डिप्रेशन या अवसाद को मूड डिसऑर्डर के तौर पर क्लासिफाई किया गया है। इसे इंसान की उदासी या ऐसे गुस्से के रूप में समझा जा सकता है, जिसका असर उस व्यक्ति की रोज़मर्रा की गतिविधियों पर पड़ता है। भारत जैसे विकासशील देशों में डिप्रेशन बेहद सामान्य समस्या है। बच्चे हों या बड़े, डिप्रेशन का शिकार कोई भी हो सकता है। भारतीय युवाओं में तेजी से डिप्रेशन के मामले देखने में आ रहे हैं। एक रिसर्च के अनुसार, 13 से 15 साल की उम्र वर्ग में हर 4 में से 1 किशोर डिप्रेशन का शिकार हो रहा है। जानिए डिप्रेशन के लक्षण, डिप्रेशन के कारण, डिप्रेशन की दवा, डिप्रेशन से बचने के उपाय और डिप्रेशन का इलाज।
जिंदगी में हर कोई कभी न कभी डिप्रेशन (Depression) का शिकार हो ही जाता है। डिप्रेशन यानि कि अवसाद (what is depression in hindi)। फैमिली प्रॉब्लम्स, प्रोफेशनल इश्यूज़, रिलेशनशिप स्ट्रेस के अलावा भी डिप्रेशन के कई कारण (Cause Of Depression) हो सकते हैं। आज-कल की व्यस्त दिनचर्या में आप किसी को देखकर अंदाजा नहीं लगा सकते कि कोई इंसान अंदर से कितना परेशान है। डिप्रेशन या मनो अवसाद (Depression) एक मानसिक रोग की श्रेणी में आता है। आज की इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी भले ही हमें दिन-भर लोगों की भीड़ के बीच व्यस्त रखती है लेकिन कहीं न कही हमारे भीतर एक शांति लगातार घर करती चली जाती है। दरअसल हमारी दिनचर्या इतनी व्यस्त हो जाती है कि हमें अपने लिए समय नहीं मिल पाता है। दिन-भर हमारे दिमाग में कुछ न कुछ चलता रहता है, जिसे हम न तो किसी को बता पाते हैं और न ही खुद सहन कर पाते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, डिप्रेशन एक आम मानसिक बीमारी है। यह आमतौर पर मूड में होने वाले उतार-चढ़ाव और कम समय के लिए होने वाली भावनात्मक प्रतिक्रियाओं से अलग है। अवसाद या डिप्रेशन का संबंध मनोविज्ञान में मन की भावनाओं से जुड़े दुखों से होता है। इसे रोग या सिंड्रोम माना जाता है। अधिकतर मामलों में स्थिति तब ज्यादा गंभीर समझी जाती है, जब इसका संबंध किसी शख्स के असफल प्रेम संबंधों से होता है। डिप्रेशन के ज्यादातर मामलों में किसी इंसान का लगाव उसके साथी या किसी भी व्यक्ति के प्रति बहुत ज्यादा होता है। ऐसे में उससे अलग होने का दुख वह बर्दाश्त नहीं कर पाता है और धीरे-धीरे डिप्रेशन की स्थिति में जाने लगता है। समय रहते डिप्रेशन से छुटकारा (depression se mukti) पाना बहुत ज़रूरी है।
डिप्रेशन के शिकार इंसान के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी व कोई भी संबंध बेमानी लगने लगते हैं। वह इंसान अपने डिप्रेशन को उग्र स्वभाव, गाली-गलौज व अत्यधिक शंकालु स्वभाव से दर्शाने की कोशिश करता है। डिप्रेशन के दौरान उसे सभी जगह निराशा, तनाव, अशांति और अरुचि की मौजूदगी महसूस होने लगती है।
जैसे हर किसी का अपने सुख-दुख से डील करने का तरीका अलग होता है, वैसे ही हर इंसान अपनी मानसिक स्थिति से भी अपने हिसाब से ही डील करता है। मगर यह सच है कि डिप्रेशन आपके रोज़मर्रा के कामों को प्रभावित कर सकता है। इसकी वजह से काम करने की क्षमता प्रभावित होने लगती है। यह आपके रिश्तों और कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं पर भी असर डाल सकता है।
डिप्रेशन की वजह से इन बीमारियों पर गंभीर असर पड़ता है-
डिप्रेशन यानि कि अवसाद या तनाव की वह स्टेट, जब उसका असर व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने लगता है। यह कई कारणों से हो सकता है और इसके कारण हर किसी के लिए भिन्न भी होते हैं। जानिए, डिप्रेशन के प्रकार।
1. पोस्टपार्टम डिप्रेशन
अगर शिशु के जन्म के 1 महीने के अंदर नई मां में अवसाद संबंधी लक्षण प्रमुख रूप से दिखाई देते हैं, तब अवसाद के इस प्रकार की पहचान ‘पोस्टपार्टम डिप्रेशन’ के तौर पर होती है। अनुमान के अनुसार, करीब 10 से 15 प्रतिशत स्त्रियां डिलीवरी के बाद ‘पोस्टपार्टम डिप्रेशन’ का अनुभव करती हैं।
2. सायकोटिक डिप्रेशन
जब एक अति गंभीर अवसाद संबंधी बीमारी के साथ किसी प्रकार की मनोविकृति भी जुड़ी हुई होती है, तब अवसाद के इस प्रकार को सायकोटिक डिप्रेशन के नाम से जाना जाता है। मनोविकृति में सच्चाई से अनजान रहना, मतिभ्रम होना और किसी भी बात का आभास होना जैसी मनोदशा शामिल है।
3. बाइपोलर डिसऑर्डर
अवसाद के इस प्रकार को उन्मादी अवसाद संबंधी बीमारी भी कहा जाता है। यह अवसाद के अन्य प्रकार ‘मेजर डिप्रेशन’ या ‘डीस्थेमिया’ जितना साधारण नहीं है। ‘बाइपोलर डिसऑर्डर’ के अंतर्गत रोगी का मूड अचानक अत्यधिक उच्च स्तर (जैसे कि ‘उन्माद’) से अत्यधिक निम्न स्तर (जैसे कि ‘अवसाद’) तक बदल जाता है।
4. सीज़नल अफेक्टिव डिसोर्डर (एस-ए-डी)
यह डिप्रेशन संबंधी ऐसी बीमारी है, जो लोगों को अक्सर ठंड के मौसम के दौरान होती है, जब हमें नैचुरल सनलाइट कम मिल पाती है। आमतौर पर बसंत और गर्मियों के मौसम में अवसाद का असर कम हो जाता है। ‘सीज़नल अफेक्टिव डिसॉर्डर’ (एस-ए-डी) को कुछ हद तक ‘प्रकाश (लाइट) थेरेपी’ से प्रभावशाली तरीके से ठीक किया जा सकता है। हालांकि इस अवसाद से पीड़ित करीब आधे लोगों की संख्या सिर्फ़ ‘प्रकाश थेरेपी’ से ही ठीक नहीं की जा सकती है। अवसाद रोधी दवा, उपचार और साइकोथेरेपी की मदद से एस-ए-डी के लक्षणों को घटाया जा सकता है। अगर आवश्यक हो तो इन उपायों के साथ ‘प्रकाश थेरेपी’ को भी जोड़ा जाता है। यह मौसम के अचानक बदलने या भारी बारिश के समय भी हो सकता है।
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डिप्रेशन के लक्षण – Depression ke Lakshan
जैसा कि मैंने पहले भी बताया कि डिप्रेशन से डील करने का सभी का एक अलग तरीका होता है। उन तरीकों के आधार पर ही डिप्रेशन के लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। जानिए, अवसाद के लक्षण-
मूड संबंधी लक्षण
1. उदासी
2. गुस्सा
3. आक्रामकता
4. चिड़चिड़ापन
5. चिंता
6. बेचैनी
व्यवहार संबंधी लक्षण
1. किसी काम में मन न लगना
2. अकेले रहना
3. पसंदीदा काम से खुशी न मिलना
4. बहुत जल्दी थकान होना
5. आत्महत्या के विचार आना
6. बहुत ज्यादा शराब पीना
7. ड्रग्स का इस्तेमाल करना
8. खतरनाक कामों की कोशिश करना
भावना संंबंधी लक्षण
1. खालीपन महसूस होना
2. उदास/दुख
3. निराशा
संज्ञा संबंधी लक्षण (Cognitive)
1. ध्यान केंद्रित करने में परेशानी महसूस होना
2. काम पूरे करने में मुश्किल होना
3. बातचीत के दौरान देर से जवाब देना
शरीर संबंधी लक्षण
1. थकान
2. दर्द
3. सिरदर्द
4. पाचन में समस्या
5. बीपी बढ़ना या घट जाना
6. शुगर बढ़ना या घट जाना
7. पीरियड्स का बहाव रुक जाना या बढ़ जाना
8. थायरॉइड, पीसीओडी/पीसीओएस, ओबेसिटी, हाइपरटेंशन
नींद संबंधी लक्षण
1. अनिद्रा/इंसोम्निया
2. नींद कम आना
3. बहुत ज्यादा नींद आना
4. पूरी रात न सो पाना
सेक्स संबंधी लक्षण
1. सेक्स करने की इच्छा न होना
2. शीघ्रपतन की समस्या होना
इसके अलावा इन निम्न लक्षणों से भी आप व्यक्ति के डिप्रेशन में होने का अंदाज़ा लगा सकते हैं।
1. व्यक्ति हमेशा उलझन में एवं हारा हुआ महसूस करता है
2. व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है
3. डिप्रेस्ड व्यक्ति खुद को परिवार एवं भीड़ वाली जगहों से अलग रखने की कोशिश करता है और ज्यादातर अकेले रहना पसंद करता है
4. खुशी के वातावरण में या खुशी देने वाली चीजों के होने पर भी वह व्यक्ति उदास रहता है
5. अवसाद का रोगी बहुत कम बोलता है
6. अवसाद के रोगी भीतर से हमेशा बेचैन प्रतीत होते हैं तथा हमेशा चिंता में डूबे हुए दिखाई देते हैं
7. कोई भी निर्णय लेने में वे खुद को असमर्थ पाते हैं और हमेशा भ्रम की स्थिति में रहते हैं
8. अवसाद का रोगी अस्वस्थ भोजन की ओर ज्यादा आसक्त रहता है
9. अवसाद के रोगी कोई भी समस्या आने पर बहुत जल्दी हताश हो जाते हैं
10. वे अधिक गुस्सैल हो जाते हैं।
डिप्रेशन का इलाज – Depression ka Ilaj
डिप्रेशन भी किसी आम बीमारी की तरह है और दूसरी बीमारियों की तरह ही इसका इलाज भी मुमकिन है। अगर आपको लगता है कि आप या आपका कोई करीबी डिप्रेशन की स्टेट में है तो बिना देरी किए इलाज शुरू करवा दीजिए। डिप्रेशन के साथ जीना काफी कठिन हो सकता है लेकिन इसका उपचार करने से आपका जीवन बेहतर हो सकता है। इसके लिए आप डॉक्टर से बात करके हर संभव विकल्प के बारे में बात कर सकते हैं। आप आसानी से किसी एक ट्रीटमेंट की मदद से लक्षण के आधार पर सफलतापूर्वक इलाज करवा सकते हैं। डिप्रेशन के इलाज में दो या उससे ज्यादा लाइफस्टाइल थेरेपी को शामिल करना सामान्य बात है। कुछ लोग सिर्फ दवाइयों से ठीक हो जाते हैं, कुछ को थेरेपी की ज़रूरत पड़ती है तो वहीं कुछ लोग मात्र लाइफस्टाइल हैबिट्स को बदलकर भी ठीक हो सकते हैं। अपने डॉक्टर से बात करके अपने डिप्रेशन के लक्षण और कारणों के हिसाब से ही उसका इलाज शुरू करवाएं।
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डिप्रेशन का मेडिकल ट्रीटमेंट
जानिए डिप्रेशन का मेडिकल ट्रीटमेंट
दवाएं
डिप्रेशन के इलाज के लिए ज्यादातर डॉक्टर एंटी डिप्रेसेंट्स (Antidepressants), एंटीएंग्जाइटी (Antianxiety) या एंटीसाइकोटिक (Antipsychotic) दवाओं के सेवन की सलाह देते हैं। डिप्रेशन के इलाज में इस्तेमाल होने वाली हर दवा के अपने फायदे और नुकसान हैं। इसीलिए इन दवाओं का सेवन कभी भी डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए।
साइकोथेरेपी
साइकोपैथ से बात करके आप निगेटिव भावनाओं को खुद से दूर रखने की स्किल्स सीख सकते हैं। आप परिवार और ग्रुप थेरेपी सेशन में शामिल होकर भी इलाज करवा सकते हैं।
लाइट थेरेपी
सफेद रंग की रोशनी में खुद को रखने भर से आप न सिर्फ अपने मूड को अच्छा कर सकते हैं, बल्कि डिप्रेशन के लक्षणों से भी राहत पा सकते हैं। यह थेरेपी आमतौर पर सीजनल इफेक्टिव डिसऑर्डर के इलाज में इस्तेमाल की जाती है। इसे अब मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर विद सीजनल पैटर्न (Major Depressive Disorder With Seasonal Pattern) कहा जाता है।
आप चाहें तो अपने डॉक्टर से एक्युपंक्चर या दवाओं के बारे में बात कर सकते हैं। किसी भी तरह की दवा या थेरेपी शुरू करने से पहले डॉक्टर से राय ज़रूर लें। दरअसल, कई बार हमारे द्वारा खाए गए सप्लीमेंट दवाओं के साथ मिलकर नकारात्मक असर दिखाते हैं। इससे डिप्रेशन ठीक होने की बजाय और गंभीर हो जाता है या फिर दवाओं के असर को कमजोर भी कर देता है।
डिप्रेशन के घरेलू नुस्खे – Home Remedies for Depression in Hindi
अगर आप डॉक्टर, साइकिएट्रिस्ट या काउंसलर के पास जाने में हिचकिचा रहे हैं और आपको लगता है कि यह बेहद मामूली डिप्रेशन है तो आप कुछ घरेलू नुस्खे भी आज़मा सकते हैं। कई अन्य बीमारियों की तरह डिप्रेशन का भी घरेलू इलाज मुमकिन है।
एक्सरसाइज
हफ्ते में 3 से 5 दिन 30 मिनट तक कसरत करने का लक्ष्य रखें। एक्सरसाइज करने से शरीर में एंडोर्फिन्स का उत्पादन बढ़ जाता है। ये वो हॉर्मोन हैं, जो आपके मूड को ठीक रखने में मदद करते हैं। आप मेडिटेशन भी कर सकते हैं।
अल्कोहल और ड्रग्स के सेवन से बचें
शराब पीने या ड्रग्स लेने से आप थोड़ी देर के लिए बेहतर महसूस कर सकते हैं। हालांकि, लंबे वक्त में शरीर पर इनका निगेटिव प्रभाव ही पड़ता है। ये चीजें मिलकर आपके डिप्रेशन और एंग्जाइटी के लक्षणों को और खराब कर सकती हैं।
न कहना भी सीखें
अगर आप बेचैनी महसूस करेंगे तो ये एंग्जाइटी और डिप्रेशन के लक्षणों को और ज्यादा खराब कर सकता है। अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ के बीच सीमाएं तय कीजिए। इससे आप कुछ ही दिन में बेहतर महसूस करना शुरू कर देंगे।
डिप्रेशन से कैसे बचें
आप खुद का ख्याल रखकर भी डिप्रेशन के लक्षणों से राहत पा सकते हैं। इसके लिए आप ऐसा करें- 1. ढेर सारी नींद लें 2. हेल्दी डाइट लें 3. निगेटिव लोगों से दूर रहें 4. आनंद देने वाले कामों में हिस्सा लें डिप्रेशन से छुटकारा पाना बहुत ज़रूरी है। इस स्टेट में पहुंचने से बचने के लिए बेहतर होगा कि तनाव के समय में आप अपने करीबियों से बातें करें, जोक्स सुनें, कॉमेडी मूवीज़ देखें, घर से बाहर निकलें, अकेले न रहें और मधुर संगीत सुनें। आप चाहें तो किताबें भी पढ़ सकते हैं या कोई भी क्रिएटिव या अपनी पसंद का काम करें।
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डिप्रेशन कब तक रहता है
डिप्रेशन के होने की कोई निश्चित अवधि नहीं है। कुछ लोग सालों तक अवसाद से ग्रस्त रह सकते हैं तो कुछ लोग कुछ दिनों में ही ठीक हो सकते हैं। आमतौर पर अगर दो या तीन महीने तक डिप्रेशन ठीक नहीं होता है तो डॉक्टर या काउंसलर से राय ले लेनी चाहिए।
डिप्रेशन में क्या खाना चाहिए
डिप्रेशन में खान-पान का विशेष ख्याल रखा जाना चाहिए। जंक फूड के बजाय ज्यादा से ज्यादा घर का बना खाना खाएं। ऐसे में तला-भुना खाने के बजाय हरी पत्तेदार सब्जियांं खानी चाहिए। कुछ लोगों को डार्क चॉकलेट खाने से भी काफी हद तक राहत मिलती है। आपको एंटी डिप्रेसेंट फूड्य या ऐसे खान-पान पर ध्यान देना चाहिए, जिन्हें खा-पी कर आपको खुशी मिलती हो।
डिप्रेशन से जुड़े FAQ’s
डिप्रेशन से जुड़े सभी तरह के सवाल-जवाब।
1. क्या आयुर्वेद में डिप्रेशन का इलाज मुमकिन है?
– आयुर्वेद एक प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है, जो वात, पित्त, कफ दोषों को संतुलित कर शरीर को स्वस्थ बनाती है। आयुर्वेदिक औषधियां व्यक्ति को शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ बनाती हैं और उसे ऊर्जावान रखती हैं। इनके सेवन से रोगी के शरीर में कोई भी विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है। आयुर्वेद में डिप्रेशन का इलाज भी मुमकिन है।
2. हमें डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
– कई बार व्यक्ति को किसी दुर्घटना या किसी मानसिक आघात के कारण कुछ समय के लिए अवसाद हो सकता है लेकिन अच्छे खान-पान, जीवनशैली और सामाजिक सक्रियता के कारण यह लंबे समय तक नहीं रहता। हालांकि अगर किसी व्यक्ति में यह स्थिति दो या तीन महीने से ज्यादा रहे तो वह व्यक्ति धीरे-धीरे और भी गहरे अवसाद में चला जाता है। ऐसा होने पर वह साइकोन्यूरोटिस जैसी स्थिति में भी आ सकता है। यह स्थिति व्यक्ति को आत्महत्या की ओर ले जाती है। अत: किसी व्यक्ति में अगर सामान्य से ज्यादा समय तक अवसाद बना रहे तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर उचित उपचार और मनोविश्लेषण कराना चाहिए।
3. डिप्रेशन से बचने या इलाज के तौर पर जीवनशैली में कैसा बदलाव करना चाहिए?
– अवसाद से ग्रस्त रोगी को उचित खान-पान के साथ अच्छी जीवनशैली का भी पालन करना चाहिए। उसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ अधिक समय बिताना चाहिए। अवसाद से निकलने के लिए व्यक्ति को अपनी दिनचर्या में व्यायाम, योग और ध्यान को जगह देनी चाहिए। इससे व्यक्ति का दिमाग शांत रहता है और हॉर्मोन भी संतुलित रहते हैं।
4. क्या डिप्रेशन की वजहों से दूरी बनाकर इसका इलाज संभव है?
– जी, बिलकुल। अगर किसी व्यक्ति को कोई दुर्घटना या किसी खास कारण की वजह से अवसाद हुआ है तो उसे ऐसे कारणों और जगह से दूर रखना चाहिए।
5. क्या अकेलेपन से डिप्रेशन होता है?
– अकेलापन डिप्रेशन का सबसे बड़ा कारण है। अकेलेपन की वजह से व्यक्ति बातों को अपने मन में रखने लगता है, जो आगे जाकर डिप्रेशन का कारण बनने लगती हैं। अकेले रहने से व्यक्ति ओवरथिंकिंग का शिकार हो जाता है और धीरे-धीरे डिप्रेशन की स्टेट में जाने लगता है।