मूंगफली के पोषक तत्व – Nutrients of Peanuts in Hindi
मूंगफली में प्रोटीन, तेल और फाइबर मुख्य रूप से मौजूद होते हैं। यही कारण है कि इसे कई तरीकों से इस्तेमाल में लाया जाता है। इसके अलावा मैंगनीज, नियासिन का भी यह अच्छा स्रोत है। इसमें विटामिन ई, फोलेट, फाइबर और फास्फोरस भी अच्छी मात्रा में होते हैं। इसमें जिंक, कैल्शियम, आयरन और विटामिन बी 6 की भी पर्याप्त मात्रा होती है।
मूंगफली की तासीर
मूंगफली की तासीर गर्म होती है, इसलिए ध्यान रहे कि आप ठंड के मौसम में ही इसका सेवन करें। अगर आप गर्मी में इसे खा रहे हैं तो ज्यादा मात्रा में इसका सेवन हरगिज़ न करें। इससे पेट खराब होने की समस्या हो सकती है। इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
मूंगफली का उपयोग – Mungfali ka Upyog
मूंगफली के फायदे – Mungfali Khane ke Fayde
मूंगफली भले ही औषधि न हो, मगर यह कई मायनों में सेहत से भरपूर होती है। इसमें हृदय रोग से लेकर कई रोगों से लड़ने की क्षमता रहती है। आइए जानते हैं, स्वास्थ्य से जुड़े इसके लाभों के बारे में –
पेट के लिए
मूंगफली में पोली फेनोलिक जैसे ऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं । एसिड पी कैमररिक में पेट के कैंसर को कम करने की क्षमता होती है। साथ ही कब्ज की परेशानी से भी छुटकारा मिलता है।
ब्लड प्रेशर
मूंगफली में मौजूद एंटी आक्सिडेंट्स के कारण यह ब्लड प्रेशर को सामान्य रखती है। इसके सेवन से काफी लाभ मिलता है।
कोलेस्ट्रॉल के लिए
मूंगफली में मोनो अन सैचुरेटेड फैटी एसिड पाए जाते हैं, जो कि खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करके गुड कोलेस्ट्रॉल में बदल देते हैं, इसलिए जिन्हें कोलेस्ट्रॉल की परेशानी है, उन्हें इसका सेवन जरूर करना चाहिए। इसे विस्तार में इस तरह समझें। हमारे शरीर में दो तरह के कोलेस्ट्रोल होते हैं, एचडीएल, यानी अच्छा कोलेस्ट्रोल और दूसरा एलडीएल यानी हानिकारक कोलेस्ट्रॉल। जब हानिकारक कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है तो दिल की बीमारी, किडनी में समस्या, मोटापा और ऐसी ही कई समस्याएं होने लगती हैं। ऐसे में अगर डाइट में मूंगफली शामिल की जाए तो कोलेस्ट्रॉल की समस्या से बच सकते हैं। मूंगफली खाने से खराब कोलेस्ट्रॉल कम होता और अच्छे कोलेस्ट्रॉल का निर्माण होता है।
कैंसर
मूंगफली में पॉलिफिनॉलिक नामक एंटीऑक्सीडेंट की अधिक मात्रा मौजूद होती है । पी कौमेरिक एसिड में पेट के कैंसर के जोखिम को कम करने के तत्व मौजूद होते हैं, खासतौर से महिलाओं में होने वाले कैंसर की परेशानी को यह काफी हद तक कम कर देती है। दो चम्मच मूंगफली के मक्खन का सप्ताह में कम से कम 2 बार सेवन करने से यह परेशानी कम हो जाती है। महिलाओं के लिए इसका सेवन रामबाण साबित होता है।
प्रजनन के लिए
मूंगफली महिलाओं में प्रजनन शक्ति को बेहतर बनाती है। मूंगफली में फोलिक एसिड होता है। फोलिक एसिड गर्भावस्था के दौरान भ्रूण में 70 प्रतिशत तक गंभीर न्यूरल ट्यूब दोष के जोखिम को कम कर देता है।
अल्जाइमर के लिए
मूंगफली का सेवन अल्जाइमर जैसी बीमारियों से लड़ने में भी मदद करता है। इनमें रेसवेरेट्रॉल नामक एक योगिक होता है, जो मृत कोशिकाओं को कम करने, डीएनए की रक्षा करने और अल्जाइमर रोगियों में तंत्रिका संबंधी क्षति को रोकने के लिए फायदेमंद होता है। इस तरह की बीमारी में उबली हुई और भुनी हुई मूंगफली खाने से काफी फायदा होता है । यह भी बात सिद्ध हो चुकी है कि नियासिन समृद्ध खाद्द पदार्थ जैसे कि मूंगफली अल्जाइमर के खतरे को 70% कम कर देता है।
डिप्रेशन के लिए
इन दिनों ऐसे कई लोग हैं, जो तनाव की समस्या और डिप्रेशन से गुजर रहे हैं। इनसे बचने के लिए कुछ लोग दवाइयां भी खाते हैं। ऐसे में अगर आहार में मूंगफली को नियमित रूप से शामिल किया जा सके तो तनाव से छुटकारा पाने में मदद मिलती है, क्योंकि किसी भी व्यक्ति को तनाव तब होता है, जब शरीर में सेरोटोनिन का स्तर कम हो जाता है। ऐसे में मूंगफली का सेवन काफी फायदेमंद होता है। मूंगफली में ट्रिप्टोफैन पाया जाता है, जो शरीर में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाता है, इसलिए मूंगफली के सेवन से मन और दिमाग शांत रहता है। कोशिश करनी चाहिए कि हर दिन मूंगफली का सेवन करें। चाहे खाने के बाद मीठे के तौर पर मूंगफली की चिक्की हो या शाम में चाय के साथ भुनी हुई मूंगफली, इनका सेवन आराम से किया जा सकता है।
ब्लड शुगर
बदलती जीवनशैली में सबसे ज्यादा अगर किसी बीमारी ने लोगों को जकड़ रखा है तो वह है, ब्लड शुगर की परेशानी। ऐसे में अगर सही वक्त पर इसका पता न चले तो शरीर के कई अंग प्रभावित होते हैं, खासकर किडनी। डायबिटीज तीन प्रकार के होती हैं– टाइप वन डायबिटीज, टाइप 2 डायबिटीज और गर्भावस्था के दौरान होने वाली डायबिटीज। जो लोग इससे बचना चाहते हैं, उन्हें अपनी डाइट में मूंगफली को जरूर शामिल करना चाहिए। मूंगफली में मौजूद मैंगनीज, कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करते हैं। वहीं वसा और कार्बोहाइड्रेट खून में शुगर की मात्रा को नियंत्रित कर सकते हैं। पीनट बटर के सेवन से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है।
जर्दी-जुकाम
कम लोगों को ही इस बात पर विश्वास होगा कि मूंगफली सर्दी-जुकाम जैसी परेशानियों में भी काफी मदद करती है। यह सच है कि अगर आप सर्दी के मौसम में मूंगफली खाएंगे तो आपका शरीर गर्म रहेगा। यह खांसी में भी उपयोगी है और फेफड़े भी मजबूत करती है।
मूंगफली और वेटलॉस – Peanuts for Weight Loss
मूंगफली वजन कम करने के लिए बहुत उपयोगी है । मूंगफली में प्रोटीन और फाइबर होते हैं। ये दोनों पोषक तत्व भूख को कम करने में काफी सहायक होते हैं, इसलिए भोजन के बीच में थोड़ी सी मूंगफली खाने से आपकी भूख कम हो जाती है, जिससे वजन कम करने में काफी मदद मिलती है। इसी तरह से रोजाना मूंगफली का सेवन करने से जल्दी वजन कम होने लगता है।
प्रेगनेंसी में मूंगफली खाने के फायदे
गर्भवती महिलाओं को अपनी डाइट का ख्याल बहुत ही सोच-समझ कर रखना पड़ता है। उन्हें सब-कुछ सही मात्रा में, सही वक्त पर खाना जरूरी होता है। ऐसे में मूंगफली उन्हें न सिर्फ ऊर्जा देती है, बल्कि कई बीमारियों से लड़ने में भी सक्षम बनाती है। गर्भावस्था किसी भी महिला के लिए महत्वपूर्ण चरण होता है। इस दौरान पौष्टिक आहार न लेने से भ्रूण के विकास में समस्या हो सकती है । कई बार शिशु न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट जैसी समस्या का शिकार हो जाता है। ऐसे में अगर कोई महिला गर्भावस्था के पहले या गर्भावस्था के दौरान सीमित मात्रा में मूंगफली का सेवन करती है तो इसमें मौजूद फॉलिक एसिड व अन्य पोषक तत्व शिशु को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से बचा सकते हैं। महिलाओं को इस दौरान मूंगफली संतुलित मात्रा में ही खाने की सलाह दी जाती है।
मूंगफली खाने के नुकसान – Mungfali Khane ke Nuksan
यूं तो मूंगफली बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक है, लेकिन इसके सेवन को लेकर भी कुछ बातें जानना बेहद जरूरी है। कई लोगों को मूंगफली से एलर्जी की समस्या भी हो सकती है, इसलिए अगर कभी मूंगफली से एलर्जी हुई हो तो इसे खाने से पहले सोचना चाहिए। आप पहली बार मूंगफली का सेवन कर रहे हैं तो आप एक बार डॉक्टर से या किसी विशेषज्ञ से सलाह ले लें। आप चाहें तो पहले मूंगफली के दाने खा कर देख लें कि यह आपको सूट कर रही है या नहीं। मूंगफली खाने से कई लोगों को सांस की भी परेशानी हो जाती है। यही नहीं, कई लोगों की त्वचा बहुत संवेदनशील होती है। ऐसी त्वचा पर खुजली व जलन की समस्या हो सकती है तो इसके सेवन से बचना ही अच्छा है। साथ ही इसके सेवन से कई बार गले में सूजन की समस्या भी हो जाती है।
एक बात का ध्यान रखना और जरूरी है कि जरूरत से ज्यादा मूंगफली खाने से गैस, सीने में जलन और एसिडिटी की समस्या हो सकती है। सो एक साथ ज्यादा मूंगफली न खाएं। मूंगफली के सेवन से पेट से जुड़ी भी कई समस्याएं हो सकती हैं। जिन्हें अस्थमा की परेशानी है, उन्हें इसके सेवन से पूरी तरह से बचना चाहिए। उन्हें इससे अस्थमा का अटैक हो सकता है। अगर आपको थायराइड है तो मूंगफली के सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लेना बेहद जरूरी है।
मूंगफली से जुड़े सवाल और जवाब
जी हां, बिल्कुल। दिमाग तेज करने के मामले में बादाम खाने की तो हमेशा सलाह दी जाती है, लेकिन यही काम सस्ती सी मूंगफली भी बड़े आराम से कर सकती है। मूंगफली और पीनट बटर में प्रचुर मात्रा में विटामिन ई मौजूद होता है। यह शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो नर्व्स में ब्रेन की रक्षा करता है। इसमें मौजूद थायमीन मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र तक ऊर्जा पहुंचाने में मदद करता है। इसके अलावा मस्तिष्क तक रक्त का प्रभाव भी ठीक रहता है।
अगर आप इस तरह की परेशानी से जूझ रहे हैं और अपनी डाइट में मूंगफली को शामिल करेंगे तो गठिया की समस्या से काफी हद तक आराम मिलेगा। मूंगफली के सेवन से ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है और शरीर के हानिकारक कोलेस्ट्रॉल भी कम होते हैं। इसी वजह से यह हड्डियों को काफी फायदा पहुंचाती है। इसमें मौजूद पौष्टिक तत्वों के कारण हड्डियों की मजबूती लगातार बनी रहती है।
अगर आपका काम घंटों कुर्सी पर बैठकर होता है तो आप अपने आहार में मूंगफली शामिल कर सकते हैं। इससे आपको शारीरिक रूप से काफी ऊर्जा मिलेगी। इसकी वजह यह है कि मूंगफली में विटामिन, खनिज, पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। आप मूंगफली को स्नैक्स के रूप में भी खा सकते हैं।
मूंगफली में रेस्वेराट्रोल नामक एंटी ऑक्सीडेंट होता है, जो शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड के उत्पादन को बढ़ाकर दिल के दौरे को रोकता है। रेस्वेराट्रोल सिर्फ दिल की बीमारी ही नहीं, बल्कि नस के रोग, कैंसर, तंत्रिका रोगों, समय से पहले होने वाले एजिंग के लक्षणों, वायरल व फंगल संक्रमण से भी बचाव कर सकता है।
हड्डियों के लिए मूंगफली का सेवन काफी लाभदायक है। इसमें कैल्शियम और विटामिन डी की मात्रा होती है। इसके सेवन से हड्डियां मजबूत बनती हैं। यहीं नहीं, इसके सेवन से खून की कमी भी दूर होती है।
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बालों और त्वचा के लिए अंजीर बेहद जरूरी