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Labour Day 2021: कोविड-19 के बीच पिछले साल मई में सुर्खियों में रहे थे ये मजदूर

Labour Day 2021: कोविड-19 के बीच पिछले साल मई में सुर्खियों में रहे थे ये मजदूर

हर साल  1 मई को मजदूर दिवस (Labour Day 2021) मनाया जाता है। हालांकि, 2020 और 2021 सभी लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है लेकिन शायद मजदूरों के लिए ये समय सबसे अधिक कठिन रहा। पिछले साल मार्च के महीने में देशभर में लॉकडाउन लगा दिया गया था। इस दौरान वैसे तो हर तबके के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा था लेकिन सबसे अधिक प्रभावित मजदूर हुए थे। कई मजदूरों की रोजी-रोटी बंद हो गई तो कइयों के सिर से छत भी छिन गई और इसके बाद उनके पास अपने राज्य, अपने गांव लौटने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था। 
इस दौरान कुछ मजदूर ऐसे भी थे जो बहुत ही अधिक सुर्खियों में बने रहे थे। तो चलिए इस मजदूर दिवस आपको उनमें से कुछ मजदूरों (labour day quotes in hindi) की कहानी याद दिलाते हैं।

लॉकडाउन में साइकिल से पिता को घर पहुंचाने वाली बेटी ज्योति

पिछले साल लॉकडाउन लगने के समय ज्योति अपने पिता के साथ गुरुग्राम में थी। उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था और लॉकडाउन की वजह से पैसे भी खत्म हो गए थे। जहां ज्योति अपने पिता के साथ रह रही थीं वहां भी मकान मालिक घर से निकालने की धमकी दे चुका था। ऐसे में ज्योति ने अपने पिता को कहा कि हम साइकिल से घर चलते हैं। हालांकि, इसके लिए उनके पिता राजी नहीं हुए लेकिन ज्योति के हौंसले के आगे वह हार गए। 13 साल की ज्योति अपने पिता को साइकिल पर बैठा कर 1200 किलोमीटर का सफर तय किया। ज्योति ने अपने पिता के साथ बिहार के दरभंगा तक का सफर साइकिल पर तय किया था।

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अपनी बच्ची को गोद में लिए लखनऊ से छत्तीसगढ़ का सफर किया तय

लॉकडाउन की स्थिति इतनी खराब थी कि लखनऊ में अपने पति के साथ काम करने आई पार्वती को अपने 1 साल के बच्चे को गोद में लेकर मई की कड़ी धूप में पैदल ही वापस छत्तीसगढ़ तक का सफर तय करना पड़ा था। पार्वती और उनके पति के पास खर्चे के लिए पैसे नहीं बचे थे और इस वजह से उन्हें लखनऊ से वापस छत्तीसगढ़ के लिए निकलना पड़ा था। मजबूरी में केवल भगवान पर भरोसा (labour day slogans in hindi) रखते हुए दोनों पति-पत्नी ने पैदल ही 700 किलोमीटर का सफर तय किया था।

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कई मजदूर ट्रक से पहुंचे थे घर

लॉकडाउन की घड़ी में जब कई लोग एक दूसरे के मुश्किल समय में साथी बन रहे थे तो कई ऐसे भी थे, जिन्हें किसी की मदद नहीं मिल पा रही थी। मजदूरों (mazdoor diwas quotes in hindi) को घर पहुंचने के लिए वाहन नहीं मिल रहे थे लेकिन मुश्किल के समय में जैसे भी अपने घर पहुंचना चाहते थे। जानकारी के अनुसार मुंबई से कई मजदूर ट्रक से अपने घर गए थे लेकिन इसके लिए उन्हें 8,000 रुपये खर्च करने पड़े थे। मुंबई से झारखण्ड में अपने घर लौटने वाले नौशाद अंसारी, ट्रक से अपने घर आए थे। उन्होंने बताया था कि इसके लिए उन्हें 8,000 रुपये किराया देना पड़ा था। 

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और जिन्होंने रास्ते में ही तोड़ दिया दम

कई मजदूर सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल ही पूरा कर रहे थे लेकिन बढ़ती गर्मी में तबियत बिगड़ने के कारण उनकी बीच रास्ते में ही मौत हो गई। इनमें मध्य प्रदेश के मुरैन जिले के रणवीर सिंह भी शामिल थे। रणवीर दिल्ली के एक होटल में टिफिन डिलवरी का काम करते थे। हालांकि, लॉकडाउन के कारण उनका काम बंद हो गया और उन्होंने अपने घर जाने का फैसला किया। वह पैदल ही अपनी इस यात्रा पर निकल पड़े लेकिन आगरा के सिकंदरा पहुंचने पर उन्होंने दम तोड़ दिया। हालांकि, उनके अलावा भी ऐसे बहुत से मजदूर थे, जो अपने घर नहीं पहुंच पाए और रास्ते में ही दम तोड़ दिया। 
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