ADVERTISEMENT
home / लाइफस्टाइल
डर्टी सीक्रेट या शर्म की बात नहीं, बल्कि एक हिंसक अपराध है बलात्कार

डर्टी सीक्रेट या शर्म की बात नहीं, बल्कि एक हिंसक अपराध है बलात्कार

‘बलात्कार’ शब्द ही अपने आप में एक संवेदनशील मुद्दा है। यह एक ऐसा घृणित शब्द है जिसने अनगिनत परिवारों को बर्बाद किया है और साथ ही हमारे पूरे समाज को भी शर्मिंदा किया है। खासतौर पर पीड़ित परिवार के लिए अभिव्यक्ति में ‘बलात्कार’ शब्द का इस्तेमाल ही समाज में एक गलत संदेश देता है।

डर और आतंक का प्रभाव

यौन हिंसा और बलात्कार ऐसी भयानक घटनाएं होती हैं जो हमारे देश की महिलाओं को पूरी जिंदगी शारीरिक से ज्यादा मानसिक पीड़ा देती रहती हैं। बलात्कार या यौन हमला एक वह शब्द है जो किसी भी अनैच्छिक यौन कृत्य को व्यक्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है जिसमें पीड़ित कमजोर होता है, उसे धमकाया जाता है या उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध यौन कृत्य में संलग्न होने के लिए बाध्य किया जाता है। कभी- कभी पीड़ित को उसकी सहमति के बिना अनुचित यौन स्पर्श किया जाता है। ऐसे अधिकतर मामलों में डर या आतंक की वजह से किसी को इस बारे में बताया नहीं जाता था।

Rape pexels-photo

खुद को ही दोषी समझने की भूल

पहले हमारे देश में अपराध रिपोर्टिंग आज के मुकाबले काफी कम हुआ करती थी और शायद इसी वजह से बलात्कार के ज्यादातर मामलों में प्रतिशोध, शर्म और अपमान के डर की वजह से पुलिस को भी बलात्कार के इस अपराध की सूचना तक नहीं दी जाती थी। यहां तक कि बलात्कार पीड़ित इसके लिए खुद को ही दोषी समझने लगती थी और परिणामस्वरूप शर्मिंदगी के कारण खुद को काफी असुरक्षित महसूस करती थी। और यह सब सहन करते रहना उनपर ‘दूसरा हमला’ या ‘दूसरा बलात्कार’ के समान होता था। इतनी सारी परेशानियों से तंग होकर पीड़ित को लगने लगता है कि वह खुलकर सामने नहीं आ सकती, जो यह बताने के लिए पर्याप्त है कि वह असुरक्षित महसूस कर रही है। यह बात आज भी बड़ी चिंता की वजह है कि बलात्कार के मामले बहुत कम अनुपात में ही मामले अदालत तक न्याय के लिए पहुंचते हैं।

ADVERTISEMENT

नकारात्मक प्रतिक्रियाएं

यह भी देखा जाता है कि बलात्कार पीड़ितों को कानूनी और चिकित्सा कर्मियों से नकारात्मक या असहनीय प्रतिक्रियाएं मिलती हैं। अक्सर ‘‘विशेषज्ञ’’ पीड़ितों पर ही संदेह करने लगते हैं और हमले के लिए उन्हें ही दोषी ठहराते हैं। या फिर सहायता मिलने में काफी देरी होती है, जो पीड़ित को मानसिक रूप से तोड़ने का काम करती है। ऐसी स्थितियों में पीड़ित कानून तथा सेवाओं की प्रभावशीलता या मदद मिलने की उपयोगिता पर ही सवाल खड़ा हो जाता है। अंत में, सामुदायिक प्रणाली कर्मियों से नकारात्मक प्रतिक्रियाएं और उनसे प्राप्त न्याय सबकुछ उनके ही हाथ में होता है।

Rape pexels

बढ़ रहे हैं अनेक यौन अपराध

बलात्कार की कई घटनाओं पर मीडिया का पूरा ध्यान मिलने तथा जनसमुदाय के विरोध के कारण, पिछले कुछ वर्षों में या कहा जाए कि दामिनी के मामले के बाद से बलात्कार पर दलील देने का ट्रेंड बढ़ गया है। बलात्कार के साथ- साथ समाज में इससे संबंधित यौन उत्पीड़न, अश्लील यौन टिप्पणियां, यौन- शोषण, छेड़छाड़ और महिलाओं/ बालिकाओं की तस्करी जैसे दूसरे एकतरफा यौन अपराध भी समाज में काफी संख्या में बढ़ रहे हैं।

कानून में बदलाव

इसके अलावा जब इन मामलों में रेप ट्रायल्स (बलात्कार परीक्षणों) होते हैं तब भी कई तरह की कानूनी दिक्कतें आती हैं। वर्ष 2013 से पहले तक, बलात्कार के लिए अधिकतम 7 वर्ष की सजा की सजा का प्रावधान था लेकिन अब बलात्कार विरोधी विधेयक पास हो जाने के बाद, कानून में बदलाव देखा जा सकता है। अब बलात्कार का दोषी पाए जाने पर उम्रकैद और बलात्कार के दुर्लभ मामलों में मौत तक की सजा सुनाई जा सकती है। कानून की निष्पक्षता पर गौर करें, तो संस्थागत प्रक्रियाओं की स्थिति में स्पष्ट प्रगति देखने को मिली है।

ADVERTISEMENT

जमने लगा है भरोसा

उदाहरण के लिए, अब बलात्कार तथा यौन हमलों के मामलों के लिए देश के ज्यादातर हिस्सों में, विशेष दक्षता प्राप्त पुलिस अधिकारी तथा अदालती अभियोजन पक्ष उपलब्ध है। एक विशेष सुरक्षा और मुआवजा कार्यक्रम भी स्थापित किया गया है, जहां पीड़ित तथा अपराध के चश्मदीद गवाह को अपराध तथा अपराधियों से सुरक्षा और राहत मुहैया कराई जाती है। शातिर अपराध से पीड़ित के लिए थेरेपिस्ट तथा सहयोग समूह भी उपलब्ध हैं। इस तरह से पीड़ित तथा उनके परिजनों का भरोसा देश और देश के सिस्टम पर फिर से जमने लगा है।

समाज को बदलना होगा

हमारे देश की सभी संस्थाएं भी बलात्कार की इसी व्यापक सामाजिक अवधारणा का हिस्सा हैं जो कि न्याय के विरुद्ध है। अगर इस घृणित अपराध के खिलाफ आवाज उठानी है तो इसके लिए हमारे समाज को ही बदलना होगा और हो रहे बदलावों को स्वीकार करना होगा। समाज को ही पीड़िता की इच्छा और अभिव्यक्ति के अधिकार को स्वीकार करना होगा। समाज को ही ऐसे सभी मुद्दों के बारे में जानकारी और न्याय प्राप्त करने के लिए जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। बलात्कार अब तक एक डर्टी सीक्रेट हुआ करता था, लेकिन अब इस हिंसक अपराध को प्रकाश में लाने के लिए उम्मीद जगाने की जरूरत है।

(यह आर्टिकल जानीमानी क्रिमिनल साइकोलॉजिस्ट और मॉमप्रिन्योर अनुजा कपूर ने लिखा है।)

इन्हें भी देखें –

ADVERTISEMENT
30 May 2018

Read More

read more articles like this
good points

Read More

read more articles like this
ADVERTISEMENT