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पैडमैन चैलेंज से चली बदलाव की आंधी, शर्म से टूटा माहवारी का नाता

पैडमैन चैलेंज से चली बदलाव की आंधी, शर्म से टूटा माहवारी का नाता

आजकल लड़कियों की माहवारी यानि पीरियड्स को लेकर फैले रूढ़िवाद के खिलाफ एक अभियान चल रहा है, जिसने तेजी से पूरे देश के सेलिब्रिटीज़ ही नहीं, बल्कि देश के युवा वर्ग को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। सोशल मीडिया पर इससे जुड़े पैडमैन चैलेंज का गहरा प्रभाव देखा जा रहा है जो आनेवाले समय में इस दिशा में एक बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है।

अभियान की शुरूआत

इस अभियान की शुरूआत बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार और उनकी पत्नी ट्विंकल खन्ना ने पैडमैन फिल्म से की है और चूंकि सोनम कपूर इस फिल्म में उनकी को-स्टार हैं, इसलिए सोनम भी इस अभियान की अगुवा बनी हैं। लेकिन इस अभियान यानि पैडमैन चैलेंज की खासियत यह है कि यह सिर्फ पैडमैन फिल्म तक ही सीमित नहीं रहा। इन सभी ने इससे जुड़े पैडमैन चैलेंज को शुरू करके बॉलीवुड सितारों को ही नहीं, बल्कि देश की पूरी युवा पीढ़ी को अपने साथ जोड़ कर इस दिशा में जागरूकता फैलाने का काम करके साधुवाद हासिल किया है।

इससे जुड़ते बॉलीवुड सितारे

इसके बाद आमिर खान, शबाना आजमी, अदिति राव हैदरी, दीपिका पादुकोण, माधुरी दीक्षित… और न जाने कितने बॉलीवुड अभिनेता- अभिनेत्रियों ने इस पैडमैन चैलेंज को स्वीकार करके पैड के साथ अपनी तस्वीर को इंस्टाग्राम पर डाला है। और जैसा कि ऐसे अधिकतर अभियानों को सेलिब्रिटीज़ के साथ जनता भी फॉलो करती है, वैसा ही इस अभियान के साथ भी हुआ है। इस अभियान से अब लड़कियां ही नहीं, बल्कि लड़के भी जुड़ रहे हैं। लग रहा है कि इस दिशा में जागरूकता की जैसे आंधी चल पड़ी हो।

नहीं है सिर्फ नाम का चैलेंज

पैडमैन चैलेंज सिर्फ नाम का ही चैलेंज नहीं है, यह उन रूढ़ियों को तोड़ने का एक माध्यम है जो किसी भी महिला को माहवारी यानि पीरियड के समय किचन में जाने से रोकने जैसी अनेक समस्याओं से रूबरू करवाती है। अगर घर की बुजुर्ग महिलाएं और पुरुष पुरातन सोच के हों तब तो घर की महिलाओं और लड़कियों का जीवन पीरियड्स के दौरान बिलकुल नर्क के समान ही हो जाता है। हमारे देश में तो इस बारे में बात करना भी वर्जित माना जाता रहा है। आज भी लड़कियां घर में अपने भाई और पिता के सामने कह नहीं पातीं कि वह रजस्वला हैं, यानि उसके पीरियड्स चल रहे हैं। अगर भाई पानी मांगता है तो कह दिया जाता है कि उसकी तबियत खराब है।

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पीरियड्स के कारण महिला की हुई मौत

लड़कियां भी मानने लगी थीं कि यह पांच दिन उसकी जिंदगी के हर महीने उसके लिए बहुत बुरे हैं। हमारे यहां माना जाता है कि पीरिएड्स के दौरान लड़की या महिला अशुद्ध होती है, उसे रसोई में नहीं जाना चाहिए, उसे मंदिर नहीं जाना चाहिए। एक जमाने में तो पीरियड्स के दौरान लड़की को जमीन पर सोना पड़ता था। अभी पिछले ही महीने नेपाल में एक महिला की इसलिए मौत हो गई क्योंकि उसे माहवारी के चलते सर्दियों के दिनों में एक अलग झोंपड़ी में सोना पड़ा, जहां गर्माहट के लिए उसने आग जला रखी थी और इसीलिए उसका दम घुट गया।

पीरियड्स यानि गौरव की बात

माहवारी यानि पीरियड्स का दूसरा पक्ष देखने की कोशिश अब से पहले किसी ने नहीं की थी जो किसी भी महिला की जिंदगी का सबसे खूबसूरत हिस्सा है। रजस्वला होना यानि मां बनने के लायक बनना। रजस्वला होना यानि एक बड़े गौरव की बात। रजस्वला होना कोई शर्म की बात नहीं है, यह इस अभियान ने लड़कियों को सिखाया है, जहां एक ही दफ्तर के लड़के- लड़कियां पैड को लेकर एकसाथ फोटो खिंचवा कर सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं। यहां से लड़कियों ही नहीं, पुरुषों को भी लगने लगा है कि इसमें शर्म की क्या बात है, शर्म का भाव इस पैडमैन अभियान के बाद से लगता है बिलकुल गायब होने वाला है। 

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