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पॉलिसिस्टिक ऑवेरियन डिसीज़ (Polycystic Ovarian Disease) महिलाओं से संबंधित बीमारी है। भारत में मौजूद कई युवा महिलाओं को आज के वक्त में पॉलिसिस्टिक ऑवेरियन डिसीज़ यानी कि PCOD की समस्या है। मुख्य रूप से PCOD कम उम्र की लड़कियों या फिर महिलाओं को होता है। इस वजह से PCOD (PCOD Meaning in Hindi) की समस्या मुख्य रूप से युवा महिलाओं को होती है। PCOD की समस्या का सामना करने वाली महिलाओं की औसत उम्र 18 से 45 तक की है। इस वजह से महिलाओं के लिए कम उम्र में ही इस बीमारी के बारे में जानना बहुत ही ज़रूरी है, नहीं तो भविष्य में इसके नकारात्मक प्रभाव देखने पड़ सकते हैं।
पीसीओडी क्या है? – PCOD Meaning in Hindi
पीसीओडी (PCOD kya hai) एक ऐसी कंडिशन है, जिसमें ऑवरी में जो अंडे होते हैं वो या तो मैच्योर नहीं होते हैं और या फिर थोड़े बहुत मैच्योर होते हैं। बाहर का अधिक खाना खाने, ज़रूरत से ज्यादा वज़न होने, अधिक तनाव और हार्मोनल डिस्टरबेंस के कारण ये कंडिशन महिलाओं के शरीर में उत्पन्न होती है। पीसीओड (पीसीओडी क्या होता है) की सामान्य लक्षण अनियमित मासिक धर्म, पेट का वज़न बढ़ना, बांझपन और आदमियों की तरह बाल झड़ना है। आमतौर पर अंडाशय इस समस्या में बढ़ जाते हैं और बड़ी मात्रा में एण्ड्रोजन का स्राव करते हैं जो महिला की प्रजनन क्षमता और उसके शरीर को प्रभावित करते हैं।
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PCOD समस्या होने के कारण – PCOD Problems in Hindi
फिलहाल, महिलाओं को पीसीओडी की समस्या (PCOD समस्या समाधान) होने के कारणों की जानकारी पूरी तरह से किसी को भी नहीं है। यह एक विषम स्थिति है। हालांकि, ऐसे कुछ प्रमाण मिले हैं, जिनके आधार पर माना जाता है कि ये एक वंशानुगत विकार है। कुछ प्रमाण मौजूद हैं जिनके मुताबिक यदि गर्भाशय में एंटी-मुलरियन हार्मोन (एएमएच) के साथ-एण्ड्रोजन की औसत डिग्री से अधिक बढ़ता है तो भविष्य में पीसीओडी (pcod meaning in hindi) उत्पन्न करने का खतरा बढ़ जाता है। यहां तक कि पीसीओडी होने पर (pcod meaning in hindi) महिलाओं में मेल हार्मोन का प्रोडक्शन बढ़ जाता है।
PCOD के लक्षण – PCOD Symptoms in Hindi
पॉलिसिस्टिक ऑवेरियन डिसऑर्डर के कुछ सामान्य कारण:
- अनियमित पीरियड साइकिल, हर 2 से 3 महीने में एक बार पीरियड आना।
- पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग होना।
- शरीर और चेहरे पर असामान्य तरीके से बालों का बढ़ना।
- जिद्दी मुहांसे, जो जल्दी से ठीक ना हों। ऐसा एक्सेस पेरिफेरल एंड्रोजन के कारण होता है।
- पेट के आसपास ज़रूरत से ज्यादा या एक दम से वजन का बढ़ना।
- गर्दन के आसपास के हिस्से पर पिगमेंटेशन होना या फिर त्वचा का रंग डार्क होना।
- बांझपन।
- आदमियों के जैसे बालों का झड़ना।
- हर वक्त सिर में दर्द रहना।
पीसीओडी का घरेलू उपचार
वैसे तो पीसीओडी (pcod meaning in hindi) ऐसी बीमारी है, जिसका कोई प्रोपर इलाज नहीं है लेकिन फिर भी कुछ घरेलू नुस्खों की मदद से इसे कम जरूर किया जा सकता है। साथ ही यह बीमारी कभी पूरी तरह से ठीक नहीं होती है लेकिन इसके प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता है। इस वजह से यदि आपको भी पीसीओडी है तो नीचे दिए गए पीसीओडी का घरेलू उपचार आपके बहुत काम आएंगे।
PCOD के लिए योगा
पीसीओडी के उपाय: यदि आपको पीसीओडी (pcod meaning in hindi) है तो आपको व्यायाम ज़रूर करना चाहिए। यदि आप योगा या फिर व्यायाम करने के लिए अधिक वक्त नहीं निकाल सकती हैं तो सुबह के वक्त आपको कुछ योगासन अवश्य ही करने चाहिए। आपको उष्ट्रासन, भुजंगासन और मार्जरासन ज़रूर करना चाहिए। इससे आपका पीसीओडी नियंत्रण में रहेगा।
सेब के सिरके के ज़रिए
पीसीओडी में इसका इस्तेमाल करना सबसे फायदेमंद होता है क्योंकि ये आपके ब्लड शुगर को बैलेंस रखता है, जिससे शरीर में इंसुलिन कम बनता है और हार्मोनल बैलेंस भी बना रहता है। साथ ही ये आपका वज़न घटाने में भी मदद करता है। इसके लिए आप रोज़ाना खाली पेट एक गिलास पानी में दो चम्मच सेब का सिरका मिला कर पीएं।
दालचीनी
दालचीनी अनियमित पीरियड की आपकी समस्या को दूर करने में मदद करती है। इसका इस्तेमाल करने के लिए आपको एक चम्मच दालचीनी पाउडर को गर्म पानी में मिला कर पीना चाहिए। आपको रोज़ इसे पीना चाहिए और कुछ वक्त बाद आपको खुद ही सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगेगा। इसके अलावा आप चाहें तो इसे चाय, दही, सेरेलेक या ओटमील में मिलाकर भी खा सकती हैं।
पुदीने की चाय
एक रिसर्च के मुताबिक पुदीने की चाय एंटी एंड्रोजन का काम करती है। इस वजह से पीसीओडी (pcod meaning in hindi) में आराम पहुंचाने के लिए ये बहुत ही उपयोगी है। इसके लिए आप चाय बनाते वक्त पानी में पुदीने की पत्तियों को भी उबाल लें। या आप चाहें तो पानी में सिर्फ पुदीने की पत्तियों को उबाल कर भी पी सकती हैं।
मुलेठी
मुलेठी आपके शरीर में एंड्रोजन को कम करती है। इसके अलावा कॉलेस्ट्रोल को कंट्रोल करती है और शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ाती है। एक कप गर्म पानी में सूखी मुलेठी को डालकर उबाल लें और फिर इसका रोज़ाना सेवन करें।
अलसी
अलसी शरीर में एंड्रोजन, बीपी और कोलेस्ट्रोल को कम करती है और साथ ही दिल की बीमारियों से भी आपको बचाती है। इस वजह से रोज़ाना सुबह एक गिलास पानी में पिसी हुई अलसी को मिलाकर पीना चाहिए।
मेथीदाना
ये आपके हार्मोन को बैलेंस रखने में मदद करती है और कॉलेस्ट्रोल और वजन को कम करता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए रात के वक्त मेथीदाना को भिगो कर रख दें। इसके बाद सुबह नाश्ते से पहले एक चम्मच मेथीदाने को शहद के साथ खा लें। इसी तरह से दोपहर के खाने और रात के खाने से पहले भी मेथीदाना खाएं। कुछ महीनों तक इसी तरह से मेथीदाना का सेवन करने से आपकी समस्या में आपको बदलाव दिखाई देने लगेगा।
पीसीओडी में क्या खाना चाहिए – PCOD Diet in Hindi
मुख्य रूप से पीसीओडी का कारण ऑवरवेट और शरीर में ज्यादा चर्बी होना होता है, इस वजह से पीसीओडी से छुटकारा पाने का सबसे अच्छा तरीका वजन घटना होता है ताकि दोबारा से अनियमित पीरियड साइकिल को ठीक किया जा सके। इस वजह से यदि आप पीसीओडी की समस्या से जूझ रही हैं तो आपको अपनी डायट (PCOD Diet in Hindi) का अवश्य ध्यान रखना चाहिए।
रेड मीट ना खाएं
2013 में की गई एक स्टडी में सामने आया था कि मीट खाने से बांझपन का खतरा बढ़ता है। इस वजह से अगर आपको पीसीओडी (pcod meaning in hindi) है तो आपको इसका सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा हॉट डॉग, सॉसेज और लंचीऑन मीट आदि को भी आपको नहीं खाना चाहिए। हैंमबर्गर, पोर्क और स्टीक आदि रेड मीट से भी आपको दूरी बना कर रखनी चाहिए।
संतृप्त और हाइड्रोजनीकृत वसा न खाएं
संतृप्त वसा कई खाद्य पदार्थ में पाई जाती है। खासतौर पर जानवर आधारित या फिर डेयरी उत्पादों में। संतृप्त वसा आपके शरीर में कॉलेस्ट्रोल के स्तर को बढ़ाता है। बेक की गई चीज़ें मुख्य रूप से इस तरह की वसा से भरी हुई होती हैं और इस वजह से आपको इनके सेवन से बचना चाहिए।
प्रोटीन आधारित डायट लें
हरी सब्जियां जैसे ब्रोकली या फिर लाल फल जैसे कि बैरिज़ में काफी अधिक मात्रा में न्यूट्रिएंट्स और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं। ड्रायड बीन्स, लेगमीज और नेंटिल्स आदि में काफी अधिक मात्रा में प्रोटीन होता है, इस वजह से आपको इन्हें अपनी रोज़ की डायट (PCOD Diet in Hindi) में शामिल करना चाहिए।
डायबिटिक डायट भी कर सकती हैं फॉलो
पीसीओएस या फिर पीसीओडी का सामना कर रही महिलाएं इंसुलिन रेजिस्टेंट होती हैं। इस वजह हसे वो डायबिटिक डायट फॉलो कर सकती हैं। आपकी डायट (PCOD Diet in Hindi) में अधिक मात्रा में फाइबर होना चाहिए और कार्ब्स कम होने चाहिए। आप चाहें तो आटे से बने लो ग्लिसेमिक इंडेक्स, आटा, दाल, ब्राउन राइस, पोहा और आटे के पास्ता आदि का सेवन कर सकती हैं।
कम मात्रा में थोड़ी-थोड़ी देर में खाना खाएं
पीसीओडी (pcod meaning in hindi) से संक्रमित महिलाओं को वॉटर रिटेंशन की समस्या बी हो सकती है और इस वजह से आपका अधिक मात्रा में पानी पीना और थोड़ी-थोड़ी देर में कम मात्रा में खाना खाते रहना चाहिए।
PCOD से जुड़े सवाल और जवाब
जी नहीं, पीसीओडी (PCOD) और पीसीओएस (PCOS) दोनों अलग-अलग तरह की समस्याएं हैं। भले ही दोनों महिला के अंडाशय से जुड़ी हुई परेशानियां हैं लेकिन दोनों में कई सारी असमानताएं भी हैं। पीसीओडी का मतलब पोलीसिस्टिक ऑवेरियन डिसीज (Poly Cystic Ovarian Disease) है और PCOS का मतलब पोलीसिस्टिक ऑवेरियन सिंड्रोम (Poly Cystic Ovarian Syndrome) है।
यदि आपकी पीसीओडी की समस्या कंट्रोल में है तो आप प्रेगनेंट हो सकती हैं। हालांकि, यदि आपकी पीसीओडी की समस्या काफी बढ़ी हुई है और आपको दवाइयों की मदद लेने की ज़रूरत पड़ रही है तो शायद आपके लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि स्वस्थ अंडे का उत्पादन करने के लिए पीसीओडी वाले लोगों में एक सीमित डिम्बग्रंथि क्षमता है। इस प्रकार, उन्हें सलाह दी जाती है कि वो समय रहते ही गर्भावस्था का चयन करें ताकि उन्हें प्रेगनेंसी में किसी तरह की समस्या ना आए।
आपके शरीर में होने वाले बदलावों से ही आपको पता चल जाएगा कि आपको पीसीओडी या फिर पीसीओएस की समस्या है कि नहीं। अर्थात यदि आपके पीरियड रेगुलर नहीं हैं और ऐसा काफी वक्त से हो रहा है कि आपकी पीरियड साइकिल लेट हो रही है तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। साथ ही अगर आपका वजन अचानक से बहुत अधिक बढ़ गया है तो भी आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए। यदि आपको सामान्य तरह से पीरियड्स हो रहे हैं तो आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।
आपके शरीर में होने वाले बदलावों से ही आपको पता चल जाएगा कि आपको पीसीओडी या फिर पीसीओएस की समस्या है कि नहीं। अर्थात यदि आपके पीरियड रेगुलर नहीं हैं और ऐसा काफी वक्त से हो रहा है कि आपकी पीरियड साइकिल लेट हो रही है तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। साथ ही अगर आपका वजन अचानक से बहुत अधिक बढ़ गया है तो भी आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए। यदि आपको सामान्य तरह से पीरियड्स हो रहे हैं तो आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।
हां, होम्योपैथी के जरिए पीसीओडी का इसाज किया जा सकता है। दरअसल, होम्योपैथी दवाइयां हार्मोनल इमबैलेंस को न्यूट्रलाइज़ करने में मदद करती हैं और इसके नकारात्मक प्रभाव को कम करती हैं। यदि 3 से 6 महीने तक लगातार होम्योपैथी दवाई ली जाए तो अंडाशय में बनने वाली सिस्ट भी पूरी तरह से खत्म हो जाती है। साथ ही पीरियड साइकिल भी सामान्य हो जाती है। इसके अलावा मुंह पर मुंहासे और बाल की समस्या भी दूर होने लगती है।