एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS) ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (HIV) के कारण होने वाली एक बीमारी है। इस बीमारी में किसी भी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है, जिस वजह से उसकी इन्फेक्शन और बीमारियों से लड़ने की क्षमता खत्म हो जाती है। मुख्य रूप से एचआईवी सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज है। हालांकि, कई बार ये प्रेगनेंसी के दौरान मां से बच्चे में भी आ जाती है या फिर ब्रेस्टफीडिंग के कारण भी बच्चे को हो जाती है। एचआईवी इंसान के इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है, जिस वजह से उसे एड्स हो जाता है।
अभी तक एचआईवी एड्स (HIV AIDS) का इलाज नहीं खोजा जा सका है। हालांकि, कई दवाइयां हैं जो इस बीमारी के प्रभाव को कम करने में मदद करती हैं। कई विकसित देशों में एड्स के कारण होने वाली मौतों को इन दवाइयों की मदद से टाला जा सकता है।
एचआईवी क्या है: एचआईवी एक वायरस होता है, जो इंसान के इम्यून सिस्टम को डैमेज कर देता है। (hiv kya hai) किसी भी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम उसे बीमारियों और इन्फेक्शन से लड़ने की ताकत देता है। एचआईवी सीडी4 सेल्स को मार देता है, जो एक तरह के इम्यून सेल्स होते हैं। वक्त के साथ एचआईवी अधिक सीडी4 सेल्स को मारता है और इस वजह से व्यक्ति को कई तरह की बीमारियां होने लगती हैं।
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यदि कोई व्यक्ति समय रहते इलाज नहीं कराता है तो उसे एड्स हो सकता है। इस स्थिति में इम्यून सिस्टम बहुत ही ज्यादा कमजोर हो जाता है और किसी भी तरह की बीमारी या इंफेक्शन से लड़ने की स्थिति में नहीं रहता है। एड्स होने की स्थिति में इलाज ना किया जाए तो व्यक्ति केवल 3 वर्ष तक ही जीवित रह सकता है।
एचआईवी मुख्य रूप से खून, सीमन, वैजाइनल और रेक्टल फ्लूइड और ब्रेस्ट मिल्क के जरिए फैलता है। यह वायरल हवा, पानी या फिर किसी तरह के कैजुअल संपर्क से नहीं फैलता (HIV kaise hota hai) है। एचआईवी उम्र भर रहने वाली बीमारी है और फिलहाल इसका कोई इलाज नहीं है।
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एड्स एक ऐसी बीमारी है, जो एचआईवी से संक्रमित लोगों को होती है। मुख्य रूप से इसे एचआईवी (एड्स क्या होता है) की सबसे आखिरी स्टेज कहा जाता है। हालांकि, जरूरी नहीं है कि जिस इंसान को एचआईवी होगा, उसे एड्स हो सकता है। दरअसल, एचआईवी सीडी4 सेल्स को मारता है। किसी भी स्वस्थ व्यस्क में 500 से 1500 क्यूबिक मिलीमीटर के बीच सीडी4 सेल्स काउंट होते हैं। वहीं एचआईवी से संक्रमित जिन व्यक्तियों में इनका काउंट 200 पर क्यूबिक मिलीमीटर से कम होता वो ही एड्स से संक्रमित (What is AIDS in Hindi) होते हैं।
एक इंसान को तब भी एड्स हो जाता है, जब उसे एचआईवी हो और वह ऑपर्चूनिस्टिक इंफेक्शन या फिर कैंसर जैसी बीमारी से संक्रमित हो जाए। जिन लोगों को एचआईवी नहीं होता है, उनमें इस तरह के इंफेक्शन बहुत ही असामान्य होता है।
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एचआईवी के कई सारे लक्षण (HIV ke lakshan in hindi) होते हैं। हर एक इंसान में इसके अलग-अलग लक्षण देखने को मिलते हैं। इस वजह से एचआईवी के लक्षण (एचआईवी लक्षण) किसी भी व्यक्ति पर निर्भर करते हैं और वो किस स्टेज पर है, इस पर निर्भर करते हैं। नीचे हम आपको एचआईवी की तीन स्टेज और उनके लक्षण (Symptoms of HIV in hindi) बताने वाले हैं।
एचआईवी से संक्रमित होने के 2 से 4 हफ्तों में दो-तिहाई लोगों में फ्लू जैसे लक्षण (hiv ke lakshan) दिखाई देने लगते हैं। ये शरीर का एचआईवी इंफेक्शन के प्रति प्राकृतिक प्रतिक्रिया होती है।
फ्लू आधारित लक्षण में मुख्य रूप से
आदि शामिल हैं। ये लक्षण कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक दिखाई दे सकते हैं। हालांकि, कई लोगों में एचआईवी की पहली स्टेज पर किसी प्रकार के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इस वजह से अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण खुद में दिखाई दे रहे हैं तो ये बिल्कुल ना सोचें कि आपको एचआईवी है। लेकिन फिर भी अगर आपको ऐसा लगता है तो आपको एचआईवी का टेस्ट कराना चाहिए।
इस स्टेज में भी वायरस लगातार मल्टीप्लाई होता रहता है लेकिन बहुत लो लेवल पर। इस स्टेज में लोग कम ही बीमार पड़ते हैं और उन्हें कोई लक्षण भी नज़र नहीं आते हैं। इस स्टेज को क्रोनिक एचआईवी इंफेक्शन भी कहते हैं। बिना एचआईवी का इलाज करवाए इस स्टेज में लोग 10 से 15 साल के लिए रह सकते हैं लेकिन कुछ लोग तेज़ी से इस स्टेज को पार कर लेते हैं।
अगर आप रोज़ एचआईवी की दवा लेते हैं तो वायरल लोड से बचे रहते हैं तो आप अपनी सेहत और सेक्शुअल पार्टनर में इसे ट्रांसमिट करने से रोक सकते हैं। लेकिन अगर आपका वायरल लोड डिटेक्टेबल होता है तो आप इस स्टेज के दौरान एचआईवी को ट्रांसमिट कर सकते हैं, तब भी जब आपको इसके कोई लक्षण नज़र ना आएं। इस वजह से जरूरी है कि आप हेल्थ केयर प्रोवाइडर से नियमित रूप से चेकअप कराते रहें।
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एड्स के लक्षण: अगर आपको एचआईवी है और आपने एचआईवी का इलाज नहीं कराया तो ये आपके शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है, जिससे आपको एड्स (aids symptoms in hindi) हो जाता है। ये एचआईवी इंफेक्शन की सबसे आखिरी स्टेज है।
एचआईवी एड्स के लक्षण
ये सभी लक्षण अन्य बीमारियों के कारण भी दिखाई दे सकते हैं। इस वजह से श्योर होने के लिए ज़रूरी है कि आप अपना एचआईवी टेस्ट करवाएं। अगर आप एचआईवी संक्रमित पाए जाते हैं तो हेल्थ केयर प्रोवाइडर आपको बताएगा कि आप इसकी कौन सी स्टेज पर हैं।
एड्स कैसे होता है: एड्स एचआईवी नाम के वायरस के कारण होता है। यदि किसी को एचआईवी नहीं है तो उसे एड्स नहीं हो सकता है। स्वस्थ लोगों में सीडी4 होता है, जिसकी गिनती 500 से 1,500 मिलीलीटर के बीच होती है। बिना ट्रीटमेंट के एचआईवी लगातार बढ़ता जाता है और सीडी4 सेल्स को खत्म कर देता है। अगर एक इंसान का सीडी4 काउंड 200 से कम हो जाता है तो इसका मतलब उन्हें एड्स है।
साथ ही यदि एचआईवी से संक्रमित (एड्स के कारण) किसी व्यक्ति को ऑपर्चूनिस्टिक इंफेक्शन हो जाता है, तो भी उन्हें एड्स हो सकता है, फिर चाहे उनमें सीडी4 सेल की गिनती 200 से अधिक क्यों ना हो।
एड्स की रोकथाम: यदि आप एचआईवी और एड्स (hiv ka ilaj) से खुद को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
एचआईवी के फैलने का सबसे सामान्य कारण असुरक्षित तौर पर बनाया गया शारीरिक संबंध यानी कि सेक्स है। इस रिस्क को पूरी तरह से खत्म तो नहीं किया जा सकता है लेकिन आप चाहें तो कुछ बचाव कर सकते हैं। अगर आपको लगता है कि आपको एचआईवी है या फिर आपके पार्टनर को है तो
- एचआईवी का टेस्ट कराएं- ये बहुत जरूरी है कि आप अपना और अपने पार्टनर का एचआईवी टेस्ट करा लें।
- अन्य सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिसीज का टेस्ट कराएं- अगर आप या आपके पार्टनर में किसी भी समस्या की पुष्टि होती है तो उन्हें अपना इलाज कराना चाहिए। एसटीआई के कारण एचआईवी होने का खतरा बढ़ जाता है।
- कन्डोम का इस्तेमाल करें- आपको कन्डोम को कैसे इस्तेमाल करते हैं इसकी जानकारी होनी चाहिए और हर बार सेक्स करते वक्त आपको कन्डोम का इस्तेमाल करना चाहिए। यह ज़रूरी है कि आपको प्री-सेमिनल फ्लूड के बारे में जानकारी हो, जिसमें एचआईवी वायरस हो सकता है।
- कम से कम सेक्शुअल पार्टनर- आपका सेक्शुअल पार्टनर सीमित होने चाहिए या फिर एक ही सेक्शुअल पार्टनर होना चाहिए।
- एक ही इंजेक्शन या सुई का इस्तेमाल ना करें- एचआईवी खून के जरिए भी एक से दूसरे में जा सकती है और इस वजह से आपको एक व्यक्ति पर इस्तेमाल की गई सुई का दूसरे व्यक्ति पर इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए।
- पीईपी पर विचार करें- एक व्यक्ति जो एचआईवी के संपर्क में आया है, उसे अपने हेल्थकेयर प्रोवाइडर से पोस्ट-एक्सपॉजर प्रोफिलैक्सिस ले लेना चाहिए। पीईपी एचआईवी होने के खतरे को कम करती है। इसमें थ्री एंटीट्रेट्रोवायरल मेडिकेशन होती हैं, जो 28 दिनों तक दी जाती है। एक्सपोजर में आने के बाद जल्द से दल्द इसे शुरू करना चाहिए। कोशिश करें कि इस 36 से 72 घंटों के अंदर शुरू कर दें।
- पीआरईपी पर विचार करें- यदि आपको एचआईवी होने का बहुत अधिक खतरा है तो आपको अपने हेल्थकेयर प्रोवाइडर से प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस ले लेना चाहिए। इसे आपको नियमित रूप से लेना पड़ता है, जो एचआईवी होने के खतरे को कम करता है। पीआरईपी दो ड्रग का कॉम्बिनेशन होता है, जो एक गोली में मौजूद होता है।
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एचआईवी और एड्स में एड्स अधिक खतरनाक बीमारी है। दरअसल, एचआईवी के कारण ही एड्स होता है और एड्स को एचआईवी की तीसरी स्टेज कहा जाता है। एचआईवी एक प्रकार का वायरस होता है जो सीधे इंसान के इम्यून सिस्टम पर हमला करता है। ये इम्यून सिस्टम में मौजूद सीडी4 सेल के काउंट को कम करता है और जब सेल के काउंट 200 से कम हो जाते हैं तो इंसान को एड्स हो जाता है। इस वजह से एड्स, एचआईवी के मुकाबले अधिक खतरनाक है।
एचआईवी की अभी तक कोई वैक्सीन नहीं आई है। इस वजह से जल्दी या फिर समय रहते पता चल जाने पर भी एचआईवी को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है। हालांकि, एचआईवी को कंट्रोल करने के लिए दवाइयां उपलब्ध हैं। इन दवाइयों को लेने से आप अधिक एचआईवी वायरस लोड को कम कर सकते हैं और अपने इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग रख सकते हैं।
एचआईवी मुख्य रूप से असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने के कारण होता है। इसके अलावा एचआईवी खून, सीमेन, वैजाइनल फ्लूइड, ब्रेस्ट मिल्क से भी संक्रमित हो सकता है। इस वजह से एक व्यक्ति पर इस्तेमाल किए गए इंजेक्शन या फिर सुई का दूसरे व्यक्ति पर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
मुख्य रूप से एचआईवी या फिर एड्स के लक्षण संक्रमित होने के एक से दो महीनों में दिखाई देने लगते हैं। हालांकि, कई लोगों में शुरुआत के कुछ महीनों में इसके किसी भी प्रकार के लक्षण नज़र नहीं आते हैं।
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