वायु प्रदूषण यानि एयर पॉल्यूशन मौसमी नहीं होता। हवा में प्रदूषण की मात्रा हमेशा बदलती रहती है। प्रदूषण के स्तर में बदलाव आम तौर पर वाहनों और औद्योगिक स्रोतों के अलावा बहुत सी चीजों पर निर्भर करता है। डंपयार्ड भले ही आपसे काफी दूर स्थित हो, लेकिन वहां कचरा जलाए जाने से हवा प्रदूषित होती है और मौसम के अनुरूप वातावरण में फैल जाती है। घर के अंदर की हवा, बाहर की हवा के मुकाबले कुछ साफ हो सकती है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि घर के अंदर की हवा में विषैले तत्व नहीं होते और ये विषैले तत्व आपके शरीर को जो नुकसान पहुंचाते हैं, इसके अलावा इस मौसम में खांसी, जुकाम और बंद नाक की समस्या भी पैदा कर देते हैं।
पॉल्यूशन से शरीर को खासा नुकसान
कार्बन, धूल, मिट्टी एवं अन्य प्रदूषकों के बहुत छोटे कण हवा में फैल जाते हैं और ये उस तरह दिखाई नहीं देते, जैसे वाहनों या चिमनियों से निकलने वाला धुआं दिखता है। लेकिन न दिखने के बावजूद ये पॉल्यूशन यानि वायु प्रदूषण हमारे शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक होता है। सांस के साथ शरीर के अंदर जाकर ये कण हमारी सांस की नलियों तथा फेफड़ों को अवरुद्ध कर सकते हैं। यही वजह है कि इस मौसम में सर्दी- जुकाम और फ्लू जैसी बीमारियां होना बहुत आम है और अस्थमा, क्रोनिक आॅब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज़ (सीओपीडी) एवं सांस की अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए यह मौसम बहुत नुकसानदेह हो सकता है। जानिए छींक रोकने के घरेलू उपाय
खोलें बंद नाक और सांस की नली
खासतौर पर घर के बाहर की हवा में विषैले तत्व मौजूद हैं। इसके प्रमुख कारणों में वाहनों का प्रदूषण भी शामिल है। हवा में फैले विषैले तत्व एवं कण दिखाई भी नहीं देते, लेकिन जब ये कण सांस की नली में प्रवेश करते हैं, तो ये नाक को बंद कर देते हैं और अगर ये लंबे समय तक शरीर में रहते हैं, तो शरीर में बलगम जम जाता है। ऐसे में हम आपको इस मौसम में फैले प्रदूषण से बचने में मदद करने के लिए कुछ इसेंशियल ऑयल के इस्तेमाल का सुझाव दे रहे हैं। इसके लिए आप यूकेलिप्टस, लेमन और टीट्री जैसे औषधीय गुणों वाले इसेंशियल ऑयल की कुछ बूंदें एक रूमाल पर छिड़क लें और मुंह व नाक को कुछ देर के लिए इससे ढक लें। इससे बंद नाक और सांस की नली खुलेगी और आपको काफी राहत महसूस होगी।
(सोलफ्लावर के मैनेजिंग डायरेक्टर अमित सारदा से बातचीत पर आधारित)
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