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#DreamWithMe: आंखें नहीं हौसले सपने दिखाते हैं!

#DreamWithMe: आंखें नहीं हौसले सपने दिखाते हैं!

मेहनत अगर इमानदारी से की जाए तो कामयाबी जरूर मिलती है। यह prove कर दिखाया तमिलनाडु की एन.एल. बेनो जेफाइन ने। ये देश की पहली भारतीय विदेश सेवा ( IFS ) ऑफिसर हैं जो नेत्रहीन यानि blind हैं। पैरेंट्स के आशीर्वाद और support के जरिए ये इस मुकाम तक पहुंच पाईं। SBI में Provisionary Office की पोस्ट पर काम करते हुए और भारतीया यूनिवर्सिटी से English Literature में Phd करते हुए बेनो ने यह मुकाम हासिल किया। बेनो का मानना है कि शुरुआत तो खुद हमें ही करनी होती है, तभी तो support मिलता है। बेनो ने यह जज्बा दिखाया और पैरेन्ट्स हर कदम पर साथ रहे। नतीज़ा इन्होंने history create कर दी…

1.आसान तो कुछ भी नहीं

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यूपीएससी में 343 रैंक हासिल करने पर बेनो कहती हैं, मैं न्यूज़ चैनल्स के जरिए updated रहती थी लेकिन न्यूज़ पेपर्स का अलग charm होता है, जो मुझे भी है। फिर Editorial pages के आर्टिकल्स से हमें हर issue के बारे में details पता चलती है। मैं न्यूज़ पेपर्स नहीं पढ़ पाती तो मेरे पापा ने यह जिम्मेदारी ली। वह हर रोज़ मेरे लिए पूरा पेपर पढ़ते। कई बार जब सुबह के समय यह possible नहीं हो पाता तो रात को वह मुझे newspaper पढ़कर सुनाते। बेशक सिविल सर्विसेज़ एग्ज़ाम क्लीयर करना आसान नहीं है, लेकिन आसान तो कुछ भी नहीं। बाकी लोगों के लिए ये जितना tough है, मेरे लिए इसकी तैयारी थोड़ी और टफ थी क्योंकि कुछ चीजों के लिए मैं पूरी तरह दूसरों पर dependent हूं। लेकिन मेरे पैरेंट्स ने हर मुश्किल को आसान बना दिया।‘

2. कभी लाचारी महसूस नहीं होने दी

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बेनो बताती हैं, मेरे पापा ने मेरे कंप्यूटर में एक खास सॉफ्टवेयर upload कराया। जिसकी मदद से मैं सभी जरूरी किताबों को ब्रेललिपि (ब्लाइंड लोग जिस लिपि में पढ़ाई करते हैं) में स्कैन करके पढ़ पाती थी। मेरे पैरेंट्स ने आंखों की कमी के चलते मुझे कभी लाचारी महसूस नहीं होने दी, लेकिन जब आप बच्चे होते हैं तब थोड़ा तो inferior फील करते ही हैं लेकिन उम्र के साथ ऐसी कोई लाचारी महसूस नहीं होती क्योंकि आप दुनियादारी समझने लगते हैं।‘

3. ये 11th क्लास में देखा था सपना

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बेनो ने सिविल सर्विस का सपना 11th क्लास में देखा था। ये कहती हैं ‘मैं दुनिया के रंग नहीं देख सकती थी क्योंकि मेरे आंखे नहीं हैं लेकिन अपने हमउम्र दूसरे बच्चों की तरह मैं भी सपने तो देख सकती थी! मैंने उसी उम्र में सपना देखा था कि मुझे सिविल सर्विसेज़ में जाना है। तभी से मुझे लगन लग गई थी अपनी पढ़ाई को लेकर। मेरा मानना है कि वही firm determination था जो मुझे यहां तक ला पाया। इस बात में तो कोई doubt ही नहीं कि जो कुछ भी मैं हूं वो अपने पैरेंट्स की बदौलत हूं। मेरे साथ उन्होंने भी तप किया है। मम्मी-पापा हर समय मेरे साथ ऐसे involve रहते थे जैसे उनका भी exam हो।‘

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4. सब-कुछ तो कोई भी नहीं कर सकता

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मैं जानती हूं कि मैं सब कुछ नहीं कर सकती। लेकिन, बहुत कुछ कर सकती हूं! …और जो कर सकती हूं उसे करने से कभी पीछे नहीं हटती। अपनी सर्विस ट्रेनिंग के दौरान भी मैं इसी फॉर्मूले पर चल रही हूं। मैं 25 साल की उम्र में सिविल एम्प्लॉई बन गई हूं, अभी कुछ महीने ही हुए हैं और मैं सिस्टम और वर्किंग प्रॉसेस को समझने की कोशिश कर रही हूं। सीनियर्स का सपोर्ट और गाइडेंस मिल रही है। उसके लिए मैं thankful हूं।

5. मेरे Interview से जो मैंने सीखा

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अपने UPSC इंटरव्यू के बारे में बेनो कहती हैं, मैं आपके medium से उन स्टूडेंट तक अपनी बात पहुंचाना चाहूंगी जो सिविल की तैयारी कर रहे हैं। दोस्तो सबसे टफ कहे जाने वाले interviews में से एक UPSC इंटरव्यू की तैयारी में जो एक बात मायने रखती है वह है आपके स्कूल लेवल की Study. एलकेजी से लेकर 12th standerd तक के syllabus को जरूर पढ़ें।

source:youtube.com

05 May 2016

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