Table of Contents
- ग्लोबल वार्मिंग क्या है? – What is Global Warming in Hindi
- ग्लोबल वार्मिंग के कारण – Global Warming ke Karan
- ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव – Global Warming Effects in Hindi
- ग्लोबल वार्मिंग से बचाव के उपाय – How to Prevent Global warming in Hindi
- ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले नुकसान
- ग्लोबल वार्मिंग से जुड़े सवाल-जवाब FAQs
ग्लोबल वार्मिंग क्या है? – What is Global Warming in Hindi
दरअसल, हमारे सौर मण्डल में कई ग्रह या तो ज्यादा गर्म या ज्यादा ठण्डे होते है। लेकिन पृथ्वी का वातावरण मध्यम होता है। यही वजह है कि यहां पर जीवन संभव है। लेकिन पिछले काफी सालों में पृथ्वी का तापमान अस्थिर हो रहा है। कहने का मतलब है कि पृथ्वी का तापमान का औसत तापमान से ज्यादा बढ़ गया है और इसे ही ग्लोबल वार्मिंग (global warming kya hai) कहा जाता है और यह सजीव जीवन के लिए एक बुरा संकेत है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण – Global Warming ke Karan
बहुत से लोगों को लगता है कि फिलहाल संसार को ग्लोबल वार्मिंग से कोई खतरा नहीं है। लेकिन बारिश के तरीकों में बदलाव, हिमखण्डों और ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्र के जलस्तर में वृद्धि और वनस्पति तथा जन्तु जगत पर प्रभावों के रूप के नाकारत्मक परिणाम अभी से सामने आ चुके हैं। ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर समस्या बन गई है जिस पर ध्यान देने की बहुत आवश्यकता है। यह किसी एक कारण से नहीं बल्कि कई कारणों से हो रहा है, तो आइए जानते हैं ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव के पीछे जिम्मेदार कारणों के बारे में –
- ज्वालामुखी विस्फोट
- ऑटोमोबाइल और जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक उपयोग
- ग्रीनहाउस गैसें (कार्बन डाई आक्साइड, नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, वाष्प आदि)
- वनों की कटाई
- औद्योगीकरण
- ओजोन परत में आने वाली कमी
- प्राकृतिक संसाधनों का खनन
- उर्वरक एवं कीटनाशक
ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव – Global Warming Effects in Hindi
वैज्ञानिकों द्वारा प्रयोग और खोजें हुई हैं। उनके अनुसार अगर प्रदूषण फैलने की रफ्तार इसी तरह बढ़ती रही तो अगले दो दशकों में धरती का औसत तापमान 0.3 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक के दर से बढ़ेगा। जो चिंताजनक है। अब तक पृथ्वी एक मात्र ऐसा ग्रह है जो प्राणी मात्र के रहने के लिए सबसे उत्तम है। लेकिन इस धरती पर मंडराते ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है। तो आइए जानते हैं ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव यानि कि पृथ्वी पर पड़ने वाले ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव (about global warming in hindi) के बारे में –
- ग्लोबल वार्मिंग के कारण ऑक्सीजन में कमी देखने को मिली है।
- असमय बारिश, तापमान का घटना और बढ़ने के कारण जलवायु पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इससे तूफान अतिवृष्टि,आकस्मिक घटनाएं होती हैं और फसलों की पैदावर पर भी बुरा असर पड़ता है।
- पूरे विश्व का तापमान बढ़ने से वायु दाब घट जाता है। इसके कारण प्रशांत महासागर के पेरू तट पर तापमान में वृद्धि होने के कारण पानी में उफान आ जाता है। इसके कारण बाढ़ जैसी भारी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
- ग्लोबल वार्मिंग के कारण ही जीव-जंतु एंव पक्षियों की कई प्रजातियां विलुप्त हो रही है।
- पृथ्वी का ताप बढ़ने से कृषि भूमि की उर्वरता में कमी आ रही है।
- विश्व में कई ऐसे स्थान हैं जहां 12 महीने तक बर्फ जमी रहती थी वहां अब बर्फ पिघलने लगी है जिससे जल स्तर बढ़ने लगा है, जोकि भविष्य के लिए काफी खतरा बन गया है।
ग्लोबल वार्मिंग से बचाव के उपाय – How to Prevent Global warming in Hindi
पृथ्वी ने हमें हवा, पानी, अन्न और रहने के लिए जगह दी। आज वही पृथ्वी हमारे कर्मों के कारण ही धीरे-धीरे अपनी अस्तित्व खोती नजर आ रही हैं और हम मूक दर्शक बने तमाशा देख रहे हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपकी आने वाली पीढ़ी भी उसी पृथ्वी की गोद में आराम कर सकें जिसमें आप पले-बढ़ें हैं तो जागरूक हो जाइए। ग्लोबल वार्मिंग (about global warming in hindi) घुन की तरह है जो धीरे-धीरे पृथ्वी को नष्ट करती जा रही है। वैसे सही मायने में ग्लोबल वार्मिंग को रोकने का कोई इलाज नहीं है। इसके बारे में सिर्फ जागरूकता फैलाकर ही इससे लड़ा जा सकता है। तो आइए जानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग से बचाव के उपाय कौन-कौन से हैं जिससे ग्लोबल वार्मिंग का समाधान निकाला जा सकता है –
- हमें अपनी पृथ्वी को सही मायनों में ‘ग्रीन’ बनाना होगा। अपने ‘कार्बन फुटप्रिंट्स’ (प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन को मापने का पैमाना) को कम करना होगा।
- हम अपने आस-पास के वातावरण को प्रदूषण से जितना मुक्त रखेंगे, इस पृथ्वी को बचाने में उतनी ही बड़ी भूमिका निभाएंगे।
- बिजली से चलने वाले साधनों की जगह हमें सौर ऊर्जा से चलने वाले साधनों का प्रयोग करना चाहिए।
- अपने आस-पास ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं। हो सके तो लोगों को तोहफे में पौधे दें और उन्हें भी यही करने की नसीहत दें।
- जीव-जंतुओं के प्राकृतिक निवास स्थल, जैसे जंगल, सागर तट इत्यादि को अशांत या अस्त-व्यस्त न करें।
- ईंधन जलाने एवं परिवहन के साधनों में कोयले का इस्तेमाल कम करके ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव में कमी लाई जा सकती है।
- फैक्ट्रियों एवं कारखानों से निकलने वाले धुएं पर कंट्रोल करने की बहुत जरूरत है।
- वनों की कटाई व प्राकृतिक संसाधनों का अवैध खनन पर निंयत्रण लगाने की आवश्यकता है।
- रिसाइकल प्रक्रिया को बढ़ावा दें! क्योंकि जितनी ज्यादा खराब सामग्री रिसाइकल होगी, उतना ही पृथ्वी का कचरा कम होगा।
ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले नुकसान
ग्रीन हाउस गैसें ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण हैं। ग्रीन हाउस गैस वो गैस होती है जो पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर यहां का तापमान बढ़ाने में कारक बनती हैं। अगर इन गैसों का उत्सर्जन अगर इसी प्रकार चलता रहा तो 21वीं शताब्दी में पृथ्वी का तापमान 3 डिग्री से 8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो इसके परिणाम बहुत घातक होंगे। चिंतकों का कहना है कि दुनिया के कई हिस्सों में बिछी बर्फ की चादरें पिघल जाएंगी, समुद्र का जल स्तर कई फीट ऊपर तक बढ़ जाएगा। समुद्र के इस बर्ताव से दुनिया के कई हिस्से पानी में डूब जाएंगे, भारी तबाही मचेगी। यह तबाही किसी विश्वयुद्ध या किसी ‘ऐस्टेरॉइड’ के पृथ्वी से टकराने के बाद होने वाली तबाही से भी ज्यादा बढ़कर होगी। यही वजह है कि ग्लोबल वार्मिंग (ग्लोबल वार्मिंग इन हिंदी) पृथ्वी के लिए बेहद घातक है।
ग्लोबल वार्मिंग से जुड़े सवाल-जवाब FAQs
विश्व पृथ्वी दिवस यानी अर्थ डे हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन पर्यावरण संरक्षण के बारे में लोगो में जागरूकता फैलाने के उदेश्य से मनाया जाता है।
ग्लोबल वार्मिंग के लिए (global warming in hindi) ग्रीनहाउस गैस जैसे कार्बन डाई आक्साइड, नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, वाष्प, ओजोन आदि जिम्मेदार हैं।
एडगर डेटाबेस के अनुसार, चीन दुनिया में कार्बन डाइऑक्साइड का सबसे बड़ा उत्सर्जक है। आंकड़ों के मुताबिक चीन हर वर्ष लगभग 10,641 मिलियन मीट्रिक टन का उत्सर्जन करता है जो कि दुनिया के कुल प्रदूषण का 30% है।
विश्व पृथ्वी दिवस की इस साल की थीम है “Climate Change to Save Earth”। इसमें जलवायु परिवर्तन और पृथ्वी संरक्षण के मुद्दे पर चर्चाएं व समस्याओं के सामाधान पर प्रकाश डाला जायेगा।
मनुष्य एवं अन्य सभी जीव जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं के लिए पर्यावरण पर ही आश्रित है। शुद्ध हवा, पानी, शाक-सब्जियां सभी पर्यावरण के अनुसार ही प्राप्त होती है। इसीलिए पर्यावरण का संतुलन सर्वाधिक महत्वपूर्ण विषय है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी का तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगता है, इसके कारण जीव-जंतुओं की मौत हो जाती है, समुद्री तुफानों में वृद्धि होगी इसके साथ ही बाढ़, भुखमरी, अकाल आदि समस्याओं का भारी मात्रा में सामना करना पड़ेगा।
वैसे तो ग्लोबल वार्मिंग के लिए ग्रीन हाउस गैस जिम्मेदार है, लेकिन इसी के साथ मानवगतिविधियां भी शामिल हैं। बढ़ती जनसँख्या के आवास एवं कृषि भूमि के लिए वनो की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। इससे भारी मात्रा में विषैली गैसें निकलती है। जिससे ग्रीन हाउस गैसों में वृद्धि होती है।
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