रंगों के त्योहार होली की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। हम उम्मीद करते हैं कि इको फ्रेंडली सेलिब्रेशन के ज़माने में आप भी अपनी सेहत का खास ख्याल रखते होंगे। मौज-मस्ती के इस त्योहार को कुशल-मंगल बनाने के लिए ज़रूरी है कि इस दिन हंसी-खुशी सबके साथ मिला-जुला जाए।
न करें सेहत से खिलवाड़
हेल्थियंस की लाइफस्टाइल मैनेजमेंट कंसल्टेंट डॉ. स्नेहल सिंह के मुताबिक, होली की मस्ती के बीच अगर अपनी सेहत का ध्यान न रखा जाए तो काफी परेशानी हो सकती है। एक्सपर्ट से जानें कि होली पर रंगों से खेलने के दौरान सावधानी न बरतने पर किस तरह की समस्याएं हो सकती हैं।
एलर्जी से बचें
होली के रंग में कई बार ऐसे केमिकल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किया जाता है, जिनसे कुछ लोगों को एलर्जी हो सकती है। रंग से होने वाली एलर्जी के कारण व्यक्ति को त्वचा, आंखों, नाक व गले में खुजली या उसी तरह की दूसरी परेशानियों की शिकायत हो सकती है। एलर्जी के कारण नाजुक लोगों को खांसी, जुकाम व सांस संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, होली खेलने के बाद एस्थमा रोगियों की संख्या में भी बढ़ोतरी देखी गई है।
त्वचा का रखें ख्याल
होली के रंगों में मिले केमिकल्स के कारण बहुत लोगों को त्वचा संबंधी शिकायतें होने लगती हैं। अकसर लोग शिकायत करते हैं कि रंगों से खेलने के बाद उन्हें त्वचा पर खुजली, लाल चकत्ते, रूखापन व जलन महसूस होने लगती है। अगर त्वचा पर पहले से कोई समस्या हो तो होली के बाद उसके बढ़ने की आशंका हो जाती है। सिर्फ इतना ही नहीं, बालों के लिए भी ये रंग बहुत नुकसानदायक होते हैं। होली सेलिब्रेशन के बाद हेयरफॉल, खुजली व बालों के रूखे-सूखे होने की शिकायतें आम हैं।
आंखें भी हों सुरक्षित
होली पर केमिकल युक्त रंगों से खेलने के बाद लोगों को आंखों में खुजली व पानी आने की समस्या होने लगती है। केमिकल्स के ज्यादा प्रयोग के कारण कई बार लोगों को पैरालिसिस व स्किन कैंसर तक हो जाता है।
ताकि होली हो सुरक्षित
होली पर रंगों से खेलने की परंपरा है मगर इसका यह मतलब नहीं है कि खराब क्वॉलिटी के रंगों से खेलकर इस दिन का मज़ा किरकिरा कर लिया जाए। होली के रंगों की क्वॉलिटी को आप इन तरीकों से पहचान सकते हैं।
- रंग खरीदने से पहले पैकेट पर लगे लेबल को ध्यान से पढ़ें। उस पर हर उस चीज़/केमिकल का जिक्र होगा, जो उस रंग में डाला गया है।
- एक बार उस रंग को सूंघें ज़रूर, अगर उसमें पेट्रोल या किसी दूसरे केमिकल की महक आ रही हो तो उसे न खरीदें। यह भी ध्यान रखें कि रंग के पानी में न घुलने का मतलब है कि उसमें केमिकल है।
- ऑर्गेनिक रंगों में कुछ भी शाइनी नहीं होता है और वे हल्के शेड्स में आते हैं। सिल्वर, डार्क पर्पल और ब्लैक जैसे गहरे रंगों का इस्तेमाल करने से बचें। हो सकता है कि ये रंग प्राकृतिक न हों।
आपको सुरक्षित होली की अग्रिम शुभकामनाएं!
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