लाइफस्टाइल

Valmiki Jayanti Information in Hindi | महर्षि वाल्मीकि जीवनी : जानिए महर्षि वाल्मीकि कौन थे, जीवन परिचय और अन्य जानकारी 

Megha Sharma  |  Oct 7, 2020
Who Was Maharishi Valmiki in Hindi महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकि (Maharishi Valmiki) वैदिल काल के महान ऋषि हैं। धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के मुताबिक, महर्षि वाल्मीकि ने कठोर तप और अनुष्ठान के बाद महर्षि का स्थान प्राप्त किया था। इसके बाद परमपिता ब्रह्मा जी की प्रेरणा और आशीर्वाद के साथ वाल्मीकि ने भगवान श्री राम के जीवनचरित्र पर आधारित महाकाव्य रामायण की रचना की थी। हमारे इस ख़ास ब्लॉग में जानिए कि महर्षि वाल्मीकि कौन थे और वाल्मीकि जयंती (Valmiki Jayanti in Hindi) क्यों मनाई जाती हैऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार श्रीमद वाल्मीकि रामायण जगत का सर्वप्रथम काव्य था। महर्षि वाल्मीकि ने महाकाव्य रामायण की रचना संस्कृत भाषा में की थी। असल में वाल्मीकी द्वारा लिखी गई रामायण में कुल 24,000 श्लोक और 7 कंदा शामिल है। रामायण 480,002 शब्दों के मेल से बनी थी और यह महाभारात के कुल 1/3 भाग के बराबर है। 

Who Was Maharishi Valmiki in Hindi | महर्षि वाल्मीकि कौन थे?

महर्षि वाल्मीकि का जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र प्रचेता के घर हुआ था। वाल्मीकि के भाई का नाम मृगु था। कहा जाता है कि बचपन में एक भीलनी ने वाल्मीकि को चुरा लिया था और इस वजह से उनका पालन-पोषण भील समाज में हुआ और वह डाकू बन गए। वाल्मीकि बनने से पहले उनका नाम रत्नाकर था और परिवार के भरण-पोषण के लिए वह जंगल से गुज़रने वाले राहगीरों को लूटते थे और आवश्यकता होने पर उन्हें जान से भी मार डाला करते थे।

माना जाता है कि एक दिन उसी जंगल से नारद मुनि जा रहे थे। तभी रत्नाकर की नज़र उन पर पड़ी और उसने उन्हें बंदी बना लिया। इस पर नारद मुनि ने उनसे सवाल किया कि तुम ऐसे पाप क्यों कर रहे हो। रत्नाकर ने जवाब देते हुए कहा था, यह सब मैं अपने परिवार के लिए कर रहा हूं। इसके बाद नारद ने पूछा क्या तुम्हारा परिवार भी इसके पाप भोगेगा? रत्नाकर ने तुरंत कहा, हां, मेरा परिवार हमेशा साथ खड़ा रहेगा। नारद मुनि ने कहा, एक बार जाकर अपने परिवार से पूछो। रत्नाकर ने जब अपने परिवार से पूछा तो सबने मना कर दिया। इस पर रत्नाकर दुखी हो गया और उसने पाप का रास्ता छोड़ दिया।

Introduction of Valmiki | महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय

महर्षि वाल्मीकि का जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र प्रचेता के घर हुआ था। वाल्मीकि के भाई का नाम मृगु था। कहा जाता है कि बचपन में एक भीलनी ने वाल्मीकि को चुरा लिया था और इस वजह से उनका पालन-पोषण भील समाज में हुआ और वह डाकू बन गए। वाल्मीकि बनने से पहले उनका नाम रत्नाकर था और परिवार के भरण-पोषण के लिए वह जंगल से गुज़रने वाले राहगीरों को लूटते थे और आवश्यकता होने पर उन्हें जान से भी मार डाला करते थे।
माना जाता है कि एक दिन उसी जंगल से नारद मुनि जा रहे थे। तभी रत्नाकर की नज़र उन पर पड़ी और उसने उन्हें बंदी बना लिया। इस पर नारद मुनि ने उनसे सवाल किया कि तुम ऐसे पाप क्यों कर रहे हो। रत्नाकर ने जवाब देते हुए कहा था, यह सब मैं अपने परिवार के लिए कर रहा हूं। इसके बाद नारद ने पूछा क्या तुम्हारा परिवार भी इसके पाप भोगेगा? रत्नाकर ने तुरंत कहा, हां, मेरा परिवार हमेशा साथ खड़ा रहेगा। नारद मुनि ने कहा, एक बार जाकर अपने परिवार से पूछो। रत्नाकर ने जब अपने परिवार से पूछा तो सबने मना कर दिया। इस पर रत्नाकर दुखी हो गया और उसने पाप का रास्ता छोड़ दिया।

महर्षि वाल्मीकि का जीवन कई उतार-चड़ाव से भरा हुआ था। वह पहले एक डाकू थे लेकिन बाद में उनके जीवन में घटित हुई कुछ घटनाओं ने उन्हें पूरी तरह से बदल कर रख दिया। इसके बाद वह डाकू से महर्षि बन गे। कहा जाता है कि वाल्मीकि का व्यक्तित्व असाधारण था। यह उनके चरित्र की महानता ही है, जिसने उन्हें इतना बड़ा और महान कवि बना दिया। उनके जीवन और चरित्र से आज भी लोगों को प्रेरणा मिलती है।
नाममहर्षि वाल्मीकि
वास्तविक नामरत्नाकर
पिता का नामप्रचेता
जन्म दिवसशरद पूर्णिमा, अश्विनी पूर्णिमा
पेशाडाकू, महाकवि, महर्षि
रचनामहाकाव्य रामायण

Ramayana Story in Hindi | रामायण कथा इन हिन्दी

महर्षि वाल्मीकि उर्फ डाकू रत्नाकर ने ही रामायण की रचना की। हालांकि, इसके पीछे भी एक इतिहास छिपा हुआ है। डाकू रत्नाकर ने जब पाप रास्ता छोड़ा तो उन्हें नारद ने राम का नाम जपने की सलाह दी थी। इसके बाद वाल्मीकि ने काफी समय तक कठोर तप किया राम नाम का जाप करने लगे। राम नाम का जाप करते हुए वह काफू दुर्बल हो गए और उनके शरीर पर चीटिंया रेंगने लगी। यह उनके द्वारा किए गए पापों का फल था। हालांकि, अपनी इस घोर तपस्या से जब उन्होंने ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर दिया तो उन्होंने महर्षि वाल्मीकि को महाकाव्य रामायण लिखने के लिए कहा।

What Was the First Verse of Valmiki ji | महर्षि वाल्मीकि जी का सबसे पहले श्लोक क्या था

महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत साहित्य के पहले श्लोक की रचना की थी। संस्कृत साहित्य का यह पहला श्लोक रामायण का भी पहला श्लोक था। ज़ाहिर सी बात है कि रामायण संस्कृत भाषा का पहला महाकाव्य है। हालांकि, इस पहले श्लोक में श्राप की बात की गई है और इस श्राप के पीछे भी एक रोचक कहानी छिपी हुई है। 
दरअसल, एक दिन वाल्मीकि स्नान करने के लिए गंगा नदी को जा रहे थे। रास्ते में उन्हें तमसा नदी दिखाई दी। उस नदी के स्वच्छ जल को देखकर उन्होंने वहां नहाने का सोचा। तभी उन्होंने प्रणयक्रिया में लीन क्रौंच पक्षी के जोड़े को भी देखा। प्रसन्न पक्षी युगल को देख महर्षि वाल्मीकि भी प्रसन्न हो गए। तभी अचानक कहीं से एक बाण आकर नर पक्षी को लग गया। तभी उस स्थान पर पक्षी पर हमला करने वाला बहेलिया दौड़ता हुआ आता है। इस दुखद घटना को देखक महर्षि वाल्मीकि के मुख से बहेलिया के लिए श्राप निकल जाता है:
मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः ।
यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम् ॥
अर्थात: हे निषाद! तुमको अनंत काल तक शांति ना मिले, क्योंकि तुमने प्रेम, प्रणय-क्रिया में लीन असावधान क्रौंच पक्षी के जोड़े में से एक की हत्या कर दी है। 

How to Celebrate Valmiki Jayanti in Hindi | कैसे मनाई जाती है वाल्मीकि जयंती

हर साल शरद पूर्णिमा के दिन देशभर में वाल्मीकि जयंती (maharishi valmiki jayanti) मनाई जाती है। देशभर में इस दिन को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस मौके पर मंदिरों में महर्षि वाल्मीकि की विशेष पूजा अर्चना और आरती की जाती है। साथ ही कई हिस्सों में वाल्मीकि की शोभा यात्रा भी निकाली जाती है। महर्षि वाल्मीकि के जन्मदिन पर लोगों को उनके जीवन के बारे में बताया जाता है, ताकि लोग उनके जीवन से प्रेरणा लेकर सत्य के पथ पर चलें। चूंकि महर्षि वाल्मीकि को आदिकवि और गुरु के रूप में जाना जाता है, इस वजह से स्कूलों में भी इस दिन को धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

History of Valmiki Jayanti in Hindi | महर्षि वाल्मीकि जयंती का इतिहास

महर्षि वाल्मीकि जयंती (Valmiki Jayanti) का इतिहास काफी पुराना है। माना जाता है कि उनके सम्मान में यह दिन रामायण काल से ही मनाया जाता आ रहा है। महर्षि वाल्मीकि के जीवन की कहानी काफी प्रसिद्ध है और उनके जीवन से जुड़ी बहुत सी पोराणिक और ऐतिहासिक घटनाएं मशहूर हैं। 
वाल्मीकि के जीवन की सबसे पहली और मशहूर घटना- कहा जाता है कि उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था और एक भलीनी उन्हें चुरा कर ले गया था। इस कारण वह अपने परिवार के भरण पोषण के लिए डाकू बन गए थे। 
कैसे छोड़ा पाप का रास्ता- वाल्मीकि जी ने एक बार नारद मुनी को बंधक बना लिया था। इसके बाद नारद मुनी द्वारा पूछे गए कुछ सवालों ने उनकी ज़िंदगी को बदल कर रख दिया और उन्होंने पाप के रास्ते को धोड़ दिया।

वाल्मीकि जयंती से जुड़े सवाल और जवाब- FAQ

2022 में वाल्मीकि जयंती कब है?

देशभर में 9 अक्टूबर 2022 (रविवार) को वाल्मीकि जयंती मनाई जाएगी। बता दें, हर साल शरद पूर्णिमा के दिन ही वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है और देशभर में इस दिन को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। 

वाल्मीकि किसके पुत्र थे?

माना जाता है कि महर्षि वाल्मीकि महर्षि कश्य और अदिति की नौवीं संतान प्रचेता के पुत्र थे। उनकी माता का नाम चर्षणी और भाई का नाम मृगु था। बचपन में ही उन्हें भील ने चुरा लिया था, जिस वजह से उनका पालन पोषण एक भील परिवार के साथ हुआ। इस कारण ही वह डाकू बन गए थे।

वाल्मीकि का असली नाम क्या है?

महर्षी वाल्मीकि का असली नाम रत्नाकर है। उनका पालन पोषण भील परिवार में अवश्य हुआ था लेकिन उन्हें एक ब्राह्मण माना जाता था।

वाल्मीकि का जन्म कहाँ हुआ?

वाल्मीकि का जन्म भारत में हुआ था।

रामायण में कितने कांड है?

महाकाव्य रामायण में कुल 24,000 श्लोक, 500 उपखंड तथा 7 कांड हैं। इन सातों कांडों के नाम बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किन्धाकांड, सूंदरकांड, लंकाकांड तथा उत्तरकांड है। इनमें सबसे बड़ा कांड बालकांड और सबसे छोटा कांड किष्किन्धाकांड है।

भारत में कहां है वाल्मीकि मंदिर?

चेन्नई के तिरुंवंमियुर क्षेत्र में वाल्मीकि का मंदिर स्थित है। माना जाता है कि यह मंदिर 1300 साल से भी अधिक पुराना है। भारत में वाल्मीकि को रामायण का रचियता के साथ-साथ श्लोकों का जनक भी माना जाता है।

 तो आपने अभी जाना कि महर्षि वाल्मीकि जी का हमारी संस्कृति पर क्या असर है और वो कितने महत्वपूर्ण हैं। ना केवल एक साहित्यकार के रूप में बल्कि उन्हें देश में सभ्यता की स्थापना करने में भी योगदान दिया और पुरुषोत्तम जैसे उदाहरण को प्रस्तुत किया। उम्मीद है आप जानने में कामयाब रहे होंगें कि महर्षि वाल्मीकि कौन थे (Valmiki Jayanti in Hindi), इस जानकारी को आप अपने दोस्तों के जरूर साझा करें

ये भी पढ़ें – 

 

Read More From लाइफस्टाइल