कहते हैं एक महिला के लिए प्रेग्नेंट होने की खुशी दुनिया की हर खुशी से बढ़कर होती है। गर्भवती होने की सूचना मिलते ही उसके खुशी का ठिकाना नहीं रहता है। एक महिला के जो कंसीव करने की सोच रही है उसे पीरियड मिस होते ही मन में सबसे पहले यही सवाल आता है कि कहीं वो गर्भवती तो नहीं है? क्योंकि गर्भवती महिला में मां बनने को लेकर बड़ी उत्सुकता होती है। लेकिन कई बार बहुत सी महिलाओं को इस बात को लेकर कई ग़लतफ़हमियाँ होने लगती हैं कि वो प्रेगनेंट हैं। इसलिए अगर आपको लगता है कि आपके शरीर में अचानक कुछ बदलाव आ रहे हैं या प्रेगनेंसी के लक्षण (Pregnancy Symptoms in Hindi) जैसे दिख रहे हैं तो आप संबंध बनाने के 21 दिनों के अंदर ही अंदर प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकते हैं। अगर किसी कारण आप 21 दिनों के अंदर टेस्ट न कर पाएं तो ऐसी स्थिति में गर्भावस्था के संकेतों को जान लेना बेहतर होता है। इस लेख में हम आपको तमाम उन प्रेगनेंसी के लक्षण (pregnancy signs in hindi), गर्भावस्था के सप्ताह के अनुसार लक्षण व शुरूआती गर्भ ठहरने के लक्षण के बारे में विस्तार से बता रह हैं ताकि आपको किसी भी तरह की कोई गलतफहमी न रहें। प्रेगनेंसी में क्या पढ़ना चाहिए
प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण – Pregnancy ke Lakshan
गर्भावस्था के सप्ताह – Pregnancy Week by Week in Hindi
बहुत सी महिलाओं को ये पता नहीं चल पता है कि वो वास्तव में प्रेगनेंट है या ये नॉर्मल पीरियड मिस हुआ है। इस अभाव में आप न तो यह जानते हैं कि क्या खाना है, क्या सावधानियां बरतनी है। प्रेग्नेंसी का एहसास हर महिला के लिए सबसे अहम पल माना जाता है। इसकी जांच के लिए बाजार में कई सारी दवाइयों के साथ ही उपकरण भी मौजूद हैं। हालांकि, ये तमाम चीजें गर्भ ठहरने के पहले महीने (गर्भावस्था के सप्ताह) से ही दी जाने लगती हैं। इसीलिए प्रेग्नेंट होने के लक्षण पहचाने बेहद जरूरी है ताकि आप सही समय पर सही खान-पान व दवाईयां ले सकें। यहां हम आपको मुख्य 1 से 5 सप्ताह की गर्भावस्था के लक्षणों (pregnancy signs in hindi) के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी जानकारी गर्भवती होने वाली हर महिला को होनी चाहिए –
पहले सप्ताह की गर्भावस्था के लक्षण
दूसरे सप्ताह की गर्भावस्था के लक्षण
तीसरे सप्ताह की गर्भावस्था के लक्षण
चौथे सप्ताह की गर्भावस्था के लक्षण
पांचवे सप्ताह की गर्भावस्था के लक्षण
गर्भ ठहरने के लक्षण क्या है? – Pregnant Hone ke Lakshan
- पीरियड का मिस होना
- शरीर का तापमान ज्यादा होना
- पेट फूलना या दर्द होना
- उल्टी आना या जी मचलाना
- मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन
- स्तन में भारीपन व दर्द महसूस होना
- कब्ज और सीने में जलन
- क्रेविंग होना
- थकान व कमजोरी महसूस होना
- व्हाइट डिस्चार्ज
- सूंघने की शक्ति में वृद्धि
- बार -बार पेशाब आने की फीलिंग
- सिर दर्द का बने रहना
सबसे सामान्य और कारगर तरीका जिससे आपको यह शक होना लाजमी है कि आप गर्भवती हैं वह है पीरियड मिस होना। लेकिन इसके अलावा अन्य लक्षण भी जानने जरूरी है कि आप गर्भवती हैं भी या नहीं। इसके लिए आपको अपने शरीर में होने वाले छोटे-छोटे हार्मोनल बदलावों के बारे में जानना होगा। यहां हम आपको गर्भाधारण से जुड़े तमाम ऐसे मुख्य लक्षणों के बारे में बता रहे हैं, जिनके दिखने पर आपको तुरंत प्रेगनेंसी टेस्ट कर लेना चाहिए और कंफर्म हो जाना चाहिए कि आप प्रेगनेंट ही हैं। तो आइए डिटेल में जानते हैं कि गर्भ ठहरने के लक्षण क्या-क्या होते हैं –
पीरियड का मिस होना
शरीर का तापमान ज्यादा होना
गर्भवती होने पर शरीर का तापमान अक्सर सामान्य तापमान से अधिक हो जाता है। जैसे कि इंसान के शरीर का सामान्य तापमान लगभग 98.3 फारेनहाइट होता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर का तापमान थोड़ा बढ़ जाता है। ये लगभग 0.5 फारेनहाइट से लेकर 1 फारेनहाइट तब बढ़ सकता है। अगर आपको बीते कई दिनों से लगातार शरीर के तापमान में परिर्वतन नजर आ रहा है तो एक बार प्रेगनेंसी की पुष्टि जरूर कर लें।
पेट फूलना या दर्द होना
पीरियड्स नहीं आएं और फिर भी पेट में बार-बार मरोड़ उठ रहा है। ब्लोटिंग यानि कि पेट फूलने जैसी समस्या महसूस होती है। यह फूलापन गर्भाधारण के समय हॉर्मोन परिवर्तन के कारण भी होता है। दरअसल, गर्भावस्था की शुरुआत में शरीर प्रोजेस्टेरॉन की जितनी मात्रा उत्पन्न करता है, वह शरीर की मांसपेशियों को शिथिल कर देता है। इससे पाचन क्रिया की गति धीमी पड़ जाती है और उसका नतीजा पेट फूलना, गैस, डकार आना और बैचेनी जैसी समस्या के साथ सामने आता है। खासतौर पर खाना खाने के बाद।
उल्टी आना या जी मचलाना
अगर आप बीते कई दिनों से उल्टी आना या फिर जी मचलाना जैसी समस्या महसूस कर रही हैं तो हो सकता है कि आप प्रेगनेंट हों। क्योंकि सुबह उठते ही उबकाई या उल्टी आना प्रेगनेंट होने का एक अहम लक्षण है। वैसे ये शरीर – शरीर पर निर्भर करता है। बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं जिन्हें प्रेगनेंसी के दौरान उल्टियां नहीं आती और वहीं कुछ ऐसी भी महिलाएं हैं जिन्हें गर्भधारण से लेकर डिलीवरी तक उल्टियां आना और जी मचलाने की शिकायत बनी ही रहती है।
मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन
गर्भाधारण के दौरान अचानक आपके मूड यानि कि मनोदशा में बदलाव नजर आने लगेगा। कई तरह के इमोशनल उतार- चढ़ाव होने लगते हैं। कभी एकदम गुस्सा आ जाता है तो कभी एकदम हंसी और कभी पल में मन उदास हो उठता है तो कभी पल भर में खुशी का ठिकाना नहीं रहता। दरअसल ऐसा इसलिए होता है कि गर्भावस्था के दौरान खून में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन की मात्रा बढ़ने के कारण शरीर में हार्मोन का स्तर तेजी से बढ़ता है। ये बढ़ा हुआ हार्मोन का स्तर ही आपकी मनोदशा को प्रभावित कर सकता है। इस दौरान बार-बार चिंता और चिड़चिड़ापन होना तो आम है।
स्तन में भारीपन व दर्द महसूस होना
स्तनों में भारीपन, सूजन या फिर दर्द महसूस होना भी प्रेगनेंट होने के लक्षण हैं। जिस तरह से पीरियड के दौरान स्तन संवेदनशील महसूस होते हैं ठीक वैसे ही प्रेगनेंसी के दौरान भी होता है। लेकिन छठे हफ्ते तक स्तन और भी ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं। अगर आपको अपने स्तनों की त्वचा में नीली नसें साफ दिखाई दे रही और निप्पल गहरे काले रंग के नजर आ रहे हैं तो ये प्रेगनेंसी के लक्षण हो सकते हैं। क्योंकि गर्भावस्था के हार्मोन स्तनों में रक्त आपूर्ति बढ़ा देते हैं, इसलिए निप्पल के आसपास सनसनाहट सी महसूस हो सकती है।
कब्ज और सीने में जलन
गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में हो रहे बदलाव का असर उसकी पाचन क्रिया पर भी पड़ता है जिससे पेट में गैस की शिकायत अधिक होती है। पेट में गैस बनने की समस्या गर्भाधारण के पहले हफ्ते से नौ हफ्ते तक रह सकती है। पाचन क्रिया में बदलाव आने से सीने मे जलन होना भी आम है, ऐसे में आप अचानक से छाती में जलन महसूस भी कर सकते हैं। कब्ज और सीने में जलन प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण भी हैं।
क्रेविंग होना
थकान व कमजोरी महसूस होना
थकान होना तो आम बात है लेकिन बहुत ज्यादा स्तर पर थकान व कमजोरी महसूस होना प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। क्योंकि गर्भावस्था के शुरुआती दौर से ही महिला का शरीर शिशु को सहारा देने के लिए खुद को तैयार करता है। इस दौरान थकान महसूस होना स्वाभाविक है सकता है।
व्हाइट डिस्चार्ज
महिलाओं में अत्यधिक व्हाइट डिस्चार्ज एक साधारण बात है। लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान होनेवाले हार्मोनल बदलावों के कारण यह डिस्चार्ज काफी अधिक भी हो सकता है। भले ही आपको यह अच्छा न लगे लेकिन इसका एक अनजाना-सा फायदा भी है। जी हां, यही डिस्चार्ज आपको मूत्र विकारों से बचाता है। ऐसा प्रेगनेंसी के दौरान काफी बढ़ जाता है।
सूंघने की शक्ति में वृद्धि
अगर आपको ये महसूस हो रहा है कि आपकी नाक कुछ ज्यादा ही तेजी से काम कर रही हैं। यानि कि दूर- दूर की महक भी आसानी से सूंघ लेती हैं तो मामला कुछ और ही है। जी हां, गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में सूंघने की शक्ति तेजी विकसित होने लगती है। इस समय हार्मोन बदलाव की वजह से सूंघने की शक्ति बढ़ जाती है।
बार -बार पेशाब आने की फीलिंग
प्रेगनेंसी में पेशाब का बार- बार आना एक अहम लक्षण है। ये दिक्कत प्रेगनेंसी के छठे सप्ताह से और भी ज्यादा बढ़ जाती है। दरअसल होता ये है कि गर्भावस्था के दौरान शरीर में बन रहे हार्मोंस में बदलाव की वजह से किडनी में ब्लड सर्कुलेशन तेज होने लगता है और मूत्राशय में पेशाब जल्दी भर जाता है, जिस कारण पेशाब बार- बार होने की समस्या आती है। जैसे जैसे बच्चे का विकास होगा ये परेशानी और भी बढ़ने लगती है।
सिर दर्द का बने रहना
प्रेगनेंसी जैसे लक्षण दिखने के अन्य कारण
अगर किसी महिला के पीरियड्स सामान्य दिनों की तरह नियमित रूप से न आएं, तो इस स्थिति में दिखने वाले लक्षणों को प्रेगनेंसी मान लेना सही नहीं है। जी हां, जब तक प्रेगनेंसी टेस्ट के माध्यम से ये न पता चल जाएं कि आप गर्भवती है तब तक खुद प्रेगनेंट समझना न समझी है। क्योंकि आजकल की बदलते लाइफस्टाइल में लोगों की खाने की आदतों में इतना बदलाव आ चुका है कि पीरियड्स का कुछ समय के लिए बंद हो जाना या अनियमित पीरियड्स की समस्या होना आज आम हो गया है। लेकिन इसके लिए घबराने की जरूरत नहीं है। प्रेगनेंसी के अलावा पीरियड्स में देरी होने के कुछ सामान्य कारण भी हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं कि कौन से हैं वो कारण, जिसमें गर्भवती न होने के बाद भी प्रेग्नेंट होने के लक्षण जैसे महसूस होते हैं –
पीसीओडी या पीसीओएस
वजन बढ़ना
अगर आपका वजन सामान्य से ज्यादा है या कुछ दिनों से आप शरीर में भारीपन और खुद को फैटी फील कर रहे हैं तो आप मोटापे की गिरफ्त में हैं। और पीरियड्स लेट होने का एक कारण वजन का बढ़ना भी है। दरअसल वजन बढ़ने के कारण शरीर के हॉर्मोन्स सही तरीके से काम नहीं कर पाते जिसकी वजह से पीरियड्स ना आना या लेट होने की समस्या हो जाती है।
थायरॉइड और क्रोनिक समस्या
अगर किसी महिला को थायरॉइड की समस्या है तब भी पीरियड्स मिस हो सकते हैं। ऐसे में थायरॉइड ग्रंथि का ज्यादा काम करना या कम हार्मोन्स बनाना महिला के शरीर पर विपरीत प्रभाव डालता है। वहीं दूसरी तरफ कोई भी क्रोनिक समस्या हो जैसे लंबे समय तक लीवर या किडनी की समस्या, तब भी पीरियड्स देरी से आते हैं ऐसे में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी होता है।
हार्मोनल असंतुलन
बदलती लाइफस्टाइल से सबसे ज्यादा बदलाव शरीर के हार्मोन्स में आता है जिस वजह से महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उनमें से एक अनिमियत पीरियड्स का होनी भी है। दरअसल शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का असंतुलन होने पर भी पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं। इससे कई बार 2 महीने या इससे भी ज्यादा समय के बाद पीरियड्स आते हैं।
गर्भनिरोधक दवाइयों का सेवन
तनाव
प्रेगनेंसी की जानकारी या प्रेगनेंसी टेस्ट किट – Pregnancy ki Jankari
प्रेगनेंसी हर महिला के लिए वह खास दौर है, जिसे वह बेफ्रिक होकर खुशी- खुशी जीना चाहती है। उन नौ महीनों ( 9 month pregnancy in hindi) के दौरान उसके शरीर में कई बदलाव आते हैं। बहुत सी महिलाएं हड़बड़ी में आकर जल्दी टेस्ट कर लेती हैं और बदले में मिलता है उन्हें विपरीत नतीजा। दरअसल, महिला के यूरिन में मौजूद एक हॉर्मोन HCG की मौजूदगी से पता चलता है कि महिला गर्भवती है या नहीं। यह हॉर्मोन शरीर में तभी पैदा होता है, जब निषेचित अंडाणु गर्भाशय की दीवार से खुद को जोड़ लेता है। इसीलिए पीरियड्स मिस होने के एक हफ्ते बाद ही टेस्ट करना चाहिए। अगर किसी महिला के पीरियड मिस हुए हैं और उसे उपरोक्त दिये गये गर्भ ठहरने के लक्षण (pregnancy signs in hindi) अपने शरीर में महसूस हो रहे हैं तो एक बार इस बात पर मुहर लागने के लिए आपको प्रेगनेंसी टेस्ट जरूर करवा लेना चाहिए। तो आइए जानते प्रेगनेंसी टेस्ट किट का प्रयोग कैसे करें और प्रेगनेंसी टेस्ट करने के घरेलू तरीके कौन-कौन से हैं –
प्रेगनेंसी टेस्ट कैसे करें
होम प्रेगनेंसी टेस्ट किट से आप घर पर ही यूरिन सैंपल की सहायता से ये पता कर सकती हैं कि आप प्रेगनेंट हैं या नहीं? प्रेगनेंसी टेस्ट किट का सही तरीके से इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है नहीं तो हड़बड़ी में रिजल्ट गड़बड़ आ सकता है। इसके लिए सबसे पहले तो ध्यान रखें कि आप जिस कंटेनर में यूरिन ले रहे हैं, वह साफ और सूखा हो। टेस्ट किट में दिये गये ड्रॉपर की मदद से स्ट्रिप बॉक्स पर यूरिन की तीन बूंदें डालें और उसके बाद 5 से 10 मिनट तक इंतजार करें। इस दौरान ध्यान रखें कि टेस्ट स्ट्रिप के बीच वाले हिस्से को गलती से भी न छुएं। अगर रिजल्ट पॉजिटिव है तो किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाएं और जांच कराएं। डॉक्टर महिला के पेट और योनि की जांच करती है और बच्चेदानी की ऊंचाई देखती है। गर्भधारण करने के बाद बच्चेदानी का बाहरी भाग मुलायम हो जाता है। इन सभी बातों को देखकर डॉक्टर महिला मां बनने का संकेत देती है।