प्रेगनेंसी यानि गर्भावस्था किसी भी महिला की ज़िंदगी में ऐसा खूबसूरत दौर है, जिसे वे जी भर के जीती है। इस दौरान उसकी लाइफस्टाइल में काफी बदलाव आ जाते हैं। उसे बच्चे के लिए अपने आहार में बदलाव करना पड़ता है, बदलते शरीर के साथ तालमेल बिठाना पड़ता है और मातृत्व के लिए अपना घर और जीवन तैयार करना है लेकिन सबसे ज्यादा उसे अपना ख्याल रखना है। हर महिला की प्रेगनेंसी दूसरे से अलग होती है। मगर सभी के लिए एक बात कॉमन है और वो है फिट रहना। इन नौ महीनों के दौरान आप फिट और मजबूत रहने के लिए योग का सहारा ले सकती हैं। नियमित रूप से योग करना न केवल आपके बल्कि आपके होने वाले बच्चे के लिए भी अच्छा हो सकता है। प्रेगनेंसी में योग करने के कई फायदे हैं (Benefits of Yoga in Hindi)। इससे शरीर में थकान महसूस नहीं होती और दिनभर ऊर्जा भरी रहती है। इसके अलावा योग प्रेगनेंसी के दौरान आपको फिट रहने में भी मदद करता है। हम यहां आपको कुछ ऐसे योगासन (Yoga Asana) बता रहे हैं, जो प्रेगनेंसी के दौरान फिट रहने के लिए आपको जरूर करने चाहिए।
भद्रासन
पैरों को पूरी तरह फैलाकर चटाई पर बैठ जाएं। पैरों को चटाई के संपर्क में रखते हुए, एक दूसरे को छूते हुए अपने पैरों से ‘नमस्ते’ बनाएं। – बिना आगे झुके सीधे बैठ जाएं। अपने हाथों को घुटनों या टखनों पर रखें। कुछ समय के लिए इस मुद्रा में रहें जब तक आप आराम महसूस करें। अपने पैरों को सीधा करें, एक मिनट के लिए आराम करें और इसे फिर से दोहराएं। यह योगासन पेल्विक एरिया को मजबूत करता है, कमर और कूल्हे के लचीलेपन में सुधार करता है, जांघों और घुटनों को फैलाता है और दर्द को कम करता है।
त्रिकोणासन
अपने पैरों को मिलाते हुए सीधे खड़े हो जाएं। अपने हाथों को शरीर के दोनों ओर आराम दें। धीरे-धीरे अपने पैरों को अलग फैलाएं। अपना दाहिना हाथ ऊपर उठाएं। गहरी सांस लें और अपनी बाईं ओर झुकें और बाईं हथेली को फर्श पर रखकर संतुलन बनाएं। अपने सिर को ऊपर की ओर झुकाएं और 20 तक गिनें। दाईं ओर झुकते हुए आसन को दोहराएं। 1 मिनट आराम करें और पूरे आसन को दो बार और जारी रखें। यह योगासन पीठ दर्द और तनाव को कम करता है, गर्भावस्था के दौरान पाचन क्रिया में सुधार करता है और कूल्हे के लचीलेपन को बढ़ाता है।
मार्जरीआसन
अपने घुटनों के बल झुकें और अपना सिर सीधा रखें। गहरी सांस लें और अपने सिर को थोड़ा पीछे ले जाते हुए अपनी ठुड्डी को ऊपर उठाएं। अपने नितंबों को टाइट रखें और गहरी सांस लेते हुए 30 सेकंड या जितनी देर तक आराम से रहें, इस मुद्रा को बनाए रखें। सांस छोड़ें और अपनी ठुड्डी को अपनी छाती के पास लाएं। अपने नितंबों को आराम दें और पीठ को जितना हो सके आराम से मोड़ें। कुछ देर रुकें और इस आसन को 3 बार और दोहराएं। यह योगासन तीसरी तिमाही में फायदेमंद होता है। यह ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करता है, पीठ और कंधों को फैलाता है, रीढ़ को लचीला बनाता है।
पर्वतासन
आलती-पालथी मरकर सीधे बैठ जाएं और सांस लें। अपनी बाहों को ऊपर उठाएं और अपनी हथेलियों को ‘नमस्ते’ स्थिति में मिला लें। अपनी कोहनियों को सीधा रखें। अपने हाथों को अपने कानों के पास रखें। कुछ सेकंड के लिए इस मुद्रा में रहें और फिर से सामान्य स्थिति में आ जाएं। 3 से 5 बार दोहराएं। यह योगासन शरीर की मुद्रा में सुधार करता है, पीठ और गर्दन के दर्द से राहत देता है और कूल्हे के लचीलेपन को बढ़ाता है।
शवासन
पीठ के बल लेट जाएं और आंखें बंद कर लें। अपने शरीर और दिमाग को आराम दें। और सुखद शांतिपूर्ण बातों के बारे में सोचें। ऐसा करते हुए अपना पूरा समय लें। सामान्य रूप से सांस लें और अपनी सांस को रोककर न रखें। कुछ देर बाद खड़े हो जाएं। यह योगासन शरीर को ठंडा करता है, मन को शांत करता है और योग सत्र के अंत का प्रतीक है। प्रत्येक योगासन के बाद इसका अभ्यास करें ताकि आसनों के बीच शरीर को आराम मिल सके।
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