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प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए, जिससे बच्चें को न हो खतरा – Pregnancy Me Kya Khana Chahiye

Supriya Srivastava  |  Nov 14, 2019
प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए, जिससे बच्चें को न हो खतरा – Pregnancy Me Kya Khana Chahiye
प्रेगनेंसी का दौर हर महिला के लिए बेहद खास होता है। पीरियड मिस होते ही प्रेगनेंसी टेस्ट करने से लेकर डिलीवरी तक का समय किसी सपने के सच होने से कम नहीं होता। पूरा परिवार प्रेगनेंट महिला को सिर-आंखों पर बिठा कर रखता है, उसे खूब पैंपर किया जाता है। सोंठ के लड्डुओं के साथ घर के बने सेहतमंद खाने की सलाह घर के हर दूसरे बड़े-बुजुर्ग से मिलने लगती है। प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए, इस बात की सलाह तो लगभग सभी देते हैं, लेकिन इस दौरान क्या नहीं खाना चाहिए (Pregnancy me Kya khana Chahiye Kya Nahi) और किस तरह के फूड को एवॉयड करना चाहिए, ये कम ही लोग बता पाते हैं। 

प्रेगनेंसी के दौरान क्या न खाएं – Pregnancy me Kya na Khaye

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पुराने ज़माने से कहते और सुनते आए हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला का जो भी खाने का मन हो, उसे तुरंत दिया जाना चाहिए, नहीं तो पैदा होने के बाद बच्चे की लार टपकती रहती है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर इस दौरान गर्भवती महिला का कुछ ऐसा खाने का मन करता है, जो उसे नहीं खाना चाहिए, तब उस स्थिति में क्या किया जाए। दरअसल प्रेगनेंसी के दौरान और खासतौर पर शुरुआती 3 महीनों में मन होने के बावजूद कुछ फूड्स को नहीं खाना चाहिए, क्योंकि वे न सिर्फ गर्भवती महिला, बल्कि होने वाले बच्चे के लिए भी हानिकारक होते हैं। प्रेगनेंसी के यही 3 महीने सबसे ज्यादा मुश्किल होते हैं। उसके बाद डॉक्टर की सलाह लेकर कुछ चीज़ों को खाने की शुरुआत की जा सकती है।    
हम यहां आपको कुछ ऐसे फूड्स के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें प्रेगनेंसी के दौरान नहीं खाना (Pregnancy me Kya na khaye) चाहिए।

चाइनीज़ खाना – Chinese Food

हम जानते हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान अक्सर कितना ऊटपटांग खाने का मन करता है, चाउमीन, मोमोज़ और बाकी चाइनीज़ फूड। दरअसल चाइनीज फूड में मोनो सोडियम ग्लूटामेट मौजूद होता है, जिसके कारण बच्चे में जन्म के बाद किसी न किसी तरह की शारीरिक कमी देखने को मिल सकती है। इसके अलावा चाइनीज़ फूड में सोया सॉस का भी खूब इस्तेमाल किया जाता है। सोया सॉस में नमक की मात्रा ज्यादा होने के कारण गर्भवती महिला को हाई ब्लड प्रेशर के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा चाइनीज़ खाने में अजीनोमोटो का इस्तेमाल भी किया जाता है, जो गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए काफी हानिकारक होता है। 
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कच्चा या कम पका हुआ खाना

प्रेगनेंसी के दौरान कच्चा या आधा पका हुआ फिश, मीट या अंडा कतई न खाएं। गर्भवती महिलाओं को पूरी तरह से पका हुआ अंडा या मीट ही खाना चाहिए। इस तरह के कच्चे खाने के सेवन से गर्भवती महिला को उल्टी व दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

कैफीन का सेवन न करें – Do Not Consume Caffeine

प्रेगनेंसी के दौरान कैफीन की मात्रा गर्भपात के खतरे को बढ़ा सकती है। कैफीन चाय, चॉकलेट और कॉफी जैसी चीज़ों में पाया जाता है। यहां तक कि डॉक्टर भी गर्भावस्था में कम कैफीन लेने की सलाह देते हैं, क्योंकि कैफीन का अधिक सेवन करने से डिलीवरी के बाद बच्चे का वज़न कम रह सकता है। हालांकि आजकल की लाइफस्टाइल में चाय और कॉफी को पूरी तरह से बंद कर देना आसान नहीं होता, इसलिए प्रेगनेंसी में रोज़ 200 मिलीग्राम यानी एक या ज्यादा से ज्यादा 2 कप चाय-कॉफी पीने को ही सही माना गया है। 

शराब व धूम्रपान बिल्कुल नहीं

गर्भावस्था के दौरान हर महिला को धूम्रपान व शराब के सेवन से सारे नाते तोड़ लेने चाहिए। अगर आप सोच रही हैं कि आपको लत थोड़ी न है, सिर्फ मूड बदलने के लिए कभी-कभी ले लेती हैं तो हम आपको बता दें कि ऐसा करना गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए बेहद नुकसानदायक है। शराब के सेवन से न सिर्फ गर्भपात का खतरा बना रहता है, बल्कि भ्रूण के शारीरिक व दिमागी विकास में भी बाधा आती है। 

जंक फूड को कहें न – Say No to Junk Food

माना कि इस दौरान बहुत कुछ खाने-पीने का मन करता है, लेकिन फिर भी आपको जंक फूड से दूर ही रहना चाहिए। जंक फूड यानी बर्गर, पिज़्ज़ा, डीप फ्राइड फूड, फ्रेंच फ्राइज़, आइसक्रीम, केक, डोनट्स जैसी चीज़ें आपके साथ-साथ आपके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी अच्छा नहीं है। अगर इस दौरान आप ज्यादा शुगर का सेवन करेंगी तो आपके बच्चे को भविष्य में डाइबिटीज़ जैसी बीमारी का सामना करना पड़ सकता है। इतना ही नहीं, ये सब खाने से आपको भी प्रेगनेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर और डाइबिटीज़ जैसी समस्याओं से गुज़रना पड़ सकता है। ऐसे में डॉक्टर आपको पूरी तरह बेड रेस्ट भी सुझा सकते हैं। इसके अलावा आपका वज़न भी बढ़ सकता है या फिर बाद में जाकर भी वेट इशूज़ हो सकते हैं। 
इन सबके अलावा प्रेगनेंसी के दौरान लगातार अपने डॉक्टर के संपर्क में बने रहें, जिससे वे आपकी समय-समय पर जांच कर सकें और बच्चे की ग्रोथ का अंदाज़ा मिलता रहे।   
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