बेबी के आने के बाद हर महिला के शरीर में कई तरह के कुछ सकारात्मक और कुछ नकारात्मक बदलाव दिखते हैं। नए जीवन को संभालने के प्रक्रिया में वजन बढ़ना, बाल झड़ना, चेहरे पर हमेशा से अधिक ग्लो या नींद की कमी भी महसूस की जा सकती है। हालांकि जो एक चीज समझने में बहुत ट्रिकी लगती है वो ये है कि प्रेगनेंसी के कितने दिन बाद पीरियड आता है।
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प्रेगनेंसी के बाद बदलती है बॉडी
प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। बेबी के जन्म के बाद भी शरीर के हार्मोनल बदलावों के हिसाब से ही पीरियड वापस आते हैं। पीरियड का वापस आना इस बात पर सबसे अधिक निर्भर करता है कि आप न्यू बॉर्न को ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं या नहीं। प्रेगनेंसी के बाद आने वाले पीरियड्स और उसके लक्षणों में पहले से बदलाव हो सकता है।
जो महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग नहीं करा रही होती हैं, उनका पहला पीरियड बेबी के जन्म के बाद चार से आठ हफ्तों में वापस आ जाता है। लेकिन जो महिलाएं बेबी को ब्रेस्टफीड करा रही होती हैं, उनमें ये समय अधिक हो सकता है। ऐसा इसलिए कि ब्रेस्ट मिल्क का निर्माण करने वाला हार्मोन प्रोलैक्टिन शरीर में ओवुलेशन करने वाले हार्मोन्स की प्रक्रिया को दबा देता है। यदि ओवुलेशन न हो तो पीरियड हो ही नहीं सकता।
जो महिलाएं शिशु को ब्रेस्ट मिल्क के साथ फॉर्मूला मिल्क भी दे रही हों या सिर्फ शिशु को पूरी तरह से ब्रेस्टफीड ही करा रही हों, उनमें पीरियड वापस आने में कुछ महीने लग सकते हैं। ऐसे कई मामले हैं जहां महिलाएं हैं जहां बेबी को पूरी तरह से ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिला को तब तक पीरियड नहीं आया जब तक वो ब्रेस्टफीड कराना बंद न कर दें। हालांकि कुछ महिलाओं में पीरियड कुछ महीनों में वापस आ जाता है चाहे वो ब्रेस्टफीड करा रही हों या न करा रही हों।
पीरियड का ब्रेस्ट मिल्क पर असर
डिलीवरी के बाद पीरियड शुरू होने पर शरीर के साथ ब्रेस्ट मिल्क में भी कुछ बदलाव महसूस किए जा सकते हैं, लेकिन ये बहुत माइनर होते हैं और ध्यान न देने पर पता भी नहीं चलते। पीरियड शुरू होने से संभव है कि दूध की मात्रा पहले से थोड़ी कम हो जाए या फिर हार्मोनल बदलावों की वजह से दूध के स्वाद में अंतर आए जिससे की शिशु का दूध पीने का पैटर्न बदल जाए। हालांकि इनसे आपके ब्रेस्टफीड कराने की क्षमता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
कैसे होगा पोस्टपार्टम पीरियड अलग
ज्यादातर पोस्टपार्टम पीरियड में शरीर के लक्षण पहले यानी प्रेगनेंसी के पहले जैसे नहीं होते हैं। इस समय फिर से शरीर मेंस्ट्रुएशन साइकिल के लिए खुद को तैयार कर रहा होता है। ऐसे में ये लक्षण दिख सकते हैं-
क्रैम्प्स होना जो पहले से हल्के या बहुत तेज हो सकते हैं।
छोटे ब्लड क्लॉट्स निकलना
हेवी फ्लो
ऐसा फ्लो जो कभी रुक जाता है और कभी शुरु हो जाता है।
तेज दर्द
ब्लड आने के दिनों में अनियमितता, कभी ज्यादा दिन तो कभी कम
प्रेगनेंसी के बाद जो पहला पीरियड आता है उसमें बहुत अधिक गुंजाइश है कि पहले के मुकाबले फ्लो बहुत अधिक हो और दर्द भी ज्यादा हो। ऐसा इसलिए कि यूटरस में बनी यूटरिन लाइनिंग की मात्रा अधिक होती है और ये सभी बाहर निकलने के प्रोसेस में होता है। साइकिल के नियमित होते ही धीरे-धीरे शरीर के ये बदलाव भी कम होने लगते हैं।
कभी-कभी कुछ महिलाओं में थायराइड, एडेनोमायोसिस जैसी समस्या की वजह से ब्लीडिंग काफी तेज हो जाती है। एडेनोमायोसिस में यूटरीन वॉल मोटा हो जाता है। वहीं एंडोमेट्रियॉसिस से परेशान महिलाओं में प्रेगनेंसी के बाद पीरियड्स के दौरान कम या हल्के पीरियड्स होते हैं।
प्रेगनेंसी के बाद और फर्स्ट पीरियड के बीच में हो सकती हैं ये बाते
चाहे आपने बेबी को जन्म नॉर्मल तरीके से दिया हो या सिजेरियन कराया हो, डिलीवरी के तुरंत बाद ब्लीडिंग और वेजाइनल डिस्चार्ज होते हैं। शरीर यूटरस में प्रेगनेंसी के दौरान जमी बेकार टिशू को निकालना शुरू करता है। शुरुआती दिनों में ये ब्लीडिंग बहुत हेवी होती है और क्लॉट्स में निकलती है, लेकिन धीरे-धीरे इसकी मात्रा कम और इसका रंग गाढ़े लाल से गुलाबी, क्रीम, व्हाइट जैसा होने लगता है। इसे लोचिया कहते हैं।
कभी-कभी लोचिया डिस्चार्ज 6 सप्ताह तक भी हो सकता है और अगर महिला ब्रेस्टफीडिंग न करवा रही हो तो उसके पीरियड के आने का समय भी यही होता है जाता है। यदि लोचिया डिस्चार्ज एकदम हल्का होने के बाद आना बंद हो जाए और कुछ समय के लिए कुछ न हो, तो फिर शरीर, ब्रेस्टफीडिंग और हार्मोन के आधार पर कुछ समय बाद दुबारा पीरियड आता है।
अगर ये समझने में दिक्कत हो रही है कि जो ब्लीडिंग हो रही है वो प्रेगनेंसी से जुड़ी है या पीरियड शुरू हो गया है तो इन बातों पर दें ध्यान-
1. लोचिया का रंग प्रेगनेंसी खत्म होने के एक सप्ताह तक ही ब्राइट रेड रहता है, फिर ये पानी जैसा, व्हाइट, गुलाबी रंग का दिखेगा।
2. लोचिया की मात्रा थकान या ज्यादा काम करने पर बढ़ती है और रिलैक्स रहने पर कम रहती है।
3. क्योंकि लोचिया प्रेगनेंसी के बेकार टिशू ( ऊतक) से बने होते हैं, इनका स्मेल थोड़ी स्वीट होता है। किसी भी तरह का अजीब स्मेल हो तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
लोचिया के खत्म होने के बाद जब पीरियड वापस शुरू होते हैं तो पहले कुछ महीने में इनमें फ्लकचुएशन दिखता है। जैसे एक महीने पीरियड आकर अगले महीने में स्किप हो जाए और फिर तय डेट के काफी पहले आ जाए। इस समय ब्लीडिंग के फ्लो में भी उतार चढ़ाव दिखता है। ये सब अधिकतर ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं के साथ होता है। पोस्टपार्टम पीरियड में ज्यादातर महिलाओं का पीरियड साइकिल सामान्य 35 से 21 दिन का होता है जिसमें 2 से 7 दिनों तक पीरियड चलते हैं।
कब ले डॉक्टर की सलाह
पोस्टपार्टम पीरियड के दौरान अगर ये लक्षण दिखे तो तुरंत लें डॉक्टर की सलाह-
1. यदि हर घंटे में बदलना पड़े पैड
2. ब्लीडिंग के साथ अचानक शुरू हुआ तेज दर्द हो
3. अचानक आया फीवर
4. सात दिनों से अधिक ब्लीडिंग होते रहना
5. ब्लड क्लॉट्स जिसका साइज बहुत बड़ा हो
6. डिस्चार्ज से बदबू आना
7. बहुत तेज सिर दर्द
प्रेगनेंसी के कितने दिन बाद पीरियड आता है से जुड़ें कुछ सवाल – फैक’Faq’s
क्या प्रेग्नेंट होने पर भी पीरियड आता है?
नहीं, प्रेगनेंट होने के बाद पीरियड नहीं आता है। प्रेगनेंसी के दौरान ओवुलेशन नहीं होता है इसलिए पीरियड भी नहीं आते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान कभी-कभी कुछ महिलाओं को थोड़ी ब्लीडिंग होती है, लेकिन ये पीरियड नहीं होता। ये प्रेगनेंसी से जुड़ी ब्लीडिंग होती है।
प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या ब्लीडिंग होती है?
हां, प्रेगनेंसी के पहले महीने में हल्की ब्लीडिंग हो सकती है जिसे स्पॉटिंग कहते हैं। जब एक फर्टिलाइज्ड एग गर्भाशय में खुद को इम्पलांट करता है तो हल्की ब्लीडिंग होना। इस तरह की ब्लीडिंग अक्सर उस समय के आस पास होती है जब आपका पीरियड का डेट आने वाला हो।
कैसे जाने कि गर्भ ठहर गया?
गर्भ ठहरा है या नहीं ये जानने का सबसे सटीक तरीका तो प्रेगनेंसी टेस्ट ही होता है, फिर भी प्रेगनेंसी के शुरू होने और पीरियड न आने के बीच में शरीर कई ऐसे लक्षण दिखाता है जो इस बात को बताते हैं कि आप प्रेगनेंट हैं।
ये लक्ष्ण हैं-
1. शरीर का तापमान बढ़ना
2. सामान्य से अधिक थकान रहना
3. रात में बार बार यूरिन के लिए जाना
4. शरीर के निचले हिस्से में पीरियड क्रैम्प जैसी ऐंठन
5. ब्रेस्ट में कड़ापन या हल्का दर्द महसूस होना
6. जी मितलाना, उल्टी होना
7. खाने के प्रति अत्यधिक रुचि होना या पूरी तरह से खत्म होना
प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग कितने दिन होती है?
प्रेगनेंसी शुरू होने के 10 से 12 दिन बाद जब भ्रूण यानी फर्टिलाइज्ड एग गर्भाशय में जाकर इंप्लांट होता है तो उस वक्त ब्लीडिंग होती है। लोग इसे पीरियड मानते हैं, लेकिन ये सिर्फ दो से तीन दिन चलती है। पीरियड सामान्य तौर पर 5 से 7 दिन का होता है।
पोस्टपार्टम पीरियड ये संकेत है कि शरीर फिर से प्रेगनेंसी के पहले वाले फॉर्म में वापस लौट रहा है। हर महिला की बॉडी अलग होती है, हार्मोन्स और ब्रेस्टफीडिंग के अनुसार ही ये तय होता है कि प्रेगनेंसी के कितने दिन बाद पीरियड आएगा। अपने शरीर की सुनें और कुछ अलग, असहज लगे तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
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