अनुलोम विलोम योग का एक ऐसा प्राणायाम है, जो बच्चे से लेकर बूढ़ा व्यक्ति भी कर सकता है। इसे करने में कोई शारीरिक मेहनत भी नहीं लगती है लेकिन अनुलोम विलोम प्राणायाम के लाभ बहुत हैं। बल्कि इतने हैं कि इन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे और रोजाना इसे करना शुरू कर देंगे। इस प्राणायाम का मुख्य उद्देश्य शरीर की ऊर्जा बहन करने वाली सभी नाड़ियों को शुद्धिकरण करके पूरे शरीर का पोषण करना है। योग में अनुलोम विलोम प्राणायाम (anulom vilom pranayama) को किसी अमृत से कम नहीं समझा जाता है। इसे कोई भी कर सकता है, किसी भी उम्र का व्यक्ति भी। बस कुछ नियम और सावधानियों का पालन करना जरूरी होता है। ताकि आपको इससे ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सकें। तो आइए जानते हैं अनुलोम विलोम करने का सही समय, अनुलोम विलोम कैसे करें और साथ ही जानें अनुलोम विलोम के चमत्कार व नुकसान के बारे में भी।
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अनुलोम विलोम प्राणायाम क्या है? – Anulom Vilom in Hindi
अनुलोम का अर्थ सीधा और विलोम का अर्थ उल्टा होता है। इस प्राणायाम की मुख्य विशेषता यह है कि इसे करने में दाएं और बाएं नासिका छिद्रों से क्रमबद्ध तरीके से सांस लिया और छोड़ा जाता है। अनुलोम विलोम प्राणायाम (anulom vilom in hindi) को नाड़ी शोध प्राणायाम के नाम से जाना जाता है। क्योंकि इससे नाड़ी या पल्स की सफाई होती है। हमारे शरीर में 72 करोड़ 72 लाख कुछ नाड़िया मिलती है जो आपके शरीर के हर क्रिया प्रक्रिया हर ऑर्गन से जुड़ी होती है। इसमें तीन मुख्य नाड़ी है सूर्य नाड़ी, चंद्र नाड़ी और मुद्रा नाड़ी है। नाड़ियों को साफ करने के लिए इस प्राणायाम को प्राचीन समय से किया जा रहा है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में ऋषि-मुनि स्वयं को निरोग रखने के लिए इस प्रकार की योग क्रियाओं का अभ्यास किया करते थे।
अनुलोम विलोम कैसे करें – How to do Anulom Vilom in Hindi
कहते हैं जहां भोग है वहां रोग है। जहां योग है वहां निरोग, लेकिन गलत योग रोगी बना सकता है। यानी योग करते समय सावधान रहें। अगर आप अनुलोम विलोम प्राणायाम करते हैं तो बहुत अच्छी बात है, लेकिन अनुलोम विलोम करने का समय सही होने के साथ ही इसे सही ढंग से करना भी उतना ही जरूरी है। सुबह-सुबह अनुलोम विलोम करने का सही समय है। सुबह की ताजी हवा के बीच अनुलोम-विलोम (anulom vilom pranayama) ज्यादा कारगर तरीके से काम करता है। वैसे आप इसे शाम के समय में भी कर सकते हैं लेकिन दिन के भोजन के 4 से 5 घंटे बाद ही। आइए इसी के साथ जानते हैं अनुलोम विलोम योग करने के सही तरीके के बारे में –
- अनुलोम विलोम का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले ध्यान की अवस्था में बैठ जाएं।
- इस दौरान आप पालथी मारकर जमीन पर बैठें और आंखें बंद रखें।
- कमर और स्पाइन को सीधा रखें और हाथों को घुटनों पर रखें।
- अपनी सांसो को स्थिर करें।
- अपने शरीर को रिलैक्स छोड़ दें और एक गहरी सांस लें।
- सांस लेने में जोर न लगाएं, जितना हो सके उतनी गहरी सांस लें।
- फिर अपने दांए हाथ की उंगलियों को ज्ञान मुद्रा में लाएं और बाएं हाथ की उंगलियों से नासिकाग्र मुद्रा बनाएं।
- उसके बाद अब बांए हाथ की अनामिका उंगली से दांए नथुने को बंद करें और बांए नथुने से सांस लें। अब बाएं हाथ के अंगूठे से बाएं नथुने को बंद करें और दाएं नथुने से सांस छोड़ें।
- अब बाएं नथुने को बंद रखते हुए ही दाएं नथुने से फिर एक गहरी सांस भरें।
- फिर अनामिका उंगली से दाएं नथुने को बंद कर लें और बाएं नथुने से सांस छोड़ें।
- इसी अभ्यास को कम से कम पांच से सात बार दोहराएं और फिर सामान्य पदमासन में आ जाएं।
- इस प्रक्रिया को आप रोज करीब 10 मिनट कर सकते हैं।
अनुलोम विलोम के चमत्कार – Anulom Vilom Benefits in Hindi
प्रतिदिन नियमित रूप से अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे एक नहीं बल्कि अनेक होते हैं। इस प्राणायाम से सांसों का शुद्धिकरण होने से पूरे नाड़ी तंत्र का शोधन होता है। योग गुरुओं के अनुसार अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से लगभग हर तरह की बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। इसे करने से मन और मस्तिष्क, दोनों ही स्वस्थ रहते हैं। नियमित रूप से सही अनुलोम विलोम प्राणायाम करने की विधि करने से कई चमत्कारी फायदे होते हैं। तो आइए एक नजर डालते हैं अनुलोम विलोम के चमत्कार (anulom vilom in hindi,) पर –
अनुलोम विलोम से मधुमेह में फायदे
जिन लोगों को मधुमेह यानि डायबिटिज की शिकायत है उन्हें रोजाना कम से कम 10 से 15 मिनट अनुलोम विलोम प्राणायाम जरूर करना चाहिए। इससे शरीर में ब्लड शुगर का लेवल कम हो सकता है। साथ ही टाइप 2 डायबीटिज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है।
अनुलोम विलोम का कैंसर में लाभ
कैंसर आज के समय एक आम बीमारी बनती जा रही है। यदि कैंसर से बचाव करना है तो अनुलोम विलोम योग को अपने डेली रूटीन में शामिल करें। नियमित अनुलोम-विलोम का अभ्यास करने से कैंसर से बचाव होता है। इससे शरीर में मौजूद गंदगी बाहर निकल जाती है।
अनुलोम विलोम रखे दिल का ख्याल
वैसे ह्रदय रोगियों को अनुलोम विलोम प्राणायाम करने की मनाही है लेकिन यदि आप इस समस्या से बचना चाहते हैं तो अभी से इसे रोजाना करना शुरू कर दें। क्योंकि लोम-विलोम एक ब्रीथिंग एक्सरसाइज है, इसमें सांस को नियंत्रित करने के साथ-साथ ह्रदय की गति और उसमें आए परिवर्तन को भी नियंत्रित किया जाता है। इससे हार्टफेल व अन्य ह्रदय संबंधी रोग होने की अशंका कम हो जाती है।
कब्ज में अनुलोम विलोम के फायदे
अगर आपको कब्ज की शिकायत रहती है तो अपने डेली रूटीन में 5 से 10 मिनट अनुलोम विलोम प्राणायाम जरूर करें। इसे करने से शरीर एक्टिव रहता और पाचन क्रिया सुचारू रूप काम करती है। नाड़ी शोधन कब्ज से राहत दिलाता है।
अनुलोम विलोम से वेटलॉस
भले आपको ये अजीब लगे कि भला एक नॉर्मल सी ब्रीथिंग एक्सरसाइज से वजन कैसे कम किया जा सकता है? लेकिन ये सच है। अनुलोम विलोम प्राणायाम से चर्बी या फैट की मात्रा को कम कर वजन को नियंत्रित किया जा सकता है। अपने वजन को संतुलित करने के लिए रोजाना अनुलोम विलोम प्राणायाम करें इसके अभ्यास से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है।
अनुलोम विलोम का गठिया में लाभ
गठिया होने पर जोड़ों में असहनीय दर्द होता है। वृद्धावस्था में अनुलोम-विलोम प्राणायाम योगा करने से गठिया, जोड़ों का दर्द व सूजन आदि शिकायतें तक दूर हो जाती हैं। यदि आप शुरू से अनुलोम विलोम प्राणायाम करते आ रहे हैं तो बुढ़ापे में भी आपको गठिया की शिकायत नहीं होगी।
अनुलोम विलोम का डिप्रेशन पर असर
अनुलोम विलोम एक योग प्रक्रिया है जो आपके दिमाग को शांत रखती है। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, अनुलोम विलोम करने व्यक्ति चिंता, तनाव व डिप्रेशन आदि से दूर रहता है। आजकल की भागदौड़ भरी लाइफ में तनाव मुक्त रखने के लिए अनुलोम विलोम योग बेस्ट ऑप्शन है।
कपालभाति और अनुलोम विलोम के फायदे
कपालभाति और अनुलोम विलोम प्राणायाम योग में उल्लिखित सबसे अच्छे श्वास अभ्यासों में से एक हैं। इन दोनों ही रोजाना करने से स्वास्थ्य, त्वचा, सौन्दर्य और बालों के लिए बहुत सारे फायदे हैं। कपालभाति और अनुलोम विलोम दोनों ही ब्रीथिंग एक्सरसाइज हैं बस इन्हें करने का तरीका अलग-अलग होता है। लेकिन फायदे लगभग एक जैसे ही होते हैं। कपालभाति और अनुलोम विलोम (anulom vilom in hindi) की हर तकनीक में सांसों का विशिष्ट अनुपात और सांस अंदर लेने और बाहर छोड़ने का एक निश्चित अवधि होती है। और यह सब पहली बार इनका अभ्यास करने वाले और इनके अभ्यास में अनुभवी लोगों में अलग-अलग हो सकता है। से करने से मन और मस्तिष्क, दोनों ही स्वस्थ रहते हैं। तो आइए जानते हैं कपालभाति और अनुलोम विलोम के फायदे के बारे में –
- इससे मोटापा, डायबटीज, कब्ज़, गैस, भूख ना लगना और अपच जैसे पेट के रोग ठीक होते हैं।
- इस प्राणायाम से सांसों का शुद्धिकरण होने से पूरे नाड़ी तंत्र का शोधन होता है और इससे शरीर स्वस्थ रहता है।
- कपालभाति और अनुलोम विलोम करने से ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रोल कंट्रोल में रहता है।
- अनुलोम विलोम प्राणायाम से स्किन डिटॉक्स होती है और एक्ने, मुंहासे व दाग-धब्बों आदि से छुटकारा मिलता है, साथ स्किन ग्लो भी करती है।
- अनुलोम विलोम प्राणायाम ऐसी योग प्रक्रिया है, जो शारीरिक और मानसिक रूप से आपको शांत करने का काम करेगी।
- खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़कर रक्त शुद्ध होने लगता है और इससे तमाम तरह के रोगों से छुटकारा मिल जाता है।
- प्रतिदिन अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से वातरोग एवं सर्दी, जुकाम, सायनस, खांसी, टॉन्सिल, अस्थमा, आदि समस्त कफ रोग दूर होते हैं।
- इससे सिरदर्द, माइग्रेन, मानसिक तनाव आदि दूर होता है।
- अनुलोम विलोम करने से एकाग्रता बढ़ती है। पढ़ाई-लिखाई करने वाले लोगों को इस प्राणायाम के अभ्यास से बहुत फायदा मिलता है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम के नुकसान
- नासिका शुष्क होने का डर रहता है
- एलर्जी की समस्या हो सकती है
- सांसों के अनियंत्रित गति से ब्रेन सेल्स को नुकसान हो सकता है
- बेहोशी या चक्कर
- सांस का फूलना
- लो ब्लड प्रेशर की समस्या
- उल्टी हो जाना।
अनुलोम विलोम प्राणायाम से जुड़े सवाल-जवाब FAQs
अनुलोम विलोम प्राणायाम सुबह और शाम के समय खाली पेट करना ज्यादा लाभदायक माना जाता है। रोजाना 10 बार इसका अभ्यास जरूर करना चाहिए।
अनुलोम विलोम प्राणायाम यूं तो हर साधारण व्यक्ति कर सकता है। लेकिन जिन्हें दिल से संबंधित रोग, स्लिप डिस्क, लोअर बैक पेन, हर्निया है या फिर ऑपरेशन हुये ज्यादा समय नहीं हुआ है उन लोगो को इसे नहीं करना चाहिए।
अनुलोम विलोम प्राणायाम रोजाना 5 से 15 मिनट तक करना चाहिए। आप अपनी सुविधानुसार इसका समय कम ज्यादा कर सकते हैं।
अनुलोम-विलोम (anulom vilom pranayama) सुबह के समय कम से कम 5 से 10 राउंड जरूर करना चाहिए। इससे नाड़ियों का शोधन होता जिससे शरीर स्वच्छ व निरोगी बना रहता है।
गर्भावस्था के शुरूआती कुछ महीनें कठिन होते हैं और ऐसे में ज्यादातर डॉक्टर्स कुछ नया ट्राई करने की सलाह नहीं देते हैं। लेकिन 6 से 9 महीने की अवधि के बीच अनुलोम-विलोम प्राणायाम किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
व्यायाम और प्राणायाम में काफी अंतर होता है। व्यायाम में आप बिना रूके मेहनत करते हैं और पसीना बहाते हैं। लेकिन आसन और प्राणायाम में काफी अंतराल होता है, जिसमें आप सांसों को स्थिर कर योग करते हैं। इसीलिए व्यायाम के बाद प्राणायाम करना बेहतर है ताकि आपकी सांसे स्थिर हो सकें और शरीर को भी आराम मिले।
अनुलोम विलोम को ही नाड़ी शुद्धि प्राणायाम कहा जाता है। क्योंकि इसमें शरीर की अशुद्धियों को दूर करने के लिए सांस लिया और छोड़ा जाता है। नाड़ी शोधन प्राणयाम से रक्त में मौजूद अशुद्धियां साफ होती हैं और खून में ऑक्सीजन का स्तर भी बढ़ जाता है।
वैसे तो अनुलोम विलोम प्राणायाम खाली पेट करना चाहिए। लेकिन शाम के समय यदि आप ये प्राणायाम कर रहे हैं तो दिन के भोजन से 4-5 घंटे का अंतर होना चाहिए।
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