आजकल बहुत कम उम्र में ही चेहरे पर एजिंग के लक्षण जैसे झुर्रियां, फाइन लाइन्स, डार्क स्पॉट्स आदि देखने को मिल रहे हैं। चेहरे पर बढ़ती उम्र के इन प्रभाव को रोकने के लिए महिलाएं 25 से 26 की उम्र से एंटी एजिंग क्रीम लगाना शुरू कर देती हैं। लेकिन जब इन उत्पादों का प्रभाव उनके बच्चे पर भी पड़ता है, तो उन्हें अपने स्किन केयर रूटीन में कुछ बदलाव करने की जरूरत होती है।
प्रेग्नेंसी व ब्रेस्टफीडिंग के फेज के दौरान महिलाओं की त्वचा की जरूरतें बदल जाती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन दोनों ही स्थिति में शिशु माँ द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे स्किन केयर उत्पाद के संपर्क में आता है। यही वजह है कि जब महिलाएं मदरहुड की जर्नी में कदम रखती हैं, तो उन्हें अपने स्किन केयर रुटीन को बदलने की आवश्यकता होती है।
चेहरे पर बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने के लिए बेहतरीन टिप्स
गर्भवती व ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँ को बेबी के लिए सेफ स्किन केयर प्रोडक्ट्स पर स्विच करना होता है। इस दौरान चेहरे पर बढ़ती उम्र के लक्षण को रोकने के लिए कैसे प्रोडक्ट्स सुरक्षित होते हैं, नीचे इसी से संबंधित जानकारी लेकर आए हैं।
1. त्वचा को साफ करने के लिए
प्रेग्नेंसी व पोस्ट प्रेग्नेंसी महिलाओं की त्वचा काफी सेंसिटिव हो जाती है। ऐसे में हो सकता है कि आपका नियमित फेसवॉश या फेशियल क्लींजर आपको इतना फायदा न करे। इस समय आपको ऐसे फेसवॉश की जरूरत है जो आपकी त्वचा के लिए माइल्ड हो। नैचुरल इंग्रीडिएंट्स से तैयार किया गया हो, जो त्वचा को जरूरी विटामिन्स प्रदान करने के साथ नरिश करे।
आप चाहें तो ह्यालुरोनिक एसिड युक्त फेसवॉश का चुनाव कर सकती हैं। यह त्वचा को मॉइश्चराइज रखता है। विटामिन-सी युक्त फेसवॉश भी एक बेहतर विकल्प हो सकता है, क्योंकि यह त्वचा को स्वस्थ रखता है। वहीं, नियासिनामाइड त्वचा को साफ और चमकदार बनाता है।
2. त्वचा के पीएच स्तर को नियंत्रित रखता है टोनर
न्यू मॉम्स की त्वचा हार्मोनल बदलावों की वजह से कई सारे बदलावों का सामना करती है। ऐसे में टोनर से त्वचा के पीएच स्तर को नियंत्रित रखें। हमेशा ऐसे टोनर को लें जिसमें एल्कोहॉल व सल्फेट और पैराबींस जैसे हानिकारक केमिकल्स मौजूद न हो। बात करें मां के लिए टोनर की तो प्राकृतिक सामग्रियों से तैयार टोनर उनके लिए बेहतर होगा। यह त्वचा को हाइड्रेट करने के साथ पोर्स को साफ रखता है।
त्वचा के लिए विटामिन-सी या विटामिन-बी 5 युक्त टोनर ले सकती हैं। क्योंकि यह त्वचा को स्वस्थ रखने के साथ पोष तत्व प्रदान करता है।
3. मॉइश्चराइजर
त्वचा की सही देखभाल के लिए ‘सीटीएम’ रूटीन फॉलो करना आवश्यक है। क्लींजिग, टोनिंग के बारे में तो लेख में ऊपर बता ही चुके हैं। अब बारी आती है मॉइस्चराइजर की। त्वचा को हाइड्रेट व नरिश रखने के लिए एक अच्छे मॉइश्चराइजर को अपने रूटीन का हिस्सा बनाना न भूलें। बेहतर होगा यदि आप विटामिन-सी युक्त मॉइश्चराइजर को अपनी किट में शामिल करेंगी।
4. आंखों के लिए
शिशु के होने के कुछ महीनों तक मां की रातों की नींद उड़ जाती है। ऐसे में अगली सुबह आंखों की थकान नजर आना लाजमी है। आंखों में डार्क सर्कल से बचाव के लिए आई क्रीम लगाकर मसाज करें। इससे आंखों की सूजन दूर होगी और सर्कुलेशन भी बेहतर होगा।
आई क्रीम में एंटीऑक्सीडेंट व त्वचा को टाइट करने वाले इंग्रीडिएंट्स जैसे कॉफी बींस हो तो इसके काफी सकारात्मक परिणाम नजर आ सकते हैं। यह डार्क सर्कल को हल्का करने के साथ आंखों के आस-पास की झुर्रियों को भी कम करने में सहायक हो सकती है। नैचुरल इंग्रीडिएंट्स युक्त नाइट क्रीम आपके लिए एक बेहतर चॉइस होगी।
5. एंटी एजिंग फेस ऑयल
एजिंग प्रॉसेस को धीमा करने के लिए सही स्किन केयर रूटीन के साथ एक एंटी-एजिंग प्रोडक्ट का इस्तेमाल करना जरूरी है। ऐसे में फेस मसाज ऑयल और जेड रोलर के कॉम्बिनेशन से बढ़कर क्या हो सकता है। त्वचा पर फेस ऑयल लगाने से स्किन का टेक्सचर व इलास्टिसिटी यानी लोच में सुधार होता है।
जेड रोलर की मदद से ब्यूटी ऑयल त्वचा में अच्छे से अवशोषित होता है। इससे त्वचा की कोशिकाएं पुनर्जीवित होने के साथ रक्त परिसंचरण में सुधार हो सकता है। चेहरे की मांसपेशियों को टोन करने के लिए भी इसके फायदे देखे जा सकते हैं।
रोजाना फेस ऑयल और जेड रोलर का सेशन न सिर्फ मन को शांत करता है, बल्कि फाइन लाइन्स को कम कर त्वचा को ग्लोइंग बनाता है। हमेशा ऐसा फेस ऑयल लें, जो नॉन-कॉमेडोजेनिक होने के साथ त्वचा को सॉफ्ट रखे और एंटी-एजिंग प्रभावों से भरपूर हो।
6. नाइट क्रीम
अपने स्किन केयर रुटीन में नाइट क्रीम को शामिल करना न भूलें। हमारी त्वचा रात को सोते वक्त सबसे ज्यादा रिपेयर होती है। इसलिए स्किन की एजिंग के प्रोसेस को स्लो करने के लिए स्किन का नाइट रूटीन बेहतर होना जरूरी है। रात को हमेशा फेस वॉश से चेहरा साफ करने के बाद बेबी के लिए सेफ एंटी एजिंग नाइट क्रीम जरूर लगाएं।
मॉम्स के लिए सुरक्षित और बेहतर नाइट क्रीम की बात करें तो इसकी सामग्री में बाकूचियोल होना चाहिए। यह त्वचा में कोलेजन को बूस्ट करने के साथ एजिंग के लक्षणों को घटाने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, नाइट क्रीम नियासिनामाइड, ह्यालुरोनिक एसिड, विटामिन-ई युक्त हो तो यह त्वचा को जवां रखने में मददगार हो सकती है।
तो ये थी मॉम के लिए स्किन एजिंग के लक्षणों को कम करने के लिए जरूरी टिप्स। उम्मीद करते हैं लेख में दी गई जानकारी आपके बहुत काम आएगी। ध्यान रखें प्रेग्नेंट व ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को बेबी सेफ प्रोडक्ट्स का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
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