हिंदू धर्म में श्री राम के प्रति भक्ति व आस्था बेहद पुरानी है। श्री राम को भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में भी माना जाता है। यही वजह है कि श्री राम के जन्मवोत्सव की भी हिंदुओं के बीच काफी मान्यता है। इस दिन को देशभर में ‘राम नवमी’ (Ram Navami 2022) के नाम से मनाया जाता है। यूपी के शहर अयोध्या को श्री राम को जन्मस्थल माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्री राम यहां के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र थे। यह त्योहार वसंत नवरात्रि का एक हिस्सा है, और चैत्र के हिंदू कैलेंडर महीने में शुक्ल पक्ष के नौवें दिन आता है। हैप्पी राम नवमी। यह दिन लोग राम जी की पूजा करके
राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं अपने दोस्तों परिजनों को देते है।
राम नवमी क्यों मनाई जाती है? – Why Ram Navami is Celebrated in Hindi?
रामनवमी क्यों मनाई जाती है
श्री राम नवमी (sri rama navami) का त्योहार पिछले कई हजार सालों से मनाया जा रहा है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, लंकापति रावण के अत्याचारों को खत्म करने व उसकी संहार करने के लिए भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म लिया था। माना जाता है कि भगवान श्री राम का जन्म त्रेतायुग में धर्म की स्थापना के लिए हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अयोध्या के राजा दशरथ जिनका प्रताप 10 दिशाओं में व्याप्त रहा, उन्होंने तीन विवाह किए थे लेकिन किसी भी रानी से उन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हुई। इस कारण वे बेहद परेशान रहा करते थे। उन्होंने ऋषि मुनियों से जब इस बारे में विचार-विमर्श किया तो उन्होंने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने की सलाह दी। राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति हेतु यज्ञ करने की ठानी। राजा दशरथ ने यज्ञ के प्रसाद (खीर) को अपनी तीनों रानियों में बांट दिया। प्रसाद ग्रहण करने के कुछ महीनों बाद तीनों रानियों ने गर्भधारण किया। इसके बाद बड़ी रानी कौशल्या के गर्भ से चैत्र शुक्ल की नवमी श्री राम का जन्म हुआ। बाद में शुभ नक्षत्रों और शुभ घड़ी में महारानी कैकेयी ने भरत व तीसरी रानी सुमित्रा ने दो जुड़वां और तेजस्वी पुत्रों लक्ष्मण व शत्रुघ्न को जन्म दिया। ऐसा माना जाता है कि श्री राम के जन्म के बाद देवताओं ने फूलों से वर्षा की थी।
राम नवमी कब है? – Ram Navami Kab Hai 2022
राम नवमी का पावन त्योहार वसंत नवरात्रि का एक हिस्सा है, और चैत्र के हिंदू कैलेंडर महीने में शुक्ल पक्ष के नौवें दिन आता है। यह हर साल मार्च-अप्रैल के महीने में आता है। इस साल राम नवमी का त्योहार (Ram Navami 2021) बुधवार 21 अप्रैल को पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाएगा।
राम नवमी कैसे मनाई जाती है? – Ram Navami Kaise Manaya Jata Hai?
Ram Navami Kab Hai
हिंदू धर्म में श्री राम के प्रति लोगों में बेहद भक्ति और आस्था है। यही वजह है कि भारत में राम नवमी के त्योहार को काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन
भगवान श्री राम की भक्ति में डूबकर भजन कीर्तन किए जाते हैं। श्री राम कथा सुनी जाती है। रामचरित मानस का पाठ करवाया जाता है। कई जगहों भर भगवान श्री राम की प्रतिमा को झूले में भी झुलाया जाता है। इस दिन भगवान राम की विधि विधान से पूजा (ram navami puja) की जाती है। इस दिन हजारों लोग अयोध्या पहुंचकर सरयु नदी में स्नान करते हैं। बाद में भगवान श्री राम को याद करते हुए भजन-कीर्तन किए जाते हैं। घर व मंदिरों में रामचरित मानस का पाठ किया जाता है। किसी भी अच्छे काम की शुरुआत करने के लिए भी इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है।
रामनवमी का व्रत – Ramnavmi ka Vrat
इस दिन व्रत रखने का भी काफी महत्व है। राम नवमी के दिन श्री राम के भक्त राम नाम का स्मरण करते हुए व्रत रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
पूजन सामग्री – Ramnavmi Vrat Pujan Samagri
सबसे पहले स्नान इत्यादि करके पवित्र होकर पूजास्थल पर पूजन सामग्री के साथ बैठें। राम नवमी पर पूजा के लिए पूजा सामग्री में रोली, ऐपन, चावल, स्वच्छ जल, फूल, घंटी, शंख आदि लिया जा सकता है। पूजा में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य होना चाहिए। श्रीराम के सबसे प्रिय पदार्थ खीर और फल को प्रसाद के रूप में तैयार करें।
खीर बनाने की विधि – Ramnavmi Kheer Banaane ki Vidhi
खीर बनाने के लिए दूध, चावल, किशमिश, बादाम, और पिस्ता का इस्तेमाल किया जाता है। सबसे पहले एक पैन में दूध को उबाल लें। इसके बाद उसमें चावल डालकर हल्की आंच पर तब तक पकाएं जब तक चावल पक न जाए और दूध गाड़ा न हो जाए। बाद में इसमें इलायची पाउडर, चीनी और किशमिश मिलाएं। इसे लगातार तब तक चलाएं जब तक चीनी पूरी तरह न घुल जाए। गार्निशिंग के लिए बादाम और पिस्ता का इस्तेमाल करें।
राम नवमी पूजन विधि – Ramnavmi Pujan Vidhi in Hindi
सबसे पहले भगवान राम और माता सीता व लक्ष्मण की मूर्तियों पर जल, रोली और ऐपन अर्पित करें तत्पश्चात मुट्ठी भरकर चावल चढ़ाएं। पूजा के समय राम चालीसा या राम स्त्रोतम् का पाठ करें और खीर व फलों को प्रसाद के रूप में भगवान को भोग लगाएं। इसके बाद भगवान श्री राम की आरती करें। आरती के बाद पवित्र जल को आरती में सम्मिलत सभी लोगों पर छिड़कें। अपनी आर्थिक क्षमता व श्रद्धानुसार दान-पुण्य भी अवश्य करना चाहिये। पूजा के बाद घर की सबसे छोटी महिला अथवा लड़की को घर में सभी लोगों के माथे पर तिलक लगाना चाहिए।
राम नवमी का महत्व – Importance of Ram Navami in Hindi
Importance of Ram Navami in Hindi
राम नवमी सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है। यह पर्व भारत में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। राम नवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है। माना जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास जी भी ने अपने अमर काव्य रामचरितमानस की रचना इसी दिन अयोध्या में आरंभ की थी। अयोध्या शहर और रामभक्तों के लिए तो यह पर्व काफी महत्व रखता है। श्री राम हिन्दू धर्म में परम पूज्य माने जाते हैं। हिन्दू धर्म के कई त्यौहार जैसे दशहरा और दीपावली, राम की जीवन−कथा से जुड़े हुए हैं। श्रीराम न सिर्फ मर्यादा पुरुषोत्तम थे बल्कि आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श मित्र, आदर्श वीर और आदर्श देश सेवक भी थे। यही वजह है कि भारत में इस त्योहार की काफी मान्यता व महत्व है।
रामनवमी को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल-जवाब – FAQs
श्री राम के जीवन और रामनवमी को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठते रहते हैं। उनमें से कुछ हम यहां आपके लिए लेकर आए हैं। जानिए राम नवमी के त्योहार को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल-जवाब।
भारत में कहां-कहां मनाई जाती है राम नवमी? राम नवमी उन हिंदू त्योहारों में से एक है जो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में जड़ों के साथ भारतीय हिंदू प्रवासियों द्वारा मनाया जाता है।
भारत के अलावा और किन देशों में राम नवमी मनाई जाती है? यह हर साल डरबन के हिंदू मंदिरों में भी मनाई जाती है। इसी तरह त्रिनिदाद और टोबैगो, गुयाना, सूरीनाम, जमैका, अन्य कैरेबियाई देशों, मॉरीशस, मलेशिया, सिंगापुर और कई अन्य देशों में, भारत से ब्रिटिश सरकार द्वारा लाए गए हिंदू वंशज अपने दूसरे लोगों के साथ राम नवमी मनाते आए हैं।
श्री राम का जन्म कब हुआ? श्री राम के जीवन पर हुए शोधों की मानें तो 5114 ईसा पूर्व 10 जनवरी को दिन के 12.05 पर भगवान राम का जन्म हुआ था जबकि सैंकड़ों वर्षों से चैत्र मास (मार्च) की नवमी को रामनवमी के रूप में मनाया जाता रहा है। हालांकि कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि भगवान राम का जन्म 7122 साल पहले हुआ था।
श्री राम की मृत्यु कैसे हुई? भगवान श्री राम की मृत्यु को लेकर कई कथाएं प्रचलित है। इनमें से एक कथा अनुसार, जब सीता माता अपने दोनों पुत्रों लव और कुश को श्री राम को सौंपकर धरती माता की गोद में समा गई थीं, तब पत्नी सीता के चले जाने से व्यथित श्री राम ने यमराज की सहमति से सरयू नदी के तट पर जल समाधि ले ली थी। वहीं एक दूसरी कथा के अनुसार, लक्ष्मण के सरयू नदी में समाधि लेने से दुखी होकर श्री राम ने भी जल समाधि लेने का निर्णय लिया था। माना जाता है कि श्रीराम सरयू नदी के अंदर समाधी लेने के कुछ देर बाद नदी के अंदर से भगवान विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने अपने भक्तों को दर्शन दिए। उस समय वहां उनके साथ हनुमान, जामवंत, सुग्रीव, भरत, शत्रुघ्न आदि सभी लोग मौजूद थे। इस प्रकार से श्री राम ने अपना स्थूल रूप त्याग कर वास्तविक स्वरूप श्री विष्णु का रूप धारण किया और वैकुंठ धाम की ओर प्रस्थान कर गए।
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