस्ट्स की डॉ. चार्लोट एल्डर कहती हैं कि हालांकि काफी देर तक रोक कर रखने के बाद यूरिन को रिलीज़ करने से काफी अच्छा महसूस होता है। इस रिलीविंग फीलिंग को कुछ लोग ऑर्गैज़्म तक कह देते हैं, लेकिन पीगैज़्म का यह ट्रेंड आपके ब्लैडर को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। दरअसल ब्लैडर को इज्जत से ट्रीट करने की जरूरत है। आपके लिए यह काफी जरूरी है कि जब महसूस हो, तभी टॉयलेट जाएं, न कि तब, जब यह बर्स्ट होने वाला हो।

ब्लैडर कैपेसिटी हो सकती है कम

अगर आप टॉयलेट जाने मेंं देरी करेंगी तो आपको अपने ब्लैडर को काफी स्ट्रैच करना पड़ेगा। यह ऐसा काम है जिसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। डॉ. चेतावनी देती हैं कि इसके बाद ब्लैडर को होने वाले नुकसान को ठीक होने में सालों लग जाते हैं और कुछ मामलों में ऐसा भी होता है कि इसे वापस सही नहीं किया जा सकता। एक और नोट में डॉक्टर एल्डर कहती हैं कि अगर आप यूरिन को ज्यादा रोक कर रखेंगे और जरूरत पड़ने पर टॉयलेट नहीं जाएंगे तो इससे आपके ब्लैडर की यूरिन को रोक कर रखने की कैपेसिटी कम होती जाएगी।

Kareena 11

यूटीआई का भी हो सकता है खतरा

इसके अलावा पीगैज़्म का एक और नुकसान यूरिनरी ट्रैक के इंफेक्शन के रूप में भी हो सकता है, क्योंकि काफी समय तक यूरिन को रोक कर रखने से यूरिनरी ट्रैक में नुकसानदेह बैक्टीरिया बढ़ने लगते हैं। सिस्टाइटिस से पीड़ित कोई भी व्यक्ति आपको यह बता सकता है कि इसमें इतना सेक्सी कुछ भी नहीं है।

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इतनी अच्छी क्यों लगती है ‘पीगैज़्म’ की फीलिंग

हालांकि जानबूझकर प्रेशर को रोक कर रखना अच्छी बात नहीं है, लेकिन इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता कि कहीं न कहीं सेक्स सुख यानि ऑर्गैज़्म और यूरिन प्रेशर को रिलीज़ करने के बीच कोई संबंध है। इसका एक उदाहरण यह भी है कि कई महिलाओं ने सोते समय फुल ब्लैडर होने पर ऑर्गैज़्म महसूस करने की बात कही है। एल्डर कहती हैं कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि सोते वक्त जब आपका ब्लैडर फुल होता है तो यह आपकी पेल्विक फ्लोर की नर्व्स को स्टिमुलेट करता है और इससे आपको ऐसा महसूस होता है जैसे आपने कोई सेक्सी सपना देखा हो। ऐसे में ऑर्गैज़्म होना कोई बड़ी बात नहीं है।

साथ ही वह यह भी कहती हैं कि सुबह जागने के वक्त ब्लैडर फुल होने और जानबूझकर देर तक प्रेशर बनाए रखने में बहुत अंतर है। एल्डर कहती हैं कि ‘पीगैज़्म’ के लिए किसी को भी अपने ब्लैडर की हेल्थ से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऑर्गैज़्म पाने के लिए और भी बहुत से प्रैक्टिकल और सुखद तरीके हैं।

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