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जानें होने वाले पति-पत्नी को प्यार के जादुई धागे में बांधने वाले सात वचनों का महत्व – Shaadi ke Saat Vachan
पारंपरिक भारतीय हिंदू शादी बिना सात वचनों के पूरी नहीं होती। यूं तो शादी के रीति- रिवाज तीन- चार दिन पहले से होने शुरू हो जाते हैं लेकिन बिना सात फेरे और सात वचनों के शादी के कोई मायने नहीं हैं। होने वाले पति और पत्नी पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर उसके चारों ओर सात फेरे लेते हुए एक दूसरे को सात वचन देते हैं। इस तरह से एक नव विवाहित जोड़ा एक दूसरे के प्रति पूरी प्रतिबद्धता और ईमानदारी के साथ नए रिश्ते में प्रवेश करता है। हर वचन के साथ जोड़ा एक फेरा लेता जाता है। हालांकि रीति- रिवाजों से जल्दी पार पाने के लिए अधिकतर जोड़े इन सात वचनों की अनसुनी कर जाते हैं, जबकि सच तो यह है कि इन सात वचनों का गहरा धार्मिक संदर्भ और अर्थ है।
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हिंदू धर्म में विवाह का अर्थ
हिंदू धर्म में विवाह को केवल दो शरीरों नहीं बल्कि दो आत्माओं का मिलन माना जाता है। इसकी पुष्टि पवित्र अग्नि और ये साच वचन करते हैं। ये सात वचन ही शादी को सात जन्मों से जोड़ते हैं। इसीलिए इसे पाणिग्रहण संस्कार भी कहा जाता है, जिसमें दूल्हे के नियम और सभी वचनों को मानने के बाद दुल्हन अपना हाथ दूल्हे के हाथ में सौंपती है। इसे ही पाणिग्रहण कहा जाता है। विवाह दो शब्दों वि और वाह के जोड़ से बना है, जिसका मतलब है विशेष जिम्मेदारी का वजन करना। यह एक तरह का वादा है, जिसे दूल्हा आैर दुल्हन एक- दूसरे के लिए लेते हैं और इसे कभी न तोड़ने की कसमें भी खाते हैं। हालांकि कई बार विशेष परिस्थितियों में ऐसा नहीं भी होता है।
शादी की रस्में
भारतीय विवाह रंग- बिरंगे और पारंपरिक होते हैं, शायद यही वजह है कि इससे जुड़ी यादें जीवन भर हृदय में रह जाती हैं। हर संस्कृति के अपने रस्मो- रिवाज हैं, जिन्हें देखने का अपना अलग लुत्फ है। बिना इन रिवाजों के भारतीय शादी कुछ अधूरी और फीकी सी लगती है।
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मेहंदी की रस्म – Mehendi Ceremony
मेहंदी लगाना भला किसे अच्छा नहीं लगता! लेकिन जब मेहंदी का रंग दुल्हन के हाथों पर लगकर उसके चेहरे पर आ जाता है तो उसके चेहरे पर गर्व सहज दिख जाता है। सिर्फ दुल्हन ही नहीं, उसकी सहेलियां और घर परिवार की अन्य महिलाएं भी हाथों पर मेहंदी सजाती हैं। शादी के स्थल को फूलों से सजाया जाता है और इसी रात कई जगहों पर संगीत का समारोह भी होता है।
संगीत की रस्म – Sangeet Ceremony
संगीत समारोह को कई बार मेहंदी से मिला दिया जाता है तो कई बार अलग से भी होता है। यही वह समय है, जब शादी की खुशी सबके डांस के माध्यम से खुलकर सामने आती है। दूल्हा और दुल्हन के यहां अलग- अलग संगीत का समारोह होता है, हालांकि आजकल दोनों मिलकर भी संगीत का समारोह कर लेते हैं। पहले यह समारोह सिर्फ घर की महिलाओं के लिए सीमित था लेकिन अब इसमें पुरुष भी हिस्सा लेने लगे हैं।
हल्दी की रस्म – Haldi Ceremony
शादी वाले दिन दूल्हा और दुल्हन दोनों के घर में हल्दी का कार्यक्रम रखा जाता है, जिसमें परिवार वाले होन्ने वाली दुल्हन और होने वाले दूल्हे को हल्दी, पानी और तेल का मिश्रण लगाते हैं। यह ऐसा रिवाज है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका अर्थ जोड़े को आशीर्वाद देना होता है। ऐसा माना जाता है कि हल्दी लगाने के बाद होने वाली दुल्हन और दूल्हे दोनों का ही रंग खिल जाता है, लेकिन इसके बाद दूल्हा और दुल्हन का अपने- अपने घर से बाहर निकलना प्रतिबंधित होता है।
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चूड़ा पहनना
पंजाबी घरों में चूड़ा पहनाने का समारोह होता है। हालांकि अब फिल्मों ने इसे इतना प्रसिद्ध कर दिया है कि अन्य घरों में भी चूड़ा पहनने की रस्म होने लगी है। कई लड़कियों को तो चूड़ा इतना पसंद होता है कि वो इसे पहनने का इंतजार करती हैं। चूड़े में लगा कलीरा भी काफी खूबसूरत होता है। होने वाली दुल्हन अपने कलीरे जिस किसी लड़की पर छनकाती है तो माना जाता है कि उस लड़की की शादी भी आने वाले समय में जल्दी ही होगी।
सेहराबंदी और डोल नचाई – Sehrabandi and Dolnachai Ceremony
सेहराबंदी में दूल्हे की बहनें अपने भाई के सिर पर सेहरा बांधकर विशेष पूजा करती हैं। यह भाई- बहन के बीच का एक भावनात्मक पल है, जहां एक बहन का भाई शादी करके अपना परिवार बसाने जा रहा होता है। डोल नचाई में दूल्हे की बहनों को थाली में कपड़े, आभूषण या रुपये देकर सिर पर रखने को कहा जाता है। इस थाली को लेकर बहनें दूल्हे की कार के चारों ओर फेरा लगाते हुए उसके आगामी जीवन के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।
दू्ल्हे का प्रवेश – Entry of Groom
जैसे ही दूल्हा शादी स्थल में प्रवेश करता है, उसका स्वागत दुल्हन पक्ष वाले करते हैं। कुछ शादियों में गेट पर रिबन बंधा रहता है, जिसे दूल्हा काटता है और बदले में सालियां शगुन में कुछ मांगती हैं। यहां दुल्हन की मां आरती उतार कर दूल्हे का स्वागत करती है। कई जगहों पर दीये की लौ से पान के पत्ते को हल्का गरम करके दूल्हे का गाल को सेंकने की भी परंपरा है।
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जूता छिपाई की रस्म – Joota Chhipai Ceremony
शादी में बिना दुल्हन के भाई बहनों यानि कि दूल्हे के साले- सालियों के बिना यह जूता छिपाई रस्म अधूरी रह जाती है। इस रस्म में दुल्हन के बहन और भाई अपने होने वाले जीजू के जूते कहीं छिपा देते हैं और इन जूतों के बदले रुपये या उपहार की मांग करते हैं। मिल जाने के बाद ही वे जूते वापस करते हैं। इस दौरान हंसी- मजाक- मस्ती का कभी न खत्म होने वाला दौर भी चलता है।
विदाई की रस्म – Vidaai Ceremony
शादी की सबसे भावपूर्ण रस्म यही है, जब शादी के बाद दुल्हन की विदाई करके दूल्हा अपने घर ले जाता है। इस समय दुल्हन के साथ उसके घर वालों की आंखों में बिछड़ने के आंसू होते हैं।
कलश प्रवेश – Kalash Ceremony
दुल्हन जब विदा होकर अपने ससुराल आती है तो उसे घर में प्रवेश मिलता तो है लेकिन चावल से भरे कलश को पैरों से गिरा कर। यह उसके नए जीवन का प्रतीक है, चावल के माध्यम से वह अपने ससुराल में समृद्धि और खुशहाली लेकर आती है। यह देवी लक्ष्मी के भी घर में प्रवेश करने का प्रतीक है। कई जगहों पर चावल भरे कलश की जगह आलता लगे पैरों से टोकरी दर टोकरी में पैर रख कर प्रवेश करने का रिवाज भी है।
अंगूठी पकड़ाई – Post Wedding Ring Game
नव विवाहित जोड़े जब शादी की हर रस्म से थक जाते हैं तो उनके लिए यह रस्म मजेदार और मस्ती भरी होती है। दूल्हे के घर वाले एक बड़ी सी थाली में दूध और पानी भर कर रखते हैं। इसमें एक अंगूठी छिपी होती है। दोनों को कहा जाता है कि वे उस अंगूठी को ढूंढें। जो उस अंगूठी को पहले ढूंढ लेता है, माना जाता है कि आने वाले वैवाहिक जीवन में उसकी ही चलेगी।
शादी के सात फेरे – Saat Phero ke Vachan
शादी में सात फेरे लेने के बाद ही शादी को पूरी माना जाता है। सात फेरों की इस रस्म को सप्तपदी भी कहा जाता है। ये सातों फेरे दूल्हा और दुल्हन साथ- साथ लेते हैं। हर फेरे में दोनों वचन लेते हैं, जो एक- दूसरे से जुड़ा होता है। इन सात वचनों का अर्थ है कि ये दोनों जीवन भर इन सात वचनों को निभाएंगे। यहां अग्नि को साक्षी मानना अहम है, साथ में ध्रुव तारे को भी साक्षी माना जाता है। अपने यहां सात का खासा महत्व है। शरीर के सात चक्र, सात सुर, सात रंग इंद्रधनुष के, सप्त ऋषि, सात धातु, सात द्वीप,सात दिन, सात परिक्रमा आदि। इसी तरह दूल्हा और दुल्हन सात बार कदम से कदम मिलाकर एक- दूसरे को सात वचन देते हैं। हर कदम में एक मंत्र बोला जाता है, जिसे वचन भी कहा जाता है। ये वचन शादी कराने वाले पंडित बोलते हैं, जिसे दूल्हा और दुल्हन दोहराते जाते हैं।
पहला फेरा, पहला वचन – First Promise
शादी की इस यात्रा में पहला फेरा लेते हुए दूल्हा और दुल्हन भगवान से यह दैवीय आशीर्वाद चाहते हैं कि उनके यहां कभी भी भोजन या धन की कमी न हो। और, उन्हें एक महान और आदरणीय जीवन को पोषण करने की ज़रूरत है। दूल्हा कल्याण और खुशी प्रदान करने का वचन देता है तो दुल्हन उसके साथ जिम्मेदारियों को पूरा करने का वादा करती है। साथ में वे प्रार्थना करते हैं कि वे एक साथ इस लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ें और एक- दूसरे के प्रति हमेशा सम्मान का व्यवहार करें।
दूसरा फेरा, दूसरा वचन – Second Promise
दूसरे फेरा में, युगल सभी स्तरों पर एकता चाहता है- मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक। वे प्रार्थना करते हैं कि वे एक- दूसरे से हमेशा के लिए ईमानदारी से प्यार करते रहें। वे भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें दो हिस्सों के बजाय एक पूर्ण रूप में एकदूसरे को जीवित रहने में मदद करें। चूंकि वे जीवन के लिए साझेदार होंगे, इसलिए वे जीवन के सभी चरणों के माध्यम से एक-दूसरे का समर्थन करने और उनकी रक्षा करने में सक्षम होने की शक्ति चाहते हैं।
तीसरा फेरा, तीसरा वचन – Third Promise
सांसारिक जीवन के दायरे में कदम आगे बढ़ाते हुए तीसरे फेरे में दूल्हा और दुल्हन भगवान से धन और समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। वे न केवल अपने भौतिक अस्तित्व और इच्छाओं के लिए धन चाहते हैं, बल्कि अपने आध्यात्मिक दायित्वों को पूरा करने में भी सक्षम रहना चाहते हैं। वे अपने बच्चों की देखभाल करने, उन्हें शिक्षित करने और उनकी सभी जरूरतों को पूरी करने की क्षमता और साधनों के लिए भी आशीर्वाद मांगते हैं। वे अपने पूरे जीवन में एक दूसरे के प्रति शारीरिक और आध्यात्मिक वफादारी का आशीर्वाद भी मांगते हैं।
चौथा फेरा, चौथा वचन – Fourth Promise
भारतीय समाज में परिवार एक महत्वपूर्ण इकाई है। बुजुर्गों का सम्मान करना और परिवार के सभी सदस्यों की देखभाल करना सामाजिक मूल्यों का एक हिस्सा है। यह जोड़ा भगवान से आशीर्वाद मांगता है कि वे पारिवारिक मूल्यों को बनाए रखने और परिवार के भीतर संबंध बनाए रखने के लिए साथ में मिल- जुल कर काम करें। वे अपने परिवार को एक साथ मजबूती प्रदान करने का वचन देते हैं। दूल्हा अपनी पत्नी को अपनी जिंदगी पूरी करने और शुभकामनाएं और खुशी लाने के लिए कृतज्ञता व्यक्त करता है और, दुल्हन अपने पति से हर तरह से प्यार करने की शपथ लेती है।
पांचवां फेरा, पांचवा वचन – Fifth Promise
एक साथ नए जीवन की शुरुआत के साथ, जोड़ा अपने भावी संतान के लिए भी आशीर्वाद मांगता है। वे भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वे मजबूत और महान बच्चों के साथ धन्य हों, जो अपने परिवार के नाम को आगे बढ़ाने का काम करें। वे बच्चों को जिम्मेदार माता-पिता होने का वचन देते हैं, और उन्हें शिक्षा और सही पालन-पोषण प्रदान करने का वचन देते हैं। दूल्हा अपनी पत्नी को यह भी बताता है कि वह हमेशा उसे अपने सबसे अच्छे दोस्त के तौर पर देखेगा। दुल्हन हमेशा के लिए अपने रिश्ते को प्यार से बांधे रखने का वचन देती है।
छठा फेरा, छठा वचन – Sixth Promise
ईमानदार और महान जीवन जीने के लिए, युगल सर्वशक्तिमान से प्रार्थना करता है कि वह उन्हें स्वस्थ और रोग मुक्त जीवन दे। वे ताकत के लिए प्रार्थना करते हैं ताकि वे अपने परिवार, एक दूसरे और अपने बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूर्ण कर सकें। दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे के साथ और एक दूसरे के लिए एक संतुलित और आनंदमय जीवन की कामना करते हैं।
सातवां फेरा, सातवां वचन – Seventh Promise
अंतिम फेरा जो इस पवित्र गठबंधन को मजबूत करता है, जिसमें नवविवाहित जोड़ा एक-दूसरे को अपने प्यार, विश्वास और सहयोग के प्रति वचन देता है। दोनों जीवन के लिए दोस्त बनने की शपथ लेते हैं, और हर परिस्थिति में एक-दसरे के साथ खड़े होने का वचन देते हैं। यह फेरा इस सच्चाई को भी बताता है कि वे अब जीवन में हर लिहाज से एकजुट हैं और उन्हें हमेशा एक-दूसरे से अपने रिश्ते के लिए सच बोलना चाहिए। वे अपने जीवन को मिठास और प्यार से भरने के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं।
अलग-अलग धर्म और संस्कृति में नवविवाहित लोगों के लिए प्रतिज्ञा का अपना मापदण्ड हैं। लेकिन उन सभी के पीछे एक- दूसरे के प्रति प्रतिबद्धता, भक्ति और सम्मान का महत्व समान है। इन सभी प्रतिज्ञाओं का मतलब है यह पति-पत्नी एक- दूसरे से प्यार, सम्मान का वादा करते हैं। साथ ही यह वादा भी करते हैं कि वे मृत्यु से पहले कभी भी एक- दूसरे से अलग नहीं होंगे।
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