टी ट्री ऑयल को टी ट्री के पत्तों से निकाला जाता है, जिससे जायफल जैसी महक आती है। दरअसल अठारहवीं सदी के लगभग नाविकों के एक समूह ने ऑस्ट्रेलियाई तट पर उगने वाले पेड़ से मिले पत्तों से चाय बनाकर पी ली। यह अलग किस्म का पेड़ था, जो एक औषधीय पेड़ के तौर पर भी विख्यात है। इसके कई फायदे हैं, जिसमें एक्ने, फंगल इंफेक्शन, कान के इंफेक्शन, एथलीट फुट, वजाइनल इंफेक्शन, रिंगवॉर्म आदि शामिल हैं। सीधे शब्दों में बोलें तो टी ट्री आयल इन हिंदी एक बेहतरीन एंटीसेप्टिक है।
Table of Contents
टी ट्री ऑयल क्या होता है? – What is Tea Tree Oil in Hindi?
टी ट्री ऑयल के फायदे – Tea Tree Oil ke Fayde
टी ट्री ऑयल के साइड इफेक्ट्स – Side Effects of Tea Tree Oil in Hindi
टी ट्री ऑयल क्या होता है? – What is Tea Tree Oil in Hindi?
टी ट्री का वैज्ञानिक नाम मेलेल्यूका ऑल्टरनिफोलिया है। टी ट्री एक छोटा पेड़ है, जो सिर्फ सात मीटर ऊंचा और झाड़ी की तरह दिखता है। इसके पेड़ की छाल सफेद और कागज की तरह बहुत पतली होती है। इसके पत्ते कोमल और चिकने होते हैं, जिसकी चौड़ाई 1 मिलीमीटर और लंबाई 10- 35 मिलीमीटर होती है।
कुछ लोग इस पेड़ को चाय का पौधा भी कहते हैं, जो आम चाय से बिल्कुल अलग है। इसके तेल का इस्तेमाल (tea tree oil uses in hindi) सालों से इलाज के लिए किया जाता रहा है। इस तेल में टेरपिनेन 4 ओएल होता है, जो आपकी सफेद रक्त कोशिकाओं की गतिविधि में वृद्धि करता है। यह बैक्टीरिया, वायरस और अन्य हानिकारक प्रभावों से लड़ने में मदद करता है। टी ट्री ऑयल प्राकृतिक तौर पर एंटी सेप्टिक, एंटी वायरल, एंटी माइक्रोबायल, एंटी इंफ्लेमेटरी, बैल्सेमिक और एंटी फंगल है।
टी ट्री ऑयल के फायदे – Tea Tree Oil ke Fayde
क्सर मौसम के बदलते मिजाज का असर हमारी त्वचा पर भी पड़ता है। हमारी त्वचा पर न केवल रैशेज पड़ जाते हैं बल्कि त्वचा रुखी, बेजान हो जाने के साथ ही एक्ने और इंफेक्शन का भी शिकार हो जाती है। इन सारी समस्याओं का इलाज केवल एक ही है, उसका नाम है टी ट्री ऑयल। टी ट्री ऑयल स्वस्थ के साथ-साथ खूबसूरती निहारने में भी मदद करता है। खूबसूरती निखारने में टी ट्री ऑयल बड़ी अहम भूमिका निभाता है। तो चलिए आपको टी ट्री ऑयल के फायदों के बारे में बताते हैं।
रुखी त्वचा के लिए – For Dry Skin
रूखी त्वचा यानी ड्राई स्किन के लिए टी ट्री ऑयल किसी वरदान से कम नहीं है। इसके इस्तेमाल के लिए 5 चम्मच टी ट्री ऑयल में एक चम्मच बादाम का तेल मिलाकर त्वचा पर मालिश करें। कुछ देर के लिए छोड़ दें और नार्मल पानी से चेहरा धो लें। इसका नियमित प्रयोग करने से आपकी त्वचा लंबे समय तक हाइड्रेटेड रहेगी। यह आपकी स्किन को त्वचा मुलायम, नरम और चमकदार बनाएगी।
टी ट्री ऑयल एक्ने-पिंपल्स के लिए – Removes Acne Pimples
आजकल एक्ने की समस्यां आम बात हो गयी है। जिसे कभी भी हलके में नहीं लेना चाहिए। हालांकि इनके होने की कोई एक वजह नहीं होती। ऐसे में टी ट्री ऑयल का उपयोग करना फायदेमंद होगा। टी ट्री ऑयल एक एसेंशियल ऑयल हैं जिसमें एंटीसेप्टिक और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं, जो एक्ने को दूर करने में मदद करता है। कई शोध बताते हैं कि एक्ने को कम करने के लिए टी ट्री ऑयल बेनजॉली पेरोक्साइड जितना लाभकारी है।
टी ट्री ऑयल डियोडरेंट का करे काम – Works as a Deodorant
कई लोग शरीर की बदबू से परेशान रहते हैं। वे कई तरह के डियोडरेंट का प्रयोग भी करते हैं लेकिन शरीर या पसीने की दुर्गंध जाती नहीं है। शरीर से निकलने वाली दुर्गन्ध दूसरों की नजर में आपका इम्प्रैशन खराब कर सकती है। ऐसे में टी ट्री आयल बेनिफिट्स (tea tree oil benefits in hindi) आपके काम आएँगे। चूंकि टी ट्री ऑयल एंटी बैक्टीरियल है तो यह पसीने या शरीर की गंध से भी लड़ता है।
घाव भरने के लिए टी ट्री ऑयल – For Wounds
घाव भरने के लिए भी टी ट्री ऑयल बहुत कारगर माना जाता है।यदि आपकी त्वचा पर कहीं कट गया है या घाव सा बन गया है तो भी टी ट्री ऑयल का प्रयोग लाभकारी रहेगा। कई शोधकर्ताओं के अनुसार टी ट्री ऑयल पुराने से पुराने घावों को भरने में भी मदद करता है। अगर शेविंग करते वक़्त त्वचा में कही कट आ जाता हैं तो टी ट्री ऑयल का इस्तेमाल कर सकते है। रुई पर कुछ बूंदें इस तेल की लगाकर सीधे कटी हुई त्वचा या घाव पर लगाइए। इससे त्वचा को सूदिंग अहसास होगा और राहत महूसस होगी।
फोड़ा, मस्सा और रिंगवर्म – Boils Wart and Ringworms
फोड़ा को ठीक करने के लिए भी टी ट्री ऑयल बहुत लाभकारी माना जाता है। मस्से को हटाने के लिए शुद्ध टी ट्री ऑयल का प्रयोग कीजिए। इसे दिन में दो बार लगाइए। लेकिन ध्यान रखिए कि आपकी त्वचा संवेदनशील न हो। यह रुखे और फटे होंठों को भी ठीक करता है। आपकी त्वचा को कई तरह से स्वस्थ और सुरक्षित रखने में मददगार है यह तेल। अगर आपको किसी तरह की एलर्जी हैं तो बार टी ट्री ऑयल के इस्तेमाल से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह मशवरा जरूर कर लें।
टी ट्री ऑयल करें रैशेज से बचाव – Protection from Worms and Rashes
यदि आप रैशेज से परेशान हैं तो टी ट्री ऑयल का इस्तेमाल करें। यह रैशेज से होने वाली खुजली और बैक्टीरिया से बचाव करता है। टी ट्री ऑयल कीड़ों के काटने से होने वाले खुजली या जलन में भी कारगर है। आप चाहें तो नहाने के पानी में कुछ बूंदें टी ट्री ऑयल मिलाकर नहाएं। इस तरह से आपको बैक्टीरिया या फंगस से होने वाली त्वचा संबंधी एलर्जी से बचाव होगा। त्वचा की खुजली और लालिमा में भी यह फायदेमंद है।
नाखूनों के लिए – For Healthy Nails
सुंदर नाखून आपकी पर्सनालिटी को अट्रैक्टिव बनाने का काम करता है। मगर कई लोग नाखून न बढ़ने और अन्हेल्थी नाखूनों की वजह से परेशान रहते हैं। नाखूनों में कई बार फंगल इंफेक्शन भी हो जाता है। इसे दूर करने के लिए हालांकि कई तरह की दवाइयां उपलब्ध हैं लेकिन इन दवाइयों के कई बार साइड इफेक्ट्स भी होते हैं। नाखूनों में हुए इंफेक्शन के लिए आप टी ट्री ऑयल का प्रयोग कर सकती हैं। यह कारगर नुस्खा है। चाहें तो सिर्फ टी ट्री ऑयल का प्रयोग करें या फिर नारियल तेल के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर भी लगा सकती हैं।
एग्जिमा के लिए टी ट्री ऑयल – Erosion of Eczema
हाथ पर होने वाला एग्जिमा जिंदगी जीने और खूबसूरती में बाधा उत्पन्न करता है। हाथ पर होने की वजह से यह जरा भी अच्छा नहीं दिखता। लेकिन जादुई टी ट्री ऑयल के जरिए एग्जिमा का इलाज भी संभव है। इसके लिए टी ट्री ऑयल में नारियल तेल और लैवेंडर ऑयल को बराबर मात्रा में मिलाएं। नहाने जाने से पहले इस मिश्रण को प्रभावित हिस्से पर लगाएं। धीरे- धीरे यह एग्जिमा को दूर कर देगा।
माउथवॉश के लिए – For Mouthwash
टी ट्री ऑयल में मौजूद एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल गुण दांतों को खराब होने और मुंह की बदबू से भी लड़ता है। अपने मुंह को हेल्दी बनाए रखने और बदबू को दूर रखने के लिए एक कप गरम पानी में दो- तीन बूंद टी ट्री ऑयल की मिलाएं और इस पानी से कुल्ला कर लें। ध्यान यह रखना है कि आपको इस पानी को निगलना नहीं है।
आंख में फुंसी के लिए टी ट्री ऑयल
आंखों में फुंसी एक तरह का दर्दनाक संक्रमण होता है, जो पलकों को प्रभावित करता है। ज्यादातर यह बैक्टीरिया के कारण होता है। ऐसे में ब्लेफेराइटिस (blepharitis) भी कहे जाने वाली इस समस्या से आराम पाने के लिए टी ट्री एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह कारगर और फायदेमंद माना जाता है। इस तेल में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो बैक्टीरिया को खत्म करके फुंसी में राहत दिलाते हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इसका इस्तेमाल कभी भी आंखों के अंदर न करें। आंखों के बाहरी हिस्से पर ही इसे लगाएं। अगर आपको आँखों में किसी तरह की एलर्जी या दर्द हैं तो टी ट्री ऑयल के इस्तेमाल से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
टी ट्री ऑयल बनाने की विधि
टी ट्री ऑयल बनाने की विधि एक तकनीकी प्रक्रिया है। साथ ही इसे बनाने के लिए जिन पत्तियों का उपयोग होता है वो भारत में या ऑनलाइन उपलब्ध नहीं हैं, जिसके कारण घर में टी ट्री ऑयल बनाना मुश्किल होगा। बेहतर आपको आप किसी अच्छे ब्रांड का टी ट्री ऑयल खरीद कर इस्तेमाल करें।
टी ट्री ऑयल के साइड इफेक्ट्स – Side Effects of Tea Tree Oil in Hindi
टी ट्री ऑयल को जहरीला माना जाता है। इसलिए आम तौर पर देखा जाए तो टी ट्री ऑयल का सेवन नुकसानदेह है। कई बार टी ट्री ऑयल का अधिक प्रयोग करने से स्किन पर जलन और इंफ्लेमेशन होने की आशंका रहती है। एक्ने के लिए इसका प्रयोग स्किन में ड्राईनेस और खुजली लेकर आ सकता है। वजाइनल इंफेक्शन के दौरान टी ट्री ऑयल का प्रयोग केवल बाहरी हिस्से में ही करना सही रहता है क्योंकि यह जहरीला होता है।
फटाफट सवाल और जवाब – FAQ’s
क्या टी ट्री ऑयल को सीधे स्किन पर लगाया जा सकता है?
टी ट्री ऑयल का एंटी- इंफ्लेमेटरी प्रभाव स्किन को दर्द से बचाता है और सूद भी करता है। स्किन से लालिमा और सूजन को भी कम करने में लाभकारी है। अमूमन यही सलाह दी जाती है कि टी ट्री ऑयल को किसी कैरियर ऑयल में मिलाकर ही स्किन पर लगाना चाहिए।
क्या टी ट्री ऑयल की एक्सपायरी डेट भी होती है?
ऑस्ट्रेलियन टी ट्री इंडस्ट्री एसोसिएशन के अनुसार, टी ट्री ऑयल की बोतल खुलने के छह महीने बाद तक इस्तेमाल में लाई जा सकती है।
टी ट्री ऑयल को किस तरह लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है?
इसे स्टेनलेस स्टील या लाइन्ड अल्यूमिनियम बोतल या कोबाल्ट ब्लू शीशे की बोतल में रखना सही रहता है। कभी भी टी ट्री ऑयल को प्लास्टिक की बोतल में नहीं रखें।
क्या टी ट्री ऑयल माउथवॉश के लिए सही विकल्प है?
माउथवॉश के दौरान ध्यान रखें कि टी ट्री ऑयल मुंह के अंदर न जाए। वैसे टी ट्री ऑयल युक्त प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल ठीक रहता है क्योंकि इन्हें बनाने के दौरान सुरक्षित पैरामीटर का ध्यान रखा जाता है।
टी ट्री ऑयल का अमूमन कितना उपयोग सही है?
टी ट्री ऑयल का डोज कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें इलाज की जरूरत, इसकी गंभीरता और टी ट्री ऑयल का कॉन्सन्ट्रेशन शामिल है।