राजस्थान, भारत का एक ऐसा राज्य है जो अपनी शौर्य की कहानियों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां कि शान-ओ-शौकत, संस्कृतित, पहनावा और यहां तक कि खाना भी हमेशा ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। राजस्थान को जितना अधिक इसकी रेत और भोजन के लिए जाना जाता है उतना ही अधिक इसे अपने खूबसूरत और शानदार किलों के लिए भी पहचाना जाता है। वैसे तो राजस्थान के हर किले से कोई ना कोई कहानी जुड़ी है लेकिन यहां एक ऐसा किला भी है जहां पर शाम के समय जाना मना है। माना जाता है कि शाम होते ही इस किले में आत्माएं भटकने ल जाती हैं और फिर जो भी यहां होता है वह लौट कर वापस नहीं जा पता है। जी हां, हम दरअसल, राजस्थान के मशहूर भानगड़ किले (bhangarh ka kila) के बारे में ही बात कर रहे हैं।
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भानगढ़ के किले का रहस्य क्या है? why bhangarh fort is haunted in hindi
वैसे तो इस किले का सच आज तक सामने नहीं आया है और ना ही कभी इसकी आधिकारिक पुष्टि की गई है कि किले में भूत है कि नहीं है लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि भानगड़ के किले (bhangarh kila) में सही में भूत है और इस वजह से यहां पर सूर्यास्त के बाद किसी को भी जाने की अनुमति नहीं दी जाती है। बता दें कि भानगढ़ का किला राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के पास स्थित है, यह किला देखने में काफी सुंदर है और इसका निर्माण साल 1583 में आमेर के राजा भगवंत दास ने कराया था।
कौन थी राजकुमारी रत्नावती?
भानगढ़ के किले (भानगढ़ का किला) के भूतिया माने जाने के पीछे वैसे तो बहुत सारी कहानियां प्रचलित हैं लेकिन इन्ही में से एक कहानी जो सबसे अधिक लोकप्रिय है वो है राजकुमारी रत्नावती की, जो बहुत ही खूबसूरत रानी थीं। वह भानगढ़ (भानगढ़ की कहानी) की राजकुमारी थीं और उनकी सुंदरता के चर्चे दूर-दूर तक हुआ करते थे। यहां तक कि उनसे विवाह करने के लिए कई राजा-महाराज बेताब थे। महल में उनके स्वयंवर की तैयारी चल रही थी लेकिन इसी बीच एक तांत्रिक सिंधिया की बुरी नज़र रत्नावती पर पड़ गई। वह उन्हें पाने के लिए पागल हो गया और उसने सोचा था कि वह अपने तंत्र-मंत्र से राजकुमारी को अपने वश में कर लेगा।
तांत्रिक ने किया था काला जादू
तांत्रिक ने यही सोचकर राजकुमारी (why bhangarh fort is haunted in hindi) का पीछा करना शुरू कर दिया और एक आखिरकार एक दिन उसे राजकुमारी पर काला जादू करने का मौका मिल गया। दरअसल, रत्नावती एक दिन अपनी सहेलियों और दासी के साथ बाजार गईं थी। तभी तांत्रिक भी उनके पीछे-पीछे इत्र की दुकान पर पहुंच गया और मौका मिलते ही उसने इत्र की शीशी पर काला जादू कर दिया और वहीं दुकान की पास वाली पहाड़ी पर जाकर छिप गया। लेकिन रत्नावती काफी होशियार थीं और इस वजह से उन्होंने जैसे ही इत्र की शीशी उठाई तो उन्हें एहसास हो गया कि इसमें कुछ गड़बड़ है और शायद इसके ऊपर काला जादू किया गया है यही कारण है कि उन्होंने उस शीशी को पहाड़ी की तरफ फेंक दिया और उसी पहाड़ी पर तांत्रित भी छिपा हुआ था। वो इत्र की शीशी सीधे जाकर तांत्रिक के सिर पर लगी और वह घायल हो गया।
आती है औरतों और बच्चों के रोने और चीखने की आवाज़
इस कहानी में कितनी सच्चाई है ये तो हम नहीं जानते हैं लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि किले के पास औरतों के चीखने और रोने की आवाजें सुनाई देती हैं। यहां तक कि कुछ लोग ये भी बोलते हैं कि शाम के वक्त किले के पास जाने पर उन्हें लगता है कि कोई उनका पीछा कर रहा है और कुछ लोगों ने किले के अंदर परछाइयों के दिखने के बारे में भी बताया है। इसी वजह से भानगढ़ के किले (भानगढ़ फोर्ट) को भूतिया माना जाता है।
क्यों शाम के बाद नहीं मिलती किले में जाने की अनुमति
दरअसल, माना जाता है कि शाम के समय किले में परछाइयां दिखाई देती हैं और इसी वजह से किले (bhangarh fort story in hindi) के अंदर किसी को जाने की अनुमति नहीं दी जाती है।
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