इस्लाम धर्म के लोगो के लिए रमजान का महीना बहुत पाक माना जाता है। यह बात तो हम सभी जानते हैं, मगर इन दिनों रोजा रखने के साथ जकात और फितरा को भी बहुत जरूरी माना जाता है। जकात का अर्थ होता है दान। जकात इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है। रमजान के दौरान रोजा रखने की दुआ से लेकर जकात देना जरूरी बताया गया है। इस पाक महीने में आप भी अपने जानने वालों को जकात का महत्व बताएं और जाने इस पाक से महीने से जुड़ें रोचक तथ्यों के बारे में। इस महीने में हर व्यक्ति को बुरी बात कहने से बचना चाहिए। यह भी जकात है।
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जकात क्या है? – Zakat in Hindi
इस्लाम के अनुसार जिस भी मुस्लिम व्यक्ति के पास जितनी कुल संपत्ति, धन हैं जो दूसरों की मदद करने में सक्षम हो वह अपने धन का कुछ हिस्सा दान करें। इसे नेकी मानी जाती है। रमजान के पाक महीने में हर हैसियत मंद मुसलमान के लिए जकात देना जरूरी होता है। जकात (Zakat in Hindi) पूरे साल में जो बचत होती है, उसका 2.5 फीसदी हिस्सा माना जाता है। वैसे तो किसी भी महीने में जकात दी जा सकती है, मगर रमजान में इसका महत्व दोगुना हो जाता है।
जकात क्या है
फितरा क्या है? – Fitra in Hindi
फितरा (Fitra in Hindi) खाने से जुड़ें दान को कहा जाता है। जैसे जकात में अपने धन का कुछ हिस्सा दान किया जाता है वैसे फितरा में खाने पीने की चीज़ें दान की जाती है। ईद की नमाज से पहले फितरा अदा करना जरूरी माना जाता है। ईद के दिन कोई जरूरतमंद खाली हाथ न रहें ऐसा इसलिए भी किया जाता है। यदि कोई ईद की नमाज से पहले फितरा दान नहीं करता उसके रमजान में रखे हुए रोजे कबूल नहीं होते।
Fitra in Hindi
हदीस में जकात का जिक्र
पैगंबर (pbuh) ने बताया की “हर मुसलमान को दान देना होगा। तब लोगों ने पूछा, “हे अल्लाह के पैगंबर!” अगर किसी के पास देने को कुछ नहीं है, तो वह क्या करेगा? ” उन्होंने कहा, “ऐसे व्यक्तियों को अपने हाथों से काम करना चाहिए और अपनी मेहनत का कुछ अंश जरूरतमंद लोगों को देना चाहिए। तब लोगों ने पूछा, “अगर वह ऐसा नहीं कर सकता? तब उन्होंने उत्तर दिया तो उसे अच्छे कर्म करने चाहिए और बुरे कामों से दूर रहना चाहिए और इसे धर्मार्थ और नेक कर्म माने जायेंगे।
एक बार अबू धहर (पांचवे इस्लामिक व्यक्ति) पैगंबर के पास गए और उन्होंने कहा,अल्लाह के हाथों में मेरा जीवन है। मगर जो लोग सार्थक होने के बाद भी जकात न दें तो क्या होगा। ऐसे में पैगंबर ने कहा अगर सक्षम होने के बाद भी कोई व्यक्ति जकात का भुगतान नहीं करता तो उसे कयामत की रात (मृत्यु वाले दिन) को इन सब चीज़ों की सज़ा मिलेगी।
हदीस में जकात
कुरान में जकात का ज़िक्र
कुरान के सूराः अल-बकर की आयत नं. 177 में कहा गया है – नेकी यह नहीं है कि तुम अपने मुंह पूरब या पश्चिम की तरफ कर लो बल्कि नेकी तो यह है कि ईमान लाओ अल्लाह पर और कयामत के दिन पर और फरिश्तों पर, किताबों पर और पैगंबरों पर, अपने कमाए हुए धन से मोह होते हुए भी उसमें से अल्लाह के प्रेम में रिश्तेदारों, अनाथों और मुसाफिरों को और मांगने वालों को दो और गर्दन छुड़ाने में खर्च करो। नमाज स्थापित करो और जकात दो। जब कोई वादा करो, तो पूरा करो, मुश्किल समय, कष्ट, विपत्ति और युद्ध के समय में सब्र करें यही लोग हैं, जो सच्चे निकले और यही लोग डर रखने वाले हैं।
कुरान में जकात
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