किडनी की बीमारी (kidney failure symptoms in hindi) का पता कर पाना कई बार काफी ट्रिकी हो जाता है क्योंकि किडनी से संबंधित बीमारी के लक्षण (kidney problems symptoms in hindi) काफी वक्त बाद दिखाई देने शुरू होते हैं और तब तक किडनी को काफी अधिक नुकसान पहुंच चुका होता है। यहां तक कि कई बार chronic Kidney Disease (CKD) को साइलेंट कंडीशन भी बताया जाता है क्योंकि इसका पता लगा पाना बहुत ही मुश्किल होता है और अधिकतर लोग इसकी शुरुआती स्टेज के बारे में बिल्कुल नहीं जानते हैं। वैसे तो बाद में इसके लक्षणों का पता चलने से अधिक मदद नहीं होती है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आपको इस बीमराी के शुरुआती लक्षणों की जानकारी नी हो। इस वजह से याद रखें कि कोई भी एक्शन लेने से पहले आपको लक्षणों के दिखने का इंतजार नहीं करना चाहिए। साथ ही यदि आपको हाइपरटेंशन या फिर शुगर की बीमारी है तो आपको साल में कम से कम एक बार किडनी की बीमारी का टेस्ट करा लेना चाहिए ताकि आपको अपने eGFR रेट के बारे में पता चल सके।
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किडनी खराब होने लक्षण | Kidney kharab hone ke lakshan
हो सकता है कि आपको किडनी की बीमारी के शुरुआत में कुछ लक्षण (किडनी खराब होने के शुरुआती लक्षण) दिखाई दें लेकिन कई बार किडनी की बीमारी के लक्षण (किडनी की बीमारी के 10 संकेत) इसके बढ़ जाने के बाद ही दिखाई देते हैं। किडनी की बीमारी का ट्रीटमेंट किडनी में हो रहे डैमेज को कम करने में मदद करता है और इसके कारणों को कंट्रोल करने में मदद करता है लेकिन जरूरी नहीं है कि किडनी के नुकसान को कंट्रोल करने से आपकी किडनी डैमेज का खतरा भी कम हो जाए। कई बार किडनी की बीमारी आखिरी स्टेज तक पहुंच जाती है और किडनी फेलियर (kidney failure symptoms in hindi) का कारण बनती है और इसके बाद आपको आर्टिफिशल फिल्टरिंग या फिर किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। तो चलिए बिना कोई देरी किए आपको किडनी इन्फेक्शन के लक्षण (kidney infection ke lakshan) के बारे में बताते हैं।
- यूरिन के कलर में बदलाव आना
- फैटीग
- खुजली होना
- हाथ और पैर में सूजन
- सांस चढ़ना
- कमर में निचली तरफ दर्द होना
- भूख कम लगना
- आंखों के आसपास पफीनेस होना
- फोसफोरस, कैल्शियम और विटामिन डी के एबनॉर्मल लेवल
- एबनॉर्मल यूरिन लेवल
- हाई ब्लड प्रेशर
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यूरिन के कलर में बदलाव आना
स्वस्थ किडनी ब्लड को फिल्टर करने में मदद करती है और यूरिन को बनाती है। हालांकि, जब किडनी सही तरह से काम नहीं कर रही होती है तो आपको यूरिन में बदलाव दिखाई देता है, जैसे कि अधिक यूरिन आना या फिर यूरिन में खून आना आदि। ऐसा भी हो सकता है कि आपका यूरिन अधिक फॉमी या फिर बब्ली हो जो बताता है कि आपके यूरिन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ रही है और यह किडनी डैमेज का लक्षण हो सकता है।
फैटीग
किडनी फंक्शन कम होने की वजह से आपके खून में टॉक्सिन एकत्रित होते हैं और इसकी वजह से आपको खुद में एनर्जी की कमी महसूस होती है। किडनी की बीमारी की वजह से आपको एनीमिया भी हो सकता है, जिसकी वजह से आपको अधिक थकावट महसूस हो सकती है क्योंकि आपके शरीर में काफी कम रेड ब्लड सेल्स होते हैं।
खुजली होना
ड्राई और इची स्किन भी इसका एक साइन हो सकता है कि आपके खून में किडनी की बीमारी की वजह से मिनरल और न्यूट्रिएंट्स का इंबेलेंस है। अधिक खुजली होने का कारण फोसफोरस की हाई ब्लड लेवल होना है।
हाथ और पैर में सूजन
जब आपकी किडनी सही से फ्लूइड को नहीं निकाल रहा होता है और सोडियम आपके शरीर से बाहर नहीं निकलता है तो इससे आपके पैर में सूजन हो सकती है या फिर एक्सट्रेमाइट्स कम होने लगती है।
सांस चढ़ना
आपके लंग्स में एक्स्ट्रा फ्लूइड बिल्ड अप होने लगता है, जब आपकी किडनी सही तरह से काम नहीं कर रही होती है और इस वजह से वो इस बिल्ड अप फ्लूइड को नहीं निकाल पाती है और आपको सांस चढ़ने लग जाती है। किडनी की बीमारी में एनीमिया होता है, जिसकी वजह से आपके शरीर में ऑक्सीजन कैरी करने वाले रेड ब्लड सेल्स कम हो जाते हैं और सांस चढ़ने की दिक्कत का कारण बनते हैं।
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कमर में निचली तरफ दर्द होना
हो सकता है कि आपको अपनी कमर में किडनी के आस-पास दर्द होने लग जाए जो कभी बदलता नहीं है और वक्त के साथ वो दर्द बढ़ने लग जाए। बता दें कि कमर के निचले हिस्से में किडनी स्पाइन के साइड में होती है और किडनी की समस्या के कारण दर्द हो सकता है। कमर में दर्द की वजह से इंफेक्शन और ब्लॉकेज भी हो सकता है, जिसकी वजह से किडनी डैमेज हो जाती है।
भूख कम लगना
किडनी फंक्शन में गड़बड़ होने की वजह से टॉक्सिन बिल्डअप होता है और इसकी वजह से आपको कम भूख लगने लग जाती है और इसकी वजह से आपको हमेशा आपका पेट भरा हुआ लगता है या फिर आपको खाना खाने का मन ही नहीं करता है।
आंखों के आसपास पफीनेस होना
अगर आपके यूरिन में प्रोटीन लीक हो रहा है तो इसका मतलब है कि आपकी किडनी डैमेज है और इस वजह से आपकी आंखों में पफीनेस दिखाई दे सकती है, जो किडनी की बीमारी का शुरुआती लक्षण है।
फोसफोरस, कैल्शियम और विटामिन डी के एबनॉर्मल लेवल
इंपेयर्ड किडनी फंक्शन की वजह से इलेक्ट्रोलाइट इंबेलेस हो जाता है जैसे कि लो कैल्शियम लेवल या फिर हाई फोसफोरस, जिसकी वजह से आपकी मसल्स में दर्द हो सकता है।
एबनॉर्मल यूरिन लेवल
यूरिन में अधिक मात्रा में प्रोटीन को proteinuria कहा जाता है, जो कि किडनी की बीमारी का लक्षण होता है। स्वस्थ किडनी वेस्ट और फ्लूइड को फिल्टर करती है और प्रोटीन को खून में वापस भेज देती है। हालांकि, जब किडनी सह से फंक्शन नहीं कर रही होती है तब प्रोटीन आपके यूरिन में लीक हो रहा होता है।
हाई ब्लड प्रेशर
एक्सेस फ्लूइड और सोडियम बिल्ड अप, किडनी की बीमारी का रिजल्ट होता है जिसकी वजह से हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कत हो सकती है। हाई ब्लड प्रेशर की वजह से ब्लड वेसल भी डैमेज होते हैं और इसकी वजह से वक्त के साथ-साथ किडनी की समस्या बढ़ जाती है।
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गुर्दों को स्वस्थ रखने के कुछ टिप्स | Some tips to keep kidneys healthy in hindi
आपकी किडनी (kidney infection ke lakshan) मुठ्ठी के साइज की होती है और यह आपके रिब केज के नीचे होती है और यह स्पाइन के दोनों तरफ होती है और शारीरिक प्रक्रिया में यह कई काम करती हैं। सबसे अहम, यह वेस्ट, एक्सेस पानी और अन्य अशुद्धियों को खून से बाहर निकालने का काम करती है। ये सारा वेस्ट इसके बाद आपके ब्लेडर में स्टोर होता है और फिर यूरिन के जरिए बाहर आ जाता है। इतना ही नहीं यह pH, नमक और पोटैशियम के लेवल को खून में रेगुलेट करती है। साथ ही यह ब्लड प्रेशर को रेगुलेट करने के लिए हार्मोंस को प्रोड्यूस करती है और रेड ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन को कंट्रोल करती है। किडनी को स्वस्थ (kidney problems symptoms in hindi) रखना बेहद जरूरी होता है और अपनी किडनी को स्वस्थ रख कर आप अपनी बॉडी को भी स्वस्थ रख सकते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि किन तरीकों से आप अपनी किडनी को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं।
आपकी किडनी मुठ्ठी के साइज की होती है और यह आपके रिब केज के नीचे होती है और यह स्पाइन के दोनों तरफ होती है और शारीरिक प्रक्रिया में यह कई काम करती हैं। सबसे अहम, यह वेस्ट, एक्सेस पानी और अन्य अशुद्धियों को खून से बाहर निकालने का काम करती है। ये सारा वेस्ट इसके बाद आपके ब्लेडर में स्टोर होता है और फिर यूरिन के जरिए बाहर आ जाता है। इतना ही नहीं यह pH, नमक और पोटैशियम के लेवल को खून में रेगुलेट करती है। साथ ही यह ब्लड प्रेशर को रेगुलेट करने के लिए हार्मोंस को प्रोड्यूस करती है और रेड ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन को कंट्रोल करती है। किडनी को स्वस्थ रखना बेहद जरूरी होता है और अपनी किडनी को स्वस्थ रख कर आप अपनी बॉडी को भी स्वस्थ रख सकते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि किन तरीकों से आप अपनी किडनी को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं।
खुद को एक्टिव और फिट रखें
नियमित रूप से एक्सरसाइज करने के फायदे केवल वेस्टलाइन के लिए ही नहीं होते हैं बल्कि इससे कई और फायदे भी होते हैं। यह किडनी की बीमारी के खतरे को कम भी करता है। साथ ही ब्लड प्रेशर को भी घटाता है और दिल के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है जो किडनी डैमेज को होने से रोकने में मदद करती है। इसके लिए जरूरी नहीं है कि आपको बहुत ज्यादा एक्सरसाइज ही करनी होगी। आप चाहें तो वॉकिंग, रनिंग, साइक्लिंग और यहां तक कि डांसिंग आदि कर सकते हैं।
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ब्लड शुगर को कंट्रोल करें
जिन लोगों को डायबिटीज होती है उनमें अक्सर हाई ब्लड शुगर देखा जाता है, जिसकी वजह से किडनी डैमेज हो सकती है। जब आपके बॉडी सेल ग्लूकॉज का इस्तेमाल नहीं करती है तो किडनी को ब्लड फिल्टर करने के लिए एक्स्ट्रा काम करना पड़ता है। अधिक वक्त में यह एक बेहद खतरनाक बीमारी बन सकती है। हालांकि, अगर आप अपने ब्लड शुगर को कंट्रोल कर लेते हैं तो डैमेज का रिस्क भी कम हो सकता है।
ब्लड प्रेशर को मॉनिटर करें
हाई ब्लड प्रेशर की वजह से भी किडनी की बीमारी हो सकती है। अगर आपको डायबिटीज, दिल की बीमारी या फिर हाई कोलेस्ट्रोल है और उसके साथ-साथ हाई ब्लड प्रेशर की भी दिक्त है तो इससे आपकी किडनी पर नकारात्मक प्रभाव होता है। ऐसे में जरूरी है कि आप नियमित रूप से अपना ब्लड प्रेशर चेक करते रहें और उसे कंसिस्टेंट रखने की कोशिश करें। इसके लिए आप अपनी लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव कर सकते हैं।
धूम्रपान ना करें
धूम्रपान करने से आपके शरीर की ब्लड वेसल डैमेज हो जाती है। इसकी वजह से ब्लड फ्लो स्लो हो जाता है और आपकी किडनी तक भी देर से पहुंचता है। स्मोंकिंग की वजह से आपको किडनी में केंसर भी हो सकता है। अगर आप स्मोकिंग बंद कर देते हैं तो इसका रिस्क भी कम होता है।
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Supriya Srivastava