27 जुलाई, शुक्रवार के दिन पड़ने वाला चंद्रग्रहण सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण होने वाला है। इस इसका असर धरती पर 3 घंटे 55 मिनट तक रहेगा। वैसे तो हर साल चंद्रग्रहण लगता है लेकिन इस साल का ये चंद्रग्रहण बहुत खास है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार आधीरात का ग्रहण सबसे ज्यादा प्रभावशाली होता है। ऐसा संयोग करीब 150 साल बाद बना है। साथ ही खास बात ये भी है कि साल 2000 के बाद यानि 18 साल बाद एक बार फिर चंद्रग्रहण गुरु पूर्णिमा के दिन पड़ रहा है। इस दौरान ब्लड मून का नजारा भी देखने को मिलेगा, क्योंकि इस समय मंगल ग्रह धरती के ज्यादा करीब होगा। आम दिनों की तुलना में आप ग्रहण के दौरान बिना बायोस्कोप और बाइनाकुलर के चांद की खूबसूरती का आनंद ले सकते हैं। ये आपकी आंखों पर आम दिनों की तुलना में ज्यादा विपरीत असर नहीं डालेगा।
ध्यान रहे कि इस समय कुछ कार्य नहीं करने चाहिए। जैसे कि भगवान की मूर्ति को छूना, किसी भी तरह की नुकीली चीजों का इस्तेमाल, भोजन करना, प्रेग्नेंट महिलाओं का घर से बाहर निकलना आदि।
इस राशियों पर पड़ेगा चंद्रग्रहण का बुरा प्रभाव
इस चंद्रग्रहण का सबसे ज्यादा बुरा असर मकर और वृषभ राशि वाले लोगों पर दिखाई देगा। वहीं जिन लोगों की कुंडली में ग्रहण योग है, उन्हें भी इस दौरान बचकर रहना चाहिए और ईश्वर का ध्यान करते रहना चाहिए।
सूतक काल – दोपहर 2 बजकर 54 मिनट से ही शुरू हो जाएगा।
चंद्र ग्रहण शुरू होगा – रात 11 बजकर 54 मिनट
चंद्र ग्रहण खत्म होगा – अगले दिन सुबह 3 बजकर 49 मिनट
ग्रहण अवधि – 3 घंटे 55 मिनट
जानिए कहां- कहां दिखेगा ये चंद्र ग्रहण
इस ग्रहण का असर भारत सहित पूरे एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिणी अमेरिका, हिन्द, प्रशांत और अटलांटिक महासागर में अलग- अलग रूपों में दिखेगा।
दोपहर बाद ही बंद हो जाएंगे मंदिरों के कपाट
सूतक काल दोपहर 2 बजकर 54 मिनट से शुरू हो रहा है इसीलिए दिन से ही सभी छोटे- बड़े मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे। अगर आप किसी मंदिर में दर्शन के लिए जा रहे हैं तो दोपहर 2 बजे से पहले ही जाएं, नहीं तो इसके बाद आपको दर्शन अगले दिन ही हो पाएंगे।
जानिए क्या और कैसे लगता है ग्रहण
इस बारे में वैज्ञानिकों और ज्योतिषियों का कहना है कि सूर्य या चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। दरअसल, जब आकाश में सूर्य और चंदमा अपनी अपनी गति से घूमते रहते हैं तो कई बार दोनों धरती से एक सीध में पड़ जाते हैं जिससे चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है और सूर्य का वह भाग धरती वासियों को काला सा दिखने लगता है। इसे ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है। ऐसा केवल अमावस्या के दिन ही संभव हो सकता है और चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा पर ही लग सकता है।
क्या होता है ब्लड मून
वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रग्रहण के दौरान जब चंद्रमा सूर्य की रोशनी से दूर होते हुए पृथ्वी की छाया में होता है तो इसका रंग लाल हो जाता है। पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान यह रक्तिम लाल होता है। इस दौरान इस पर पृथ्वी की छाया से होते हुए कम ही सौर रोशनी पहुंचती है और वायुमंडल के बीच धूल के परत के कारण यह लाल नजर आता है। इसे ही ब्लड मून कहते हैं।
ग्रहण काल में बरतें ये सावधानियां
– प्रेग्नेंट महिलाओं को इस दिन घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। गर्भ पर बुरा असर पड़ता है।
– ग्रहण के समय कुछ खाना- पीना नहीं चाहिए। क्योंकि ग्रहण के समय प्रकाश की किरणों मे विवर्तन यानि (Diffraction) होता है। जिसकी वजह से कई हजार सूक्ष्म जीवाणु मरते है और कई हजार पैदा होते हैं।
– कहते हैं ग्रहण काल में शारीरिक सम्बंध भी नहीं बनाने चाहिए।
– ग्रहण काल के दौरान अगर कोई घर से बाहर रहता है तो उसे ग्रहण खत्म होते ही नहा लेना चाहिए।
– इस दौरान चाकू या तेज धार वाली कोई भी चीज इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए। ग्रहण के समय में इस तरह की वस्तुओं का प्रयोग वर्जित माना जाता है।
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