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हिजामा के फायदे और नुकसान

Spardha Mann  |  Apr 3, 2023
हिजामा के फायदे

कपिंग थेरेपी एक प्रकार का इलाज होता है और जब से कुछ हॉलीवुड एक्टर्स और खिलाड़ियों ने कपिंग थेरेपी की अपनी तस्वीरों को शेयर करना शुरू किया है, तब से ही लोगों में कपिंग थेरेपी (hijama kya hota hai) को लेकर उत्साह बढ़ गया है। बता दें कि कपिंग थेरेपी को हिजामा (hijama kya hota hai) भी कहा जाता है। दरअसल, कपिंग थेरेपी दर्द के इलाज के लिए की जाती है और कहा जाता है कि यह मसल्स के अंदर होने वाले घाव और टिश्यूज को राहत पहुंचाने में मदद करती है। कपिंग थेरेपी के बारे में 5000 साल पहले के दस्तावेजों में लिखा गया है। इस वजह हम कह सकते हैं कि यह कोई नई प्रकार की थेरेपी नहीं है बल्कि इलाज का एक पुराना तरीका है, जो सोशल मीडिया के कारण काफी मशहूर हो गया है। कुछ लोग इसे हिजामा के नाम से भी जानते हैं। आप यहां क्लींजिंग थेरेपी के बारे में भी जान सकते हैं।

कपिंग थेरेपी के प्रकार – Types of Cupping Therapy in Hindi

कपिंग थेरेपी से पहले किन बातों का रखें ध्यान – Things to Remember Before Cupping Therapy

कपिंग थेरेपी के फायदे – Cupping Therapy ke Fayde

कपिंग थेरेपी के नुकसान – Side Effects of Cupping Therapy in Hindi

कैसे की जाती है कपिंग थेरेपी? – How to do Cupping Therapy in Hindi?

दरअसल, कपिंग थेरेपी (hijama kya hota hai) करते वक्त कप्स का इस्तेमाल किया जाता है और इन्हें स्किन से लगाते वक्त एक वैक्यूम क्रिएट किया जाता है। इस तरह से कप्स को स्किन के खास प्वॉइंट्स पर रखा जाता है और ये कप स्किन को अंदर की ओर खींचते हैं। कप को स्किन पर लगाए जाने से पहले इसे अल्कोहल, जड़ी-बूटियों या फिर कागज से गरम किया जाता है। इसके बाद कप के खुले मुंह की तरफ से स्किन पर रखा जाता है। जैसे ही कप को रखा जाता है, वहां वैक्यूम बन जाता है और कप स्किन को अंदर की ओर खींच लेता है। कपिंग थेरेपी इलाज का एक परंपरागत तरीका है, जिसे कराने के बाद लोगों को दर्द से राहत मिलता है। यह एक प्रकार का सक्शन कप है जो मसल्स पर प्रेशर नहीं डालता बल्कि इसे अंदर की ओर खींचता है। कई बार कपिंग थेरेपी के बाद स्कि लाल हो जाती है लेकिन यह कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाती है।

किस चीज का बना होता है कप 

इन दिनों कपिंग चिकित्सा के लिए शीशे के कप का प्रयोग किया जाता है, जो एक ओर से खुला होता है। शीशे के कप के अलावा, कप प्लास्टिक, बांस, मिट्टी, सिलिकॉन के भी बने होते हैं। इन कप्स को कुछ मिनट के लिए स्किन पर विशेष तौर पर रखा जाता है, यह कप स्किन को खींचता है ताकि बीमारी ठीक हो जाए। अब कुछ लोग रबर के पंप का भी प्रयोग करते हैं। कपिंग थेरेपी कई बार सेशन्स में की जाती है। एक सेशन में तीन से पांच कप तक का प्रयोग किया जा सकता है। संभव है कि स्पेशलिस्ट पहली दफा सिर्फ एक कप ही लगाए ताकि वह यह समझ सके कि कपिंग थेरेपी को आपकी स्किन किस तरह ले रही है। कपिंग थेरेपी में कभी- कभार एक्यूपंक्चर भी किया जाता है। इसके लिए स्पेशलिस्ट पहले सुइयों को चुभोता है, उसके बाद वहां कप रखता है।

क्या कहता है शोध 

ताइवान में हुए एक शोध के अनुसार, गर्दन दर्द और कंधे के दर्द से छुटकारा मिलने में कपिंग थेरेपी लाभदायक है। यही नहीं, घुटने के दर्द को भी कम करता है। 2011 में एक अध्ययन के दौरान पाया गया कि जिन लोगों ने दो हफ्ते तक कपिंग थेरेपी के पांच सेशन्स लिए, उनके इलाज में काफी फायदा हुआ। जर्नल ऑफ ट्रेडिशनल एंड कॉम्प्ल्लिमेंट्री मेडिसिन में 2015 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, कपिंग थेरेपी एक्ने, हप्र्स और पेन मैनेजमेंट में फायदेमंद है। ब्रिटिश कपिंग सोसायटी का कहना है कि कपिंग थेरेपी एनीमिया, हीमोफीलिया, आर्थराइटिस, गायनकोलॉजिकल डिसऑर्डर, स्किन प्रॉब्लम्स, हाई ब्लड प्रेशर, माइग्रेन, एंजायटी, डिप्रेशन, अस्थमा और वैरिकोज वेन्स के इलाज में लाभकारी है।

हिजामा (कपिंग थेरेपी) के फायदे – Cupping Therapy ke Fayde

कपिंग थेरेपी के वैसे तो काफी सारे फायदे होते हैं लेकिन आमतौर पर लोग स्किन को खूबसूरत बनाना या फिर मांसपेशियों के दर्द से राहत पाने के लिए कपिंग थेरेपी का सहारा लेते हैं। तो चलिए यहां हम आपोक कपिंग थेरेपी के फायदों (hijama ke fayde) के बारे में डिटेल में बताते हैं।

रक्त संचार में तेजी

कपिंग थेरेपी ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने में मदद करता है। साथ ही यह शरीर के उस हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ा देता है, जहां पर कप लगाया जाता है। साथ ही इससे मसल्स को प्रेशर से भी आजादी मिलती है। साथ ही आपकी नसों को मजबूती देता है और रक्त संचार को बढ़ाता है।

डिटॉक्सिफिकेशन – Detoxification

भले ही आप हेल्दी डाइट को फॉलो करते हों लेकिन हवा में प्रदूषण के कारण टॉक्सिन आपके शरीर में आ जाते हैं और ऐसे में कपिंग थेरेपी (hijama ke fayde) शरीर के अंदर की गंदगी बाहर निकालने और स्किन को डिटॉक्स करने में मदद करता है। यह ब्लड सप्लाई को सुधारने में भी मदद करता है और डेड स्किन सेल्स को दूर करता है और शरीर में खून के जरिए टॉक्सिन को भी बाहर निकालता है।

कम करे इंफ्लेमेशन – Reduces Inflammation

आपको इंफ्लेमेशन किसी मसल या फिर टिश्यू ग्रुप में हो सकता है और ऐसे में कपिंग थेरेपी आपके प्रभाविह हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने में मदद करता है और इंफ्लेमेशन को कम करता है और जैसे ही आपका ब्लड सर्कुलेशन सही होता है वैसे ही इंफ्लेमेशन भी सही हो जाता है।

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स्किन के लिए बढ़िया

जिन लोगों को त्वचा संबंधी परेशानी होती है वो भी कपिंग थेरेपी (hijama ke fayde) के जरिए इसे सही कर सकते हैं। चाहे आपको एक्ने हो या फिर पिपंल्स हो। कपिंग थेरेपी (hijama therapy benefits in hindi) बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करता है और स्किन को भी शुद्ध करता है। साथ ही खून से हर तरह की गंदगी को बाहर निकालने में भी मदद करता है।

बेहतरीन एंटी एजिंग – Anti Aging

हर कोई वक्त के साथ उम्र को बढ़ने से रोकना चाहता है? सब यही चाहते हैं कि वह जवां और खूबसूरत दिखाई दे। स्किन पर कपिंग (हिजामा के फायदे) का इस्तेमाल करके आपको साफ, स्मूद और डिटॉक्सिफाई स्किन मिलती है और इससे आपकी स्किन जवां भी होती है।

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दर्द से आराम

कपिंग थेरेपी (हिजामा करने का तरीका) साथ ही दर्द से आराम दिलाने में भी मदद करता है। यह आपके टिश्यू को कोमल करता है, जिससे आपके शरीर में रक्त का प्रवाह उन हिस्सों पर बढ़ने लगता है, जहां इसकी जरूरत होती है। यह मांसपेशियों में होने वाले दर्द को भी कम करने में मदद करता है। यह क्रोनिक पेन को भी कम करता है और इसे प्रभावशाली भी माना जाता है।

तनाव से दूरी

मसाज के बजाए कपिंग थेरेपी (हिजामा के फायदे) से आपको अधिक आराम मिलता है और इससे तनाव भी दूर होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कपिंग थेरेपी एक सूदिंग माहौल में की जाती है। कपिंग के दौरान आपको रिलैक्सेशन का एहसास होता है क्योंकि इसे शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर घुमाया जाता है। इलाज की यह प्रक्रिया आपको राहत दिलाती है और तनाव को दूर करने में मदद करती है।

एलर्जी से राहत 

कपिंग थेरेपी (हिजामा करने का तरीका) के बाद आपको कई प्रकार की एलर्जी से भी आराम मिलता है क्योंकि यह शरीर के अंदर रहने वाले खराब बैक्टीरिया को निकालने में मदद करता है। साथ ही सर्दी और खांसी के इलाज में भी यह काफी मददगार होता है और इम्यून सिस्टम को भी हील करता है।

पाचन तंत्र में सुधार 

कपिंग थेरेपी (हिजामा के नुकसान) आपके पेट से संबंधित परेशानियों को भी ठीक करने में मदद करता है। शरीर में यदि अल्सर या फिर कब्ज हो तो इसे ठीक करने में यह काफी मदद करता है। कपिंग थेरेपी के जरिए शरीर में पोषक तत्व बेहत तरीके से मिलते हैं।

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कपिंग थेरेपी से पहले किन बातों का रखें ध्यान – Things to Remember Before Cupping Therapy in Hindi

कपिंग थेरेपी (what is hijama therapy in hindi) कराने से पहले आपको जानना चाहिए कि आप जिससे कपिंग थेरेपी के लिए जा रहे हैं वह इसके लिए प्रशिक्षित हो। आपको स्पेशलिस्ट से पूछना चाहिए कि कपिंग थेरेपी के लिए वो किस तरह के कप का इस्तेमाल करते हैं और इसके क्या साइड इफेक्ट क्या है।

हो सकता है कि कपिंग थेरेपी (हिजामा करने का तरीका) सेशन के दौरान आप थोड़ा नर्वस हो जाएं या फिर आपको डर लगे कि आपके साथ क्या होने जा रहा है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आपको घबराना चाहिए क्योंकि यह काफी सामान्य है। कपिंग थेरेपी (हिजामा के फायदे) का इलाज एक सुरक्षित तरीका है। इसका एक सेशन लगभग बीस मिनट से लेकर आधे घंटे तक चलता है।

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 हिजामा (कपिंग थेरेपी) के नुकसान – Side Effects of Cupping Therapy in Hindi

कपिंग थेरेपी या फिर हिजामा (what is hijama therapy in hindi) के कुछ नुकसान भी होते हैं। कपिंग थेरेपी (हिजामा के नुकसान) को एक सुरक्षित इलाज माना जाता है लेकिन आपको किसी प्रोफेशनल से ही इसे कराना चाहिए। हां, स्किन के जिस हिस्से को कप (hijama therapy benefits in hindi) छूते हैं वहां आपको कुछ देर के लिए असुविधा, जलन, चोट या फिर स्किन इंफेक्शन होने की आशंका भी कई बार रहती है। इस वजह से इलाज के दौरान आपको डिजीनेस हो सकती है या फिर पसीना आदि भी आ सकता है।

हम उम्मीद करते हैं कि हिजामा पर हमारा यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। हमने अपने इस लेख में हिजामा के फायदे, हिजामा के नुकसान के बारे में बताया है। इसके अलावा आप यहां हॉट कैंडल वैक्स मसाज थेरेपी के बारे में भी जान सकते हैं।

 कपिंग थेरेपी से जुड़ें सवाल और जवाब – FAQ’S

कपिंग थेरेपी किस तरह की जाती  है?

कपिंग थेरेपी वैकल्पिक चिकित्सका पद्धति का एक तरीका है, जिसमें थेरेपिस्ट आपके शरीर पर कुछ मिनटों के लिए खास डिजाइन किए कप रखते हैं ताकि स्किन में वैक्यूम क्रिएट हो सके।

कपिंग थेरेपी से मसल्स में क्या होता है?

कपिंग थेरेपी के तहत सक्शन के जरिए मसल्स को ढीला किया जाता है, जिससे रक्त का संचार तेज होता है और नर्वस सिस्टम को राहत मिलती है। इसलिए यह हाई ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए कारगर माना जाता है।

कपिंग थेरेपी को कितने अंतराल के बाद अमूमन कराना चाहिए?

देखा जाए तो इसके बारे में स्पेशलिस्ट ही बेहतर बता सकता है।वैसे, सप्ताह में दो बार कपिंग थेरेपी के सेशन लिए जा सकते हैं।

क्या कपिंग थेरेपी वजन घटाने में भी सहायक है?

कपिंग उस एनर्जी को रीस्टोर करने में मदद करती है, जिसकी जरूरत आपके शरीर को फैट सेल्स को हटाने के लिए पड़ती है। यदि इसके साथ आप हेल्दी डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज कर रही हैं तो इससे वजन कम करने में मदद मिलती है।

कपिंग थेरेपी के मुख्य साइड इफेक्ट्स क्या हैं?

पसीना आना या नॉजिया महसूस होना, इसके आम साइड इफेक्ट्स हैं। इलाज के बाद स्किन पर लाल निशान पड़ जाते हैं। आपको डिजीनेस हो सकता है। साथ ही स्किन इंफेक्शन होने के चांसेज भी रहते हैं।

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