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बालतोड़ को पकाने के उपाय, लक्षण और कारण – Baltod ka Ilaj

Megha Sharma  |  Jul 28, 2021
baltod

संक्रमण की वजह से आपको कई तरह की त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और इनमें से एक बालतोड़ (बालतोड़ के लक्षण) भी है। ऐसी धारणा है कि जब शरीर के किसी हिस्सा का बाल अचानक से टूट जाता है तो बालतोड़ (baltod ka ilaj) हो जाता है। ये बात सच है कि जहां बालतोड़ (baltod ke upay) होता है, वहां गांठ बन जाती है लेकिन यह किसी प्रकार की बीमारी नहीं है और इस वजह से इसे आसानी से घर पर ही ठीक भी किया जा सकता है। आयुर्वेद में इसके उपचार के बारे में बताया गया है। आयुर्वेद की मानें तो आपको अपने घर की रसोई में ऐसी बहुत सी चीजें मिल जाएंगी जिनकी मदद से आप बालतोड़ का इलाज कर सकते हैं। आज हम आपको बालतोड़ (baltod ka upay) ठीक करने के घरेलू नुस्खों के बारे में बताएंगे।  लिकोरिया का घरेलू उपचार

बालतोड़ क्या होता है – Baltod Kya Hota Hai

बालतोड़ (baltod kya hota hai) त्वचा पर होने वाला एक प्रकार का संक्रमण होता है। यह लाल रंग का फोड़े के रूप में हेयर फॉलिकल या फिर तैलीय ग्रंथियों से होता है। 4 से 5 दिनों में इसका रंग अपने आप सफेद हो जाता है और इसमें मवाद बनने लगता है। हालांकि, यदि इसका समय से इलाज ना करवाया जाए तो ये गंभीर रूप ले सकता है और इसमें बहुत ही ज्यादा दर्द होता है। 

बालतोड़ होने के कारण – Baltod Hone ke Karan

यदि आपको किसी समस्या के कारण पहले से ही पता हों तो आप उनके प्रति सतर्क रहते हैं और फिर उस बीमारी को या फिर समस्या को होने से रोका जा सकता है। बालतोड़ (baltod in hindi) होने के कारण इस प्रकार हैं-

– इसका पहला और मुख्य कारण स्टेफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया है। दरअसल, ये छोटी सी चोट या फिर घाव से शरीर में चला जाता है और बालकूप में जाकर इंफेक्शन फैला देता है और इस वजह से बालतोड़ (baltod hone ke karan) होता है। 

– डायबीटिज की वजह से भी बालतोड़ (baltod kaise hota hai) हो सकता है।

– यदि आपकी नाक में जीवाणु जमा हो जाएं तो भी आपको ये समस्या हो सकती है।

– खराब रोग प्रतिरोधक प्रणाली और पोषक तत्वों की कमी की वजह से भी ऐसा हो सकता है।

– यदि आप त्वचा की साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखते और रसायनयुक्त पदार्थों का उपयोग करते हैं तो भी ऐसा हो सकता है। 

बालतोड़ को पकाने के उपाय – Baltod ka Gharelu Upay

बालतोड़ (baltod ka gharelu upay), ऐसा फोड़ा होता है, जिसमें बहुत ही अधिक दर्द होता है। इस वजह से बालतोड़ जैसी समस्या का समाधान निकालना या फिर पता होना भी जरूरी है। बालतोड़ जैसी समस्या से पूरी तरह से निजात पाने के लिए फोड़े को पकाना और उसमें से मवाद निकालना बहुत ही आवश्यक होता है। इस वजह से हम आपके लिए कुछ ऐसे नुस्खे लाए हैं, जिनकी मदद से आप जल्द से जल्द बालतोड़ (बालतोड़ को पकाने के उपाय) को पका सकते हैं और उसे ठीक कर सकते हैं। 

टी ट्री ऑयल

सामग्री

टी ट्री ऑयल की 7 बूंदे

– आधा कप विच हेजल

– सूती कपड़ा

ऐसे करें इस्तेमाल

– तेल को विच हेजल के साथ मिला लें।

– अब इसे सूती कपड़े में भिगोकर प्रभावित हिस्से पर लगाएं।

– इसे दिन में रोजाना कम से कम तीन बार लगाएं, जब तक बालतोड़ पक कर ठीक ना हो जाए तब तक।

लाभ

संवेदनशील त्वचा के लिए टी ट्री ऑयल काफी लाभकारी होता है। आयुर्वेद के अनुसार इसका इस्तेमाल कील-मुंहासें, बालतोड़ और त्वचा से संबंधित परेशानियों के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। टी ट्री ऑयल में एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। इस वजह से ये बालतोड़ का कारम बनने वाले स्टेफिललोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया पर काफी असरदार होता है। 

हल्दी

सामग्री

– एक चम्मच हल्दी पाउडर

– थोड़ा सा पानी

ऐसे करें इस्तेमाल

– हल्दी पाउडर में थोड़ा सा पानी डालकर पेस्ट बना लें।

– अब इस पेस्ट को प्रभावित हिस्से पर लगा कर छोड़ दें।

– बालतोड़ को पकाने के लिए इसे दिन में 2 बार लगाएं। साथ ही रात में सोने से पहले हल्दी वाला दूध भी पीएं।

लाभ

शरीर के किसी भी हिस्से में लगने वाली चोट के लिए हल्दी बेहद ही फायदेमंद होती है। बालतोड़ के इलाज के लिए भी हल्दी बहुत ही फायदेमंद होती है। इसमें एंटीइंफ्लामेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। यह बालतोड़ के कारण होने वाले दर्द को कम करने में मदद करती है।  

लहसुन

सामग्री

लहसुन की एक या दो तुरी

ऐसे करें इस्तेमाल

– लहसुन की तुरी को अच्छे से मसलकर पेस्ट बना लें।

– इस पेस्ट को बालतोड़ पर लगा कर 15 मिनट के लिए छोड़ दें।

– अब इसे साफ पानी से धो लें।

– आप चाहें तो लहसुन की तुरी का रस निकालकर भी संक्रमित हिस्से पर लगा सकते हैं।

– कम से कम दिन में एक बार इसे जरूर लगाएं।

लाभ

आयुर्वेद में लहसुन को कई चीजों के लिए लाभकारी माना गया है। एक शोध की मानें तो लहसुन की मदद से बालतोड़ के सबसे अहम जीवाणु स्टेफिलोकोकस ऑरियस को बढ़ने से रोकने में मदद मिलती है। लहसुन में एलिसिन नामक तत्व मौजूद होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरिया का काम करता है। इस वजह से फोड़े-फुंसी या फिर इसे हटाने के लिए लहसुन का इस्तेमाल किया जाता है। 

प्याज

सामग्री

– आधा कटा प्याज

एक चम्मच शहद

ऐसे करें इस्तेमाल

– प्याज को अच्छे से पीसकर पेस्ट बना लें।

– अब इसमें शहद डालें और अच्छे से मिला लें।

– इस पेस्ट को बालतोड़ पर लगाएं और 15 से 20 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर साफ पानी से धो लें।

लाभ

फुंसी हटाने के लिए इसे बहुत ही असरदार उपचार माना जाता है। एक अध्ययन के मुताबिक, प्याज में एंटीबैक्टीरियल और एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं। ये कई तरह के संक्रमण को दूर करने में मदद करते हैं, जिसमें से एक स्टेफिलोकोकस ऑरियस भी है। साथ ही प्याज में फेनोलिक एसिड भी पाया जाता है, जो किसी भी तरह के संक्रमण को पनपने से रोकने में मदद करता है।

अरंडी का तेल

सामग्री

अरंडी के तेल की कुछ बूंदे

– एक कॉटन बॉल

ऐसे करें इस्तेमाल

– कॉटन बॉल पर अरंडी का तेल लें और उसे फोड़े पर लगाएं।

– इस दौरान ध्यान रखें कि आप रुई को ना तो दबाएं और ना ही रगड़ें।

– कुछ देर बाद रुई को हटा दें और इसके बाद घाव को ऐसे ही छोड़ दें।

– दिन में कम से कम तीन बार इसे लगाएं।

लाभ

त्वचा संबंधी बहुत सी समस्याओं में अरंडी का तेल बहुत ही फायदेमंद होता है। एक वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, अरंडी के तेल में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो स्टेफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करता है। 

नीम

सामग्री

– नीम के तेल की कुछ बूंदे

– रुई

ऐसे करें इस्तेमाल

– तेल को रुई पर लेकर फोड़े पर लगाएं।

– कुछ देर के लिए रुई फोड़े पर रखी रहने दें और फिर इसे हटा लें

लाभ

नीम के पत्ते एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल होते हैं। नीम के पत्तों को सदियों से मुंहासों और बालतोड़ संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। नीम का तेल संक्रमण को फैलने से रोकता है और घाव को जल्दी भरने में मदद करता है। 

एलोवेरा

सामग्री

– एलोवेरा का पत्ता या फिर जेल।

ऐसे करें इस्तेमाल

एलोवेरा के पत्ते को काटकर उसका जेल निकाल लें। आप चाहें तो मार्केट से भी एलोवेरा जेल खरीद सकते हैं। हालांकि, पत्ते से तुरंत जेल निकालना बेहतर ऑप्शन है।

– जेल निकालने के बाद इसे रात में सोने से पहले फोड़े पर लगा लें और रातभर लगा रहने दें।

– जब तक आराम ना मिले तब तर रोजाना ऐसा करें।

लाभ

एलोवेरा का इस्तेमाल केवल सुंदरता को बढ़ाने ही नहीं बल्कि त्वचा संबंधी कई प्रकार की बीमारियों को दूर करने के लिए भी किया जाता है। एलोवेरा में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो बालतोड़ की समस्या को दूर करने में मदद करते हैं। साथ ही ये स्टेफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया पर भी प्रभावी रूप से काम करता है। जेल को फोड़े पर लगाने से अधिक जलन भी नहीं होती है। साथ ही यदि आप घर बैठे-बैठे फोड़े का उपचार करना चाहते हैं तो ये आपके लिए एक अच्छा तरीका है।

मंजिष्ठा

सामग्री

– मंजिष्ठा पाउडर या सिरप

– एक गिलास पानी या फिर दूध

ऐसे करें इस्तेमाल

– मंजिष्ठा पाउडर या फिर सिरप को दूध या पानी में मिलाकर पीएं।

– दिन में कम से कम एक बार इसे पिएं और दो बार इसकी पेस्ट को अपने फोड़े पर लगाएं।

लाभ

मंजिष्ठा का संबंध कॉफी के परिवार से होता है। इसे अंग्रेजी में रुबिया कोर्डीफोलिया कहते हैं। वैसे इसे खून साफ करने वाली दवा के रूप में जाना जाता है। दरअसल, ये खून को साफ करके उसे डिटॉक्स करती है। इसमें एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं और यह स्टेफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया पर अच्छे से काम करते हैं। 

कलौंजी

सामग्री

– कलौंजी के तेल की दो-तीन बूंदे

आधा चम्मच जोजोबा तेल

ऐसे करें इस्तेमाल

– इन दोनों तेलों को मिला कर अपने फोड़े पर लगाएं और रातभर के लिए छोड़ दें।

– जब तक फोड़ा ठीक ना हो जाए रोजाना इसे लगाएं।

लाभ

कलौंजी के छोटे और काले रंग के बीज बहुत ही फायदेमंद होते हैं। ये हर घर की रसोई में आसानी से मिल जाते हैं। साथ ही इनका प्रयोग कई तरह की बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जो बालतोड़ के कारण होने वाले घाव को भरने में मदद करता है। 

सेंधा नमक

सामग्री

– दो चम्मच सेंधा नमक

– एक बड़ी कटोरी पानी

– सूती कपड़ा

ऐसे करें इस्तेमाल

– पानी को गर्म कर उसमें सेंधा नमक मिला लें।

– अब इसमें कपड़े को भिगो कर निचोड़ लें।

– अब इस कपड़े को कम से कम 20 मिनट के लिए फोड़े पर रखें।

– ऐसा दिन में कम से कम तीन बार करें ताकि फोड़े में से मवाद बाहर निकल जाए।

लाभ

घाव को ठीक करने के लिए आप सेंधा नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह नमक बैक्टीरिया खत्म करने और मवाद को सुखाने में मदद करता है और फोड़े को जल्द ठीक करने में भी मदद करता है। गर्माहट से प्रभावित हिस्से पर रक्त संचार बढ़ता है और संक्रमण में आराम मिलता है।

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