इस्लामिक मान्यता के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि रमजान के महीने में रोजा रखने का अर्थ केवल रोजेदार को उपवास रखकर, भूखे-प्यासे रहना नहीं,बल्कि अपने ईमान को बनाए रखना, दूसरों की मदद करना, सभी को एक नजर से देखना, बुरे विचारों का त्याग करना होता है। रोजे का अर्थ है अपने गुनाहों की माफ़ी माँगना। कुरान में भी रमजान के महत्व का ज़िक्र किया गया है…जैसे रोजे की दुआ करना, ज़कात और फितरा के बारे में। रमजान का महीना मुसलमानों के लिए सबसे पाक, पवित्र माना जाता है। रमजान के महीने में क़ुरान ज़्यादा पढना नेकी का काम बताया गया है। तो चलिए जानते हैं रमजान कब है और रोज़े क्यों रखे जाते हैं?
रमजान कब है? – Ramzan Kab Hai 2023
रमजान का महीना हर मुसलमान के लिए बहुत मायने रखता है। माना जाता है कि रमजान में रोजे रखना, तराबीह की नमाज़ पढ़ना, कुरान की तिलावट (पढ़ना) करना, जकात देना इंसान के सवाब (पुण्य) को कई गुना बढ़ा देते हैं। अब बात करते हैं कि हर साल आने वाला रमजान का महीना कब से शुरू (when is ramzan) होने वाला है। दरअसल इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना रमजान का महीना (ramzan ka mahina) होता है और यह चांद पर निर्भर करता है कि रमजान कब से हैं। इस हिसाब से जैसे ही अगला चांद दिखेगा, रमजान का पाक महीना शुरू हो जाएगा। लेकिन शुरुआती चांद इतना बारीक होता है कि हर जगह इसका दिख पाना मुमकिन नहीं होता। ऐसे में काज़ी (धर्मगुरु) का यह फर्ज होता है कि वे पुख्ता करके यह ऐलान करें कि रमजान का चांद दिख गया है। बता दें कि अरब देशों में रमजान का महीना भारत के मुकाबले एक दिन पहले ही शुरू हो जाता है। इसलिए जब वहां चांद दिख जाता है तो उसके अगले दिन से भारत के मुसलमान रोजे रखना शुरू कर देते हैं। तारीख की बात करें तो इस साल रमजान का महीना 22 या 23 (ramzan date) मार्च से शुरू होने वाला है।
Ramadan Date
रमजान क्या है – What is Ramadan in Hindi
रमजान के शाब्दिक अर्थ की बात करें तो रमजान एक अरबी शब्द है, जो अरबी भाषी के शब्द अल रमद से बना है। इसका मतलब होता है चिलचिलाती गर्मी और सूखापन। माना जाता है कि सूरज की गर्मी में रोजेदारों यानी रोजा रखने वालों के गुनाह (पाप) साफ जाते हैं, मन पाक (पवित्र) हो जाता है और दिल में आने वाले बुरे ख्याल खत्म हो जाते हैं। आम दिनों में एक के बदले 10 नेकियां मिलती हैं लेकिन रमजान में खुदा अपने रोजेदार बंदों को एक के बदले 70 नेकियां देता है। इस महीने में पढ़ी जाने वाली फर्ज नमाज़ों का सवाब (पुण्य) 70 गुणा बढ़ जाता है और शायद इसीलिए इसे (what is ramjaan) रहमतों और बरकतों का महीना भी कहते हैं।
What is Ramadan in Hindi
रोजे क्यों रखे जाते हैं ? – About Ramzan in Hindi
इस्लाम के बुनियादी पांच पिलर हैं जिनके बिना इस्लाम मुकम्मल नहीं होता है। पहला ईमान, दूसरा नमाज़, तीसरा रोजा, चौथा ज़कात और पांचवा है हज। इसका मतलब यह है कि रमजान इस्लाम के पांच पिलर में से एक है और इसलिए हर मुसलमान पर रोजा रखना फर्ज़ (अनिवार्य) है। कुरआन में अल्लाह ने फरमाया है कि रोजा तुम्हारे ऊपर इसलिए फर्ज़ है ताकि तुम खुदा से डरने वाले बनो और खुदा से डरने का मतलब है अपने अंदर विनम्रता और नरमी लाना। रोजे रखने के पीछे एक मान्यता यह भी है कि रोजे में भूखे-प्यासे रहकर गरीबों की भूख-प्यास को महसूस किया जा सके। इसके अलावा रमजान के महीने में रोजा रखने के पीछे तर्क दिया जाता है कि इस दौरान इंसान बुरी आदतों से दूर रहने के साथ-साथ खुद पर भी काबू रखता है।
About Ramzan in Hindi
रमजान का महीना तीन हिस्सों में बंटा होता है
इस्लाम के मुताबिक, रमजान के महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है, जिसे पहला, दूसरा और तीसरा अशरा कहते हैं। अरबी भाषा में अशरा का मतलब 10 होता है। शुरुआत के 10 दिन रहमत का अशरा होते हैं। माना जाता है कि शुरुआती 10 रोज़ों में बंदों पर अल्लाह की रहमत होती है। रमजान के 11वें से 20वें रोजे तक मगफिरत यानी गुनाहों की माफी का अशरा होता है। इस अशरे में लोग अल्लाह की इबादत कर अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं और अल्लाह अपने रोजेदार बंदों के गुनाहों को माफ कर देता है। तीसरा और आखिरी अशरा खुद को जहन्नुम की आग से बचाने के लिए होता है। जो 21वें रोजे से शुरू होकर 30वें रोजे तक चलता है। यह अशरा सबसे अहम माना जाता है। तीसरे अशरे में खुद को जहन्नुम की आग से बचाने के लिए दुआ मांगी जानी चाहिए। रमजान के इस अशरे में कई मुस्लिम पुरुष और महिलाएं एहतकाफ में बैठते हैं। बता दें कि एहतकाफ में 10 दिन तक एक जगह बैठकर अल्लाह की इबादत की जाती है।
रमजान का महत्व – Importance of Ramzan in Hindi
मजान के धार्मिक महत्व की बात करें तो इसी महीने में अल्लाह की किताब कुरआन की पहली सूरत दुनिया में उतरी थी या यूं कह लें कि रमजान के महीने में ही कुरआन का अवतरण हुआ था। कहते हैं कि इस महीने में जन्नत (स्वर्ग) के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और दोजख यानी जहन्नुम (नर्क) के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं। रमजान के महीने में नफील नमाज़ों का सवाब फर्ज नमाज के बराबर माना जाता है। जिस दिन रमजान का चांद दिखता है, उसी रात से खास नमाज़ अदा की जाती है, जिसे तराबीह कहते हैं। यह रमजान के तीसों दिन इशा की नमाज के बाद अदा की जाती है। रमजान के महीने में जकात (दान) देना भी आवश्यक होता है क्योंकि रमजान के पांच स्तंभ में से एक जकात भी है। ज़रूरतमंदों को खाना खिलाना,सामान बांटना, गरीबों को पैसे देना और उनकी ज़रूरतों को पूरा करने को ही जकात कहते हैं।
Importance of Ramzan in Hindi
क्या रोजे छोड़े जा सकते हैं?
वैसे तो रोजा रखना हर मुसलमान पर फर्ज़ है लेकिन कुछ परिस्थितियों में रोजा छोड़ा जा सकता है, जैसे गर्भवती महिलाएं, दूध पिलाने वाली मां, छोटे बच्चे, बूढ़े, बीमार लोग, पीरियड्स में व सफर के दौरान रोजे छोड़े जा सकते हैं। हालांकि चुस्त-दुरुस्त होते हुए भी रोजे न रखना गुनाह माना जाता है। बता दें कि अरब देशों में रमजान महीने में अगर कोई इंसान कुछ खाता-पीता नज़र आता है तो उसे सज़ा दी जाती है और कई बार जेल भी भेज दिया जाता है। इसके अलावा रोजा रखकर जानबूझ कर तोड़ना भी गुनाह माना गया है।
रमजान से जुड़े सवाल-जवाब (FAQ’s)
हां, रमजान में छोड़े गए रोजों को बाद के किसी भी महीने में रखा जा सकता है।
नहीं, क्योंकि रोजा सूरज निकलने से पहले शुरू होता है और सूरज डूबने पर खत्म। इसलिए हर जगह रोजे के सहरी और इफ्तार का टाइम अलग-अलग होता है।
हां, क्योंकि तराबीह की नमाज़ सुन्नत है और सुन्नत नमाज़ छोड़ी जा सकती है।
रोजे के दौरान सेक्स करना सख्त मना है। लेकिन इफ्तार के बाद यानी रोजा खोलने के बाद इन्टीमेट हो सकते हैं
नहीं, यह सिर्फ एक मिथ है। इसके अलावा रोजा रखकर सोने से भी रोजा नहीं टूटता।
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