जब हमारी कॉलेज लाइफ शुरू होती है या फिर जब हम नौकरी के लिए बाहर जाते हैं तो देश के हर कोने के लोगों से जुड़ते हैं। कश्मीरी, पंजाबी, मराठी, साउथ इंडियंस, लखनवी, बिहारी, बंगाली.. हर तरह के लोगों से हमारा सामना होता है और सबकी अलग- अलग पहचान होती है। पर जो अदब और तहज़ीब लखनवी लोगों में होता है वो पूरे हिंदुस्तान में नहीं मिलती। उनके लिए लखनऊ एक शहर ही नहीं, एक एहसास है। लखनवी होना एक परम्परा और सभ्यता है। आप ने भी ये जरूर महसूस किया होगा अगर आपका भी कोई लखनवी फ्रेंड है तो। … अगर आपके भी दोस्त लखनवी हैं, तो ये बातें आप बखूबी समझेंगी --
दरअसल ऐसा इसलिए है कि लखनऊ के लोगों की तहज़ीब में स्वार्थ नहीं होता। वहां कोई आपको तुम या तू नहीं ‘आप’ कहेगा। लखनऊ अदब का शहर है। आपको बात करते वक्त हमेशा यही लगेगा कि कितनी इज्जत मिल रही है आपको।
यहां के लोगों की आवाज में बहुत मिठास होती है। हमारे और आपकी तरह वो कभी हड़बड़ाहट में नहीं रहते। पता नहीं कहां से उनमें इतना धैर्य होता है।
आप उन्हें कहीं भी किसी भी शहर ले जाएं.. फिर भी वो हज़रतगंज और गोमती नगर को ही मिस करेंगे। उन्हें अपने शहर से अच्छा कुछ भी नहीं लगता।
वो किसी से कितने भी नाराज हों पर ‘अबे’ जैसे शब्द भी उनके जुबान पर नहीं आते, गालियां तो दूर की बात है जी।
आप कितने भी ट्रेंडी कपड़े पहन लें, उन्हें चिकनकारी ही सबसे ज्यादा पसंद आती है। चिकन का काम आपको भी पसंद आने लगेगा। वो कुछ इस तरह आपको इसके बारे में बताएंगे।
तो वो सारे काम छोड़कर आपको अपने शहर के बारे में बताने लगेंगे और उसी में डूब जाएंगे। और लखनऊ की बात करते हुए उनके एक्सप्रेशंस एकदम देखने लायक होते हैं! आपका भी मन करने लगेगा लखनऊ जाने का।
ऐसा इसलिए है कि जब वो आपको लखनवी टुंडे- कबाब और दही बड़े की चाट खिलाएंगे तो आपको लगेगा कि ऐसे जॉइंट्स और रेस्टोरेंट्स में कुछ नहीं रखा है।
तहज़ीब नाम की भी चीज होती है। वो थोड़ा महंगा सामान लेंगे, पर उसी दुकान से लेंगे, जहां दुकानदार ठीक से बात करे। वो अकड़ू लोगों को बिल्कुल पसंद नहीं करते।
आप ने पंजाबियों के खानपान और ठाठ- बाट के बारे में सुना होगा तो इनके यहां भी जाएं। मेहमान नवाज़ी क्या होती है, पता चल जाएगा आपको।
किसी भी तरह का काम दे दें इन्हें, ये आपको कभी निराश नहीं करेंगे। और काम को इस तरह करेंगे कि बाय गॉड की कसम, आप इनके फैन हो जाएंगे। अगर इन्हें म्यूजिक पसंद है तो इसे छूकर ही उठ जाने की आदत नहीं है इन्हें। ये उस म्यूजिक में डूब जाते हैं।
प्यार...नहीं- नहीं..मोहब्बत! मोहब्बत में लोग गाते होंगे गाने… लेकिन लखनऊ के लोग तो आज भी शेरो- शायरी के जरिए ही अपनी मोहब्बत का इज़हार करना पसंद करते हैं। इश्क फरमाने का इनका तरीका आम नहीं, बहुत खास होता है।
इन्हें खुद को ‘पूरबिया’ कहलाना मंजूर है, लेकिन वेस्ट यूपी वालों के साथ अपनी तुलना कतई मंजूर नहीं है! बात करके देखिएगा कभी इनसे, पता चल जाएगा।
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