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2022 Raksha Bandhan Kab Hai – जानें रक्षाबंधन कब है और क्यों मनाया जाता है

Megha Sharma  |  Jul 16, 2021
2022 Raksha Bandhan Kab Hai – जानें रक्षाबंधन कब है और क्यों मनाया जाता है
रक्षाबंधन हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक होता है और इस वजह से हिंदू धर्म में राखी विशेष महत्व रखता है। रक्षाबंधन के अवसर पर बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र या यूं कहें कि राखी बांधती है। इसके बदले में भाई अपनी बहन को भेंट देता है और हमेशा उसकी रक्षा करने का वादा करता है। ऐसे में सबसे पहला सवाल यह आता है की 2022 raksha bandhan kab ki hai। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल सावन मास की पूर्णिमा को ही राखी का त्योहार मनाया जाता है। आज हम अपने इस लेख में आपको राखी के महत्व और इसकी मान्यता के बारे में आपको विस्तार से बताएंगे। इस खास मौके पर अपने जानने वालों के साथ (रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं) शेयर करें। 

Raksha Bandhan Kab Hai – 2022 रक्षाबंधन कब है

ग्रोगोरियन कैलेंडर के मुताबिक हर साल अगस्त के महीने में राखी का त्योहार मनाया जाता है। 2022 में रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त को मनाया जाएगा। हिंदू कैलेंडर के मुताबित सावन के महीने की पूर्णमाशी को राखी मनाई जाती है। रक्षाबंधन कब की है, इस बात का इंतज़ार सभी भाई और बहनों को बेसब्री से रहता है। 

Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata Hai – रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है

रक्षाबंधन मनाए जाने के पीछे बहुत सी पौराणिक कथाएं (raksha bandhan story in hindi) हैं। हिंदू धर्म में इन कथाओं के आधार पर ही भाई-बहन के पवित्र रिश्ते पर आधारित रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। दरअसल, पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, देवताओं और असुरों के बीच धरती पर 12 सालों तक युद्ध चला था लेकिन देवता असुरों को हरा पाने में सफल नहीं हो पा रहे थे। तब देवगुरु ब्रहस्पति ने इंद्र की पत्नी इंद्राणी को श्रावण शुक्ल की पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर रक्षा-सूत्र बांधने के लिए कहा था। इसके बाद उन्होंने दाहिनी कलाई पर रक्षासूत्र बांधा था और फिर ही देवता, असुरों को हरा पाने में सफल हुए थे। इस वजह से रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है। 

Importance of Raksha Bandhan in Hindi – रक्षाबंधन का महत्व

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया, पहली बार इंद्राणी ने अपनी पति की कलाई पर रक्षासूत्र, उसकी रक्षा के लिए बांधा था और इसी की वजह से देवताओं को असुरों के खिलाफ जीत प्राप्त हुई थी। इसके बाद मध्यकालीन युग में भी महिलाओं पर किए जाने वाले हमलों से उन्हें बचाने के लिए भी रक्षाबंधन (रक्षाबंधन का महत्व) की शुरुआत हुई थी। यह एक धर्म बंधन था और तभी से महिलाएं अपने सगे भाई या फिर मोहल्ले के भाइयों को राखी बांधने लगी। बहने, तिलक अक्षत लगाकर भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और बदले में भाई अपनी बहन को श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार वस्त्र, आभूषण, द्रव्य आदि उपहार देता है। 

Raksha Bandhan History in Hindi – रक्षाबंधन का इतिहास

रक्षाबंधन का इतिहास भी इससे जुड़ी अलग-अलग पौराणिक कथाओं में मिलता है। रक्षाबंधन (raksha bandhan kab hai) से जुड़ी हुई कई पौराणिक कथाएं हैं। तो चलिए आपको इन पौराणिक कथाओं के बारे में विस्तार से बताते हैं। 
द्रोपदी और श्रीकृष्ण कथा– महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण और द्रोपदी की एक कथा मिलती है। जब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया तब उनकी तर्जनी में चोट आ गई थी। उस समय द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर उसे उनकी अंगुली पर पट्टी की तरह बांध दिया था। यह श्रावण मास की पूर्णिमा का ही दिन था। इसके बाद श्रीकृष्ण ने द्रोपदी के चीर-हरण के दौरान उनकी लाज बजाते हुए भाई का धर्म निभाया था।
रानी कर्णावती और रक्षाबंधन– मध्यकालीन युग में राजपूतों और मुस्लिमों के बीच युद्ध चल रहा था। उस दौरान चित्तौड़ के राजा की विधवा रानी कर्णावती ने गुजरात के राजा बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की रक्षा की गुहार लगाई थी लेकिन कोई रास्ता न निकल पाने पर उन्होंने हुमायूं को राखी भेजी थी। तब हुमांयू ने उनकी रक्षा कर उन्हें बहन का दर्जा दिया था।
राजा बलि की कथा– स्कंध पुराण, पद्मपुराण और श्रीमद्भगवद में वामनावतार नाम की कथा में रक्षाबंधन के बारे में बताया गया है। दरअसल, दानवेंद्र राजा बलि का अहंकार तोड़ने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था और ब्राह्मण का वेश धारण कर वह राजा बलि से भीक्षा लेने पहुंच गए थे। भगवान ने बलि से भीक्षा में तीन पग जमीन मांगी। इस पर उन्होंने सारा आकाश, पाताल और धरती को नाप लिया और राजा बलि को रसातल भेज दिया। बलि ने अपनी भत्कि के आधार पर भगवान से दिन-रात अपने सामने लाने का वचन प्राप्त कर लिया था। इसके बाद भगवान को वापस लाने के लिए नारद ने लक्ष्मीजी को एक रास्ता बताया। लक्ष्मी जी ने बलि को राखी बांधी और अपना भाई बना लिया और अपने पति को साथ ले आईं। उस दिन भी श्रावण मास की पूर्णिमा थी। 

रक्षाबंधन से जुड़े सवाल जवाब – FAQ’s

रक्षा बंधन कब से शुरू हुआ?

माना जाता है कि इस त्योहार की शुरुआत 6,000 साल पहले हुई थी।

रक्षाबंधन से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

राखी, कहने को तो एक धागा मात्र है, जिसे बहन अपने भाई की कलाई पर बांधती है लेकिन इतिहास में ऐसी कई कहानियां हैं, जो राखी पर आधारित हैं और इस रक्षासूत्र के मान के बारे में बताती हैं। रानी कर्णावती ने राखी भेजकर ही मुगल राजा हुमायूं से मदद मांगी थी और उन्होंने भी रानी की राखी का मान रखा था। इसी तरह सिकंदर की पत्नी ने भी अपने पति के हिंदू शत्रु पुरु को राखी बांधी थी और युद्ध के दौरान उनके पति की हत्या ना करने का वचन लिया था। पुरु ने भी सिंकदर की पत्नी की इस राखी का मान रखा था। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि राखी, भाई-बहन के रिश्ते में कितना महत्व रखती है।

रक्षाबंधन का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

रक्षाबंधन के मौके पर बहन भाई को राखी बांधने तक व्रत रखती है और भाई को राखी बांधने से पहले वह उसको टीका लगाती है और फिर उसकी कलाई पर राखी बांधकर उसे मिठाई खिलाती है।

रक्षाबंधन सबसे पहले कब मनाया गया?

राखी का त्योहार पौराणिक काल से ही मनाया जाता आ रहा है।

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