‘लखनऊ हम पे फिदा और हम फिदा ए लखनऊ’… कुछ ऐसा है अदब और तहजीब का शहर लखनऊ। केवल पर्यटक ही इस शहर पर फिदा नहीं होते, यह शहर भी पर्यटकों पर फिदा हो जाता है। यहां की हवा ही कुछ रूमानी सी है, जो हर चेहरे पर मुस्कुराहट ला देती है। तभी तो लखनऊ के लिए हर कोई कहता है, मुस्कुराइये कि आप लखनऊ में हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ घूमने के लिहाज से बेहज साफ- सुथरी और ऐतिहासिक जगहों में से एक है। नवाबी ठाठ- बाट के साथ ही ये शहर अपने लजीज जायेकदार व्यंजनों के लिए भी जाना जाता है। इस शहर की हर चीज पर्यटकों को यहां कुछ दिन और रुकने पर मजबूर कर देती है। 1775 से 1856 तक लखनऊ अवध राज्य की राजधानी था। नवाबीकाल में अवध की अदब और तहजीब का विकास हुआ। समय के साथ- साथ इस का नाम और पहचान भी बदलती रही है। पहले इस का नाम लक्ष्मणपुरी, फिर लखनपुरी और बाद में लखनऊ हो गया। अगर आप भी लखनऊ घूमने का प्लान बना रहे हैं तो यहां की कुछ खास और नामी लखनऊ में घूमने की जगह इनको बिल्कुल भी मत भूलिएगा।
लखनऊ में घूमने की 10 सबसे बेहतरीन जगहे – Best Places To Visit In Lucknow
नवाबों के शहर के नाम से मशहूर लखनऊ के चप्पे- चप्पे पर नवाबी शानोशौकत की छाप देखी जा सकती है। वैसे भी इस शहर का इतिहास बहुत पुराना है। आइए जानते हैं तहजीब के इस शहर की वो 10 खूबसूरत और बेमिसाल जगहें, जो इसे आम से खास बनाती हैं –
जनेश्वर मिश्र पार्क – Janeshwar Mishra Park Lucknow
लखनऊ गये हैं या फिर वहां के रहने वाले हैं तो एशिया का सबसे बड़ा पार्क घूमना मत भूलिएगा। इस पार्क को एशिया का सबसे बड़ा गार्डन होने का भी दर्जा प्राप्त है। इस पार्क में अलग- अलग प्रजातियों के पेड़- पौधे, ओपन जिम, गोल्फ कोर्स और शानदार झूले मौजूद हैं। सुहावने मौसम में यहां घूमने का मजा ही कुछ और है। यह पार्क लखनऊ शहर के गोमतीनगर एक्सटेंशन में लगभग 376 एकड़ में फैला हुआ है। इस पार्क में आप गोंडोला नाव का भी मजा ले सकते हैं। आपको बता दें कि यह पार्क लंदन के हाइड पार्क की तर्ज पर विकसित किया गया है। जनेश्वर मिश्र पार्क में लंदन की तर्ज पर “लखनऊ आई” झूला भी लगने जा रहा है। यह झूला 45 मीटर ऊंंचा तथा 41 ईतर चौड़ा होगा। इस झूले पर बैठकर पर्यटक लखनऊ के हवाई दर्शन कर सकेंगे।
बड़ा इमामबाड़ा – Bara Imambara
बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ की शान है। ऐतिहासिक इमारतों में शामिल इस इमामबाड़े को भूलभुलैया के नाम से भी जानते हैं। यहां की वास्तुकला को देख आप हैरत में पड़ जायेंगे। इस अद्भुत इमारत के निर्माण के पीछे दिलचस्प किस्से भी जुड़े हैं। माना जाता है कि सन 1785 में लखनऊ में रोजगार की कमी की वजह से भयावह भुखमरी की समस्या आ गई थी। आवाम की भलाई और भर पेट भोजन की व्यवस्था करने के लिए इमामबाड़े के निर्माण का निर्णय लिया गया, जिसने हजारों की संख्या में लोगों को रोजगार मुहैया कराया। इमामबाड़े में एक विशाल हॉल है, जिसमें कभी नवाब बैठते थे। इसके एक मंजिल ऊपर भूलभुलैया है, जो एक अनसुलझी पहेली है, जिसमें अगर आप भटक जाएं तो कोई बड़ी बात नहीं। इसके अलावा इस भूलभुलैया की सबसे खास बात ये है कि इसकी दीवारों के भी कान हैं। जी हां, अगर आप किसी कोने में दीवार के पास फुसफुसा कर बोलेंगे तो दूसरी तरफ दीवारों पर कान लगाकर आपकी बातें कोई साफ- साफ सुन सकता है। ऐसी दिलचस्प जगह देखने का मन किसका नहीं होगा ? तो अगली बार जब आप लखनऊ के सैर- सपाटे पर जाएं तो चौक के पास स्थित बड़ा इमामबाड़ा देखना न भूलें।
छोटा इमामबाड़ा – Chota Imambara
जनाब, लखनऊ में एक नहीं बल्कि लगभग 10 इमामबाड़े हैं, जिनमें से बड़ा और छोटा इमामबाड़ा पूरी दुनिया में मशहूर है। बड़े इमामबाड़े से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित छोटे इमामबाड़े को लखनऊ का पैलेस ऑफ लाइट्स भी कहा जाता है। दरअसल, बड़ा इमामबाडा अपनी खूबसूरत बनावट की वजह से पर्यटकों में लोकप्रिय है, जबकि छोटा इमामबाडा हॉल में मौजूद भव्य झूमर और लैंप की वजह से। कुछ- कुछ इसकी बनावट आगरा के ताजमहल से मिलती- जुलती है। इस जगह की खास बात ये है कि आपको इसके आसपास भी घूमने के लिए कई जगहें मिल जायेंगी, जैसे – लखनऊ पिक्चर गैलरी, क्लॉक टावर और रूमी दरवाजा।
चौक – Chowk
पुराना लखनऊ यानि कि चौक चौराहा खाने- पीने से लेकर चिकन के कपड़ों की शॉपिंग तक, हर चीज के लिए फेमस है। यहां आपको पुराने लखनऊ की झलक साफ तौर पर नजर आयेगी। खाने- पीने के मामले में तो चौक का जवाब नहीं। नारी- कुलचा, कबाब, शीरमाल और साथ ही यहां लगी मक्खन मलाई की दुकानें और वहां के नजारे आपको अपनी ओर आकर्षित करने के लिए काफी हैं।
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चंद्रिका देवी मंदिर – Chandrika Devi Temple
लखनऊ का मां चंद्रिका देवी धाम अपने आप में मनोरम है। हजरतगंज से लगभग 35 किलोमीटर दूर गोमती नदी के तट पर स्थित चंद्रिका देवी मंदिर की महिमा अपरम्पार है। हरी- भरी वादियों के बीच बहती गोमती नदी इस जगह को और भी दर्शनीय बनाती है। कहा जाता है कि गोमती नदी के समीप स्थित महीसागर संगम तीर्थ के तट पर एक पुरातन नीम के वृक्ष के कोटर में नौ दुर्गाओं के साथ उनकी वेदियां चिरकाल से सुरक्षित रखी हुई हैं। मान्यता है कि जो कोई भक्त यहां सच्चे मन से मनौती मांगता है, वह जरूर पूरी होती है।
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मरीन ड्राइव लखनऊ – Marine Drive
मरीन ड्राइव सिर्फ मुंबई में ही नहीं बल्कि अब लखनऊ में भी है। गोमती नगर में स्थित गोमती नदी से सटी सड़क की एक शानदार लोकेशन है। रंग- बिरंगी लाइट्स, शांत नदी का किनारा और आसपास हरे- भरे पेड़, इस जगह को और भी खास बनाते हैं। ये जगह लखनऊ के यूथ के लिए उनका परफेक्ट हैंगआउट प्लेस है। यहां बैठकर आप म्यूजिकल फाउंटेन का मजा ले सकते हैं। ये जगह शहर के शोर से दूर सुकून और शांति से भरपूर है।
हजरतगंज की गंजिंग – Hazratganj
लखनऊ चारबाग रेलवे स्टेशन से महज कुछ ही दूरी पर स्थित हजरगंज लखनऊ का वो चमकता कोना है, जहां लोग गॉसिप, शॉपिंग और ईटिंग तीनों एक साथ करते हैं। यहां आपको मॉल, बड़े- बड़े रेस्टोरेंट, मूवी थियेटर के अलावा भी बहुत कुछ मिल सकता है एंटरटेंमेंट के लिए। इस जगह को बनवाया ही गया है शॉपिंग के नजरिये से। इसे 1810 में अमजद अली शाह ने बनवाया था। यह मार्केट पहले क्वींस मार्ग पर स्थित था, जहां अंग्रेज अपनी गाड़ियां और बग्घी चलाने जाया करते थे। समय बीतता गया और वर्तमान में यह शहर की सबसे प्रमुख सड़क और बाजार है, जहां लोग मस्ती करते हैं, खाते – पीते हैं और शॉपिंग का मजा भी उठाते हैं। ये जगह दिल्ली के कनॉट प्लेस से कुछ कम नहीं है। एक बार जाकर तो देखिए। रविवार के दिन यहां पर गंजिंग कार्निवल भी होता है।
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रूमी दरवाजा – Rumi Darwaza
लखनऊ का रूमी दरवाजा यहां की आन- बान- शान और पहचान भी है। रूमी दरवाजा बड़े इमामबाड़े के बाहर पुराने लखनऊ का प्रवेश द्वार माना जाता है। यह लगभग 60 फीट ऊंचा है, जिसमें तीन मंजिलें हैं। इस दरवाजे से आप नवाबों के शहर का भरपूर नजारा ले सकते हैं। बताया जाता है कि इस विशाल दरवाजे को बनवाने में करीब 2 साल का वक्त लगा था। ये अवध वास्तुकला का एक नायाब उदाहरण है। यहां आप बग्घी से रूमी दरवाजा होते हुए पुराने लखनऊ के कई दर्शनीय स्थलों को एक साथ देखने का लुत्फ उठा सकते हैं।
लखनऊ प्राणि उद्यान – Zoo
नरही स्थित नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान (लखनऊ जू) बहुत ही आकर्षक है। जानवरों और पक्षियों के अलावा यहां सांपों और मछलियों के रहने के लिए भी अलग- अलग घर बने हुए हैं। बच्चों को घुमाने के लिए छोटी रेलगाड़ी का भी इंतजाम है, जिससे पूरा प्राणी उद्यान देखा जा सकता है। यहां एक राज्य संग्रहालय भी है, जिस में ऐतिहासिक सामान रखा गया है। लखनऊ के इस जू में करीब पांच हजार से भी ज्यादा पेड़ लगे हैं और करीब एक हजार से ज्यादा वन्यजीव हैं। साथ ही लखनऊ जू की एक और खूबसूरत जगह है, यहां ढाई एकड़ में बना बटरफ्लाई पार्क, जहां पर लगभग 60 प्रजाति की तितलियां दिखाई देती हैं। अगर आप भी अपने बच्चों की प्रकृति से दोस्ती करवाना चाहते हैं तो उन्हें लखनऊ जू घुमाने जरूर ले जायें।
द रेजीडेंसी लखनऊ – The Residency Lucknow
लखनऊ के गोमती तट पर स्थित बेलीगारद यानि की रेजीडेंसी अंग्रेज़ों के खिलाफ आजादी की कुछ पहली और अहम लड़ाइयों का प्रतीक है। इस ऐतिहासिक इमारत को देखने यहां देश- विदेश से कई पर्यटक आते हैं। लखौरी ईंट और सुर्ख चूने से बनी इस दो मंजिले इमारत में बड़े- बड़े बरामदे और एक पोर्टिको शामिल था। रेजीडेंसी के नीचे आज भी एक बड़ा तहखाना है। अवध के रेजीडेंट इस तहखाने में आराम फरमाते थे। गदर के वक्त तमाम अंग्रेज महिलाओं और बच्चों ने इसी तहखाने में शरण ली थी। फोटोग्राफी और फोटोशूट के लिए ये जगह परफेक्ट लोकेशन है।
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