एक समय था जब भारत देश में एलोपैथिक दवाओं से पहले आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से बीमारी का इलाज किया जाता था। प्रकृति की गोद में हजारों-लाखों ऐसी जड़ी-बूटियां है, जो हर तरह की बीमारी के लिए कारगर हैं। इन्हीं में से एक है शतावरी। आयुर्वेद में शतावरी को ‘जड़ी-बूटियों की रानी’ कहा जाता है। शतावरी में कई तरह की बिमारियों का इलाज छिपा है। यह न सिर्फ महिलाओं के स्तन दूध में वृद्धि करता है बल्कि बढ़े हुए वजन को घटाने में भी कारगर है। शतावरी में कई पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। इस लेख में हम आपको शतावरी के गुण और शतावरी के फायदे (shatavari ke fayde) के बारे में बता रहे हैं। मगर उससे पहले जान लेते हैं आखिर शतावरी है क्या (shatavari kya hai)। कीवी के फायदे और नुकसान
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क्या है शतावरी? – Shatavari Kya Hai
प्रकृति के खजाने में ऐसी कई जड़ी-बूटियां हैं, जिनका इस्तेमाल लंबे समय से शरीर से जुड़ी हर समस्या का इलाज करने के लिए किया जाता है। ऐसी ही एक जड़ी-बूटी है शतावरी। आयुर्वेद में शतावरी सबसे पुरानी जड़ी-बूटियों में से एक है। यह बेल या झाड़ के रूप में उगती है। इसकी लता फैलने वाली, और झाड़ीदार होती है। एक-एक बेल के नीचे कम से कम 100 या उससे अधिक जड़ें होती हैं। इन जड़ों के ऊपर भूरे रंग का, पतला छिलका रहता है। इस छिलके को निकाल देने से अन्दर दूध के समान सफेद जड़ें निकलती हैं। इन जड़ों के बीच में कड़ा रेशा होता है, जो गीली एवं सूखी अवस्था में ही निकाला जा सकता है, इसे ही शतावरी कहते हैं। आमतौर पर इसे शतावर के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल सदियों से औषधि के रूप में किया जाता रहा है।
शतावरी के लाभ – Shatavari Benefits in Hindi
शतावरी के गुण खासतौर पर महिलाओं से संबंधित समस्याओं के लिए जाने जाते हैं। एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से युक्त होने के कारण शतावरी तनाव और बढ़ती उम्र की समस्यायों में भी बेहद लाभकारी है। पिछले कई सालों से अलग-अलग प्रकार से शतावरी के लाभ (shatavari benefits in hindi) उठाए जा रहे हैं। कई प्रकार बीमारियों की रोकथाम और इलाज में शतावरी का प्रयोग किया जाता है। शतावरी के फायदे कई रूप में हैं। इनमें से कुछ हम आपको यहां बताने जा रहे हैं। जानिए ‘जड़ी-बूटियों की रानी’ शतावरी के फायदे (shatavari ke fayde)।
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स्तन दूध बढ़ाए
सदियों से शतावरी का इस्तेमाल स्तन दूध बढ़ाने के लिए किया जाता है। जिन महिलाओं को मां बनने के बाद स्तन दूध कम आने की समस्या से जूझना पड़ता है उन्हें शतावरी का सेवन करना चाहिए। इस जड़ी-बूटी को दूध में मिलकर सेवन करने से स्तन दूध में वृद्धि होती है। वैसे आयुर्वेद की दुकान में आपको शतावरी के बने-बनाये डिब्बे भी मिल जायेगे, जिसमें शतावरी पाउडर फॉर्म में होता है। इसकी एक चम्मच एक गिलास दूध में सुबह-शाम लेने से स्तन दूध कम नहीं पड़ता।
हड्डियां मजबूत बनाए
शरीर में कैल्शियम की कमी से हड्डियां कमजोर होती हैं यहां तक कि टूट भी सकती हैं। शतावरी के गुण शरीर में कैल्शियम की कमी को दूर करते हैं। कैल्शियम हड्डियों के निर्माण, हड्डियों के विकास और हड्डियों से जुड़ी समस्याओं से बचाव का काम करता है। यही वजह है कि दूध के साथ शतावरी का सेवन करने से हड्डियां मजबूत रहती हैं।
वजन घटाए
आपको जानकर हैरानी होगी कि शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने वाला शतावरी वजन घटाने में भी बेहद सहायक है। दरअसल, वजन घटाने के लिए फाइबर युक्त और कम कैलोरी वाली डाइट की सलाह दी जाती है। शतावरी में कैलोरी की कम मात्रा पाई जाता है। यही वजह है कि शतावरी का सेवन वजन घटाने का काम भी करता है।
माइग्रेन का करे इलाज
आजकल की तनाव भरी ज़िंदगी में सिर दर्द और माइग्रेन एक आम समस्या बन गई है। अगर आप भी माइग्रेन जैसी समस्या से गुजर रहे हैं तो इसमें भी शतावरी आपकी काफी मदद कर सकती है। शतावरी में मौजूद राइबोफ्लेविन (Riboflavin) नामक विटामिन माइग्रेन से निजात दिलाने में मदद करता है।
अनिद्रा दूर करे
आजकल लोगों में नींद न आने की समस्या भी अधिक देखने को मिल रही है। अनिद्रा से ग्रसित लोग पूरी रात बिना सोये गुजार देते हैं। इस कारण दिन के समय भी उनका मन किसी काम में नहीं लगता। साथ ही यह समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक देखने को मिलती है। अगर आप भी अनिद्रा की समस्या से जूझ रहे हैं तो शतावरी आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं।
शतावरी में पौष्टिक तत्व
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शतावरी में कई तरह के पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। शतावरी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, शुगर की संतुलित मात्रा के साथ कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम और जिंक जैसे मिनरल्स भी पाए जाते हैं। इसके अलावा शतावरी में विटामिन डी2 डी3, विटामिन बी 6, बी 12 और विटामिन डी की मात्रा पाई जाती है। साथ ही शतावरी औषधीय गुणों से भरपूर है। आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में विभिन्न औषधियों को बनाने के लिए हर साल 500 टन शतावरी की जड़ों की जरूरत पड़ती है।
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