ADVERTISEMENT
home / Festival
About Holi in Hindi, Holi kab Hai, holi ka Tyohar

होली क्यों मनाई जाती है, जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं – About Holi in Hindi

होली हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। इस त्योहार को केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाता है। रंगों का त्योहार होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। देश के कई हिस्सों में होली की शुरुआत वसंत ऋतु के आते ही हो जाती है। मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, गोकुल, नंदगांव, बरसाने और राजस्थान के पुष्कर की होली (होली मनाने का कारण) बहुत ही मशहूर है। और बरसाने की लठमार होली (information about holi in hindi) का तो आनंद ही अलग होता है। आप भी अपने परिजनों को इन मैसेज के जरिए होली की हार्दिक शुभकामनाएं दे सकते हैं।

होली कब है – Holi kab Hai

Holi kab Hai

हिंदू पंचांग के मुताबिक फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली (holi kab h) का त्योहार मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक हर साल मार्च के महीने में ये त्योहार मनाया जाता है। इस साल होली का त्योहार 17 और 18  मार्च को मनाया जाएगा। 17 मार्च को होलिका दहन और 18 मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी। रंगोत्सव के पर्व में आप अपने जानने वालों के साथ होली शायरी शेयर करें और होली की बधाइयाँ दें

होली क्यों मनाई जाती है ? – Holi Kyu Manaya Jata Hai

Holi Kyu Manaya Jata Hai

ADVERTISEMENT
होली (holi festival in hindi)  मनाए जाने के पीछे वैसे तो कई सारी पौराणिक कथाएं हैं लेकिन एक कथा बहुत ही प्रचलित है। यह कथा राजा हिरण्यकश्यप की है। प्राचीन काल में राजा हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा की तपस्या करके उनसे एक वरदान प्राप्त कर लिया था, जिसके मुताबिक संसार का कोई भी जीव-जंतु, देवी-देवता, राक्षस या फिर मनुष्य उसे मार नहीं सकता था। ना ही वो रात में, दिन में, पृथ्वी पर और ना ही आकाश में, ना घर में और ना घर के बार कहीं नहीं मर सकता था। यहां तक कि किसी भी प्रकार का शस्त्र उसे नहीं मार सकता था। इस तरह का वरदान पाने के बाद हिरण्यकश्यप निरंकुश बन गया। उसे एक बेटा हुआ, जिसका नाम प्रहलाद था। प्रह्लाद अपने पिता के बिल्कुल विपरीत था और भगवान में उसकी अटूट श्रद्धा था। वह भगवान विष्णु का परम भक्त था और उस पर भगवान विष्णु की कृपा-दृष्टि भी थी।
हिरण्यकश्यप खुद को भगवान समझने लगा था और उसने अपने बेटे को किसी अन्य की पूजा करने से रोका। हालांकि, प्रह्लाद नहीं माना और इस वजह से हिरण्यकश्यप ने उसे जान से मारने की कोशिश की। हिरण्यकश्यप की बहन को अग्नि से बचाव का वरदान प्राप्त था। इस वजह से हिरण्यकश्यप और उसकी बहन ने मिलकर प्रह्लाद को आग में जला कर मारने का प्रयास किया।
होलिका अपनी गोद में प्रह्लाद को उठाती है और अग्नि में बैठ जाती है। हालांकि, भगवान की कृपा से प्रह्लाद को कुछ नहीं होता और होलिका की मृत्यु हो जाती है। इसके बाद भगवान विष्णु नरसिंह का रूप लेकर गोधूली समय में अवतरित होते हैं और दरवाजे की चौखट पर बैठकर हिरण्यकश्यप को मार डालते हैं। माना जाता है कि इसके बाद से ही होली का त्योहार मनाया जाने लगा। 

होली का महत्व – Importance of Holi in Hindi

Importance of Holi in Hindi

होली (होली का महत्व) के त्योहार का हिंदुओं के लिए विशेष महत्व है। इस त्योहार को वैसे तो हिंदू धर्म के अलावा अन्य धर्म के लोग भी मनाते हैं और रंग के माहौल में डूब जाते हैं। उत्साह, उमंग और उल्लास का यह त्योहार भाईचारे को भी बढ़ावा देता है और धर्म जाति आदि से परे सभी लोग जमकर होली के रंगों की मस्ती में डूब जाते हैं। बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाने वाले इस त्योहार से एक दिन पहले होलिका दहन भी किया जाता है। होलिका दहन के अगले दिन ही हर्षो उल्लास के साथ रंग वाली होली (holi kab ki hai) खेली जाती है।

होली से जुडी पौराणिक कथाएँ – History of Holi in Hindi

History of Holi in Hindi

 

होली (holi ka tyohar) का त्योहार देशभर में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यहां तक कि देशभर के अलग-अलग हिस्सों में होली (holi hindi) को मनाने का तरीका भी अलग है। उदाहरण के लिए वृंदावन की लठमार होली देशभर में मशहूर है। हालांकि, होली से जुड़ी कुछ पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं। तो चलिए आपको होली से जुड़ी इन पौराणिक कथाओं के बारे में डिटेल में बताते हैं।

ADVERTISEMENT

शिव पार्वती की कहानी

होली (होली के बारे में जानकारी) को लेकर शिव पार्वती की कहानी बहुत ही प्रचलित है। इस पौराणिक कथा के मुताबिक, माता पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान शिव से हो लेकिन उस वक्त भगवान शिव अपनी तपस्या में लीन थे। इस वजह से कामदेव पार्वती की सहायता के लिए आते और भगवान शिव की तपस्या को भंग कर देते। इस वजह से भगवान शिव बहुत अधिक क्रोधित हो जाते हैं और अपनी तीसरी आंख खोल देते हैं। भगवान शिव के क्रोध की ज्वाला में कामदेव भस्म हो जाते हैं। इसके बाद भगवान शिव माता पार्वती को देखते हैं और उनको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लेते हैं। इस तरह माता पार्वती की आराधना पूर्ण हो जाती है और इस वजह से होली का त्योहार मनाया जाता है।

श्रीकृष्ण की कथा

यह कथा भगवान श्री कृष्ण और राक्षसी पूतना की है, जिसमें राक्षसी पूतना एक महिला का रूप धारण करके बाल कृष्ण के पास आती है। वह बाल कृष्ण को अपना जहरीला दूध पिला कर मारने की कोशिश करती है। हालांकि, वह अपने इस प्रयास में नाकाम हो जाती है और उसकी खुद की जान चली जाती है। माना जाता है कि मृत्यु के बाद पूतना का शरीर विलुप्त हो गया था और इस वजह से गांव वालों ने पूतना का पुतला बनाकर जलाया था और इसके बाद से ही मथुरा में होली खेली जाने लगी।

होलिका दहन की कहानी – Story of Holika Dahan in Hindi

Story of Holika Dahan in Hindi

हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने अग्नि में जला कर प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया था। दरअसल, प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था लेकिन उसके पिता हिरण्यकश्यप हमेशा से चाहते थे कि वह उनकी ही पूजा करे और मान ले कि वो ही भगवान हैं। हालांकि, प्रह्लाद ने अपने पिता की इस बात को नहीं माना और इस वजह से हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई। इस दौरान उसने अपनी बहन होलिका की सहायता ली। दरअसल, होलिका को वरदान प्राप्त था कि अग्नि में वो नहीं जल सकती। इस वजह से होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में उठाकर अग्नि में बैठ जाती है लेकिन भगवान की कृपा से प्रह्लाद बच जाता है और होलिका ही अग्नि में जल जाती है। इस वजह से रंग वाली होली (holi kitne tarikh ko hai) से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। 

ADVERTISEMENT

होली से जुड़े सवाल जवाब

information about holi in hindi

होली पर रंग क्यों लगाया जाता है?

अबीर-गुलाल से होली खेले जाने का रिवाज बहुत ही पुराना है। माना जाता है कि इसकी शुरुआत राधा-कृष्ण के प्रेम से हुई थी। मान्यता है कि बचपन में भगवान कृष्ण माता यशोदा से अपने सांवले होने और राधा के गोरे होने की शिकायत किया करते थे। वह कहते थे कि राधा इतनी सुंदर और गोरी है, फिर मैं इतना काला क्यों हूं? माता यशोदा पहले तो उनके इस सवाल पर हंसा करती थीं लेकिन एक दिन उन्होंने श्रीकृष्ण को कहा कि तुम राधा को जिस रंग में देखना चाहते हो, उसके चेहरे पर वो रंग लगा दो और इस तरह से होली पर रंग खेलने की प्रथा शुरू हुई।

होली की शुरुआत कैसे हुई?

हिरण्यकश्यप की मृत्यु के साथ ही होली की शुरुआत हुई थी। हिरण्यकश्यप को मारने के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह का रूप लिया था और वह गोधूलि समय में प्रकट हुए थे। उन्होंने अपने नाखूनों से दरवाजे की चौखट पर बैठ कर हिरण्यकश्यप का वध किया था और उसके द्वारा लोगों को दी जा रही परेशानियों से उन्हें मुक्त कराया था। इसी के साथ होली मनाने की शुरुआत हुई थी।

होलिका किसकी बेटी थी?

होलिका, ऋषि कश्यप और उनकी पत्नी दिति की पुत्री थीं। उनके भाई हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष थे। साथ ही वह प्रह्लाद की बुआ भी थीं।

होलिका दहन कब से शुरू हुआ?

होलिका की मौत अग्नि में जलने के कारण हुई थी और उसकी मौत के बाद से ही होलिका दहन की शुरुआत हुई।

हिरण्यकश्यप की बहन का नाम क्या था?

हिरण्यकश्यप की बहन का नाम होलिका था।

You Might Also Like

Happy Holi Quotes 2021

POPxo की सलाह : MYGLAMM के ये शानदार बेस्ट नैचुरल सैनिटाइजिंग प्रोडक्ट की मदद से घर के बाहर और अंदर दोनों ही जगह को रखें साफ और संक्रमण से सुरक्षित!

ADVERTISEMENT
15 Mar 2022

Read More

read more articles like this
good points

Read More

read more articles like this
ADVERTISEMENT