प्रेगनेंसी यानि गर्भावस्था एक सुखद लेकिन काफी लंबा सफर है। इस दुराण होने वाली मां काफी उतार-चढ़ाव से होकर गुजरती है। मन में कई भाव साथ चल रहे हैं। कभी मन बहुत खुश होता है तो कभी खूब रोने का मन करता है। और इन सबके बीच हमारे हॉर्मोन्स अलग ही खेल, खेल रहे होते हैं। सफर में यूं तो बहुत से लोग हमारे साथी बनते हैं मगर सबसे ज्यादा साथ देती हैं, वो किताबें जिन्हें हम गर्भावस्था के दौरान पढ़ते हैं। बच्चा अपनी मां के पेट से ही काफी कुछ सीखकर बाहर आता है। ऐसे में प्रेगनेंसी में क्या पढ़ना चाहिए (pregnancy mein kya padhna chahiye) इस ओर खास ध्यान दिया जाता है।
गर्भावस्था में पढ़ने का महत्व
कहते हैं, महाभारत काल में अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु ने मां के पेट में ही रहकर चक्रव्यूह का रहस्य सुन और समझ लिया था। इसका मतलब यह ही कि हम जो कुछ बोलते हैं य बातें करते हैं, उसे हमारा बेबी अंदर सुन रहा होता है। यही कारण के ही घर के बड़े-बुजुर्ग प्रेगनेंसी के दौरान अपना आचरण अच्छा रखने से लेकर अच्छी चीज़े लिए प्रोत्साहित करते हैं। दरअसल, गर्भावस्था के ऐस सफर है, जिसमें हमें जीतन हो सके उतना सकरात्मक और खुश रहना चाहिए। होने वाले मां खुश रहेगी तो अंदर बच्चा भी खुश रहेगा और स्वस्थ बनेगा। अच्छी किताबें पढ़ने से मन को शांति मिलती है और अंदर पल रहा शिशु भी खुश रहता है।
प्रेगनेंसी में क्या पढ़ना चाहिए – Pregnancy mein kya Padhna Chahiye
- गर्भावस्था पर आधारित किताबें
- धार्मिक किताबें
- सकारात्मकता से भरी किताबें
- शिशुओ पर आधारित किताबें
- कहानियां या काॅमिक्स
- अपनी पसंद की किताबें
प्रेगनेंसी में कैसे सोना चाहिए या फिर Pregnancy Me Kya Khana Chahiye इस बारे में तो आपको हर कोई सलाह देता ही रहता होगा। मगर प्रेगनेंसी में क्या पढ़ना चाहिए ये कम ही लोग बताते हैं। हम आपको यहां इसी बारे में बता रहे हैं।
गर्भावस्था पर आधारित किताबें
ऐसी बहुत सी किताबें हैं, जो प्रेगनेंसी पर आधारित होती हैं। ये किताबें प्रेगनेंसी के पहले दिन 9वें महीने तक हर दिन के बारे में कुछ न कुछ बताती हैं। जैसे मां का स्वास्थ, मां को क्या खाना चाहिए, Tips for Pregnant Working Women in Hindi आदि। इन किताबों के जरिये आप अपनी गर्भावस्था को और अच्छी तरह से समझ पाएंगी।
धार्मिक किताबें
धार्मिक किताबें हमेशा से ही मन को सुकून पहुंचाती हैं। इन धार्मिक किताबों में गीता, रामायण, कृष्णा सहित बाइबल और कुरान जैसी किताबें शामिल हैं। इसके अलावा आप धर्म से जुड़ी और कोई कितम भी पढ़ना चाहती हैं तो उसे बेशक पढ़ें। इन सबका आपके शिशु में अच्छा और सकारात्मक असर ही होगा।
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सकारात्मकता से भरी किताबें
बाजार में या ऑनलाइन स्टोर ऐसी बहुत सी किताबें हैं, जो हमें सकारात्मक रहना सिखाती हैं। ये किताबें किसी भी ऑथर की हो सकती हैं। आपको बस इन किताबों को पढ़कर ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक रहने की कोशिश करनी है। दरअसल, प्रेगनेंसी के सौरन होने वाली मां के दिमाग में कई तरह के बुरे ख्यालात भी आते रहते हैं। उन सबसे से निपटने के लिए आपको इन तरह की किताबें पढ़ते रहना चाहिए।
शिशुओ पर आधारित किताबें
ऐसी बहुत सी किताबें हैं जो 9 महीने के इस सफर के दौरान आपके शिशु में हर दिन होने वाले बदलावों के बारे में बताती हैं। वहीं कुछ किताबें हर महीने की अपडेट भी देती हैं। इससे आपको अपने अंदर पल रहे शिशु में हो रहे बदलावों को जानने में मदद मिलेगी। साथ ही आप अपने शिशु को और अच्छी तरह से जान पाएंगी।
कहानियां या काॅमिक्स
किस्से-कहानियां भला किसे पसंद नहीं होते। ज़िंदगी में घटे तो किस्से बन जाते हैं और किताबों में छपें तो कहानियां बन जाती हैं। किताबों की दुनियां में ऐसी बहुत सी किताबें हैं, जो कहानियों से भरी पड़ी हैं। इसके अलावा आप कॉमिक्स पढ़ कर भी अपना मनोरंजन कर सकती हैं।
अपनी पसंद की किताबें
कहते हैं, मोबाइल का रेडियस गर्भ में पल रहे शिशु के लिए घातक साबित होता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान मोबाइल का इस्तेमाल कम से कम करें। आप चाहें तो इसके बजाय अपनी मपसन्द किताबें पढ़कर समय गुजर सकती हैं। फिर चाहे वो किताब कैसी भी हो, मनोरंजन की हो, महिलाओं की हो या फिर और कोई।
प्रेगनेंसी में क्या नहीं पढ़ना चाहिए – Pregnancy me kya Nahi Karna Chahiye
प्रेगनेंसी में पढ़ने के दौरान एक बड़ा सवाल सामने आता है कि प्रेगनेंसी में क्या नहीं पढ़ना चाहिए। दरअसल ऐसी किताबें, जो होने वाली मां के मन में नकारात्मकता पैदा करें या फिर जिन्हें पढ़कर गर्भवती महिला असहज महसूस करे, ऐसी किताबें पढ़ने से बचना चाहिए। इसके अलावा हॉरर यानी डरावनी या फिर जासूसी वाली किताबें भी होने वाली मां को गर्भावस्था में नहीं पढ़ना चाहिए।
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