सामान्य बारिश की शुरुआत के साथ, पीलिया रोग (jaundice) अपने पांव पसारने लगता है। गर्मी और बरसात के दौरान और बाद में पीलिया के मरीज ज्यादा बढ़ जाते हैं। दूषित भोजन या पानी के सेवन पीलिया होने की आशंका रहती है। इसमें मरीज की त्वचा से लेकर आंखें, नाखून, पेशाब का रंग पीला हो जाता है। साथ ही लिवर कमजोर होकर ठीक से काम करना भी बंद कर देता है। पीलिया शरीर के अनेक भागों को अपना शिकार बनाता है और शरीर को बहुत हानि पहुंचाता है। सही समय पर पीलिया का इलाज न करवाने की अनदेखी भारी पड़ सकती है। अगर आप पीलिया से पीड़ित हैं तो इन उपायों को आजमा कर जल्द सामान्य हो सकते हैं। तो आइए पीलिया के लक्षण (piliya ke lakshan), कारण, इलाज के साथ यह भी जानते हैं कि पीलिया में क्या खाना चाहिए और इसमें क्या-क्या सावधानी बरतनी होती है।
पीलिया क्या होता है – Jaundice Kya Hota Hai
वायरल हैपेटाइटिस या ज्वाइंडिस को लोग आम बोल चाल की भाषा में पीलिया कहते हैं। क्योंकि इस दौरान स्किन का कलर सामान्य से हटकर पीले रंग जैसा दिखने लगता है। यह रोग बहुत ही सूक्ष्म विषाणु (वाइरस) से होता है। शुरू में जब रोग के लक्षण (piliya ke lakshan in hindi) दिखाई भी नहीं पड़ते हैं, लेकिन जैसे-जैसे ये बढ़ता जाता है रोगी की आंखे व नाखून पीले दिखाई देने लगते हैं। पीलिया को संस्कृत में ‘कामला’ कहा जाता है। कामला शब्द का अर्थ एक ऐसी बीमारी है जो सभी इच्छाओं को नष्ट कर देती है। साइंस की भाषा में कहें तो रक्तरस में पित्तरंजक नामक एक रंग होता है, जिसके ज्यादा हो जाने से त्वचा और श्लेष्मिक कला में पीला रंग आ जाता है। इस दशा को ही पीलिया (Jaundice) कहते हैं।
पीलिया क्यों होता है – Piliya Kyu Hota Hai
बहुत से लोग जानते हैं कि पीलिया बरसात के मौसम में फैलता है लेकिन इसके अलावा इस अवधि में पीलिया का कारण (piliya kaise hota hai) बनने वाले बदलाव क्या हैं? आइए एक नज़र डालते हैं पीलिया के कारणों पर –
गंदा पानी
पीलिया एक ऐसी बीमारी है जो बारिश के मौसम में शरीर को प्रभावित करती है। इन दिनों पीलिया के रोगियों में वृद्धि देखी जा रही है। पीलिया एक छूत की बीमारी है और अशुद्ध पानी के सेवन के बाद होने की अधिक संभावना रहती है। बारिश के दिनों में कई जगहों पर दूषित पानी की सप्लाई होना एक समस्या है। अगर आपका इम्युनिटी सिस्टम कम है और आप कहीं भी पानी पी लेते हैं, तो आपको इससे पीड़ित होने की अधिक आशंका हो सकती है।
दूषित खाद्य पदार्थ के सेवन से
गंदे, सड़े-गले व कटे हुए फल खाने, खुले में रखी मिठाई व अन्य खाद्य पदार्थ जिन पर मक्खियां मंडराती हों, का सेवन करने से भी पीलिया होता है।
मलेरिया और टाइफाइड के बाद
आपकी कोशिकाएं मलेरिया और टाइफाइड के बाद सिकुड़ती हैं। यह तब है जब आपको पीलिया होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए आपको सावधान रहने की जरूरत है।
अधिक जंक फूड का सेवन
अगर आपको बाहर खाने की आदत है, तो यह पीलिया का कारण हो सकता है। बारिश में बाहरी गतिविधियों में इस्तेमाल किया गया पानी आपके लिए कष्टप्रद हो सकता है। अगर आप इन दिनों लगातार बाहर खा रहे हैं, तो आपको अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है।
ज्यादा शराब का सेवन करने से
शराब के अत्यधिक सेवन से आपके लीवर की सूजन भी हो सकती है। इससे पीलिया भी हो सकता है। यदि आप बहुत अधिक शराब पीते हैं, तो यह पीलिया भी पैदा कर सकता है। पीलिया होने के बाद लीवर कमजोर हो जाता है और यही वजह है कि इनके रोगियों को शराब का सेवन करने की मनाही होती है।
पीलिया के प्रकार – Types of Jaundice in Hindi
- हेपेटोसेल्युलर पीलिया (Hepatocellulr Jaundice)
- हेमोलिटिक पीलिया (Hemolytic Jaundice)
- ऑब्सट्रक्टिव पीलिया या पोस्ट हिपोटिक पीलिया (Obstructive Jaundice)
पीलिया के लक्षण – Jaundice Symptoms in Hindi
अगर आप जानना चाहते हैं कि क्या आपको पीलिया है, तो इसके कुछ लक्षण होते हैं, जो कि धीरे-धीरे नजर आने लगते हैं। अगर आपको बुखार है लेकिन अगर पीलिया भी है तो इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। इसीलिए पीलिया के शुरुआती लक्षण (jaundice symptoms in hindi) के बारे में भी जानकारी जरूर होनी चाहिए ताकि आप दोनों में अंतर पहचान पाएं। सामान्य तौर पर पीलिया रोग के लक्षण तीन से छः सप्ताह के बाद ही रोगी में दिखने लगते हैं। तो आइए जानते हैं इनके बारे में –
कब्ज की दिक्कत होना
पीलिया के दौरान कब्ज का होना भी आम बात है। इस दौरान पेट साफ नहीं होता है। इस दौरान पेट का मेटाबॉलिज्म खराब हो जाता है। यह आपके पेट को प्रभावित करता है और आपको कब्ज से पीड़ित करता है।
पेशाब का रंग ज्यादा पीला होना
पीलिया में, लाल रक्त कोशिकाएं बिलीरुबिन में परिवर्तित हो जाती हैं। फिर इसे पित्त में बदल दिया जाता है। यह मूत्र के माध्यम से उत्सर्जित होता है। बिलीरुबिन के स्तर में वृद्धि से मूत्र का पीलापन होता है। यदि यह मात्रा बढ़ जाती है, तो मूत्र गहरा पीला हो जाता है।
वजन का घटना
पीलिया में कुछ भी खाने की इच्छा मर जाती है। यह आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। आपका तेजी से वजन कम होने लगता है। इसलिए आप अधिक असहज महसूस करते हैं।
बहुत ज्यादा थकान महसूस होना
बहुत ज्यादा थकान महसूस होनाबुखार के बाद थकान महसूस होना सामान्य है। लेकिन अगर आपको हल्का बुखार है लेकिन आप लगातार थकान महसूस करते हैं, तो आपको पीलिया हो सकता है। इसलिए, इसे समय पर परीक्षण करने की आवश्यकता है।
पेट में दर्द रहना
पित्त पथरी के कारण पीलिया में पेट दर्द होता है। पीलिया के बाद भी ये दिक्कत कम नहीं होती है। लीवर की समस्या की तरह ही इसमें भी पेट फूलना और बीच-बीच में तेज दर्द होने लगता है।
त्वचा के रंग में परिवर्तन
पीलिया पूरे शरीर में फैलने के बाद ही इसके लक्षण दिखाई देते हैं। पीलिया रोग के लक्षण में सबसे पहले आपको अपनी त्वचा के रंग में बदलाव होता नजर आने लगेगा। आपके गुलाबी दिखने वाले नाखून पीलिया के कारण पीले दिखने लगेंगे। साथ आपकी स्किन का कलर भी पीला होने लगेगा।
आंखों का रंग दिखेगा पीला
जिस तरह आपके नाखून और त्वचा पीले पड़ जाते हैं, उसी तरह आपकी आंखें भी। पीलिया की जांच के लिए आपकी आंखों और नाखूनों की जांच की जाती है। अगर आपकी आंखों का सफेद भाग पीला नजर आ रहा है तो ये पीलिया रोग के लक्षण (piliya ke lakshan in hindi) हो सकते हैं।
पीलिया के शुरुआती लक्षण –
- रोगी को बुखार रहना।
- भूख न लगना।
- हथेलियां भी हलकी पिली दिखना
- तला-भुना खाने का मन न होना
- जी मिचलाना और उल्टियां होना।
- सिर में दर्द होना।
- दोनों आंखों पर हल्का पीला रंग चढ़ जाना
- सिर के दाहिने भाग में दर्द रहना।
- आंख व नाखून का रंग पीला होना।
- पूरा शरीर पीला-पीला पड़ना
पीलिया में क्या खाना चाहिए – Jaundice Diet in Hindi
नवजात शिशुओं में पीलिया आम है। लेकिन जॉन्डिस की बीमारी किसी को भी प्रभावित कर सकती है। पीलिया के विभिन्न कारण हैं, जिनमें से एक यकृत की सूजन है। हम जो कुछ भी खाते हैं या पीते हैं वह लीवर द्वारा संसाधित होता है। इस प्रक्रिया के दौरान अपशिष्ट और अन्य विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकाला जाता है। लेकिन अक्सर कुछ गलत खाने और पीने से इस प्रक्रिया पर बुरा असर पड़ सकता है। यह रक्त में बिलीरुबिन नामक अपशिष्ट उत्पाद का निर्माण करता है। यह पीलिया का कारण बनता है। अगर समय रहते पीलिया का इलाज नहीं किया गया तो ये परेशानी बढ़ा सकता है। इसीलिए पीलिया में परहेज (jaundice diet in hindi) करने की बेहद आवश्यकता होती है। तो आइए जानते हैं पीलिया में क्या खाना चाहिए –
पीलिया में दही
पीलिया में दही का सेवन जरूर से करना चाहिए। क्योंकि दही में मौजूद बैक्टीरिया पीलिया रोग से लड़ने में सहायक होते हैं। इसमें प्रोबायोटिक्स प्रतिरक्षा को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। यह सीरम बिलीरुबिन के स्तर को नीचे लाता है। इसके लिए रोजाना एक कोटरी दही में चीनी या नमक डालकर जरूर खाएं।
पीलिया में फिटकरी
पीलिया रोग यानी जॉइंडिस में व्यक्ति के शरीर में खून की कमी होने लगती है, भूख मर जाती है। पीलिया में फिटकरी का सेवन करने से ये रोग जड़ से खत्म हो जाता है। इसके लिए फिटकरी को तवे पर सेक कर फूला लें। जब फूल जाएं तब उसे पीस लें और रोजना पानी के साथ फांके।
पीलिया में अनार
अनार एक ऐसा फल है जो एनिमियाऔर पीलिया दोनों में ही बेहद असरदायक होता है। पीलिया में अनार का सेवन जरूर से करें। पीलिया के उपाय के लिए 250 मिली अनार के रस में, 750 ग्राम चीनी मिलाकर चाशनी बना लें। इसे दिन में 3-4 बार सेवन करें।
पीलिया और मूली
पीलिया के मरीज को मूली के पत्ते व रस पीने की सलाह दी जाती है। क्योंकि मूली में इतनी ताकत होती है कि यह खून और लीवर से अत्यधिक बिलिरूबीन को निकाल सके। इसके लिए रोटी के साथ रोजाना मूली के पत्तों का साग खाना चाहिए।
पीलिया में केला
पीलिया में केला खाना बेहद फायदेमंद होता है। क्योंकि केला में फाइबर व अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो पीलिया को दूर करने में मदद करते हैं। इसके लिए केले के छिलके में गेहूं के दाने बराबर गीला चूना डालकर रात भर के लिए उसे ऐसे ही छोड़ दें और अगली सुबह उस पूरे केले का सेवन करने से पीलिया रोग (piliya ke gharelu upay) जल्द ही दूर हो जाता हैं।
पीलिया में गन्ने का रस
पीलिया के इलाज (Piliya ka ilaj) में गन्ने का रस बेहद लाभकारी होता हैं। अगर दिन में दो से तीन बार सिर्फ गन्ने का रस पिया जाए तो इससे बहुत ही लाभ होता हैं।
पीलिया में अर्जुन की छाल
पीलिया व हैपेटाइटिस रोग से लड़ने के लिए (piliya ke upay) कई दवाओं में अर्जुन की छाल का इस्तेमाल होता है। इससे दिल और मूत्र प्रणाली सुचारू रूप से काम करती है। इसके लिए आपको अर्जुन की छाल के चुर्ण को घी में मिलाकर सुबह शाम लेना चाहिए।
पीलिया के घरेलू उपचार – Piliya ke Gharelu Upay
पीलिया होने पर किसी व्यक्ति को सिर दर्द, लो-ग्रेड बुखार, मतली और उल्टी, भूख कम लगना, त्वचा में खुजली और थकान आदि लक्षण होते हैं। त्वचा और आंखों का सफेद भाग पीला पड़ जाता है। हालांकि पीलिया ठीक हो जाता है लेकिन इसके साइड इफेक्ट्स शरीर को लंबे समय तक भुगतने पड़ते हैं। ऐसे में कुछ घरेलू उपचार (piliya ke gharelu upay) आपकी काफी मदद कर सकते हैं। ऐसे में आप कुछ आहारों का सेवन करके भी पीलिया का मात दे सकते हैं। तो आइए जानते हैं पीलिया के घरेलू उपाय (jaundice treatment in hindi) के बारे में –
- गिलोय के अर्क में शहद मिलाकर पीना पीलिया रोग में अत्यंत लाभकारी है।
- नीम की पत्तियों के रस में शहद मिलाकर सुबह-सुबह पीना पीलिया की दवा के तौर पर काम करता है।
- पीलिया में टमाटर का सूप बहुत ही फायदा करता है। काला नमक डालकर आप इसे सुबह-शाम पी सकते हैं। इससे आपकी कमजोरी भी दूर हो जायेगी।
- अरंड के पत्तों का रस 10 से 20 ग्राम तक गाय के कच्चे दूध में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करें।
- हल्दी पीलिया रोग के उपचार के लिए बहुत अच्छी होती हैं। पीलिया होने पर आप एक चम्मच हल्दी को आधे गिलास पानी में मिला लें। इसे रोजाना दिन में तीन बार पिएं।
- पीलिया को जड़ से खत्म करने के लिए धनिया के बीजों को 7-8 घंटे के लिए पानी में भिगो कर रखें। इस पानी का सेवन सब्जी बनाने, रोटी बनाने में इस्तेमाल करें। धनिया पानी पीलिया रोग को सुधारने करने में सहायक होता है।
- नींबू के रस को पानी में निचोड़ कर पीने से पेट साफ होता है। इसे रोज खाली पेट सुबह पीना पीलिया में सही होता है।
- अनानास भी पीलिया में बहुत फायदा करता है। ये अंदर से पेट के सिस्टम को साफ रखता है। इसीलिए दिन में एक बार अनानास का जूस या उसे काटकर रोगी को जरूर खिलाना चाहिए।
- पीलिया में राहत के लिए पीपल एक बेहतरीन इलाज है। पीपल के 3-4 नए पत्तों को मिश्री के साथ 250 मिली. पानी में बारीक पीसकर छान लें। यह शर्बत रोगी को दिन में 2 बार पिलाएं। इसे 3 से 5 दिन तक निरंतर प्रयोग करें।
पीलिया से जुड़े सवाल-जवाब – FAQs
अगर आप समय पर उपचार शुरू करते हैं तो पीलिया (jaundice kitne din me thik hota hai) ठीक हो सकता है। लेकिन पीलिया को ठीक होने में लगभग 10 से 15 दिन लगते हैं। यदि आप जल्द से जल्द ठीक होना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको पीलिया में परहेज करना पड़ेगा।
पीलिया के कुछ विशेष लक्षण हैं। जो आपको बता सकता है कि आपको पीलिया है। पीलिया के लक्षणों में कब्ज, उल्टी, थकान और त्वचा का पीला होना शामिल हैं।
सामान्यत: रक्तरस में पित्तरंजक का स्तर 1.0 प्रतिशत या इससे कम होता है, लेकिन जब इसकी मात्रा 2.5 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है तब जॉन्डिस के लक्षण दिखने लगते हैं।
आयुर्वेद में पीलिया के इलाज में हल्दी को रामबाण बताया गया है। आप इसे कई तरह से प्रयोग कर सकते हैं। पीलिया में मट्ठा के साथ हल्दी का सेवन बेहद लाभकारी माना गया है।
पीलिया के बाद चिकित्सा के साथ-साथ कुछ घरेलू उपचार भी सुझाए जाते हैं। इन घरेलू उपचारों में गन्ने का रस, नींबू का रस, नारियल पानी और सूखे मेवे शामिल हैं। जो पीलिया को कम करने में मदद करता है।
पीलिया रोग में यकृत यानि लिवर सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। इस रोग में लिवर कमजोर होकर काम करना बंद कर देता है।