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नवरात्रि पर क्यों किया जाता है गरबा, क्या है इस नृत्य का महत्व

Garima Anurag  |  Sep 30, 2022
navratri par kyun kiya jata hai garba

नवरात्रि में नौ दिनों तक एक तरफ लोग जहां मां के आगमन में पूजा अर्चना में जुट जाते हैं, वहीं मां को खुश करने के लिए इन नौ दिनों में गरबा करने का चलन भी बहुत पुराना है। नवरात्रि सुनते ही कुछ लोगों को गरबा नृत्य की धुन और स्टेप्स भी याद आने लगते हैं। गुजरात में की जाने वाली गरबा का आयोजन अब समय के साथ हर छोटे बड़े शहर में किया जाने लगा है और लोग इसे आपस में मिलने जुलने, तैयार होने और अपने इन नौ दिनों में आउटफिट फ्लॉन्ट करने का अच्छा मौका भी मानते हैं। गरबा खेलने के पहले लोग अपने मेकअप और ब्यूटी लुक का भी खास ख्याल रखते हैं। लेकिन गरबा का अर्थ सिर्फ फैशन, डांस या तैयार होना, झूमना नहीं है। नवरात्रि में किए जाने वाले गरबा का विशेष महत्व है। 

क्यों खेलते हैं गरबा, जानें क्या है धार्मिक महत्व

माता के दरबार में गरबा खेलने का धार्मिक महत्व होता है। माना जाता है कि माता ने महिषासुर का वध किया था। महिषासुर के अत्याचार झेल रहे मनुष्यों ने उसके वध पर अपनी खुशी की अभव्यक्ति के लिए नृत्य किया था। इसी नृत्य को गरबा कहा जाता है। ये भी मान्यता है कि माता को ये नृत्य बहुत पसंद है इसलिए माता की स्थापना के बाद ये नृत्य परंपरागत तरीके से किया जाता है।

खूबसूरत है गरबा का पारंपरिक महत्व

गरबा का स्वरूप कितना भी बड़ा या छोटा हो, गरबा नृत्य शुरू करने के पहले एक मिट्टी के बर्तन जिसे गारबो भी कहा जाता है को बीच में रखकर वहां दीप प्रज्वलित किया जाता है। इसे गर्भ दीप कहते हैं और इसी के चारों ओर गरबा का नृत्य किया जाता है। गरबा करने वाले लोग गोल घूमते हुए अपने हाथों और पैरों को भी गोलाकार गति देते हैं और मंडलियों में ये नृत्य करते हैं।

इस नृत्य को जीवन, मृत्यू और पुनर्जन्म के चक्र के रूप में समझा जाता है और बीच में रखे दीये को गार्बो गर्भ भी कहा जाता है। अंदर का प्रकाश गर्भ में पल रहे शिशु का प्रतीक होता है और ऐसा माना जाता है कि माता अपने बच्चों और दुनिया की रक्षा के लिए खड़ी रहती हैं। यह मान्यता एक तरह से माता के रूप में पूरी नारी जाति को सम्मान देने वाला है और वाकई खूबसूरत है।

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