नवरात्र शुरू हो रही है और इसी के साथ शुरू हो जाती है देवी मां की पूजा-अर्चना। भक्तों के लिए ये 9 दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। तभी तो पूरी श्रद्धा के साथ भक्त 9 दिन का उपवास भी रखते हैं। मगर व्रत रखने का मतलब भूखे रहकर देवी को खुश करना नहीं होता, बल्कि इन दिनों राजसिक और तामसिक भोजन का त्याग कर सात्विक भोजन करना ही उपयुक्त रहता है। नवरात्रों में सात्विक आहार का सेवन करना ज़रूरी माना गया है क्योंकि ये भोजन हमारे शरीर को शुद्ध करने के साथ मन को भी शांत रखता है। इसके अलावा ये ऋतु परिवर्तन का समय भी है और ग्रीष्म ऋतु का आगमन है। ग्रीष्म ऋतु में कफ और वात की शिकायत अधिक होती हैं इसलिए हमें नवरात्र में हल्का और आसानी से पच जाने वाला भोजन अपने आहार में शामिल करना चाहिए। जिससे कि हमारा पाचनतंत्र ऋतु परिवर्तन के अनुसार कार्य करे।
नवरात्र व्रत के दिनों में कब और कैसा होना चाहिए आपका सात्विक भोजन ? बता रही हैं, अनम्या वेलनेस आयुर्वेद थैरेपी एंड ट्रीटमेंट सेंटर की मैनेजिंग डायरेक्टर आशमा खन्ना।
क्यों फायदेमंद है सात्विक भोजन ?
आयुर्वेद के अनुसार भोजन को तीन भागों में बांटा गया है- सात्विक, राजसिक और तामसिक। व्रत के दौरान हमेशा सात्विक भोजन ही करना चाहिए। क्योंकि सात्विक भोजन शरीर को सुस्ती, क्रोध और चिड़चिड़ेपन से दूर रखता है। इसे ताज़ा ही खाना चाहिए क्योंकि काफी देर का रखा हुआ या फिर बांसी भोजन सात्विक नहीं रह जाता।
कब और कैसे करें सात्विक भोजन
सात्विक भोजन का एक भाग कार्बोहाइड्रेट होना चाहिए क्योंकि ये हमारे शरीर के लिए आवश्यक है। इसके लिए आहार को 3 भागों में बांट लेना चाहिए।
1. पहले भाग में – भोजन का पहला भाग सुबह का नाश्ता कहलाता है। इस समय फल, शकरकंदी, कूटू का आटा, सेंधा नमक, सिंघाड़ा या फिर सिंघाड़े के आटे का बना हुआ कुछ खांए। आप चाहे तो आटे के पकौड़े भी बना सकती हैं।
2. मध्य भाग में – मध्य भाग यानि कि दोपहर का खाना। ये ऐसा होना चाहिए जो आपको आलस्य से दूर रखे। इसके लिए आलू की सब्जी, लौकी, तरोई, टिंडा, साबूदाना, मखाना, खजूर, संतरे व केले का सेवन करें।
3. तीसरे भाग में – भोजन का तीसरा भाग रात्रि भोजन कहलाता है। ये बिलकुल भी तला हुआ नहीं होना चाहिए इसलिए रात में पूड़ी का सेवन बिलकुल भी न करें। साथ ही रात के समय नमक भी ज्यादा न लें। अगर नमक खाना ही है तो व्रत के लिए सेंधा नमक ही प्रयोग में लाएं। इस समय के लिए आप हल्के खाने का ही सेवन करें। जैसे कि साबूदाना की खिचड़ी, मखाने, सिंघाड़े का हलवा आदि।
व्रत के दौरान क्यों खाना चाहिए सेंधा नमक
इस नमक की तासीर ठंडी होती है। ये वात, पित्त और कफ को खत्म करता है और उसे संतुलित रखता है। साथ ही शरीर की पाचन शक्ति को भी ठीक रखता है। इसमें प्रचुर मात्रा में आयोडीन, पोटैशियम और मैगनीज़ आदि शामिल होते है। यही वजह है कि ये पाचन शक्ति को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है। सेंधा नमक की खासियत ये होती है कि इसे थाइरोइड के मरीज़ भी अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।
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