रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम ने अश्विन मास में शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन लंकापति रावण का वध किया था। इसीलिए इस दिन को विजयदशमी यानि कि दशहरा के रूप में मनाया जाता है और सभी एक दूसरे को दशहरा की शुभकामनाएं देते हैं। यहां तक तो बात समझ में आती है कि राम ने रावण का वध किया और लंका का शासन विभीषण को सौंप दिया। लेकिन उसके बाद रावण के शव का क्या हुआ ? इस बात का जवाब बहुत कम लोगों को ही पता है। आपको बता दें कि वध के बाद रावण के शव का अंतिम संस्कार हुआ ही नहीं था। बल्कि उसका शव आज भी अस्तित्व में है। ये बात जानकर भले आपको हैरानी होगी लेकिन ये सच है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि श्रीलंका के पर्यटन मंत्रालय ने ये दावा किया है कि रावण का शव आज भी वहां मौजूद है और वो सुरक्षित भी है।
इस गुफा में मिला रावण का शव
कहा जाता है कि रावण की मृत्यु होने के बाद उसके सैनिकों ने उसके शव को फिर से जीवन देने की बहुत कोशिश की। लेकिन रावण जीवित नहीं हो पाया। उसकी प्रजा और सैनिकों ने तब फैसला किया कि वो इसके शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। बल्कि उसके शव को हमेशा- हमेशा के लिए सुरक्षित रखेंगे। तब उन्होंने कई तरह की जड़ी- बूटियों से बने लेप को लगाकर रावण के शव को ममी के तौर पर आने वाले समय के लिए सुरक्षित कर दिया। माना जाता है कि आज भी रेगला के जंगलों में स्थित एक गुफा में रावण की ममी पूरी तरह से सुरक्षित है। बाद में श्रीलंका का इंटरनेशनल रामायण रिसर्च सेंटर और वहां के पर्यटन मंत्रालय ने मिलकर इस गुफा की खोज की और इसका सच दुनिया के सामने उजागर किया।
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शव के साथ मौजूद है खजाना भी
जहां पर रावण का शव रखा गया है वहां आस- पास बहुत ही घना जंगल है जहां अजीबोगरीब और खतरनाक जानवर और पक्षी देखे गये हैं। सांपों की संख्या भी दूसरी गुफाओं की तुलना में ज्यादा है। इसीलिए कुछ जानकारों का कहना है कि रावण के शव के पास खजाना होने की भी संभावना है। हालांकि कुछ लोग इसे सिर्फ एक अफवाह की तरह मानते हैं।
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श्रीलंका के लोगों की रावण के प्रति आस्था
रावण के शव और उससे जुड़े रहस्य के बारे में मिली इस जानकारी में कितनी सच्चाई है, इस बात का खुलासा आज तक विज्ञान भी नहीं कर पाया है। लेकिन श्रीलंका के लोग ऐसी किंवदन्तियां अपने पूर्वजों से सुनते आये हैं और उनका विश्वास है कि रावण आज भी इस दुनिया में मौजूद है। यही कारण है कि आज भी यहां रावण की पूजा होती है।
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कौन था रावण ?
प्रचलित कथाओं के अनुसार, रावण ब्राह्मण ऋषि और राक्षण कुल की कन्या की सन्तान था। उसके पिता विश्रवा पुलस्त्य ऋषि के पुत्र थे जबकि माता कैकसी राक्षसराज सुमाली की पुत्री थी। रावण एक परम शिव भक्त, अदभुत राजनीतिज्ञ , महापराक्रमी योद्धा, अत्यन्त बलशाली, शास्त्रों का प्रखर ज्ञाता, महान विद्वान पंडित और महाज्ञानी था। रावण के शासन काल में लंका का वैभव अपने चरम पर था और उसने अपना महल को पूरी तरह से सोने का बनाया था इसलिये उसकी लंकानगरी को सोने की लंका अथवा सोने की नगरी भी कहा जाता है।
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(इमेज सोर्स- यूट्यूब)