देवी भागवत में 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का जिक्र है। वहीं देवी पुराण में 51 शक्तिपीठ बताए गए हैं। ये वो जगहें जो कलियुग में आस्था का क्रेंद हैं। नवरात्र के पावन मौकों पर यहां लाखों की संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं। पुराणों की मानें तो जहां-जहां देवी सती के अंग के टुकड़े, वस्त्र और गहने गिरे, वहां-वहां मां के शक्तिपीठ बन गए। भारत के अलावा उसके पड़ोसी देशों में भी कुछ शक्तिपीठ हैं।
आइए जानते हैं कि ये 51 शक्तिपीठ कहां-कहां स्थित हैं।
शक्तिपीठ क्या होता है?
शिव पुराण की मान्यता के अनुसार, जब सती बिन बुलाए अपने पिता के घर गईं और वहां पर दक्ष के द्वारा अपने पति का अपमान सहन न कर सकने पर उन्होंने अपनी काया को अपने ही तेज से भस्म कर दिया। भगवान शंकर यह शोक सह नहीं पाए और उनका तीसरा नेत्र खुल गया, जिससे चारों ओर प्रलय मच गई। भगवान शंकर ने माता सती के पार्थिव शरीर को कंधे पर उठा लिया और जब शिव अपनी पत्नी सती की जलती पार्थिव देह को दक्ष प्रजापति की यज्ञ वेदी से उठाकर ले जा रहे थे, तब विष्णु ने सती के अंगों को अपने चक्र से 51 भागों में बांट दिया। इसके बाद माता सती के अंग और आभूषण जिन स्थानों गिरे वहां-वहां शक्ति पीठ का उदय हुआ। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।
देवी माता के 51 शक्तिपीठ के नाम और स्थान | List of 51 Shakti Peethas in Hindi
1. हिंगलाज माता मंदिर, बलूचिस्तान प्रांत (पाकिस्तान)
ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती का सिर गिरा था। गुफा रूप में स्थित इस मंदिर में माता विग्रह के कोट्टरी रूप में विराजमान है। इस मंदिर की विशेषता है कि यहां किसी भी प्रकार का दरवाजा नहीं है। पाकिस्तान में होने के बावजूद भी इस मंदिर में हर साल हिंदुस्तान हजारों भक्त मां के इस शक्तिपीठ के दर्शन करने जाते हैं।
2. नैना देवी मंदिर, नैनीताल (हिमाचल प्रदेश)
यहां देवी सती माता की आंख गिरी थी। इस कारण इसे नयना या नैना देवी के नाम से जाना जाता है।
3. आरासुरी अंबाजी मंदिर, जूनागढ़ (गुजरात)
अम्बाजी मंदिर गुजरात और राजस्थान की सीमा के पास अरासुर पहाड़ी पर स्थित है। यह 358 स्वर्ण प्रतिमाओं वाला भारत का एकमात्र शक्तिपीठ है। ऐसी मान्यता है कि यहां माता सती के ह्दय का कुछ भाग गिरा था। मंदिर का रंग उजला सफेद होने के कारण इसे धौला गढवाली माता के नाम से भी जाना जाता है।
4. गुह्येश्वरी माता मंदिर, काठमांडू (नेपाल)
माना जाता है कि यहां पर माता सती का गुह्या अंग गिरा था। यह स्थान बागमती नदी के तट पर प्रसिद्व पशुपतिनाथ मंदिर के समीप स्थित है।
5. दंतकाली मंदिर, बिजयापुर (नेपाल)
यहां माता सती का दांत गिरे था, जिस वजह से इसका नाम दंतकाली पड़ा। मां का यह मंदिर नेपाल के बिजयापुर गांव में स्थित है
6. ज्वालादेवी, कांगडा (हिमाचल प्रदेश)
माना जाता है कि सभी शक्तिपीठ में ये मां का जागृत स्वरूप है। यहां माता सती की जीभ गिरी थी। यहां अखण्ड ज्योति जलती रहती है। जिस कारण इसे ज्वाला मुखी अथवा ज्वालपा भी कहा जाता है।
7. महामाया मंदिर, जम्मू-कश्मीर
कश्मीर की खूबसूरत वादियों में बसे इस शक्तिपीठ में देवी के महामाा स्वरूप को पूजा जाता है। कहा जाता है कि माता सती के गले का हिस्सा गिरा था।
8. मानस शक्तिपीठ, मानसरोवर (तिब्बत)
मानस शक्तिपीठ तिब्बत के मानसरोवर तट पर स्थित है। जहां माता की दाहिना हथेली गिरी थी। यहां की शक्ति की दाक्षायणी तथा भैरव अमर हैं। मनसा देवी को भगवान शिव की मानस पुत्री के रूप में पूजा जाता है।
9. तारा तारिणी, गंजाम (उड़ीसा)
यह माना जाता है कि देवी माता सती का स्तन कुमारी पहाड़ियों पर गिरा जहां तारा तारिणी पीठ स्थित है। यह भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है, जो उड़ीसा के ब्रह्मपुर शहर के पास तारा तारिणी पहाड़ी पर स्थित है।
10. विमला शक्तिपीठ, बिराज (उड़ीसा)
इस जगह पर माता की नाभि गिरी थी। यहां देवी मां विमला स्वरूप की पूजा की जाती है। ये मंदिर पुरी में जगन्नाथ मंदिर परिसर के भीतर ही स्थित है।
11. कामाख्या, गुवाहाटी (असम)
नीलांचल पर्वत के कामाख्या स्थान पर माता का योनि भाग गिरा था। यहां माता की महामुद्रा योनि कुण्ड की पूजा होती है।
12. कालीघाट शक्तिपीठ, कोलकाता
यह पीठ स्थान हुगली नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित है। कोलकाता के कालीघाट में माता के बाएँ पैर का अंगूठा गिरा था। यह भारत का सबसे प्रसिद्ध और सिद्ध काली मंदिर है।
13. श्रीउमा शक्तिपीठ, वृंदावन (उत्तर प्रदेश)
यहां माता सती के केश गिरे थे, इसका प्रमाण शास्त्रों में मिलता है। बताया जाता है कि राधारानी ने भी श्रीकृष्ण को पाने के लिए इस शक्तिपीठ की पूजा की थी।
14. रामगिरि शक्तिपीठ, चित्रकूट (उत्तर प्रदेश)
चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर माता सती का वक्ष गिरा था। यहां पर कुछ लोग माता को शिवानी भी कहते हैं।
15. प्रयाग शक्तिपीठ, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
मान्यता है कि यहां पर सती का हस्तांगुल गिरा था। मान्यता है कि पवित्र संगम में स्नान के पश्चात इस महाशक्तिपीठ में दर्शन-पूजन से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।
16. विशालाक्षी शक्तिपीठ, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
यह शक्तिपीठ वाराणसी में मणिकर्णिका घाट के पास स्थित है। उत्तर प्रदेश के इस स्थान पर माता सती की मणिकर्णिका गिरी और वे विशालाक्षी और मणिकर्णी रूप में प्रसिद्ध हुईं।
17. पंच सागर शक्तिपीठ, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
मान्यता है कि यहां पर माता की निचली दाढ़ गिरी थी, जिसका नाम पड़ा वाराही। यहां सती ‘वाराही’ तथा शिव ‘महारुद्र’ के स्वरूप की पूजा होती है।
18. सुगंधा-सुनंदा शक्तिपीठ, शिकारपुर (बांग्लादेश)
इस शक्तिपीठ में मां की नासिका गिरी थी। बांग्लादेश के शिकारपुर में बरिसल से करीब 20 किमी दूर सोंध नदी है। इसी नदी के पास स्थित है मां सुगंधा शक्तिपीठ।
19. यशोरेश्वरी शक्तिपीठ, ढाका (बांग्लादेश)
मान्यता है कि यहां माता सती की हथेलियां गिरी थीं। माता की शक्ति को यशोरेश्वरी और भैरव को चण्ड कहते हैं।
20. श्रीशैल महालक्ष्मी शक्तिपीठ, सिलहट (बांग्लादेश)
मान्यता है कि यहां माता सती का गला (ग्रीवा) गिरा था। इस देवी की शक्ति है महालक्ष्मी और भैरव को शम्बरानंद कहते हैं।
21. अपर्णा शक्ति पीठ, बागुरा (बांग्लादेश)
मान्यता है कि करतोया तट के पास स्थित इस स्थल पर माता की पायल गिरी थी। अपर्णा का अर्थ है, जो भगवान शिव को अर्पित है।
22. चट्टल भवानी शक्तिपीठ, चिट्टागौंग (बांग्लादेश)
मान्यता है कि इस पवित्र स्थल पर माता सती की दायीं भुजा गिरी थी।
23. मां त्रिपुरमालिनी मंदिर, जालंधर (पंजाब)
पंजाब के जालंधर छावनी के पास देवी तलाब है जहां माता का बायां वक्ष (स्तन) गिरा था। यहां की शक्ति ‘त्रिपुरमालिनी’ तथा भैरव ‘भीषण’ हैं।
24. महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर (महाराष्ट्र)
यह शक्तिपीठ महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है। यहां माता सती का ‘त्रिनेत्र’ गिरा था। इस मंदिर में माता महिषासुरमर्दनी का निज निवास माना जाता है।
25. कन्याश्राम, कन्याकुमारी (तमिल नाडु)
कन्याश्रम में माता का पीठ गिरी थी। इस शक्तिपीठ को सर्वाणी के नाम से जाना जाता है। कन्याश्राम को कालिकशराम या कन्याकुमारी शक्ति पीठ के रूप में भी जाना जाता है।
26. सावित्री शक्ति पीठ, कुरुक्षेत्र (हरियाणा)
ऐसा माना जाता है कि कुरुक्षेत्र में शक्तिपीठ श्री देविकूप भद्रकाली मंदिर में माता सती का दाहिना पैर गिरा था।
27. मणिबंद मणिदेविक शक्तिपीठ,अजमेर (राजस्थान)
पुष्कर के पास गायत्री पहाड़ के पास स्थित है जहां माता की कलाई गिरी थी। इसकी शक्ति है गायत्री और भैरव को सर्वानंद कहते हैं।
28. कांची कामाक्षी देवी शक्तिपीठ, कांचीपुरम (तमिलनाडु)
यहां की शक्ति है मां ‘देवगर्भा’ तथा भैरव यानी शिव को ‘रुरु’ कहते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यहां देवी देह का कंकाल गिरा था जबकि अन्य मतों के अनुसार यहां देवी देह पर पहना हुआ आभूषण ‘उत्तियाना’ जो की पेट पर धारण किया जाता है वह गिरा था लेकिन यहां के पुरोहितों का कहना है की ये नाभि पीठ है यहां मां की नाभी का निपात हुआ था।
29. कालमाधव शक्तिपीठ, अमरंकटक (मध्य प्रदेश)
मान्यता है कि यहां पर देवी सती का बायां कूल्हा गिरा था। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि यहां पर सती का कंठ गिरा था, जिसके बाद यह स्थान अमरकंठ और उसके बाद अमरकंटक कहलाया।
30. जय दुर्गा वैद्यनाथ, देवघर (झारखंड)
झारखंड के देवघर में स्थित वैद्यनाथ धाम जहां माता का हृदय गिरा था, जिस कारण यह स्थान ‘हार्दपीठ’ से भी जाना जाता है।
31. शुचि-नारायणी शक्तिपीठ, कन्याकुमारी (तमिलनाडु)
तमिलनाडु के कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग पर शुचितीर्थम शिव मंदिर है, जहां पर माता के ऊपरी दांत गिरे थे।
32. अवंतिका देवी शक्तिपीठ, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
शिप्रा नदी के तट के पास भैरव पर्वत पर माता के ऊपरी ओष्ठ यानि कि होंठ गिरे थे। इसे अवंतिका यानी उज्जैन की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है।
33. हरसिद्धि शक्तिपीठ, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
उज्जैन के इस स्थान पर सती की कोहनी का पतन हुआ था। अतः यहां कोहनी की पूजा होती है। ये मंदिर काफी प्रख्यात है।
34. कर्णाट शक्तिपीठ, कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)
इस जगह पर माता सती के दोनों कान गिरे थे। यहां देवी की जयदुर्गा या जयदुर्ग और भगवान शिव की अबिरू के रूप में पूजा की जाती है।
35. भ्रामरी, नासिक (माराष्ट्र)
माता सती की ठुड्डी नासिक के इस स्थान पर गिरी थी। भंवरों से घिरी होने के कारण इसे भ्रामरी कहा जाता है।
36. माता सुरकंडा, टिहरी गढवाल (उत्तराखण्ड)
ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती का सिर धड से अलग होकर गिरा था। यहां माता की दुर्गा के रूप में पूजा होती है।
37. मां सर्वानंदकारी, पटना (बिहार)
पटना के गुलजारबाग रेलवे स्टेशन के निकट है यह माता का शक्तिपीठ। यह भी माना जाता है कि देवी सती का “पट” यानि उनका कपड़ा पटना में गिरा था और देवी को छोटी पटन देवी कहा जाता है।
38. चिन्तपूर्णी, ऊना (हिमाचल प्रदेश)
ऐसा माना जाता है की इस स्थान पर देवी सती का पैर गिरा था और चिंतपूर्णी में विराजमान देवी को छिन्नमस्तिका के नाम से भी जाना जाता है।
39. मिथिला शक्तिपीठ, भारत नेपाल सीमा, जनकपुर
मिथिला शक्तिपीठ में माता सती का “बायां स्कंध” गिरा था। यहाँ माता सती को ‘महादेवी’ और शिव भगवान को ‘महोदर’ कहा जाता है।
40. रत्नावली कुमारी, हुगली (पश्चिम बंगाल)
रत्नावली शक्ति पीठ में माता सती का दाहिना कंधा गिरा था। यह पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में स्थित है।
41. माता चंद्रभागा, सोमानाथ मंदिर (गुजरात)
कपिला, हिरण्या एवं सरस्वती नदी के त्रिवेणी संगम पर शमशान भूमि के निकट सोमनाथ ज्योतिरलिंग के समीप है मां सती के शरीर का अंग उदर/आमाशय देवी चंद्रभागा के रूप में जाना जाता है।
42. विभाष- कपालिनी शक्तिपीठ, मेदिनीपुर (पश्चिम बंगाल)
यहां माता सती का बायां टखना गिरा था। मेदिनीपुर के इस मंदिर को भीमाकाली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
43. युगाद्या- भूतधात्री शक्तिपीठ, क्षीरग्राम (पश्चिम बंगाल)
पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के खीरग्राम स्थित युगाद्या में माता दायें पैर का अंगूठा गिरा था।
44. माता जयंती, सिल्हैट (बांग्लादेश)
बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के जयंतीया परगना के कालाजोर के खासी पर्वत पर माता की बायीं जंघा गिरी थी।
45. माता त्रिपरसुंदरी (त्रिपुरा)
बांसवाड़ा जिले में स्थित त्रिपुरा सुंदरी माता का मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि राजनैतिक क्षेत्र में यह देवी मां राजनेताओं की संकट मोचन देवी के रूप में ख्यात हो चुकी हैं।
46. श्रीपर्वत सुंदरी, लद्दाख (जम्मू एवं कश्मीर)
लद्दाख के पर्वत पर माता के दाएं पैर की पायल गिरी थी। इसकी शक्ति है श्रीसुंदरी और भैरव को सुंदरानंद कहते हैं।
47. छिन्नमस्तिका माता मंदिर, रामगढ़ (झारखंड)
दुनिया के दूसरे सबसे बड़े शक्तिपीठ के रूप में विख्यात मां छिन्नमस्तिके मंदिर काफी लोकप्रिय है। उनके पांव के नीचे विपरीत रति मुद्रा में कामदेव और रति शयनावस्था में हैं।
48. मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार (उत्तराखंड)
कहा जाता है कि जिस स्थान पर आज माता मनसा देवी का मंदिर है, यहां सती माता के सिर का अगला भाग गिरा था।
49. मैहर, सतना (मध्य प्रदेश)
मैहर का अर्थ है मां का हार और यहां मां सती का हार गिरा था। तभी से यह पावन स्थान र्तिथ के रूप में जाना जाने लगा।
50. विंध्यवासिनी शक्तिपीठ, मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश)
ऐसी मान्यता है यहां मां विंध्यवासिनी जागृत स्वरूप में विराजती हैं. वहीं यह शक्ति पीठ भारत के अन्य 51 शक्ति पीठों शामिल है, लेकिन यह उनसे बिलकुल अलग है. सिर्फ यहीं पर आदिशक्ति के पूर्ण स्वरूप की पूजा होती है.
51. देवी नंदिनी, वीरभूम (पश्चिम बंगाल)
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में मां सती का भ्रूण भी गिरा है, जहां उन्हें महिषमर्दिनी नाम से पूजा जाता है।