दोस्ती एक खूबसूरत नगमा, एक प्यारा-सा एहसास है। हमारी लाइफ़ में कुछ लोगों को हम खुद चुनते हैं जिन्हें साथ पाकर हर बार ईश्वर का शुक्रिया अदा करने को जी चाहता है। इस दुनिया की भीङ में बहुत अनोखे होते हैं ये मुट्ठी भर लोग जिन्हें हम अपना दोस्त कहते हैं।
School-life खत्म हो चुकी थी और हम भटके पंछी की तरह अपनी राह तलाशने में जुट गए थे। मैं और रितिका उसके घर के बरामदे में बातें कर रहे थे। IIT रितिका का सपना था। मुश्किल थी तो आईआईटी की कोचिंग तक जाना… अपनी colony के बाहर अकेली न निकलने वाली लड़की 4-5 किलोमीटर दूर कोचिंग के लिए कैसे जाती? वो काफी nervous थी, उदास थी..समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करे। मैं Biology की स्टूडेंट थी और रितिका Maths की लेकिन इस मामले में उसका साथ देने के लिए मैंने कह दिया कि मैं उसके साथ कोचिंग ज्वाइन करुंगी। मैंने क्लास 10th के बाद Maths की शक्ल ही नहीं देखी थी (Oh Shitt!) और आईआईटी की कोचिंग??
Physics, Chemistry तक तो ठीक है पर Maths वाली क्लास में कहां जाऊंगी? दिमाग चकरा गया, पर दोस्ती निभानी थी तो ये सब कौन देखता… मैंने रितिका के साथ कोचिंग ज्वाइन कर ली। कोचिंग क्लास में Identity card पर रीवा सिंह के साथ IIT लिखा देखकर हंसी आ रही थी :D। पहली क्लास Physics की थी (Thank God!) हम दोनों को ये फील ही नहीं हुआ कि ये हमारी पहली क्लास है, हम लोग super-comfortable थे। दूसरी क्लास Chemistry की। इसके बाद वो मनहूस क्लास भी आ ही गई जिससे मैं बचने की कोशिश कर रही थी। क्या करूं, कुछ समझ ही नहीं आया। बाहर जाना तो आसान नहीं है, पर अगर किसी को पता चल गया कि मैं बायलॉजी स्टूडेंट हूं तो तमाशा हो जाएगा। ये सोचकर मैं क्लास में बैठ गई लेकिन हालत खराब थी। सर ने कुछ भी..पूछ दिया तो बता नहीं पाऊंगी, कहीं उन्हें पता न चल जाए कि मैं Maths की स्टूडेंट नहीं हूं। सर ने पढ़ाना शुरू किया, कुछ curves plot करना सीखा रहे थे parabola, hyperbola और पता नहीं क्या-क्या। उस वक्त मुझसे ज्यादा concentration के साथ उस हॉल में शायद ही उन्हें कोई सुन रहा होगा। मैं चाहती थी कि जो समझा रहे हैं exactly समझ लूं ताकि वो अगर कुछ पूछें तो बताने की हालत में रहूं। खैर, क्लास खत्म हुई और हम घर की ओर भागे।
रास्ते में सब कुछ पढ़ते हुए जाने की आदत थी। एक दिन ऐसे ही हम ने एक बैनर पढ़ा तो पता चला कि इंडिया के जाने-माने mentor और motivator – Akash Gautam हमारे शहर के एक सेमिनार में आ रहे हैं जहां वो CAT की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स की counselling करेंगे। इसके लिए टिकट भी लेनी थी पर वो free-of-cost थी (मुफ्त की चीज़ें तो हमें वैसे भी पसंद हैं 😉 ) कोचिंग से लौटते वक्त हम टिकट लेने पहुंचे तो पता चला कि ये सेमिनार सिर्फ graduates के लिए है (और हम graduates बिल्कुल नहीं थे 😛 ) हम ने किसी को नहीं बताया कि हम अभी-अभी स्कूल से बाहर पंख फैला रहे हैं। टिकट ली और वहां से खिसक लिए। अगले दिन Sunday को सेमिनार में जाना था। मैंने घर पर कह दिया कि आज थोड़ा टाइम लगेगा आने में। रितिका ने भी घर पर संडे की क्लास का बहाना बनाया और हम graduates (ahem-ahem!) बनकर पहुंच गये।
Akash Gautam के आने के बाद जब मीडिया की भीङ अंदर आई तब हमें लगा कि Akash सर भी कोई चीज़ हैं 😀 । उन्होंने सबको खूब motivate किया और हम तो कुछ ज्यादा ही motivate हो गए। उस वक्त CAT-students के बीच किसी Rowdy या Singham से कम फील नहीं कर रहे थे। सेमिनार खत्म होने के बाद सभी लोग उनका autograph ले रहे थे तो हम ने सोचा कि हमें भी ले लेना चाहिए। फिर हम दोनों Akash सर से बातें करने में मशगूल हो गए। इसी दौरान फोटोग्राफी का दौर भी चलता रहा। सेमिनार खत्म हुआ और हम एक एनर्जेटिक फीलिंग के साथ घर लौट गए।
अगले दिन मम्मी ने पूछा, “कल कहां गई थी बेटा।” कहीं नहीं मम्मी, बस क्लास के बाद ऐसे ही घूमने रितिका के साथ – मैंने कह दिया। मम्मी ने न्यूज़पेपर पकड़ाया और कहा,”लो, आज का पेपर पढ़ लो।” मुझे अजीब लगा…आज से पहले तो मम्मी ने इस तरह अखबार नहीं पकड़ाया…लेकिन अखबार देखते ही मेरे होश उड़ गए!!! न्यूज़पेपर में मेरी और रितिका की फोटो छपी थी…आकाश गौतम के साथ…बत्तीसी चमकाते हुए…उफ!! हमारी चोरी पकड़ी गई थी। दोनों के घर में पता चल चुका था कि संडे को हम कोचिंग में नहीं बल्कि एक ऐसे प्रोग्राम में गए थे जहां सिर्फ एमबीए की तैयारी कर रहे ग्रेजुएट्स जा सकते थे!! मम्मी ने कड़ाई से पूछताछ की तो मेरा ये राज़ भी खुल गया कि बायलॉजी की स्टूडेंट होकर मैं आईआईटी की कोचिंग ले रही हूं….पर thank god!! न्यूज़पेपर ने राज़ तो खोल दिया था लेकिन मम्मी भी समझ गई कि ये सब हमने बस दोस्ती की खातिर किया….एक दूसरे का साथ देने के लिए..कुछ और वक्त साथ बिताने के लिए।
आज Ritika IIT Kanpur से M.Tech कर रही है, हम हर साल उन लम्हों को दोबारा जीते हैं। स्कूल और कॉलेज के बीच का ये phase हमारी ज़िंदगी का सबसे हसीन किस्सा बन गया। हम जब भी एक-दूसरे के साथ रहे, किसी तीसरे की कमी महसूस नहीं हुई। बेफिक्र बिंदास रहे क्योंकि हमें पता था कि ये रिश्ता सबकुछ खत्म होने के बाद भी चलेगा और इसके लिए हम कुछ भी कर जाएंगे।
दोस्ती की सभी अटूट जोङियों को POPxo का सलाम!